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क्या आप भी मानते हैं ये अंधविश्वास ? II How to Learn Astrology Jyotish Vastu Tips In Hindi ?How To Learn Astrology in Hindi is a best Channel for astrology learning, In this channel you'l Learn best astrology. If You want to know about astology, it's a best channel for astrology learning. In this channel i'l provide free analysis of your janampatri, for more information mail me - nnsonline.rk@gmail.com भारत में कई अंधविश्वास और मान्यताएं हैं जिन्हें या तो धर्म से जोड़ा जाता है या उन्हें विश्वास बताया जाता है। कई लोगों का कहना है कि बिल्ली रास्ता काट दें तो आगे ना जाएं जबकि कई लोगों का मानना है कि कुत्ते के रोने से अनहोनी होती है। आज हमारे बीच कई ऐसे अंधविश्वास है जिनसे रोज आपका सामना होता है। आगे तस्वीरों से जानें, 10 प्रचलित अंधविश्वास। नींबू-मिर्ची- आपने कई घरों और दुकानों में नींबू मिर्च लटकी हुई देखी होगी। मिर्चों के साथ एक नींबू को लटकाना अच्छा माना जाता है, लोगों का मानना है कि इससे बुरी नजर नहीं लगती है। लोग मानते है कि ऐसा करने से घर में या व्यवसाय में सुख-समृद्धि आती है। कुत्ते से जुड़े अंधविश्वास- कहा जाता है कि अगर कुत्ता रोता है तो घर के लिए अशुभ होता है। मान्यता है कि घर के सामने घर की ओर मुंह करके कोई कुत्ता रोए तो उस घर पर किसी प्रकार की विपत्ति आने वाली है या घर के किसी सदस्य की मौत होगी। शाम को झाड़ू लगाई तो अशुभ- हिंदू धर्म में झाड़ू को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि शाम के वक्त और रात में झाड़ू लगाने से लक्ष्मी चली जाती है और व्यक्ति के बुरे दिन शुरू हो जाते हैं। इसलिए रात को झाड़ू नहीं लगानी चाहिए। साथ ही झाड़ू को खड़ा भी नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे घर में कलह होता है। खुले स्थान पर झाड़ू रखना अपशगुन माना जाता है इसलिए इसे छिपाकर रखा जाता है। मंगलवार, गुरुवार को बाल कटवाना अशुभ- समाज में पढ़े लिखे लोगों के होने के बाबजूद भी लोग इस अंधविश्वास को सबसे ज्यादा मानते हैं। कहा जाता है कि मंगलवार, गुरुवार, शनिवार को बाल नहीं कटवाने चाहिए। ऐसा करना अशुभ होता है। बांस जलाना होता है अशुभ- बांस भले ही कई चीजें बनाने के काम में आता हो, लेकिन भारतीय सभ्यता में बांस को लेकर भी कई अंधविश्वास है। बंदर का मुंह सुबह देखने से खाना नहीं मिलता- वैसे तो बंदर को भगवान हनुमान का प्रतीक माना जाता है, लेकिन माना जाता है कि अगर सुबह-सवेरे बंदर के दर्शन हो जाएं तो दिनभर खाना नसीब नहीं होता है। जबकि शाम को बंदर दिख जाए तो शुभ होता है। बंदर का दाहिनी और बिल्ली का बाईं ओर दिखना शुभ होता है। जूते-चप्पल- कई लोगों मानना है कि अगर घर के बारह रखे जूतें या चप्पल उल्टे हो जाएं तो उन्हें तुरंत सीधा कर देना चाहिए। ऐसा ना करने पर आपकी किसी से लड़ाई होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही अगर आप चप्पल सीधी कर रहे हैं तो आपको दूसरी चप्पल का सहारा लेना चाहिए। हालांकि कई लोग जूतें-चप्पलों को नजर उतारने के लिए भी काम में लेते हैं। सुनसान स्थान पर पेशाब कर देने से भूत लग जाता है- ऐसा माना जाता है कि किसी सुनसान या जंगल की किसी विशेष भूमि कर पेशाब कर देने से भूत पीछे लग जाता है। ऐसे में कुछ लोग पहले थूकते हैं फिर पेशाब करते हैं और कुछ लोग कोई मंत्र वगैरह पढ़कर ऐसा करते हैं। साथ ही लोग नदी, पूल या जंगल की पगडंडी पर पेशाब नहीं करते। भोजन के बाद पेशाब करना और उसके बाद बाईं करवट सोना बड़ा हितकारक है। पीछे से टोक दिया तो नहीं होगा काम- माना जाता है कि अगर आप किसी काम से जा रहे हैं और कोई टोक दे या पूछे कि कहां जा रहो? तो इसका मतलब आपका काम नहीं होगा। साथ ही अगर आप कहीं जा रहे हो और अगर आपके पीछे से कोई छींक दे तो आपका काम नहीं होगा। जबकि बछड़ा, बैल, सुहागिन, मेहतर और चूड़ी पहनाने वाला दिखाई दे तो शुभ होता है। learn astrology in hindi , learning astrology , astrology courses , astrology classes, learn astrology online , learn jyotish in hindi , learn astrology in tamil , astrology lessons , astrology learning , astrology courses online , astrology course , learn jyotish in hindi free , learn jyotish , study astrology , learning astrology in hindi , online astrology classes ,free learn astrology in hindi online astrology course , learn jyotish shastra , learn jyotish shastra in hindi , astrology online classes , online astrology courses , astrology learning in hindi ift.tt/2iJHsGB twitter.com/AstrologyLearn

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लहसुन की कलियों को पीसकर ,सरसों के तेल में ,उबाला जाए और घावों पर लेप किया जाए, घाव तुरंत ठीक होना शुरू हो जाते है।

घुटनों के छिल जाने, हल्के फ़ुल्की चोट या रक्त प्रवाह होने पर लहसुन की कच्ची कलियों को पीसकर घाव पर लेप करें, घाव पकेंगे नहीं और इन पर किसी तरह का इंफ़ेक्शन भी नही होगा। लहसुन के एण्...

hi.kingdomsalvation.org/gospel/welcomed-the-lords-return....

  

मैक्स, संयुक्त राज्य अमेरिका

 

1994 में, मेरा जन्म संयुक्त राज्य में हुआ था। मेरे माता-पिता दोनों चीनी थे। मेरी मां एक सफल कामकाजी महिला का विशिष्ट उदाहरण थी। वह अपने बारे में सोचने में सक्षम है और काफी निपुण है। मैं अपनी मां से बहुत प्यार करता हूं। जब मैं दूसरी कक्षा में था, तो मेरे माता-पिता मुझे अध्ययन करने के लिए चीन वापस ले गए ताकि मैं चीनी सीख सकूं। इसी दौरान मैंने प्रभु यीशु से परिचित होना शुरू किया था। मुझे याद है कि 2004 में एक दिन, जब मैं विद्यालय से घर पहुंचा, तो मेरे घर में कुछ मेहमान थे। मेरी मां ने उनसे मेरा परिचय कराया और मुझे बताया कि वह संयुक्त राज्य से आए एक पादरी हैं। मैं काफी खुश था क्योंकि तभी मुझे पता चला था कि मेरी मां कुछ समय से प्रभु यीशु में विश्वास कर रही थी। पहले, वह नहीं करती थी। हर चीनी नव वर्ष में, वे अगरबत्ती जलाया करती थी और बुद्ध की पूजा किया करती थी। हालांकि, जब से मेरी मां ने प्रभु यीशु में विश्वास करना शुरू किया था, तब से मुझे जलती अगरबत्ती की खुशबू नहीं आई थी। उस दिन, उस अमेरिकी पादरी ने मुझे प्रभु यीशु के बारे में एक कहानी सुनाई। कुछ समय बाद, मुझे बाथरूम में ले जाया गया और इससे पहले कि मैं कुछ प्रतिक्रिया दे पाता, ‘अचानक ही’ उस पादरी ने मेरा सिर बाथटब में डाल दिया और कुछ पल के बाद, मेरे सिर को बाहर निकाल लिया। मुझे बस मेरी मां और उस पादरी की बातें सुनाई दे रही थी, “परमेश्वर के अनुग्रह में तुम्हारा स्वागत है। हम सभी खोई हुई भेड़े हैं।” इस प्रकार से, इससे पहले कि मैं इसे जान पाता, मैंने एक नई जीवन यात्रा की शुरुआत की। चूंकि परमेश्वर मेरे साथ था, इसलिए मेरा दिल बहुत खुश था। उसके बाद, प्रत्येक रविवार, मैं पूजा करने, पादरी से बाइबल की कहानियाँ सुनने और ग्रंथों से कथन पढ़ने के लिए कलीसिया जाया करता था। मैं पूरी तरह से खुश था। मेरा दिल स्थिर था और मैं मानता था कि प्रभु यीशु में विश्वास करना वाकई अच्छी बात है।

 

2008 में, मेरे पिता मुझे संयुक्त राज्य ले गए ताकि मैं वहां पढ़ाई कर सकूं। इस दौरान, मैं कलीसिया जाया करता था और संगति में हिस्सा लिया करता था। 2012 में, मेरे हाई स्कूल से स्नातक करने के बाद, मेरे पिता ने मुझे प्लेन का टिकट दिया ताकि मैं अपनी मां से मिलने के लिए वापस चीन जा सकूं। मेरे निकलने से पहले, मेरे पिता मेरे साथ बैठे और दिल को छू लेने वाली बातें की। उन्होंने मुझे बताया कि चीन में, मेरी मां ने ‘चमकती पूर्वी बिजली‘ में विश्वास करना शुरू कर दिया है। उन्हें उम्मीद है कि मैं अपनी मां से बात करके उन्हें ‘चमकती पूर्वी बिजली’ में अपने विश्वास को छोड़ने के लिये राजी कर लूँगा। बिल्कुल, एक ऐसे विद्यार्थी के रूप में जो विश्वविद्यालय में बस प्रवेश लेने ही वाला हो, मुझे इस कहानी के अपने पिता के पक्ष को नहीं सुनना था। मैंने फौरन इंटरनेट पर जाकर ‘चमकती पूर्वी बिजली’ से संबंधित जानकारी को खोजा। मैं उसके बारे में और भी यथार्थ रूप से समझना चाहता था। परिणामस्वरूप, मुझे ‘चमकती पूर्वी बिजली’ की निंदा और बदनामी करने वाली सीसीपी सरकार और धार्मिक दुनिया के पादरियों व एल्डर्स के कुछ विचार पता चले। मुझे मां की चिंता होने लगी थी। मैंने घर जाने और यह देखने का निर्णय लिया कि मेरी मां कैसी है। मैंने घर पहुँचकर देखा कि सबकुछ सामान्य है। मेरे प्रति उनकी चिंता और प्रेम में कोई परिवर्तन नहीं आया था। परमेश्वर के लिए उनकी निष्ठा और प्रेम कई गुना बढ़ गया था और वह पहले की तुलना में ज्यादा धर्मनिष्ठ हो गई थी। तब मेरी मां के लिए मेरी चिंता थोड़ी कम हो गई थी।

 

जिस समय मैं वापस चीन गया था, तो जैसा कि उम्मीद थी, मेरी मां ने ‘चमकती पूर्वी बिजली’ के बारे में मुझे बताया। उन्होंने कहा, “प्रभु यीशु वापस आ गया है और उसने परमेश्वर के लोगों के साथ शुरुआत करके न्याय का कार्य करना शुरू कर दिया है…।” मेरी मां की बातों से, मुझे समझ आ गया था कि इस बार जब प्रभु यीशु ने देह धरी है, तो वह अपना कार्य करने के लिए एक महिला के रूप में आया है। मुझे याद है कि उस समय, मैं भावशून्य दृष्टि से घूर रहा था क्योंकि जब मैं संयुक्त राज्य में था, तब मुझे प्रभु यीशु के बारे में जो कुछ भी बताया गया था, यह उससे पूरी तरह से अलग था। मेरे पादरी ने हमेशा ही इस धर्मोपदेश पर जोर दिया था कि यहोवा परमेश्वर ही पवित्र पिता है और प्रभु यीशु ही पवित्र पुत्र है। चूंकि वे पिता और पुत्र थे, इसलिए वे दोनों ही पुरुष थे। इसके अलावा, प्रभु यीशु की सभी तस्वीरें जो कलीसिया में टंगी थी और वे सभी सलीब जिन पर प्रभु यीशु लटके हुए दिखते थे, यह इंगित करते थे कि प्रभु यीशु पुरुष था। मगर, इस बार मेरी मां ने कहा, कि प्रभु यीशु एक स्त्री के रूप में वापस आया है। यह तो प्रभु यीशु के बारे में मेरी जानकारी से बिल्कुल परे था। मेरा दिल इसे स्वीकार नहीं कर पाया और मैंने अपनी मां से कहा, “प्रभु यीशु एक पुरुष है। जब प्रभु वापस आया है, तो ऐसा कैसे हो सकता है कि वह एक स्त्री के रूप में वापस आया हो?” मेरी मां ने उत्तर दिया, “परमेश्वर सार रूप में आत्मा है। परमेश्वर का कोई लिंग नहीं होता। चूंकि उसने उद्धार का कार्य करने के लिए देहधारण किया है, इसीलिए उसने एक अलग लिंग का चुनाव किया है…।” चूंकि मेरे पुरोहित ने जिस दृष्टिकोण को मेरे मन में बिठाया था, वह सबसे पहला और मजबूत प्रभाव था, इसलिए मेरी मां के यह सब कहने के बाद भी, मुझे इस पर विश्वास नहीं हुआ था।

 

कुछ दिनों के बाद, मेरी मां मुझे अपने साथ एक धर्मसभा में शामिल होने के लिए ले जाना चाहती थी। हालाँकि मैं नहीं जाना चाहता था, लेकिन चूंकि मैं अपनी मां का सम्मान करता था, इसलिए मैं उनके साथ चला गया। मुझे याद है कि उस समय उत्तर-पूर्वी चीन की एक आंटी ने कहा था, “अंत के दिन आ गए हैं। प्रभु यीश देहधारण करके वापस आ गया है और वह हमारे बीच रहता है। वह राज्य के युग का कार्य कर रहा है। वर्तमान में, अनुग्रह के युग के कलीसियाओं में पवित्र आत्मा का कार्य नहीं रह गया है और वे सभी पूरी तरह से वीरान हो गए हैं…।” हालांकि, चूंकि दिल पहले से ही बंद था, इसलिए मैं तब भी यह मानता था कि प्रभु यीशु एक पुरुष है और जब वह वापस आएगा, तो वह पुरुष के रूप में ही वापस आएगा। इसी वजह से यह आंटी जो बात कर रही थी, मैं मूलरूप से उस पर विश्वास नहीं करता था। जब तक मैंने चीन नहीं छोड़ दिया, तब तक मैं पूरी तरह से हक्का-बक्का ही बना रहा: प्रभु यीशु स्त्री के रूप में क्यों वापस लौटेगा? मैं चिंतित था कि मेरी मां गलत मार्ग पर चल रही है। मैं बस अपनी मां के लिए प्रार्थना कर सकता था, “प्रभु यीशु! कृपा करके मेरी मां का ध्यान रखो और सुनिश्चित करो कि वह गलत मार्ग पर न चलने लगे। अपने अनुग्रह में वापस आने में उसका मार्गदर्शन करो…।”

 

मेरे संयुक्त राज्य वापस आ जाने के बाद, मैंने अपनी कलीसिया में पूजा में शामिल होना जारी रखा। हालांकि, धीरे-धीरे, मैंने पाया कि मेरा पादरी जो बातें बताता था उनमें से ज़्यादातर पुरानी और पुनरोक्ति थी। अन्यथा, यह खास तौर पर कलीसिया को दान देने के बारे में ही था। एक विश्वासी के रूप में, हमें सच्ची रखवाली हासिल नहीं हो रही थी। धर्मसभा के दौरान कई लोग सोने लगते थे और इसमें शामिल होने वाले लोगों की संख्या धीरे-धीरे कम हो गई थी। 2014 में, मैं जिस कलीसिया में जाता था उसमें एक दुखद घटना घटी। पादरी ने सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करके, एक दूसरे राज्य में घर खरीद लिया था और परिणामस्वरूप, हमारा कलीसिया दिवालिया हो गया था। जब मैंने ये सब चीजें देखी, तो मैं बहुत निराश हुआ। इस दौरान, मेरे सहपाठी मुझे पूजा में हिस्सा लेने के लिए अपने कलीसिया में ले गए। मैं पहले जिस कलीसिया में जाया करता था, यह उससे काफी बड़ा था। हर रविवार, जब पादरी अपना धर्मोपदेश दिया करता था, तो मैं सुनने के लिए आगे की पंक्ति की कुर्सी पर बैठता था। हालांकि, पहले की ही तरह, मैंने लोगों को झपकी लेते हुए देखा। कई बार, मुझे भी झपकी आने लगती थी। अक्सर, पादरी भाइयों व बहनों को जगाए रखने के प्रयास के तौर पर अपनी आवाज ऊंची कर दिया करता था। हालांकि, धर्मोपदेश सुनाने का उसका यह प्रयास असफल होता था। मैंने पिछली कलीसिया के बारे में सोचा , जहां के पादरी ने घर खरीदने हेतु कलीसिया के धन का दुरुपयोग किया था। उसके धर्मोपदेश भाइयों व बहनों की आध्यात्मिक जिंदगी की जरूरतों को पूरा करने में असक्षम थे। बल्कि, वे कलीसिया में मुख्य रूप से सोने के लिए आया करते थे! उस समय मैं जिस कलीसिया में जाया करता था, उसका भी यही हाल था। मैंने खुद से पूछा, “क्या ऐसा हो सकता है कि सभी कलीसिया उजाड़ हो गए हैं?” अचानक ही, मैंने पुन: 2012 के बारे में सोचा जब मैं चीन गया था और वे बातें जो मेरी मां और उत्तर-पूर्वी चीन की उस आंटी ने मुझसे कही थी। उन्होंने मुझे बताया था: परमेश्वर ने राज्य के युग का कार्य शुरू कर दिया है। अनुग्रह का युग समाप्त हो गया है। परमेश्वर अब अनुग्रह के युग से संबंधित कलीसियाओं में कार्य नहीं करता है। राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य का अनुसरण करके ही कोई व्यक्ति पवित्र आत्मा के कार्य को हासिल करने में सक्षम हो सकता है। तब पहली बार मैंने खुद से पूछा, “क्या ऐसा हो सकता है कि प्रभु यीशु वाकई वापस आ गया है?”

  

पलक झपकते ही, 2015 का अंत आ पहुंचा। मुझे खबर मिली कि मेरी मां मेरे बड़े भाई से मिलने के लिए सैन फ्रांसिस्को गई है। तो मैंने प्लेन का टिकट लिया और उनसे मिलने के लिए चला गया। एक बार फिर, मेरी मां ने ‘चमकती पूर्वी बिजली’ – यानी प्रभु यीशु के दूसरे आगमन के बारे में बताया। उन्होंने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के कई सुसमाचार वीडियो दिखाए और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कई वचन भी पढ़ने को दिए। इस बार, मैंने वैसा प्रतिरोध नहीं किया जैसा मैंने पहले किया था, क्योंकि पिछले दो सालों में, मैं उन कलीसियाओं को उजाड़ होते हुए देखा था, जहां मैं जाया करता था। इससे कलीसियाओं के उजाड़ होने की उस बात की पुष्टि हो गई थी जो ये लोग मुझे बता रहे थे। यह निश्चित रूप से सत्य है! मैंने अपने दिल को शांत किया और अपनी मां की बातों को सुनना शुरू किया, ताकि मैं अपने दिल के अंदर के बंधनों को ढीला कर सकूं। उस समय, मेरी मां ने मेरे विचारों को बदलना शुरू किया। उन्होंने मुझे परमेश्वर के लिंग के पहलुओं से संबंधित विचारों पर परमेश्वर के वचन सुनाए। इसका मुझपर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। इसने मेरे उस भ्रम को भी दूर किया, जो मुझे वापस आए परमेश्वर के लिंग को लेकर काफी पहले से था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है, “परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य के प्रत्येक चरण का एक वास्तविक महत्व है। जब यीशु का आगमन हुआ, वह पुरुष था, और इस बार वह स्त्री है। इससे, तुम देख सकते हो कि परमेश्वर ने अपने कार्य के लिए पुरुष और स्त्री दोनों का सृजन किया और वह लिंग के बारे में कोई भी भेदभाव नहीं करता है। जब उसका आत्मा आगमन करता है, तो वह इच्छानुसार किसी भी देह को धारण कर सकता है और वह देह उसका ही प्रतिनिधित्व करती है। चाहे यह पुरुष हो या स्त्री, दोनों ही परमेश्वर को प्रकट करते हैं क्योंकि यह उसका देहधारी शरीर है। यदि यीशु एक स्त्री के रूप में आ जाता और प्रकट हो जाता, दूसरे शब्दों में, यदि पवित्र आत्मा के द्वारा एक शिशु कन्या, न कि एक लड़का, गर्भधारण किया जाना होता, तब भी कार्य का वह चरण उसी तरह से पूरा किया गया होता। यदि ऐसा है, कि इसके बजाय कार्य का यह स्तर एक पुरुष के द्वारा पूरा किया जाना होता और तब भी वह कार्य उसी तरह से पूरा किया जाता। दोनों ही चरणों में किया गया कार्य महत्वपूर्ण है; कोई भी कार्य दोहराया नहीं जाता है या एक-दूसरे का विरोध नहीं करता है। …यदि इस चरण पर वह मनुष्य के द्वारा गवाही दिए जाने के लिए व्यक्तिगत रूप से कार्य करने के लिए देह धारण नहीं करता, तो मनुष्य हमेशा के लिए यही अवधारणा बनाए रखता कि परमेश्वर सिर्फ पुरुष है, स्त्री नहीं” (“वचन देह में प्रकट होता है” से “देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं” से)। “परमेश्वर की बुद्धि, परमेश्वर की चमत्कारिकता, परमेश्वर की धार्मिकता, और परमेश्वर का प्रताप कभी नहीं बदलेंगे। उसका सार और उसका स्वरूप कभी नहीं बदलेगा। उसका कार्य, हालाँकि, हमेशा आगे प्रगति कर रहा है और हमेशा गहरा होता जा रहा है, क्योंकि वह हमेशा नया रहता है और कभी पुराना नहीं पड़ता है। …यदि वह केवल एक पुरुष के रूप में देहधारण करता, तो लोग उसे पुरुष के रूप में,पुरुषों के परमेश्वर के रूप में परिभाषित करते,और कभी भी उस पर महिलाओं के परमेश्वर के रूप में विश्वास नहीं करते। तब, पुरुष विश्वास करते कि परमेश्वर पुरुषों के समान लिंग का है, कि परमेश्वर पुरुषों का प्रमुख है—और महिलाओं का क्या होता? यह अनुचित है; क्या यह पक्षपातपूर्ण व्यवहार नहीं है? यदि ऐसा मामला होता, तो वे सभी लोग जिन्हें परमेश्व रने बचाया, उसके समान पुरुष होते, और महिलाओं के लिए कोई उद्धार नहीं होता। जब परमेश्वर ने मानवजाति का सृजन किया, तो उसने आदम को बनाया और उसने हव्वा को बनाया। उसने न केवल आदम को बनाया, बल्कि अपनी छवि में पुरुष और महिला दोनों को बनाया। परमेश्वर न केवल पुरुषों का परमेश्वर है—वह महिलाओं का भी परमेश्वर है” (“वचन देह में प्रकट होता है” से “परमेश्वर के कार्य का दर्शन (3)” से)। परमेश्वर के वचनों को पढ़ने के बाद, जो मामला मेरे दिल को कष्ट दे रहा था, वह तुरंत ही गायब हो गया। मेरे दिल में, मैंने महसूस किया कि ये वचन सही हैं। आरंभ में, परमेश्वर ने आदम और हव्वा की रचना की। मूलत:, पुरुष और स्त्री समान थे। अगर यह बात है, तो परमेश्वर स्त्री के रूप में वापस क्यों नहीं आ सकता है? परमेश्वर का सार आत्मा है। बिल्कुल, जब वह अपना कार्य करने के लिए हमारे बीच आता है, तो वह कोई भी लिंग धारण कर सकता है। परमेश्वर चाहे पुरुष के रूप में देहधारण करे या स्त्री के रूप में, यह उसका चुनाव है। परमेश्वर के पास यह चुनाव करने का अधिकार है कि उसे किस लिंग में देहधारण करनी है, क्योंकि परमेश्वर सभी चीजों का शासक है और रचनाकार है। क्या परमेश्वर का कार्य लोगों द्वारा प्रतिबंधित है? परमेश्वर की तुलना में मनुष्य क्या है? क्या मनुष्य केवल धूल नहीं है? मनुष्य परमेश्वर की बुद्धि को कैसे समझ सकता है? इससे पहले, मैं मानता था कि परमेश्वर केवल पुरुष हो सकता है। मैंने सच में परमेश्वर को पारिभाषित किया था और यह बताता है कि मुझे परमेश्वर का कोई ज्ञान नहीं था। मैं बहुत ज्यादा अहंकारी और मूर्ख था।

 

परमेश्वर के वचनों को पढ़ने के बाद, इस बार कार्य करने के लिए देहधारी परेश्वर के एक स्त्री के रूप में आने को लेकर मेरी शंकाएं पूरी तरह से समाप्त हो गई थी। मैं यह भी स्वीकार करने में सक्षम था कि परमेश्वर अपना नया कार्य करने के लिए वापस आ गया है। हालांकि, मैं तब भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को लेकर सौ प्रतिशत निश्चित नहीं था क्योंकि मैंने इंटरनेट पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का विरोध और निंदा करने को लेकर किए गए प्रचारों को पढ़ा था। परिणामस्वरूप, मेरे दिल में तब भी थोड़ी-सी शंका थी। मैंने सोचा कि संभवत: मुझे पूरी तरह से इसका परीक्षण करना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया इस तरह की है। परिणामस्वरूप, एक निष्पक्ष दृष्टि के साथ, 2016 की फरवरी से आरंभ करके, मैंने आधिकारिक तौर पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाइयों व बहनों के साथ ऑनलाइन धर्मसभाएं की। मैंने परमेश्वर से भी प्रार्थना की कि वह मेरा मार्गदर्शन करे और नकारात्मक प्रचार के संदर्भ में मेरा मार्गदर्शन करके यह बताए कि क्या सत्य है और क्या असत्य।

 

कुछ समय तक जांच-पड़ताल करने के बाद, मैंने पाया कि हर बार जब हम धर्मसभा किया करते थे, तो भाई व बहनें परमेश्वर के वचन पढ़ा करते थे, सत्य का संचार करते थे और परमेश्वर के इरादोंके बारे में सहभागिता किया करते थे। इसके अलावा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन लोगों से सामान्य मानवता को जीने और ईमानदार व्यक्ति बनने की अपेक्षा करते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के सारांश में यह भी शामिल है कि परमेश्वर के स्वभाव को कैसे जानें, परमेश्वर का उद्धार हासिल करने के लिए सत्य का अनुसरण कैसे करें आदि। जब हमारे आध्यात्मिक जीवन की जरूरतों की बात आती है तो ये सभी आवश्यकताएं हैं और मनुष्य के तौर पर सच्चाई से जीने के लिए यह हमारे लिए फायदेमंद है। भाई-बहन जो कुछ कह रहे थे, उससे मुझे यह बात समझ में आ गई कि उनकी परवाह और चिंता सच्ची है और वे आध्यात्मिक जीवन में एक-दूसरे की मदद करते हैं। व्यक्ति जो भी कहता है और जो दृष्टिकोण वह व्यक्त करता है, उससे उसके बर्ताव का पता चलता है सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाइयों व बहनों के साथ बातचीत करके, मैं यह महसूस कर सकता था कि वे लोग वैसे बिल्कुल भी नहीं हैं जैसा इंटरनेट में मौजूद सामग्री उन्हें बताती थी। बल्कि, वे बहुत दयालु और ईमानदार हैं। उनके पास एक ऐसा दिल है जो उनकी कही गई सभी बातों और किए गए सभी कामों में परमेश्वर का सम्मान करता है। इसके अलावा, मैंने महसूस किया कि वहाँ पवित्र आत्मा का कार्य है। ये भाई-बहन पूरी लगन से सत्य का अनुसरण करते हैं। धर्मसभाओं में परमेश्वर के वचनों के उनके संचार और उनके व्यक्तिगत अनुभवों और ज्ञान में, निश्चित रूप से पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और रोशनी थी। हर धर्मसभा में मैं थोड़ा सत्य को समझने और कुछ न कुछ हासिल करने में सक्षम होता था। ऐसा अनुभव मुझे उन कलीसियों में नहीं मिला था जिनमें मैं पहले गया था। महज वाकपटुता पर सत्य विजयी होता है और अफवाहें तथ्यों के चेहरे के समक्ष अपमानित होती हैं।

 

बाद में, एक धर्मसभा में, मैंने बहन को उन अफवाहों के बारे में बताया जो सीसीपी सरकार और धार्मिक दुनिया के पादरियों व एल्डर्स द्वारा गढ़ी गई थी। मैं समझ नहीं पाया: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में पवित्र आत्मा का कार्य है और यह एक ऐसी कलीसिया है जिसका निर्माण परमेश्वर द्वारा किया गया है क्योंकि वह अंत के दिनों में अपना कार्य करने के लिए प्रकट हुआ है। तो फिर वह सीसीपी सरकार और धार्मिक दुनिया के पादरियों और एल्डर्स के ऐसे उन्मादी विरोध और निंदा का सामना क्यों करता है? उस बहन ने इस पहलू के सत्य के बारे में मेरे साथ चर्चा की, “हमें इंटरनेट की अफवाहों के पार देखना होगा। यह कोई अजीब बात नहीं है कि सीसीपी सरकार और धार्मिक दुनिया के पादरी और एल्डर्स अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य पर हमला करेंगे और उसका आकलन करेंगे एवं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की निंदा करेंगे, क्योंकि प्राचीन काल से ही, सत्य के मार्ग पर अत्याचार किया गया है! शैतान हमेशा से ही परमेश्वर का शत्रु रहा है। वह हमें छलने और परेशान करने के लिए इस प्रकार की अफवाहों को गढ़ता और फैलाता है ताकि हम परमेश्वर को छोड़ दें और धोखा दे दें। इसका लक्ष्य हमें नियंत्रित करना और हम पर कब्जा करना है। यह आरंभ की तरह ही है जब शैतान ने हव्वा को परमेश्वर के वचनों को न मानने और परमेश्वर को धोखा देने के लिए अफवाहों का प्रयोग किया था। जब प्रभु यीशु अपना कार्य करने के लिए आया था, तो प्रमुख याजकों, शास्त्रियों और फ़रीसियों ने भी आम यहूदी लोगों को छलने के लिए हर प्रकार की अफवाहों का प्रयोग किया था। उन्होंने प्रभु यीशु को बढ़ई का बेटा बताकर उसका अपमान किया था। उन्होंने यह कहकर ईश-निंदा की थी कि प्रभु यीशु दानवों को बाहर निकालने के लिए दानवों के शासक पर भरोसा करता है। यहां तक कि प्रभु यीशु को सलीब पर लटकाने के लिए उन लोगों ने रोमन सरकार के साथ सांठ-गांठ भी कर ली थी। प्रभु यीशु के पुनरुत्थान के बाद, उन लोगों ने सैनिकों को झूठ बोलने और यह कहने के लिए रिश्वत दी प्रभु यीशु का पुनरुत्थान हुआ ही नहीं था ताकि आम यहूदी प्रभु के पास वापस न चले जाएँ। अंत के दिनों में, मनुष्य को पूर्ण रूप से निर्मल करने और उसे बचाने के लिए न्याय के कार्य का चरण पूरा करने के लिए परमेश्वर ने एक बार फिर देहधारण किया है। परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार चीन की मुख्यभूमि में पहले से ही सबको पता है। वर्तमान में, दुनिया के कोने-कोने में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य के प्रचार की प्रक्रिया चल रही है। परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन में, ज्यादा से ज्यादा लोग शैतान से पैदा होने वाली बुरी ताकतों में भेद कर पा रहे हैं। वे धार्मिक दुनिया की अगुवाओं के शैतानी और दानवीय सार और चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी की नास्तिक राजनीतिक व्यवस्था को भी साफ तौर पर देखते हैं। उन्होंने पूरी तरह से इन्हें अस्वीकार कर दिया है और परमेश्वर की शरण में आना, सत्य का अनुसरण करना और जीवन के उचित मार्ग पर चलना शुरू कर दिया है। अब जबकि परमेश्वर मनुष्य को बचाने और मनुष्य को शैतान के बुरे प्रभाव से बाहर निकलने में उसकी मदद करने का कार्य करने हेतु आया है, तो क्या शैतान कुछ नहीं करेगा? शैतान हार मानने को तैयार नहीं है। परमेश्वर के चुने हुए लोगों पर कब्ज़ा बनाए रखने के लिये वह परमेश्वर से अंत तक लड़ेगा। धार्मिक दुनिया और शैतानी सीसीपी शासन एक साथ मिल गए हैं और इंटरनेट एवं मीडिया के माध्यम से, ये बेरोकटोक सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में अफवाह फैलाते हैं और उसके नाम पर कलंक लगाते हैं ताकि उन लोगों को छला जा सके जिनके पास सत्य नहीं है या जो अंतर नहीं कर सकते हैं। वे हमेशा के लिए मानव जाति पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका दुष्ट लक्ष्य मानव जाति को भ्रष्ट और नष्ट करना है। जैसा कि बाइबल में कहा गया है: ‘हम जानते हैं कि हम परमेश्‍वर से हैं, और सारा संसार उस दुष्‍ट के वश में पड़ा है’ (1यूहन्ना 5:19)। प्रभु यीशु ने कहा था, ‘और दण्ड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे। क्योंकि जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए’ (यूहन्ना 3:19-20)। शैतान की दुष्ट योजनाओं के परे कैसे समझें और उसके छलावे में आने से कैसे बचें, इसके लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमें प्रोत्साहित करता है और कहता है, “जब तुम इन अनुभवों से गुज़र जाओगे, तो तुम कई चीजों में अंतर करने में सक्षम हो जाओगे—तुम भले और बुरे के बीच, धार्मिकता और दुष्टता के बीच, देह और रक्त क्या है और सत्य क्या है इसके बीच अंतर करने में सक्षम हो जाओगे। तुम्हें इन सभी चीजों के बीच अन्तर करने में सक्षम होना चाहिए, और ऐसा करने में, चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ हों, तुम कभी भी नहीं हारोगे। केवल यही तुम्हारी वास्तविक कद-काठी है। परमेश्वर के कार्यों को जानना कोई आसान बात नहीं है: तुम्हारी खोज में तुम्हारा स्तर-मान और उद्देश्य होना चाहिए, तुम्हें ज्ञात होना चाहिए कि सच्चे मार्ग को कैसे खोजें, और कैसे मापें कि क्या यह सच्चा मार्ग है या नहीं, और क्या यह परमेश्वर का कार्य है या नहीं” (“वचन देह में प्रकट होता है” से “जो परमेश्वर को और उसके कार्य को जानते हैं केवल वे ही परमेश्वर को सन्तुष्ट कर सकते हैं” से)। जब हम प्रभु यीशु के कार्य के बारे में सोचते हैं और सत्य के आधार पर, अंत के दिनों में परमेश्वर के उद्धार के कार्य और मनुष्य को परमेश्वर के पास वापस जाने से रोकने के लिए शैतान द्वारा फैलाई गई अफवाहों व झूठों की तुलना करते हैं, तो शैतान के कपटी प्रयोजनों को देखना मुश्किल नहीं होता है। फिर इस कारण को समझना भी मुश्किल नहीं होता है कि सीसीपी सरकार और यह धार्मिक दुनिया क्यों सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का विरोध, अपमान, दमन और उस पर अत्याचार करती है।”

 

इस बहन की सहभागिता को सुनने के बाद, शैतान की योजनाओं के बारे में मेरा थोड़ा विवेक जागा। मुझे परमेश्वर का विरोध करने के शैतान के सार के बारे में भी थोड़ा ज्ञान मिला। इसके अलावा, मैं समझ गया कि इन अफवाहों में अंतर करने और सत्य को झूठ से अलग करने के लिए व्यक्ति को बस परमेश्वर के कार्य का प्रायोगिक परीक्षण करना और उसे समझना होगा। अगर तुम बस आंखें बंद करके एक तरह की कहानी पर विश्वास करोगे और सत्य की खोज नहीं करोगे, न ही तथ्यों की जांच करोगे, तो तुम चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी और धार्मिक दुनिया के पादरियों और एल्डर्स की अफवाहों से छल लिए जाओगे। अगर यही बात है, तो तुम अंत के दिनों में परमेश्वर का उद्धार पाने से चूक जाओगे। इस बार, मेरा दिल सर्वशक्तिमान परमेश्वर का आभारी था कि उसने इन सत्यों को समझने के लिए मेरा मार्गदर्शन किया और इस तथ्य को पूरी तरह से समझने में मेरी मदद की कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु की पुन: वापसी है, ताकि मैं परमेश्वर के पदचिन्हों पर चल सकूं और परमेश्वर की वापसी का स्वागत कर सकूं। परमेश्वर का धन्यवाद! आमीन!

 

स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

उपयोग की शर्तें: hi.kingdomsalvation.org/disclaimer.html

  

अनुशंसित: अब अंत के दिन है, यीशु मसीह का दूसरा आगमन की भविष्यवाणियां मूल रूप से पूरी हो चुकी हैं। तो हम किस प्रकार बुद्धिमान कुंवारी बने जो प्रभु का स्वागत करते हैं? जवाब जानने के लिए अभी पढ़ें और देखें।

अगर शादी में हो रही हो रूकावट तो शीघ्र विवाह के लिए करें ये सरल उपाय |

यदि अरेंज मैरिज में अपनी पसंद की लड़की या लड़का मिल जाए तो वैवाहिक जिदंगी खुशनुमा तरीके से बीत सकती है। लेकिन कई ऐसे कारण होते हैं जब आपकी पसंद का व्यक्ति नहीं मिल पाता ऐसे में कई कारण होते हैं जिनमें से एक होता है वास्तु दोष। यह वास्तु दोष आपके घर के आस-पास या फिर शयन कक्ष में भी हो सकता है। ऐसे में आप कुछ वास्तु टिप्स आजमाकर इन वास्तुदोष को दूर कर सकते हैं और योग्य व्यक्ति की चाह में कई कदम आगे बढ़ सकते हैं।

 

जब कोई मार्ग आपके घर के सामने सीधा प्रवेश करता हो या आकर रुक जाए तो वह कभी-कभी शुभ या अशुभ भी माना जाता है। ऐसी स्थिति से बचना चाहिए। जब कोई विवाह के लिए देखने आए तो इस प्रकार बैठें कि आपका मुख उत्तर दिशा की ओर हो। विवाह योग्य युवक-युवतियों के कमरों की दीवार पर सुंदर चित्र लगाएं। ध्यान रहे, रोते बच्चों और डूबते सूरज का चित्र कभी न लगाएं। यदि प्रेमविवाह हो रहा है और बुरे सपने या विचार आते हों तो सोते समय तकिए के नीचे चाकू या कैंची रखें। घर के मुख्य द्वार पर शीशा नहीं लगा होना चाहिए। इससे वैवाहिक अच्छा जीवन साथी मिलने से पहले ही लौट जाता है। विवाह में अतिथियों को ठहराने का स्थान हमेशा पश्चिम दिशा में ही होना चाहिए। यदि घर के मुख्य द्वार के सामने कोई खंभा, वृक्ष, खुली हुई नाली हो तो यह आपके काम में वाधा डाल सकती है। क्योंकि यह सब कुछ नकारात्मक माना जाता है। इसलिए ऐसी जगहों से बचें।

 

शीघ्र विवाह के सरल ज्योतिष उपाय |

1, जन्मकुंडली में कई ऐसे योग होते हैं जिनकी वजह से कोई भी पुरुष या स्त्री विवाह की खुशी से वंचित रह सकते हैं कई बार ये रूकावट बाहरी बाधाओं की वजह से भी आती हैं। इन उपाय को करने से शीघ्र विवाह के मार्ग बनते है शीघ्र विवाह के लिए सोमवार को 1200 ग्राम चने की दाल व सवा लीटर कच्चे दूध का दान करें। यह प्रयोग तब तक करते रहना है जब तक कि विवाह न हो जाय|

 

2. जिन लड़कों का विवाह नहीं हो रहा हो या प्रेम विवाह में विलंब हो रहा हो, उन्हें शीघ्र मनपसंद विवाह के लिए श्रीकृष्ण के इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए । “क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।”

 

3. कन्या जब किसी कन्या के विवाह में जाये और यदि वहाँ पर दुल्हन को मेहँदी लग रही हो तो अविवाहित कन्या कुछ मेहँदी उस दुल्हन के हाथ से लगवा ले इससे विवाह का मार्ग शीघ्र प्रशस्त होता है।

 

4. विवाह वार्ता के लिए घर आए अतिथियों को इस प्रकार बैठाएं कि उनका मुख घर में अंदर की ओर हो, उन्हें द्वार दिखाई न दे।

 

5.विवाह योग्य युवक-युवती जिस पलंग पर सोते हों उसके नीचे लोहे की वस्तुएं या कबाड़ का सामान कभी भी नहीं रखना चाहिए।

 

6. यदि विवाह के पूर्व लड़का-लड़की मिलना चाहें तो वह इस प्रकार बैठे कि उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर न हो।

 

7. कन्या सफेद खरगोश को पाले तथा अपने हाथ से उसे भोजन के रूप में कुछ दे|

 

8. कन्या के विवाह की चर्चा करने उसके घर के लोग जब भी किसी के यहाँ जायें तो कन्या खुले बालों से,लाल वस्त्र धारण कर हँसते हुए उन्हें कोई मिष्ठान खिला कर विदा करे| विवाह की चर्चा सफल होगी|

 

9. पूर्णिमा को वट वृक्ष की 108 परिक्रमा देने से भी विवाह बाधा दूर होती है|

 

10. गुरूवार को वट वृक्ष, पीपल, केले के वृक्ष पर जल अर्पित करने से विवाह बाधा दूर होती है|

 

मन्त्र—गौरी आवे ,शिव जो ब्यावे.अमुक का विवाह तुरंत सिद्ध करेँ,

 

देर ना करेँ, जो देर होए , तो शिव को त्रिशूल पड़े,

 

गुरु गोरखनाथ की दुहाई फिरै ।। अमुक के स्थान पर जिस लड़की का विवाह न हो रहा हो उसका नाम लिख सकते है !

 

11. जिन व्यक्तियों को शीघ्र विवाह की कामना हों उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोड़ा हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए। तथा इसके साथ ही थोड़ा सा गुड व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है|

 

12. किसी भी शुभ दिवस पर मिटटी का एक नया कुल्हड़ लाएँ तथा उसमे एक लाल वस्त्र,सात काली मिर्च एवं सात ही नमक की साबुत कंकड़ी रख दें, हांडी का मुख लाल कपडे से बंद कर दें एवँ कुल्हड़ के बाहर कुमकुम की सात बिंदियाँ लगा दे फिर उसे सामने रख कर निम्न मंत्र की 5 माला जप करेँ । मन्त्र जप के पश्चात हांडी को चौराहे पर रखवा देँ| यह बहुत ही असरदायक प्रयोग है । ।

 

13. यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें ! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयगी !

14. प्रत्येक सोमवार को कन्या सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर “ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये और वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे ! विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी |

 

15. शिव-पार्वती का पूजन करने स भी विवाह की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। इसके लिए प्रतिदिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, बिल्व पत्र, अक्षत, कुमकुम आदि चढ़ाकर विधिवत पूजन करें।

 

16. विवाह योग्य लोगों को शीघ्र विवाह के लिये प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए. भोजन में केसर का सेवन करने से विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनती है|

 

17. विवाह योग्य व्यक्ति को सदैव शरीर पर कोई भी एक पीला वस्त्र धारण करके रखना चाहिए|

 

18. गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिये | यह प्रयोग लगातार तीन गुरुवार को करना चाहिए,इससे शीघ्र विवाह के योग निस्संदेह बनते है ।

 

19. गुरुवार को केले के वृ्क्ष पर जल अर्पित करके शुद्ध घी का दीपक जलाकर गुरु के 108 नामों का उच्चारण करने से जल्दी ही जीवनसाथी की तलाश पूर्ण हो जाती है । बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है इनकी पूजा से विवाह के मार्ग में आ रही सभी अड़चनें स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं। इनकी पूजा के लिए गुरुवार का विशेष महत्व है।

 

21. गुरुवार को बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग की वस्तुएं चढ़ानी चाहिए। पीले रंग की वस्तुएं जैसे हल्दी, पीला फल, पीले रंग का वस्त्र, पीले फूल, केला, चने की दाल आदि इसी तरह की वस्तुएं गुरु ग्रह को चढ़ानी चाहिए। साथ ही शीघ्र विवाह की इच्छा रखने वाले युवाओं को गुरुवार के दिन व्रत रखना चाहिए। इस व्रत में खाने में पीले रंग का खाना ही खाएं, जैसे चने की दाल, पीले फल, केले खाने चाहिए। इस दिन व्रत करने वाले को पीले रंग के वस्त्र ही पहनने चाहिए। ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नम: ॥ मंत्र का पांच माला प्रति गुरुवार जप करें।

 

22. अगर किसी का विवाह कुण्डली के मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऎसे व्यक्ति को मंगल वार के दिन चण्डिका स्तोत्र का पाठ तथा शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए। इससे भी विवाह के मार्ग की बाधाओं में कमी होती है।

 

23. शिव-पार्वती का पूजन करने से भी विवाह की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। इसके लिए प्रतिदिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, बिल्व पत्र, अक्षत, कुमकुम आदि चढ़ाकर विधिवत पूजन करें।

 

24. जिन व्यक्तियों की विवाह की आयु हो चुकी है।परन्तु विवाह संपन्न होने में बाधा आ रही है उन व्यक्तियों को यह उपाय करना चाहिए। इस उपाय में शुक्रवार की रात्रि में आठ छुआरे जल में उबाल कर जल के साथ ही अपने सोने वाले स्थान पर सिरहाने रख कर सोयें तथा शनिवार को प्रात: स्नान करने के बाद किसी भी बहते जल में इन्हें प्रवाहित कर दें|

 

25. यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें ! इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें ! तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर में प्रशाद चढांए और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें !

 

26. शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को सात केले, सात गौ ग्राम गुड़ और एक नारियल लेकर किसी नदी या सरोवर पर जाएं। अब कन्या को वस्त्र सहित नदी के जल में स्नान कराकर उसके ऊपर से जटा वाला नारियल ऊसारकर नदी में प्रवाहित कर दें। इसके बाद थोड़ा गुड़ व एक केला चंद्रदेव के नाम पर व इतनी ही सामग्री सूर्यदेव के नाम पर नदी के किनारे रखकर उन्हें प्रणाम कर लें। थोड़े से गुड़ को प्रसाद के रूप में कन्या स्वयं खाएं और शेष सामग्री को गाय को खिला दें। इस टोटके से कन्या का विवाह शीघ्र ही हो जाएगा।

 

27. शादी वाले दिन से एक दिन पहले एक ईंट के ऊपर कोयले से “बाधायें” लिखकर ईंट को उल्टा करके किसी सुरक्षित स्थान पर रख दीजिये,और शादी के बाद उस ईंट को उठाकर किसी पानी वाले स्थान पर डाल कर ऊपर से कुछ खाने का सामान डाल दीजिये, विवाह के समय और विवाह के बाद में वर/वधु के दाम्पत्य जीवन में बाधायें नहीं आयेंगी, यह काम वर – वधु या उनके घर का कोई भी सदस्य कर सकता है लेकिन यह काम बिल्कुल चुपचाप करना चाहिए ।

 

28. बृहस्पति, शुक्र, बुद्ध और सोम इन वारों में विवाह करने से कन्या सौभाग्यवती होती है। विवाह में चतुर्दशी, नवमी इन तिथियों को त्याग देना चाहिए।

 

29. विवाह के पश्चात एक वर्ष तक पिण्डदान,मृक्ति का स्नान, तिलतर्पण, तीर्थयात्रा,मुण्डन,प्रेतानुगमन आदि नहीं करना चाहिये।

 

30. यदि किसी कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा है तो वह कन्या विवाह की कामना से भगवान श्रीगणेश को मालपुए का भोग लगाए तो शीघ्र ही उसका विवाह हो जाता है।

 

31. यदि किसी युवक के विवाह में परेशानियां आ रही हैं तो वह भगवान श्रीगणेश को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं तो उसका विवाह भी जल्दी हो जाता है। wa.link/qge3pj

Rihai Manch:For Resistance Against Repression

 

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मुजफ्फरनगर के दोषियों को बचाकर संघ परिवार का एजेंडा पूरा कर रही है सपा

सरकार- रिहाई मंच

 

मुजफ्फरनगर के पीड़ितों की स्थिति 2002 के गुजरात हिंसा पीड़ितों जैसी- हर्ष मंदर

 

एसआइसी प्रमुख मनोज कुमार झा मुजरिमों का नाम निकलवाने के लिए डालते थे दबाव-

रिजवान (पीड़ित)

 

हर्ष मंदर, जफर इकबाल, अकरम चैधरी और राजन्या बोस लिखित ‘सिमटती जिंदगी’ रिपोर्ट

हुई जारी

 

रिहाई मंच की रिपार्ट ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खड़ी है’ ने सपा-भाजपा गठजोड़

को किया बेनकाब

 

मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा की चैथी बरसी पर रिहाई मंच ने किया सम्मेलन

 

लखनऊ 7 सितम्बर 2016। मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा की चैथी बरसी पर यूपी

प्रेस क्लब लखनऊ में रिहाई मंच ने ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खडी़ है’ विषय

पर सम्मेलन किया। इस दौरान दो रिपोर्टें भी जारी हुईं।

 

इस अवसर पर पूर्व आइएएस और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि

मुजफ्फरनगर की हिंसा छेड़छाड़ के झूठे अफवाह के आधार पर हिंदुत्ववादी संगठनांे

ने फैलाई थी। जिसे यदि सरकार चाहती तो रोक सकती थी लेकिन उसकी आपराधिक

निष्क्रियता के चलते हिंसा का विस्तार होता गया। राज्य सरकार ने दंगे के बाद

लोगों को सुरक्षित अपने गाँव वापस लौटने और फिर से नई जिंदगी शुरू करने में

किसी तरह की मदद नहीं की। यह चिंताजनक है कि मुजफ्फरनगर के पीड़ितों की स्थिति

2002 के गुजरात हिंसा के पीड़ितों जैसी है। दोनों जगहों पर मुसलमानों को अलग

थलग बसने के लिए मजबूर किया गया, उनका सामाजिक बहिष्कार हुआ और वे अभी भी डर

के माहौल में जी रहे हैं। न्याय की भी कोई उम्मीद नहीं है। इसके लिए संघ

परिवारी संगठन और राज्य सरकार दोनों बराबर के दोषी हैं।

 

मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा पीड़ितों का मुकदमा लड़ रहे असद हयात ने कहा कि

इस हिंसा के बाद लगभग 15 लाशें गायब हैं जो कि ग्राम लिसाढ़, हड़ौली, बहावड़ी, ताजपुर

सिंभालका के निवासी हैं। सरकार कहती है कि लाश मिलने पर इन्हें मृत घोषित किया

जाएगा। जबकि चश्मदीद गवाह कहते हैं कि हमारे सामने हत्या हुई। पुलिस तो घटना

स्थल पर तुरंत पहुंच गई थी फिर यह लाशें किसने गायब कीं? 18 से अधिक लोग

गुमशुदा हैं जिनके परिजनों ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई है। अगर वो जीवित

होते तो अब तक लौट आते। लगभग 10 हत्याएं जनपद बागपत में हुई जिन्हें सरकार ने

सांप्रदायिक हिंसा में हुई मौत नहीं माना है। 25 से अधिक मामले ऐसे भी हैं

जिनकी निष्पक्ष विवेचना नहीं हुई और इन व्यक्तियों की सांप्रदायिक हत्याओं को

पुलिस ने आम लूट पाट की घटनाओं में शामिल कर दिया।मुख्य साजिशकर्ता भाजपा और

भारतीय किसान यूनियन के नेताओं और इनसे जुड़े संगठन के नेताओं के विरुद्ध धारा

120 बी आपराधिक साजिश रचने के जुर्म में कोई जांच ही नहीं की गई। इसतरह सरकार

ने दंगा क्यों हुआ, किसने कराया, कौन साजिशकर्ता था उन पर पर्दा डाल दिया।

 

मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पर गठित विष्णु सहाय कमीशन पर सवाल उठाते हुए

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि

मुलायम सिंह मुसलमानों के साथ आयोगों का खेल खेलना बंद करें। सहाय कमीशन ने

अपनी रिपोर्ट में इस बात को स्वीकारा है कि 4 सितंबर 2013 को मुजफ्फरनगर बंद

के नाम पर अराजकाता फैलाने में वर्तमान भाजपा मंत्री संजीव बालियान, उमेश मलिक,

राजेश वर्मा व अन्य शामिल थे। ठीक इसी तरीके से 5 सितंबर को लिसाढ़ में हुई

पंचायत को स्वीकारा है कि पंचायत में गठवाला खाप मुखिया हरिकिशन सिंह और डा0

विनोद मलिक जैसे लोग शामिल थे जिसके बाद लिसाढ़ से सांप्रदायिक हिंसा शुरू हुई।

7 सितंबर को वर्तमान भाजपा सांसद हुकुम सिंह, महापंचायत में भारतीय किसान

यूनियन के नेता राकेश टिकैत, अध्यक्ष नरेश टिकैत, साध्वी प्राची, भाजपा के

पूर्व एमएलए अशोक कंसल, भाजपा के पूर्व सांसद सोहन वीर सिंह, सरधना के भाजपा

विधायक संगीत सिंह सोम, बिजनौर के भाजपा विधायक भारतेंदु सिंह, जाट महासभा के

अध्यक्ष धर्मवीर बालियान, रालोद के जिला अध्यक्ष अजीत राठी शामिल थे।

मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने के लिए इन सब के साथ संगीत सोम द्वारा

29 सितंबर को शाम 6 बजकर 21 मिनट पर फर्जी वीडियो इंटरनेट द्वारा प्रचारित

करना भी आयोग ने माना। उन्होंने कहा कि इतना सब जब साफ था तो निष्कर्ष तक

पहुचते-पहुचते आखिर सहाय कमीशन ने इन सांप्रदायिकता भड़काने वालों के खिलाफ

कार्रवाई की बात क्यों नहीं कही?

 

मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने कहा कि देश में साम्प्रदायिक

हिंसा के पीड़ितों को न्याय न देने की जो प्रक्रिया चल रही है वह लोकतंत्र के

लिए आत्मघाती है। इस प्रक्रिया को चलाते हुए संघ गिरोह जिस हिंदू राष्ट्र की

परिकल्पना कर रहा है उस पर अमल करते हुए ही सपा सरकार उन्हें न्याय से वंचित

किए हुए है।

 

हर्ष मंदर, जफर इकबाल, अकरम अख्तर चैधरी और राजन्या बोस लिखित ‘सिमटती

जिंदगी’ रिपोर्ट

में बताया गया है कि किस तरह 2013 में हुई साम्प्रदायिक हिंसा में लगभग 50,000

लोग अपने गाँवों से उजड़कर कैम्प में आकर रहने लगे। इनमें से एक तिहाई से भी कम

लोग वापस अपने गाँव लौट सके। कैम्प के बाद ये लोग मुसलमान आबादी वाले इलाके

में जमीन खरीदकर बस गए। लगभग 30,000 लोग मुजफ्फरनगर और शामली जिले के 65

पुनर्वास कॉलोनियों में रह रहे हैं जो अब वापस कभी गाँव नहीं जाएँगे। इन

कॉलोनियों में नागरिक सुविधाओं जैसे, बिजली, सड़क, पानी, सफाई, स्कूल, आँगनवाड़ी

जैसी सुविधाओं की बहुत कमी है। ज्यादातर कॉलोनियाँ सरकारी रिकार्ड से बाहर

हैं।

 

आरटीआई कार्यकर्ता व रिहाई मंच नेता सलीम बेग ने कहा कि उन्होंने नवंबर 2015

में सात बिंदुओं पर मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा संबन्धित सूचना प्राप्त करना

चाही थी। जिसमें अनेक चैकाने वाले तथ्य सामने आए जैसे उत्तर प्रदेश राज्य

अल्पसंख्यक आयोग को सांप्रदायिक हिंसा से संबन्धित एक भी शिकायती पत्र प्राप्त

नहीं हुआ। इससे भी शर्मनाक कि राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने मुजफ्फरनगर का दौरा ही

नहीं किया। सबसे शर्मनाक कि मुस्लिम विधायकों ने सरकार के आपराधिक रवैये पर

कोई सवाल नहीं उठाया।

 

रिहाई मंच की रिपोर्ट ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खड़ी है’ पर बोलते हुए रिहाई

मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि जब उन्होंने भाजपा विधायक संगीत सोम व सुरेश

राणा पर अमीनाबाद लखनऊ में रासुका के तहत जेल में रहते हुए फेसबुक द्वारा

साप्रदायिक तनाव भड़काने की तहरीर दी तो उस पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की

पर इसी थाने में हाशिमपुरा के सवाल पर इंसाफ मांगने वाले रिहाई मंच नेताओं

समेत अन्य लोगों पर दंगा भड़काने का मुकदमा दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि

सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए डूंगर निवासी मेहरदीन की हत्या का उनके द्वारा

मुकदमा दर्ज कराने पर महीनों बाद पुलिस ने उन्हें मुजफ्फरनगर बुलाया की

पोस्टमार्टम के लिए लाश निकाली जाएगी पर बयान दर्ज करने के बावजूद लाश नहीं

निकाली गई। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जांच

के लिए गठित एसआईसी का प्रमुख मनोज कुमार झा जैसे अधिकारी को बना दिया जिनपर

खुद खालिद मुजाहिद की हिरासती हत्या का आरोप है और निमेष कमीशन की रिपोर्ट ने

भी जिनके खिलाफ आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुसलमानों को फंसाने के लिए

कार्रवाई की मांग की है।

 

शामली से आए अकरम अख्तर चैधरी ने सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बलात्कार की

घटनाओं पर कहा कि बलात्कार पीड़ितों को सरकार ने सुरक्षा नहीं मुहैया कराया

जिसके चलते गवाह दबाव में आ गए। एक मुकदमें में गवाह मुकर गए जिसके कारण सभी

चार आरोपी बरी हो गए, अन्य मामलों में भी मुजरिम जमानत पर बाहर है और तो और एक

बलात्कार के मामले में तीन साल बीत जाने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।

 

मुजफ्फरनगर-शामली सांप्रदायिक हिंसा में सबसे अधिक 13 हत्या होने वाले लिसाढ

गांव निवासी रिजवान सैफी जिनके परिवार के पांच लोगों की हत्या हुई थी ने कहा

कि मेरे दादा-दादी की हत्याकर उनकी लाश को गायब कर दिया गया लेकिन जांच कर रहे

एसआईसी के मनोज झां आरोपियों के नाम निकलवाने के लिए हम पर दबाव बनाते रहे। वे

हमें जब भी बुलाते थे उसके पहले आरोपियों को भी वहां बुलाकर हममें डर व दहशत

का माहौल बनाने की कोशिश करते थे। मेरे गांव से सटा हुआ मीमला रसूलपुर जिसके

ग्राम निवासियों ने थाना कांधला पुलिस को फोन करके बताया कि उनके गांव के बाहर

कब्रिस्तान के पास तीन अज्ञात लाशें पड़ी हैं, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची

और यह कहकर चली गई कि उसे अभी वह ले नहीं जा सकती और बाद में वह लाशें गायब हो

गईं। जिसको पुलिस ने आरटीआई में भी माना है।

 

कार्यक्रम का संचालन राजीव यादव ने किया। इस दौरान अमित अम्बेडकर, लखनऊ रिहाई

मंच महासचिव शकील कुरैशी, रफत फातिमा, अनिल यादव, अजय सिंह, अरुंधती धुरू, आली

से आंचल, जनचेतना से रामबाबू, सत्यम वर्मा, पुनीत गोयल, बीएम प्रसाद, आरके सिंह,

पीसी कुरील, प्रबुद्ध गौतम, साहिरा नईम, अजरा, सृजनयोगी आदियोग, वीरेंद्र

गुप्ता, कल्पना पांडेय, डाॅ दाउद खान, इनायतुल्ला खान, यावर अब्बास, मोहम्मद

अली, अब्दुल्लाह, केके वत्स, डाॅ0 इमरान, यावर अब्बास, प्रतीक सरकार, शशांक लाल,

एसपी सिंह, निखिलेश, संजय नायक, सुधा सिंह, माहिर खान, आबिद जैदी, सबीहा मोहानी,

शाहनवाज आलम आदि मौजूद रहे।

 

द्वारा जारी-

 

शाहनवाज आलम

 

प्रवक्ता रिहाई मंच

 

9415254919

Rihai Manch:For Resistance Against Repression

 

.....................................................

 

मुजफ्फरनगर के दोषियों को बचाकर संघ परिवार का एजेंडा पूरा कर रही है सपा

सरकार- रिहाई मंच

 

मुजफ्फरनगर के पीड़ितों की स्थिति 2002 के गुजरात हिंसा पीड़ितों जैसी- हर्ष मंदर

 

एसआइसी प्रमुख मनोज कुमार झा मुजरिमों का नाम निकलवाने के लिए डालते थे दबाव-

रिजवान (पीड़ित)

 

हर्ष मंदर, जफर इकबाल, अकरम चैधरी और राजन्या बोस लिखित ‘सिमटती जिंदगी’ रिपोर्ट

हुई जारी

 

रिहाई मंच की रिपार्ट ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खड़ी है’ ने सपा-भाजपा गठजोड़

को किया बेनकाब

 

मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा की चैथी बरसी पर रिहाई मंच ने किया सम्मेलन

 

लखनऊ 7 सितम्बर 2016। मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा की चैथी बरसी पर यूपी

प्रेस क्लब लखनऊ में रिहाई मंच ने ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खडी़ है’ विषय

पर सम्मेलन किया। इस दौरान दो रिपोर्टें भी जारी हुईं।

 

इस अवसर पर पूर्व आइएएस और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि

मुजफ्फरनगर की हिंसा छेड़छाड़ के झूठे अफवाह के आधार पर हिंदुत्ववादी संगठनांे

ने फैलाई थी। जिसे यदि सरकार चाहती तो रोक सकती थी लेकिन उसकी आपराधिक

निष्क्रियता के चलते हिंसा का विस्तार होता गया। राज्य सरकार ने दंगे के बाद

लोगों को सुरक्षित अपने गाँव वापस लौटने और फिर से नई जिंदगी शुरू करने में

किसी तरह की मदद नहीं की। यह चिंताजनक है कि मुजफ्फरनगर के पीड़ितों की स्थिति

2002 के गुजरात हिंसा के पीड़ितों जैसी है। दोनों जगहों पर मुसलमानों को अलग

थलग बसने के लिए मजबूर किया गया, उनका सामाजिक बहिष्कार हुआ और वे अभी भी डर

के माहौल में जी रहे हैं। न्याय की भी कोई उम्मीद नहीं है। इसके लिए संघ

परिवारी संगठन और राज्य सरकार दोनों बराबर के दोषी हैं।

 

मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा पीड़ितों का मुकदमा लड़ रहे असद हयात ने कहा कि

इस हिंसा के बाद लगभग 15 लाशें गायब हैं जो कि ग्राम लिसाढ़, हड़ौली, बहावड़ी, ताजपुर

सिंभालका के निवासी हैं। सरकार कहती है कि लाश मिलने पर इन्हें मृत घोषित किया

जाएगा। जबकि चश्मदीद गवाह कहते हैं कि हमारे सामने हत्या हुई। पुलिस तो घटना

स्थल पर तुरंत पहुंच गई थी फिर यह लाशें किसने गायब कीं? 18 से अधिक लोग

गुमशुदा हैं जिनके परिजनों ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई है। अगर वो जीवित

होते तो अब तक लौट आते। लगभग 10 हत्याएं जनपद बागपत में हुई जिन्हें सरकार ने

सांप्रदायिक हिंसा में हुई मौत नहीं माना है। 25 से अधिक मामले ऐसे भी हैं

जिनकी निष्पक्ष विवेचना नहीं हुई और इन व्यक्तियों की सांप्रदायिक हत्याओं को

पुलिस ने आम लूट पाट की घटनाओं में शामिल कर दिया।मुख्य साजिशकर्ता भाजपा और

भारतीय किसान यूनियन के नेताओं और इनसे जुड़े संगठन के नेताओं के विरुद्ध धारा

120 बी आपराधिक साजिश रचने के जुर्म में कोई जांच ही नहीं की गई। इसतरह सरकार

ने दंगा क्यों हुआ, किसने कराया, कौन साजिशकर्ता था उन पर पर्दा डाल दिया।

 

मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पर गठित विष्णु सहाय कमीशन पर सवाल उठाते हुए

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि

मुलायम सिंह मुसलमानों के साथ आयोगों का खेल खेलना बंद करें। सहाय कमीशन ने

अपनी रिपोर्ट में इस बात को स्वीकारा है कि 4 सितंबर 2013 को मुजफ्फरनगर बंद

के नाम पर अराजकाता फैलाने में वर्तमान भाजपा मंत्री संजीव बालियान, उमेश मलिक,

राजेश वर्मा व अन्य शामिल थे। ठीक इसी तरीके से 5 सितंबर को लिसाढ़ में हुई

पंचायत को स्वीकारा है कि पंचायत में गठवाला खाप मुखिया हरिकिशन सिंह और डा0

विनोद मलिक जैसे लोग शामिल थे जिसके बाद लिसाढ़ से सांप्रदायिक हिंसा शुरू हुई।

7 सितंबर को वर्तमान भाजपा सांसद हुकुम सिंह, महापंचायत में भारतीय किसान

यूनियन के नेता राकेश टिकैत, अध्यक्ष नरेश टिकैत, साध्वी प्राची, भाजपा के

पूर्व एमएलए अशोक कंसल, भाजपा के पूर्व सांसद सोहन वीर सिंह, सरधना के भाजपा

विधायक संगीत सिंह सोम, बिजनौर के भाजपा विधायक भारतेंदु सिंह, जाट महासभा के

अध्यक्ष धर्मवीर बालियान, रालोद के जिला अध्यक्ष अजीत राठी शामिल थे।

मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने के लिए इन सब के साथ संगीत सोम द्वारा

29 सितंबर को शाम 6 बजकर 21 मिनट पर फर्जी वीडियो इंटरनेट द्वारा प्रचारित

करना भी आयोग ने माना। उन्होंने कहा कि इतना सब जब साफ था तो निष्कर्ष तक

पहुचते-पहुचते आखिर सहाय कमीशन ने इन सांप्रदायिकता भड़काने वालों के खिलाफ

कार्रवाई की बात क्यों नहीं कही?

 

मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने कहा कि देश में साम्प्रदायिक

हिंसा के पीड़ितों को न्याय न देने की जो प्रक्रिया चल रही है वह लोकतंत्र के

लिए आत्मघाती है। इस प्रक्रिया को चलाते हुए संघ गिरोह जिस हिंदू राष्ट्र की

परिकल्पना कर रहा है उस पर अमल करते हुए ही सपा सरकार उन्हें न्याय से वंचित

किए हुए है।

 

हर्ष मंदर, जफर इकबाल, अकरम अख्तर चैधरी और राजन्या बोस लिखित ‘सिमटती

जिंदगी’ रिपोर्ट

में बताया गया है कि किस तरह 2013 में हुई साम्प्रदायिक हिंसा में लगभग 50,000

लोग अपने गाँवों से उजड़कर कैम्प में आकर रहने लगे। इनमें से एक तिहाई से भी कम

लोग वापस अपने गाँव लौट सके। कैम्प के बाद ये लोग मुसलमान आबादी वाले इलाके

में जमीन खरीदकर बस गए। लगभग 30,000 लोग मुजफ्फरनगर और शामली जिले के 65

पुनर्वास कॉलोनियों में रह रहे हैं जो अब वापस कभी गाँव नहीं जाएँगे। इन

कॉलोनियों में नागरिक सुविधाओं जैसे, बिजली, सड़क, पानी, सफाई, स्कूल, आँगनवाड़ी

जैसी सुविधाओं की बहुत कमी है। ज्यादातर कॉलोनियाँ सरकारी रिकार्ड से बाहर

हैं।

 

आरटीआई कार्यकर्ता व रिहाई मंच नेता सलीम बेग ने कहा कि उन्होंने नवंबर 2015

में सात बिंदुओं पर मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा संबन्धित सूचना प्राप्त करना

चाही थी। जिसमें अनेक चैकाने वाले तथ्य सामने आए जैसे उत्तर प्रदेश राज्य

अल्पसंख्यक आयोग को सांप्रदायिक हिंसा से संबन्धित एक भी शिकायती पत्र प्राप्त

नहीं हुआ। इससे भी शर्मनाक कि राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने मुजफ्फरनगर का दौरा ही

नहीं किया। सबसे शर्मनाक कि मुस्लिम विधायकों ने सरकार के आपराधिक रवैये पर

कोई सवाल नहीं उठाया।

 

रिहाई मंच की रिपोर्ट ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खड़ी है’ पर बोलते हुए रिहाई

मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि जब उन्होंने भाजपा विधायक संगीत सोम व सुरेश

राणा पर अमीनाबाद लखनऊ में रासुका के तहत जेल में रहते हुए फेसबुक द्वारा

साप्रदायिक तनाव भड़काने की तहरीर दी तो उस पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की

पर इसी थाने में हाशिमपुरा के सवाल पर इंसाफ मांगने वाले रिहाई मंच नेताओं

समेत अन्य लोगों पर दंगा भड़काने का मुकदमा दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि

सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए डूंगर निवासी मेहरदीन की हत्या का उनके द्वारा

मुकदमा दर्ज कराने पर महीनों बाद पुलिस ने उन्हें मुजफ्फरनगर बुलाया की

पोस्टमार्टम के लिए लाश निकाली जाएगी पर बयान दर्ज करने के बावजूद लाश नहीं

निकाली गई। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जांच

के लिए गठित एसआईसी का प्रमुख मनोज कुमार झा जैसे अधिकारी को बना दिया जिनपर

खुद खालिद मुजाहिद की हिरासती हत्या का आरोप है और निमेष कमीशन की रिपोर्ट ने

भी जिनके खिलाफ आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुसलमानों को फंसाने के लिए

कार्रवाई की मांग की है।

 

शामली से आए अकरम अख्तर चैधरी ने सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बलात्कार की

घटनाओं पर कहा कि बलात्कार पीड़ितों को सरकार ने सुरक्षा नहीं मुहैया कराया

जिसके चलते गवाह दबाव में आ गए। एक मुकदमें में गवाह मुकर गए जिसके कारण सभी

चार आरोपी बरी हो गए, अन्य मामलों में भी मुजरिम जमानत पर बाहर है और तो और एक

बलात्कार के मामले में तीन साल बीत जाने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।

 

मुजफ्फरनगर-शामली सांप्रदायिक हिंसा में सबसे अधिक 13 हत्या होने वाले लिसाढ

गांव निवासी रिजवान सैफी जिनके परिवार के पांच लोगों की हत्या हुई थी ने कहा

कि मेरे दादा-दादी की हत्याकर उनकी लाश को गायब कर दिया गया लेकिन जांच कर रहे

एसआईसी के मनोज झां आरोपियों के नाम निकलवाने के लिए हम पर दबाव बनाते रहे। वे

हमें जब भी बुलाते थे उसके पहले आरोपियों को भी वहां बुलाकर हममें डर व दहशत

का माहौल बनाने की कोशिश करते थे। मेरे गांव से सटा हुआ मीमला रसूलपुर जिसके

ग्राम निवासियों ने थाना कांधला पुलिस को फोन करके बताया कि उनके गांव के बाहर

कब्रिस्तान के पास तीन अज्ञात लाशें पड़ी हैं, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची

और यह कहकर चली गई कि उसे अभी वह ले नहीं जा सकती और बाद में वह लाशें गायब हो

गईं। जिसको पुलिस ने आरटीआई में भी माना है।

 

कार्यक्रम का संचालन राजीव यादव ने किया। इस दौरान अमित अम्बेडकर, लखनऊ रिहाई

मंच महासचिव शकील कुरैशी, रफत फातिमा, अनिल यादव, अजय सिंह, अरुंधती धुरू, आली

से आंचल, जनचेतना से रामबाबू, सत्यम वर्मा, पुनीत गोयल, बीएम प्रसाद, आरके सिंह,

पीसी कुरील, प्रबुद्ध गौतम, साहिरा नईम, अजरा, सृजनयोगी आदियोग, वीरेंद्र

गुप्ता, कल्पना पांडेय, डाॅ दाउद खान, इनायतुल्ला खान, यावर अब्बास, मोहम्मद

अली, अब्दुल्लाह, केके वत्स, डाॅ0 इमरान, यावर अब्बास, प्रतीक सरकार, शशांक लाल,

एसपी सिंह, निखिलेश, संजय नायक, सुधा सिंह, माहिर खान, आबिद जैदी, सबीहा मोहानी,

शाहनवाज आलम आदि मौजूद रहे।

 

द्वारा जारी-

 

शाहनवाज आलम

 

प्रवक्ता रिहाई मंच

 

9415254919

… हालाँकि, इरफ़ान झुके नहीं और उन्होंने अल्लाह को धन्यवाद देते हुए कहा कि ‘खुदा का शुक्र है कि वह एक ऐसे देश में रहते हैं, जहाँ धार्मिक ठेकेदारों की मनमर्जी नहीं चलती है.’ ढ़ाका हमले के तुरंत बाद भी फेसबुक पर इरफ़ान खान ने अपने उसी बयान को दुहराया कि ‘ढाका में आतंकवादी हमले प...

 

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धन लक्ष्मी साधना एवं प्राप्ति के उपाय - पुस्तक (पेज न. 9)

 

पेज न. 9

 

ज्योतिषशास्त्र में धनरात्रि श्रीलक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के उपाय

  

प्रातः काल उठते ही मानसिक रूप से 21 बार "श्री" का उच्चारण कर अपनी माता के चरण स्पर्श करे अथवा घर में जो वृद्ध स्त्री हो, उनके चरण स्पर्श करे। श्री वृद्धि होगी।

अपने निवास में कुछ कच्चा स्थान अवश्य रखे। घर के मध्य में हो तो अच्छा है यदि वहाँ तुलसी का पौधा लगाकर नित्य प्रति जलाभिषेक से पूजा करे तो बाधित पूर्ण होंगे।

किसी भी प्रथम शुक्रवार को सफ़ेद रुमाल में सवा सौ ग्राम मिश्री बांधकर लक्ष्मीनारायण मंदिर में अर्पित कर दे। तीन शुक्रवार तक करने मात्र से आपको इसका प्रभाव दिखाई देने लगेगा। शुभ समाचार या धनागमन हो सकता है।

प्राण प्रतिष्ठित अभिमंत्रित घोड़े की नाल को अपने घर के मुख्य द्वार पर लगावे।

प्रत्येक शुक्रवार को माँ लक्ष्मी का स्मरण करके कोई भी सफेद प्रसाद कन्याओ को बांटे। लक्ष्मी प्रसन्न रहेगी।

प्रत्येक मंगलवार को रोटी पर गुड रखकर और शनिवार को सरसो का तेल लगाकर रोटी पर गुड रखकर कुत्तो को दे। माँ लक्ष्मी की कृपा रहेगी।

प्रत्येक शनिवार अमावस्या को आठ इमरती कुत्तो को देवे। आर्थिक लाभ प्राप्त होगा।

मंगलवार को हनुमानजी को 11 रूपये के गुड चने का भोग लगाए। फिर पान के पत्ते पर माखन और सिन्दूर रखकर 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करे। यह प्रयोग तीन मंगलवार तक करे। चमत्कार महसूस करेंगे। अचानक खर्चो में रूकावट आकर आपके पास धन स्थिर होने लगेगा।

घर में नियमित पूजा करते समय दीपक में रुई की बाती के स्थान पर मौली की बाती का प्रयोग करे, क्योकि माँ लक्ष्मी को रक्त वर्ण सर्वाधिक प्रिय है।

किसी भी श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को 9 वर्ष से कम की 11 कन्याओ को खीर के साथ मिश्री का भोजन कराये तथा उपहार में लाल वस्त्र दे। यह उपाय प्रथम शुक्रवार से आरम्भ करके लगातार 6 शुक्रवार तक करना है। आर्थिक लाभ उतरोतर बढ़ने लगेगा।

प्रत्येक शुक्रवार को श्रीसूक्त या बीज युक्त श्री लक्ष्मी सूक्त का पाठ करे यह प्रयोग प्रतिदिन नियमित रूप से भी हो सकता है। श्री सूक्त के पाठ का प्रभाव सात शुक्रवार के पाठ से ही दिखने लगेगा और जो व्यक्ति श्री सूक्त का नियमित पाठ करता है उसके घर में धन वृद्धि के साथ-साथ उस व्यक्ति की अपमृत्यु भी नहीं होती है।

  

लक्ष्मी प्राप्ति के सामान्य सूत्र

 

सुगढ़ ग्रहणी को दैनं दिन कार्यो में बहुत ध्यान रखना चाहिए। अधोलिखित सूत्र प्रत्येक गृहस्थी के लिए माननीय है, करणीय है। ये सूत्र देवी लक्ष्मी प्राप्ति के स्वर्णिम सूत्र है।

याचक को दान देहरी के अंदर से ही करे, उसे घर की देहरी के अन्दर नहीं आने दे।

यदि नियमित रूप से घर की रोटी गाय को तथा अंतिम रोटी कुत्तो को जो लोग देते है तो उनके उतरोतर वृद्धि होती है, वंश वृद्धि होती है।

घर में कभी भी नमक खुले डिब्बे में न रखे। क्षार बंद ही होना चाहिए।

प्रातः उठकर सर्वप्रथम गृहलक्ष्मी यदि मुख्य द्वार पर एक गिलास अथवा लोटा जल डाले तो माँ लक्ष्मी के आने का मार्ग प्रशस्त होता है।

नित्य पीपल के पेड़ में जल डालने से भी आर्थिक सम्पन्नता रहती है।

यदि घर में सुख शांति चाहते है तो घर में कबाड़ न रखे। प्रत्येक अमावस्या को घर की पूर्ण सफाई कर फालतु के सामान को कबाड़ी को बेच दे, या बाहर फेंक दे। सफाई के बाद पांच अगरबत्ती पूजागृह में करे।

यदि हमेशा गेंहुँ शनिवार के दिन पिसवावे तथा गेंहुँ में एक मुठ्ठी काले चने डालकर पिसवावे तो आर्थिक वृद्धि होती है।

किसी बुधवार के दिन यदि आपके सामने हिंजड़ा आ जाये तो उसके मांगे बिना ही उसे पैसा अवश्य दे। यदि आप आर्थिक रूप से समस्या ग्रस्त है तो 21 शुक्रवार तक 9 वर्ष से कम आयु की पांच कन्याओ को खीर व मिश्री बांटे।

घर में जितने भी दरवाजे हो, उनमे समय-समय पर तेल डाले रखे जिससे बंद करते वक्त रगड़ से आवाज न आवे।

आर्थिक समस्या का निदान करने के लिए पांच शुक्रवार तक किसी सुहागिन स्त्री को सुहाग सामग्री का दान करे। सुहाग सामग्री आपकी क्षमतानुसार होनी चाहिए।

जब भी बैंक या ए.टी.एम. में से पैसे निकाले तब मन ही मन कोई भी लक्ष्मी मन्त्र का जाप अवश्य करे। बड़ा मंत्र याद न हो तो बीज मंत्र "श्री" का ही जाप कर ले।

संध्याकाल एवं प्रातः काल में किसी को उधार न दे। अन्यथा पैसे वापिस मिलने में मशक्कत करनी पड़ सकती है।

शुक्रवार को किसी सुहागिन को लाल वस्त्र अथवा सुहाग सामग्री दान करने का मौका मिले तो जरुर करे। माँ लक्ष्मी के आपके घर में आगमन का संकेत है।

यदि अचानक आर्थिक हानि हो रही है, या सट्टे में पैसे डूब गये है तो सात शुक्रवार को सात सुहागिनों को अपनी पत्नी के माध्यम से लाल वस्तु उपहार में दे। उपहार में इत्र का प्रयोग भी करे। हानि बंद होना लगेगी।

यदि गमन मार्ग पर मोर नृत्य करता दिखाई दे तो तुरंत उस स्थान की मिट्टी उठाकर जेब या पर्स में रखकर घर आवे तथा धूप दीप दिखाकर मिट्टी को चाँदी के ताबीज या लाल रेशमी वस्त्र में रखकर अपने धन रखने के स्थान पर रख दे।

यदि किसी शुक्रवार को कोई सुहागिन स्त्री अनायास बिन बुलाये आपके घर आती है तो उसका सम्मान कर जलपान कराये।

यदि धनतेरस के दिन घर में छिपकली के दर्शन होते है तो यह तय है कि पूरा वर्ष शुभ रहेगा। अगर संयोग से दिखाई दे जाये तो यह स्मृति में रखे कि आज छिपकली दर्शन एक विशेषश्शगुन है। तुरंत छिपकली को प्रणाम करे सम्भव हो तो छिपकली की कुमकुम के छींटे उछाल कर मंगल कामना करे। कहा भी है- धनतेरस को छिपकली दर्शन को तरसे। गर दिख जाय तो छप्पर फाड़कर धन बरसे।

  

फेंगशुई द्वारा सौभाग्यशाली बनने के सरल उपाय

  

घरो में मंगल तथा शुभ चिन्हो का प्रयोग करे। प्राचीन काल से ही लोग भाग्यवान बनने के लिए मांगलिक लिपियों एवं प्रतिको का प्रदर्शन करते आए है। घरो में त्रिशूल, ॐ और स्वस्तिक चिन्ह होना ही चाहिए इनका प्रयोग एक साथ करना विशेष लाभप्रद माना गया है मांगलिक चिन्ह कई मुसीबतो से बचाते है।बैठक के दक्षिण-पश्चिम दिशा के कोने में परिवार के सदस्यो की प्रसन्न मुद्रा वाली छाया चित्र लगाना चाहिए। पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम उतरोतर बढ़े इसके लिए शयनकक्ष के दक्षिण-पश्चिम दिशा वाले कोने में दोनों की प्रसन्नचित मुद्रा वाला छाया चित्र लगाना चाहिए।

दरवाजे के ठीक सामने कभी नहीं सोना चाहिए। सदैव यह ध्यान रखे कि प्रवेश द्वार की ओर पैर करके न सोए। सोये समय यह ध्यान रखे कि आपका सिर अथवा पैर सीधे दरवाजे के सामने न हो, इसलिए अपना पलंग दरवाजे के दायी ओर या बायीं ओर खिसका देना चाहिये।

झाड़ू सदा छिपाकर रखे। खुले स्थान पर झाड़ू रखना अपशकुन मन जाता है। यदि आप अपने घर के बाहर मुख्य द्वार के सामने झाड़ू उलटी करके रखते है तो यह घुसपैठियों से घर रक्षा करती है, किन्तु यह कार्य केवल रात को किया जा सकता है। दिन के समय झाड़ू छिपाकर रखे, ताकि वह किसी को नजर न आए। भोजन कक्ष में झाड़ू को भूलकर भी न रखे। इससे अन्न व आय के साफ होने का डर रहता है।

अलमारी सदैव बंद रखे। पुस्तके पढ़ने का शौक अच्छा है किन्तु घर के पुस्तकालय की अलमारी को बंद रखे एवं नकारात्मक ऊर्जा से बचे।

दर्पण को शयनकक्ष में नहीं लगाना चाहिए। पलंग के सामने आईना पति-पत्नी के वैवाहिक सम्बन्धो में तनाव पैदा कर सकता है। यदि दर्पण है तो उसे ढककर रखे। कमरे की छत पर भी आईना न लगावे। पलंग पर सो रहे पति-पत्नी को प्रतिबिम्ब करने वाला आईना तलाक का कारण बन सकता है, इसलिए रात्रि के समय आईना दृष्टि से ओझल हो या ढंका हुआ हो।

सूखे फूलो को घर से बाहर फेंक दे। पौधे एवं ताजे पुष्प फेंगशुई के उपयोगी शस्त्र है। ताजा फूल लगाये जा सकते है। तजा फूल जीवन के प्रतीक है जब कि सूखे फूल मृत्यु के सूचक है। फूलो के पौधे शयनकक्ष के बजाय बैठक अथवा भोजन कक्ष में रखना शुभ है। मुरझाने पर उन्हें हटा देना चाहिए। ताजा फूलो के बजाय कृत्रिम फूलो का उपयोग कर सकते है।

शुभ परिणामो के लिए दरवाजे के पास पानी रखे। यह उत्तर, पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर के दरवाजो के लिए उपयोगी है। पानी से भरे पात्र को दरवाजे के पास केवल बांयी ओर रखना चाहिए। अर्थात जब आप घर में खड़े हो और बाहर देखे तब आपके बांयी ओर पानी का पात्र हो। इसके तहत लघु मछली घर या पानी में स्थित डॉल्फिन का चित्र भी हो सकता है। दरवाजे के दांयी तरफ पानी रखने से व्यक्ति किसी दूसरी महिला प्रेमपाश में बद्ध हो सकता है अतः दरवाजे के दांयी तरफ पानी खराब परिणाम होता है।

फेंगशुई के अनुसार भी भाग्य वृद्धि के लिए घोड़े की नाल को मुख्य द्वार के ऊपर दरवाजे के फ्रेम के बाहर लगा सकते है। इसके दोनों सिरे नीचे की तरफ हो। घोड़े की नाल घातु तत्व है, इसलिए पूर्व और दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर वाले दरवाजो पर इसका प्रयोग न करे।

  

यहाँ तक नवां चरण समाप्त होता है।

   

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उस समय के दौरान जो पतरस ने यीशु के साथ बिताया, उसने यीशु में अनेक प्यारे अभिलक्षणों, अनेक अनुकरणीय पहलुओं, और अनेक ऐसी चीजों को देखा जिन्होंने उसे आपूर्ति की। यद्यपि पतरस ने कई तरीकों से यीशु में परमेश्वर के अस्तित्व को देखा, और कई प्यारे गुण देखे, किन्तु पहले वह यीशु को नहीं जानता था। पतरस जब 20 वर्ष का था तब उसने यीशु का अनुसरण करना आरम्भ किया, और छः वर्ष तक वह ऐसा करता रहा। उस समय के दौरान, उसे यीशु के बारे में कभी भी पता नहीं चला, किन्तु वह केवल उसके प्रति आदर और प्रशंसा के भाव के कारण उसका अनुसरण करने को तैयार रहता था। जब यीशु ने गलील के तट पर उसे पहली बार बुलाया, तो उसने पूछाः "शमौन, योना के पुत्र, क्या तू मेरा अनुसरण करेगा?" पतरस ने कहा: "मुझे उसका अनुसरण अवश्य करना चाहिए जिसे स्वर्गिक पिता द्वारा भेजा जाता है। मुझे उसे अवश्य अभिस्वीकृत करना चाहिए जिसे पवित्र आत्मा के द्वारा चुना जाता है। मैं तेरा अनुसरण करूँगा।" उस समय, पतरस ने यीशु नाम के महानतम नबी, परमेश्वर के प्रिय पुत्र के बारे में सुना था, और पतरस उसे खोजने की निरंतर आशा कर रहा था, उसे देखने के अवसर की आशा कर रहा था (क्योंकि तब इसी तरह से पवित्र आत्मा के द्वारा उसकी अगुवाई की गई थी)। यद्यपि उसने उसे कभी भी नहीं देखा था और केवल उसके बारे में अफ़वाहें ही सुनी थी, किन्तु धीरे-धीरे उसके हृदय में यीशु के लिए लालसा और श्रद्धा पनप गई, और वह किसी दिन यीशु को देखने के लिए अक्सर लालायित रहता था। और यीशु ने पतरस को कैसे बुलाया? उसने भी पतरस नाम के व्यक्ति के बारे में सुना था, और ऐसा नहीं था कि उसे पवित्र आत्मा ने निर्देशित किया थाः "गलील की झील के पास जाओ, जहाँ शमौन नाम का योना का पुत्र है।" यीशु ने किसी को यह कहते सुना कि वहाँ पर शमौन नाम का योना का पुत्र है और यह कि लोगों ने उसका धर्मोपदेश सुना है, यह कि उसने भी स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार सुनाया, और यह कि जिन लोगों ने भी उसे सुना वे सभी खुशी से रो पड़े। इसे सुनने के बाद, यीशु उस व्यक्ति के पीछे गया, और गलील की झील तक गया; जब पतरस ने यीशु के बुलावे को स्वीकार किया, तब उसने उसका अनुसरण किया।

 

यीशु का अनुसरण करने के दौरान, उसके बारे में उसके कई अभिमत थे और वह अपने परिप्रेक्ष्य से आँकलन करता था। यद्यपि पवित्रात्मा के बारे में उसकी एक निश्चित अंश में समझ थी, तब भी पतरस बहुत प्रबुद्ध नहीं था, इसलिए वह अपनी बातों में कहता हैः "मुझे उसका अवश्य अनुसरण करना चाहिए जिसे स्वर्गिक पिता द्वारा भेजा जाता है। मुझे उसे अवश्य अभिस्वीकृत करना चाहिए जो पवित्र आत्मा के द्वारा चुना जाता है। मैं तेरा अनुसरण करूँगा।" उसने यीशु के द्वारा किये गए कामों को नहीं समझा और उसमें इनके बारे में स्पष्टता का अभाव था। कुछ समय तक उसका अनुसरण करने के बाद उसकी उसके द्वारा किये गए कामों और उसके द्वारा कही गई बातों में और यीशु में रुचि बढ़ी। उसे महसूस होने लगा कि यीशु ने अनुराग और सम्मान दोनों प्रेरित किए; वह उसके साथ सम्बद्ध होना और उसके साथ ठहरना पसंद करता था, और यीशु के वचनों को सुनना उसे आपूर्ति और सहायता प्रदान करते थे। यीशु का अनुसरण करने के दौरान, पतरस ने उसके जीवन के बारे में हर चीज़ का अवलोकन किया और उसे हृदय से लगाया: उसके कार्यों को, वचनों को, गतिविधियों को, और अभिव्यक्तियों को। उसने एक गहरी समझ प्राप्त की कि यीशु साधारण मनुष्य जैसा नहीं है। यद्यपि उसका मानवीय प्रकटन अत्यधिक साधारण था, वह मनुष्यों के लिए प्रेम, अनुकम्पा और सहिष्णुता से भरा हुआ था। उसने जो कुछ भी किया या कहा वह दूसरों के लिए बहुत मददगार था, और उसके साथ रहते हुए पतरस ने उन चीज़ों को देखा और सीखा जिन्हें उसने पहले कभी देखा या सीखा नहीं था। उसने देखा कि यद्यपि यीशु की न तो कोई भव्य कद-काठी है न ही असाधारण मानवता है, किन्तु उसका हाव-भाव सच में असाधारण और असामान्य था। यद्यपि पतरस इसे पूरी तरह से नहीं समझ सका था, लेकिन वह देख सकता था कि यीशु बाकी सब से भिन्न कार्य करता है, क्योंकि उसके काम करने का तरीका किसी साधारण मनुष्य द्वारा किए गए कामों के तरीकों से कहीं अधिक भिन्न था। यीशु के साथ सम्पर्क के दौरान, पतरस ने यह भी महसूस किया कि उसका चरित्र किसी भी साधारण मनुष्य से भिन्न था। उसने हमेशा स्थिरता से कार्य किया, और कभी भी जल्दबाजी नहीं की, किसी भी विषय को बढ़ा-चढ़ा कर नहीं बताया, न ही कम करके आँका, और अपने जीवन को इस तरह से संचालित किया जिससे ऐसा चरित्र उजागर हुआ जो सामान्य और सराहनीय दोनों था। बातचीत में, यीशु शिष्ट, आकर्षक, स्पष्ट और हँसमुख मगर शान्त था, और अपने कार्य के निष्पादन में कभी भी गरिमा नहीं खोता था। पतरस ने देखा कि यीशु कभी-कभी अल्प-भाषी रहता था, जबकि किसी अन्य समय में लगातार बात करता था। कई बार वह इतना प्रसन्न होता था कि वह कबूतर की तरह चपल और उल्लसित बन जाता था, और कभी-कभी इतना दुःखी होता था कि वह बिल्कुल भी बात नहीं करता था, मानो दुख के बोझ से लदी और बेहद थकी कोई माँ हो। कई बार वह क्रोध से भरा होता था, जैसे कि कोई बहादुर सैनिक शत्रुओं को मारने के लिए मुस्तैद हो, और कई बार तो एक गरजने वाले सिंह की तरह होता था। कभी-कभी वह हँसता था; फिर कभी वह प्रार्थना करता और रोता था। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि यीशु का आचरण कैसा था, पतरस का उसके प्रति प्रेम और आदर असीमित रूप से बढ़ता गया। यीशु की हँसी उसे खुशी से भर देती थी, उसका दुःख उसे दुःख में डुबा देता था, उसका क्रोध उसे डरा देता था, जबकि उसकी दया, क्षमा, और लोगों से उसकी सख्त अपेक्षा, उसके भीतर एक सच्ची श्रद्धा और लालसा को बढ़ाते हुए, उसे यीशु से सच्चा प्यार करवाने लगते थे। निस्संदेह, पतरस को इस सब का एहसास धीरे-धीरे तब हुआ जब एक बार वह कुछ वर्षों तक यीशु के साथ रह लिया था।

 

पतरस, प्राकृतिक समझ के साथ पैदा हुआ, विशेष रूप से एक समझदार व्यक्ति था, फिर भी यीशु का अनुसरण करते समय उसने कई प्रकार के मूर्खतापूर्ण काम किये। आरम्भ में, यीशु के बारे में उसकी कुछ अवधारणाएँ थी। उसने पूछाः "लोग कहते हैं कि तू एक नबी है, इसलिए जब तू आठ साल का और चीज़ों को समझने के लिए पर्याप्त उम्र का था, तब क्या तुझे पता था कि तू परमेश्वर है? क्या तुझे पता था कि तुझे पवित्र आत्मा द्वारा गर्भ में धारण किया गया था?" यीशु ने उत्तर दियाः "नहीं, मैं नहीं जानता था। क्या मैं तुझे एक साधारण व्यक्ति के समान नहीं लगता हूँ? मैं अन्य लोगों के जैसा ही हूँ। जिस व्यक्ति को परमपिता भेजता है वह एक सामान्य व्यक्ति होता है, न कि एक असाधारण व्यक्ति। और यद्यपि जो काम मैं करता हूँ वह मेरे स्वर्गिक पिता का प्रतिनिधित्व करता है, किन्तु मेरी छवि, मेरा व्यक्तित्व, और मेरी देह, स्वर्गिक पिता को पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर सकती हैं, केवल उसका एक भाग ही व्यक्त कर सकती हैं। यद्यपि मैं पवित्रात्मा से आया, किन्तु मैं तब भी एक सामान्य व्यक्ति हूँ, और मेरे परमपिता ने मुझे एक साधारण व्यक्ति के रूप में इस धरती पर भेजा है, न कि एक असाधारण व्यक्ति के रूप में।" जब पतरस ने यह सुना केवल तभी उसे यीशु के बारे में एक थोड़ी समझ प्राप्त हुई। यीशु के कार्य के, अनगिनत घंटों की उसकी शिक्षा को देखने, उसकी चरवाही, उसके पोषण के बाद ही उसे अधिक गहरी समझ प्राप्त हुई। अपने 30वें साल में, यीशु ने पतरस को अपने आगामी क्रूसीकरण के बारे में बताया और बताया कि वो काम के एक चरण को अंजाम देने आया था, यह कि वह समस्त मानवजाति के छुटकारे के लिए क्रूसीकरण के कार्य को करने आया है। उसने उसे यह भी बताया कि सलीब पर चढ़ाए जाने के तीन दिन बाद, मनुष्य का पुत्र फिर से जी उठेगा, और उठ जाने पर 40 दिन तक वह लोगों को दिखाई देगा। इन वचनों को सुनकर पतरस दुःखी था और उसने इन वचनों को हृदय से लगा लिया; तब से वह यीशु के और भी करीब हो गया। कुछ समय तक अनुभव करने के बाद, पतरस को पता चला कि यीशु ने जो किया वह सब कुछ परमेश्वर की ओर से था, और उसे यह लगा कि यीशु असाधारण रूप से प्यारा है। जब उसमें यह समझ आ गई केवल तभी पवित्र आत्मा ने उसे अंदर से प्रबुद्ध किया। तब यीशु अपने शिष्यों और अन्य अनुयायियों की ओर मुड़ा और पूछाः "यूहन्ना, तू बता मैं कौन हूँ?" उसने उत्तर दियाः "तू मूसा है।" फिर वह लूका की ओर मुड़ाः "और, लूका, तू क्या कहता है कि मैं कौन हूँ?" लूका ने उत्तर दियाः "तू नबियों में सबसे महान है।" फिर उसने एक बहन से पूछा और उस बहन ने उत्तर दियाः "तू नबियों में सबसे महान है जो अनन्त से अनन्त तक अनेक वचन कहता है। तेरी भविष्यवाणियों से बढ़कर और किसी की भविष्यवाणियाँ नहीं हैं, न ही किसी का ज्ञान तुझसे ज़्यादा है; तू एक नबियों है।" फिर यीशु पतरस की ओर मुड़ा और पूछाः "पतरस, तू बता मैं कौन हूँ?" पतरस ने उत्तर दियाः "तू, जीवित परमेश्वर का पुत्र, मसीह है। तू स्वर्ग से आया है, तू पृथ्वी का नहीं है, तू परमेश्वर के सृजनों के समान नहीं है। हम पृथ्वी पर हैं और तू हमारे साथ यहाँ है, किन्तु तू स्वर्ग का है। तू इस संसार का नहीं है, और तू इस पृथ्वी पर का नहीं है।" यह उसके अनुभव के माध्यम से था कि पवित्र आत्मा ने उसे प्रबुद्ध किया, जिसने उसे इस समझ को प्राप्त करने में समर्थ बनाया। इस प्रबुद्धता के बाद, उसने यीशु के द्वारा किए गए सभी कार्यों की और भी अधिक सराहना की, उसे और भी अधिक प्यारे के रूप में विचार किया, और कभी भी यीशु से अलग नहीं होना चाहता था। इसलिए, सलीब पर चढ़ाए जाने और पुनर्जीवित होने के बाद जब यीशु ने अपने आप को सबसे पहले पतरस पर प्रकट किया तो पतरस असाधारण प्रसन्नता से चिल्ला उठाः "प्रभु, तू उठ गया!" उसके बाद रोते हुए, उसने एक बहुत बड़ी मछली को पकड़ा और उसे पकाया और यीशु के सामने परोसा। यीशु मुस्कुराया, किन्तु कुछ नहीं बोला। यद्यपि पतरस जानता था कि यीशु पुनर्जीवित हो गया है, किन्तु इसका रहस्य उसकी समझ में नहीं आया। जब उसने यीशु को मछली खाने के लिए दी, तो यीशु ने उसे मना नहीं किया मगर बात नहीं की, न ही खाने के लिए बैठा, बल्कि अचानक ग़ायब हो गया। यह पतरस के लिए बहुत बड़ा झटका था और केवल तभी उसकी समझ में आया कि पुनर्जीवित यीशु पहले वाले यीशु से भिन्न है। यह जान लेने के बाद पतरस दुःखी हो गया, किन्तु उसे यह जानकर सांत्वना भी मिली कि प्रभु ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। वह जानता था कि यीशु ने अपना कार्य पूरा कर लिया है, उसका मनुष्यों के साथ रहने का समय समाप्त हो गया है, और कि इसके बाद से मनुष्य को स्वयं ही अपने मार्ग चलना होगा। यीशु ने एक बार उसे कहा थाः "तुझे भी उस कड़वे प्याले से अवश्य पीना चाहिए जिससे मैंने पीया है (उसने पुनरुत्थान के बाद यही कहा था), तुझे भी उस मार्ग पर चलना होगा जिस पर मैं चला हूँ, तुझे मेरे लिए अपना जीवन त्यागना होगा।" अब के विपरीत, उस समय तक कार्य ने आमने-सामने के वार्तालाप का रूप नहीं लिया था। अनुग्रह के युग के दौरान, पवित्र आत्मा का कार्य बहुत अधिक छिपा हुआ था, और पतरस ने बहुत मुश्किलें सहीं थीं और कभी-कभी तो चिल्ला कर यह कहता: "परमेश्वर! मेरे पास इस जीवन के अलावा और कुछ नहीं है। यद्यपि तेरे लिए इसका अधिक महत्व नहीं है, फिर भी मैं इसे तुझे समर्पित करना चाहता हूँ। यद्यपि मनुष्य तुझे प्रेम करने के योग्य नहीं हैं, और उनका प्रेम और हृदय बेकार हैं, तब भी मुझे विश्वास है कि तू मनुष्यों के हृदय के मनोरथों को जानता है। भले ही मनुष्य के शरीर तेरी स्वीकृति को प्राप्त नहीं करते हैं, फिर भी मैं चाहता हूँ कि तू मेरे हृदय को स्वीकार कर ले।" इन प्रार्थनाओं को करने पर उसे उत्साह मिलता, खासतौर पर जब वह प्रार्थना करता था: "मैं अपने हृदय को पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित करने को तैयार हूँ। भले ही मैं परमेश्वर के लिए कुछ करने में असमर्थ हूँ, फिर भी मैं परमेश्वर को ईमानदारी से संतुष्ट करने और अपने आप को पूरे हृदय से उसके प्रति समर्पित करने के लिए तैयार हूँ। मुझे विश्वास है कि परमेश्वर अवश्य मेरे हृदय को देखता है।" उसने कहाः "मैं अपने जीवन में कुछ नहीं माँगता हूँ किन्तु माँगता हूँ कि परमेश्वर के प्रेम के लिए मेरे विचार और मेरे हृदय की अभिलाषा परमेश्वर के द्वारा स्वीकार की जाए। मैं काफी समय तक प्रभु यीशु के साथ था, फिर भी मैंने उसे कभी भी प्रेम नहीं किया, यह मेरा सबसे बड़ा कर्ज़ है। यद्यपि मैं उसके साथ रहा, फिर भी मैंने उसे नहीं जाना, यहाँ तक कि उसकी पीठ पीछे कुछ अनुचित बातें भी कही। ये बातें सोचकर मैं प्रभु यीशु के प्रति अपने आप को और भी अधिक ऋणी समझता हूँ।" उसने हमेशा इसी तरह से प्रार्थना की। उसने कहा: "मैं धूल से भी कम हूँ। मैं अपने समर्पित हृदय को परमेश्वर को सौंपने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता हूँ।"

 

पतरस के अनुभवों में एक पराकाष्ठा थी, जब उसका शरीर लगभग पूरी तरह से टूट गया था, किन्तु यीशु ने उसे प्रोत्साहन दिया। और वह उसके सामने एक बार प्रकट हुआ। जब पतरस अत्यधिक पीड़ा में था और महसूस करता था कि उसका हृदय टूट गया है, तो यीशु ने उसे निर्देश दिया: "तू पृथ्वी पर मेरे साथ था, और मैं यहाँ तेरे साथ था। यद्यपि पहले हम स्वर्ग में एक साथ थे, यह सब कुछ आध्यात्मिक संसार के बारे में है। अब मैं आध्यात्मिक संसार में लौट आया हूँ, परन्तु तू पृथ्वी पर है। क्योंकि मैं पृथ्वी का नहीं हूँ, और यद्यपि तू भी पृथ्वी का नहीं है, किन्तु तुझे पृथ्वी पर अपना कार्य पूरा करना होगा। क्योंकि तू एक सेवक है, इसलिए तुझे अपना कर्तव्य अपनी पूरी योग्यता से निभाना होगा।" पतरस को यह सुनकर सांत्वना मिली कि वह परमेश्वर की ओर लौट सकता है। जब पतरस ऐसी पीड़ा में था कि वह लगभग बिस्तर पर पड़ा था, तो उसने पछतावा किया और यहाँ तक कहा: "मैं बहुत भ्रष्ट हूँ, मैं परमेश्वर को संतुष्ट करने में असमर्थ हूँ।" यीशु ने उसके सामने प्रकट होकर कहा: "पतरस, कहीं ऐसा तो नहीं कि तू उस संकल्प को भूल गया जो तूने एक बार मेरे सामने लिया था? क्या तू वास्तव में वह सब कुछ भूल गया जो मैंने कहा था? क्या तू उस संकल्प को भूल गया है जो तूने मुझसे किया था?" पतरस ने देखा कि यह यीशु है और वह बिस्तर से उठ गया, और यीशु ने उसे सांत्वना दी: "मैं पृथ्वी का नहीं हूँ, मैं तुझे पहले ही कह चुका हूँ—यह तुझे समझ जाना चाहिए, किन्तु क्या तू कोई और बात भी भूल गया जो मैंने तुझसे कही थी? 'तू भी पृथ्वी का नहीं है, संसार का नहीं है।' अभी यहाँ पर जो कार्य है उसे तुझे करना है, तू इस तरह से दुःखी नहीं हो सकता है, तू इस तरह से पीड़ित नहीं हो सकता है। हालाँकि मनुष्य और परमेश्वर एक ही संसार में एक साथ नहीं रह सकते हैं, मेरे पास मेरा कार्य है और तेरे पास तेरा कार्य है, और एक दिन जब तेरा कार्य समाप्त हो जाएगा, तो हम दोनों एक क्षेत्र में एक साथ रहेंगे, और मैं हमेशा मेरे साथ रहने के लिए तेरी अगुवाई करूँगा।" इन वचनों को सुनने के बाद पतरस को सांत्वना मिली और वह आश्वस्त हुआ। वह जानता था कि यह पीड़ा कुछ ऐसी थी जो उसे सहन और अनुभव करनी ही थी, और वह तब से प्रेरित था। यीशु हर महत्वपूर्ण क्षण में उसके सामने प्रकट हुआ, उसे विशेष प्रबुद्धता और मार्गदर्शन दिया, और उसमें अत्यधिक कार्य किया। और पतरस ने सबसे अधिक किस बात का पछतावा किया? पतरस के यह कहने के तुरंत बाद कि "तू जीवित परमेश्वर का पुत्र है", यीशु ने पतरस से एक और प्रश्न पूछा (यद्यपि यह बाइबल में इस प्रकार से दर्ज नहीं है), और वह प्रश्न यह था: "पतरस! क्या तूने कभी मुझे प्रेम किया है?" पतरस समझ गया कि क्या अभिप्राय है और, उसने कहाः "प्रभु! मैंने एक बार स्वर्गिक पिता से प्रेम किया था, किन्तु मैं स्वीकार करता हूँ कि मैंने तुझे कभी भी प्रेम नहीं किया।" फिर यीशु ने कहा, "यदि लोग स्वर्गिक परमेश्वर से प्रेम नहीं करते हैं, तो वे पृथ्वी पर पुत्र को कैसे प्रेम कर सकते हैं? यदि लोग परमपिता परमेश्वर द्वारा भेजे गए पुत्र को प्रेम नहीं करते हैं, तो वे स्वर्गिक पिता से कैसे प्रेम कर सकते हैं? यदि लोग वास्तव में पृथ्वी पर पुत्र से प्रेम करते हैं, तो फिर वे स्वर्गिक पिता को भी वास्तव में प्रेम करते हैं।" जब पतरस ने इन वचनों को सुना तो उसने अपनी कमी को महसूस किया। उसे अपने वचनों पर हमेशा इतना पछतावा महसूस होता था कि उसकी आँखों में आँसू आ जाते थे। "मैंने एक बार स्वर्गिक पिता से प्रेम किया, किन्तु मैंने तेरे से कभी भी प्रेम नहीं किया है।" यीशु के पुनर्जीवन और स्वर्गारोहण के बाद उसने उन पर और भी अधिक पछतावा और दुःख महसूस किया। अपने अतीत के कार्यों को, अपनी वर्तमान कद-काठी को याद कर, वह प्रार्थना करने के लिए प्रायः यीशु के पास आता, परमेश्वर की इच्छा को संतुष्ट न कर पाने और परमेश्वर के मानकों पर खरा न उतर पाने के कारण हमेशा पछतावा और आभार महसूस करता। ये मामले उसका सबसे बड़ा बोझ बन गए। उसने कहा, "एक दिन मैं तुझे वह सब अर्पित कर दूँगा जो मेरे पास है और सब कुछ जो मैं हूँ, मैं तुझे वह दूँगा जो सबसे अधिक मूल्यवान है।" उसने कहा, "परमेश्वर! मेरे पास केवल एक ही विश्वास और केवल एक ही प्रेम है। मेरे जीवन का कुछ भी मूल्य नहीं है, और मेरे शरीर का कुछ भी मूल्य नहीं है। मेरे पास केवल एक ही विश्वास और केवल एक ही प्रेम है। मेरे मन में तेरे लिए विश्वास है और हृदय में तेरे लिए प्रेम है; ये ही दो चीज़ें मेरे पास तुझे देने के लिए हैं, इसके अलावा और कुछ नहीं है।" पतरस यीशु के वचनों से बहुत प्रोत्साहित हुआ, क्योंकि यीशु के क्रूसीकरण से पहले उसने उससे कहा थाः "मैं इस संसार का नहीं हूँ, और तू भी इस संसार का नहीं है।" बाद में, जब पतरस एक अत्यधिक पीड़ा वाली स्थिति तक पहुँचा, तो यीशु ने उसे स्मरण दिलायाः "पतरस, क्या तू भूल गया है? मैं इस संसार का नहीं हूँ, और मैं सिर्फ अपने कार्य के लिए ही पहले चला गया। तू भी इस संसार का नहीं है, क्या तू भूल गया है? मैंने तुझे दो बार बताया है, क्या तुझे याद नहीं है?" पतरस ने उसे सुना और कहाः "मैं नहीं भूला हूँ!" तब यीशु ने कहाः "तूने एक बार मेरे साथ स्वर्ग में एक खुशहाल समय और मेरे बगल में एक समयावधि बितायी था। तू मुझे याद करता है और मैं तुझे याद करता हूँ। यद्यपि प्राणी मेरी दृष्टि में उल्लेख किए जाने के योग्य नहीं हैं, फिर भी मैं किसी निर्दोष और प्यार करने योग्य प्राणी को कैसे प्रेम न करूँ? क्या तू मेरी प्रतिज्ञा को भूल गया है? तुझे धरती पर मेरे आदेश को स्वीकार करना होगा; तुझे वह कार्य पूरा करना होगा जो मैंने तुझे सौंपा है। एक दिन मैं तुझे अपनी ओर करने के लिए निश्चित रूप से तेरी अगुवाई करूँगा" इसे सुनने के बाद, पतरस और भी अधिक उत्साहित हो गया तथा उसे और भी अधिक प्रेरणा मिली, इतनी कि जब वह सलीब पर था, तो वह यह कहने में समर्थ थाः "परमेश्वर! मैं तुझे बेहद प्यार करता हूँ! यहाँ तक कि यदि तू मुझे मरने के लिए कहे, तब भी मैं तुझे बेहद प्यार करता हूँ! तू जहाँ कहीं भी मेरी आत्मा को भेजे, चाहे तू अपनी पिछली प्रतिज्ञाओं को पूरा करे या न करे, इसके बाद तू चाहे जो कुछ भी करे, मैं तुझे प्यार करता हूँ और तुझ पर विश्वास करता हूँ।" उसने जो थामे रखा वह था उसका विश्वास और सच्चा प्रेम।

 

एक शाम, पतरस सहित कई अन्य चेले मछली पकड़ने वाली नाव में थे। वे सभी यीशु के साथ थे, और पतरस ने यीशु से एक बहुत ही निष्कपट प्रश्न पूछाः "प्रभु! काफी समय से मेरा एक प्रश्न है जो मैं तुझसे पूछना चाहूँगा।" यीशु ने उत्तर दिया: "तो पूछ!" तब पतरस ने पूछा: "क्या व्यवस्था के युग में किया गया कार्य तेरा कार्य था?" यीशु मुस्कुराया, मानो कि कह रहा हो, "यह बच्चा, कितना भोला है!" फिर वह सोद्देश्य बोला: "वह मेरा नहीं था, वह यहोवा और मूसा का कार्य था।" पतरस ने यह सुना और चिल्लायाः "ओह! तो यह तेरा कार्य नहीं था।" एक बार जब पतरस ने यह कह दिया, तो यीशु और नहीं बोला। पतरस ने स्वयं में सोचाः "यह तू नहीं था जिसने यह किया, तो कोई आश्चर्य नहीं कि तू व्यवस्था को नष्ट करने आया है, क्योंकि यह तेरा कार्य नहीं था।" उसका हृदय भी हल्का हो गया था। बाद में, यीशु ने महसूस किया कि पतरस बहुत निष्कपट है, किन्तु क्योंकि उस समय उसके पास कोई अंतर्दृष्टि नहीं थी, इसलिए यीशु ने और कुछ नहीं कहा या सीधे-सीधे उसका खण्डन नहीं किया। एक बार यीशु ने एक आराधनालय में धर्मोपदेश दिया, जहाँ पतरस सहित कई लोग उपस्थित थे। अपने धर्मोपदेश में, यीशु ने कहाः "एक जो अनन्त से अनन्त तक आएगा वही समस्त मानवजाति को पाप से छुटकारा देने के लिए, अनुग्रह के युग में छुटकारे का कार्य करेगा, किन्तु मनुष्य को पाप से बाहर लाने में वह किसी नियम से बँधा नहीं होगा। वह व्यवस्था से बाहर चलेगा और अनुग्रह के युग में प्रवेश करेगा। वह सम्पूर्ण मानवजाति को छुटकारा देगा। वह व्यवस्था के युग से अनुग्रह के युग में आगे बढ़ेगा, फिर भी कोई उसे नहीं जानेगा, उसे जो यहोवा से आता है। जो कार्य मूसा ने किया वह यहोवा द्वारा प्रदान किया गया; यहोवा ने जो कार्य किया था उसके कारण मूसा ने व्यवस्था का प्रारूप बनाया।" एक बार यह कहने के बाद, उसने कहना जारी रखा: "जो लोग अनुग्रह के युग के दौरान अनुग्रह के युग के आदेशों को समाप्त करेंगे उन्हें आपदा मिलेगी। उन्हें मंदिर में खड़े होकर परमेश्वर द्वारा विनाश को प्राप्त करना होगा, और उन पर आग गिरेगी।" यह सब सुनना समाप्त करने के बाद पतरस के अंदर कुछ प्रतिक्रिया हुई। अपने अनुभव के समय में, यीशु ने पतरस की चरवाही की और उसे सम्भाला, उसके साथ आत्मीयता से बातचीत की, जिससे पतरस को यीशु के बारे में थोड़ी बेहतर समझ प्राप्त हुई। जब पतरस ने यीशु के उस दिन के उपदेश के बारे में विचार किया, उसके बाद जब वे मछली पकड़ने वाली नाव में सवार थे तब उसने उससे जो प्रश्न पूछा था और यीशु ने जो उत्तर दिया था, और साथ ही जिस तरह से वह हँसा था, उसके बाद ही यह सब उसकी अब समझ में आया। बाद में पवित्र आत्मा ने पतरस को प्रबुद्ध किया, और केवल इसके माध्यम से ही उसकी समझ में आया कि यीशु जीवित परमेश्वर का पुत्र है। पवित्र आत्मा द्वारा प्रबुद्धता से पतरस की समझ विकसित हुई किन्तु उसकी समझ के लिए एक प्रक्रिया थी। यह प्रश्नों को पूछने, यीशु के उपदेश को सुनने से, उसके बाद यीशु की विशेष सहभागिता प्राप्त करने और उसकी विशेष चरवाही प्राप्त करने से विकसित हुई थी, जिससे पतरस को यह अनुभव हुआ कि यीशु जीवित परमेश्वर का पुत्र है। यह रातों-रात विकसित नहीं हुई थी; यह एक प्रक्रिया थी, और यह उसके बाद के अनुभवों में उसके लिए सहायक बनी। यीशु ने क्यों अन्य लोगों के जीवन में पूर्णता का कार्य नहीं किया, बल्कि केवल पतरस में ही किया? क्योंकि केवल पतरस ने ही समझा था कि यीशु जीवित परमेश्वर का पुत्र है, और अन्य कोई यह नहीं जानता था। यद्यपि कई शिष्य थे जो उसके अनुसरण के समय में काफी कुछ जानते थे, किन्तु उनका ज्ञान सतही था। इसी कारण पूर्ण बनाए जाने के एक उदाहरण के रूप में यीशु द्वारा पतरस को ही चुना गया था। तब यीशु ने पतरस से जो कहा वही आज वह उन लोगों से कहता है, जिनका ज्ञान और जीवन प्रवेश पतरस के स्तर तक अवश्य पहुँचना चाहिए। इसी अपेक्षा और इस मार्ग के अनुसार ही परमेश्वर हर एक को पूर्ण बनाएगा। आज लोगों से क्यों वास्तविक विश्वास और सच्चे प्रेम की अपेक्षा की जाती है? पतरस ने जो अनुभव किया है वह तुम लोगों को भी अनुभव अवश्य करना चाहिए, पतरस ने अपने अनुभवों से जो फल प्राप्त किए वे तुम लोगों में भी अभिव्यक्त अवश्य होने चाहिए, और पतरस ने जो पीड़ा सही उससे तुम लोगों को भी अवश्य गुज़रना चाहिए। जिस मार्ग पर तुम लोग चलते हो उसी मार्ग पर पतरस भी चला। जिस पीड़ा को तुम लोग सहते हो वही पीड़ा पतरस ने सही। जब तुम लोग महिमा को प्राप्त करते हो और जब तुम लोग वास्तविक जीवन व्यतीत करते हो, तब तुम लोग पतरस की छवि को जीते हो। मार्ग वही है, और इसी के अनुसार किसी को पूर्ण बनाया जाता है। हालाँकि, तुम लोगों की क्षमता में पतरस की क्षमता की अपेक्षा कुछ कमी है, क्योंकि समय बदल गया है, और इसीलिए भ्रष्टता की सीमा भी बदल गयी है। और यहूदिया के लिए भी एक प्राचीन सभ्यता के साथ लम्बे समय का राज्य था। इसलिए तुम लोगों को अपनी क्षमता को बढ़ाने का प्रयास अवश्य करना चाहिए।

 

पतरस एक बहुत ही समझदार व्यक्ति था, उसने जो कुछ किया उसमें वह दक्ष, और अत्यधिक ईमानदार भी था। वह कई असफलताओं से पीड़ित रहा। वह 14 वर्ष की उम्र में समाज के सम्पर्क में आया, जब वह स्कूल जाता था तो प्रायः आराधनालय में भी जाता था। उसमें अत्यधिक उत्साह था और सभाओं में उपस्थित होने के लिए हमेशा इच्छुक रहता था। उस समय तक यीशु ने अपना कार्य आधिकारिक रूप से आरम्भ नहीं किया था; यह अनुग्रह काल का मात्र आरम्भ ही था। जब पतरस 14 वर्ष का था तो वह धार्मिक लोगों के सम्पर्क में आने लगा था; जब वह 18 वर्ष का हुआ तो वह धार्मिक कुलीन लोगों के सम्पर्क में आ गया, किन्तु जब उसने पर्दे के पीछे की धार्मिक अराजकता को देखा, तो उसने छोड़ दिया। यह देख कर कि ये लोग कितने चालाक, धूर्त और बैर में गढ़े हुए हैं, वह अत्यंत निराश हो गया (उसे पूर्ण बनाने के लिए, उस समय पवित्र आत्मा ने इसी तरह से कार्य किया था। उसने विशेष रूप से उसे द्रवित किया और उसमें कुछ विशेष कार्य किया), और इसलिए वह 18 वर्ष की उम्र में आराधनालय से हट गया। उसके माता-पिता उसे सताते थे और उसे आस्था रखने से रोकते थे। (वे शैतान के संबंधी थे, और उनमें कोई आस्था नहीं थी)। अंततः, पतरस ने घर छोड़ दिया और इच्छानुसार यात्रा की, दो साल तक मछली पकड़ी और उपदेश दिया, जिस दौरान उसने कुछ ईमानदार लोगों की अगुवाई की। अब तुम्हें उस मार्ग को स्पष्ट रूप से देखने में समर्थ हो जाना चाहिए जो पतरस द्वारा लिया गया था। यदि तुमने इसे स्पष्ट रूप से से देख लिया, तो तुम उस कार्य के बारे में निश्चित होगे जो आज किया जा रहा है, इसलिए तुम शिकायत नहीं करोगे या निष्क्रिय नहीं होगे, या किसी भी चीज़ की लालसा नहीं करोगे। तुम्हें पतरस की उस समय की मनोदशा का अनुभव करना चाहिएः वह दुख से व्यथित था; उसने किसी भविष्य या किसी आशीष के लिए अब और नहीं कहा था। उसने संसारी लाभ, प्रसन्नता, प्रसिद्धि या धन-दौलत की कामना नहीं की, और केवल एक अर्थपूर्ण जीवन जीना चाहा, जो कि परमेश्वर के प्रेम को चुकाने और परमेश्वर के प्रति अपने सबसे बहुमूल्य को समर्पित करने के लिए था। तब वह अपने हृदय में संतुष्ट हो होगा। उसने प्रायः इन शब्दों के साथ परमेश्वर से प्रार्थना कीः "प्रभु यीशु मसीह, मैंने एक बार तुझे प्रेम किया, किन्तु मैंने तुझे वास्तव में प्रेम नहीं किया था। यद्यपि मैंने कहा था कि तुझ पर मेरा विश्वास है, किन्तु मैंने तुझे कभी भी एक सच्चे हृदय से प्रेम नहीं किया। मैंने केवल तेरी ओर देखा, तेरी सराहना की, और तुझे याद किया, किन्तु कभी भी तुझे प्रेम नहीं किया या तुझ पर वास्तव में विश्वास नहीं किया।" वह हमेशा इस प्रकार का संकल्प करने के लिए प्रार्थना करता था, वह यीशु के वचनों के द्वारा निरंतर प्रोत्साहित होता था और उन्हें प्रेरणा में बदलता था। बाद में, एक अवधि तक अनुभव करने के बाद, यीशु ने, अपने लिए उसमें और अधिक तड़प पैदा करते हुए, उसकी परीक्षा ली। उसने कहाः "प्रभु यीशु मसीह! मैं तुझे कितना याद करता हूँ, तुझे देखने के लिए कितना लालायित रहता हूँ। मुझमें बहुत कमी है, और तेरे प्रेम को पूरा नहीं कर सकता हूँ। मैं तुझसे प्रार्थना करता हूँ कि मुझे शीघ्र ही ले जा। तुझे मेरी कब आवश्यकता होगी? तू मुझे कब ले जाएगा? मैं कब एक बार फिर से तेरा चेहरा देखूँगा? मैं, भ्रष्ट होते रहने के लिए, इस शरीर में अब और नहीं जीना चाहता हूँ, और न ही अब और विद्रोह करना चाहता हूँ। मेरे पास जो कुछ भी है वह मैं जितना शीघ्र कर सकता हूँ तुझे समर्पित करने के लिए तैयार हूँ, और अब मैं तुझे और उदास नहीं करना चाहता हूँ।" इस तरह से उसने प्रार्थना की, किन्तु उस समय उसे नहीं पता था कि यीशु उसमें क्या पूर्ण बनाएगा। अपनी परीक्षा की पीड़ा के दौरान, यीशु पुनः उसके सामने प्रकट हुआ और उसने कहाः "पतरस, मैं तुझे पूर्ण बनाना चाहता हूँ, इतना कि तू फल का एक टुकड़ा बन जाए, एक ऐसा जो मेरे द्वारा तेरी पूर्णता का ठोस रूप हो, और जिसका मैं आनन्द लूँगा। क्या तू वास्तव में मेरे लिए गवाही दे सकता है? क्या तूने वह किया जो मैं तुझे करने के लिए कहता हूँ? क्या मेरे कहे वचनों को तूने जीया है? तूने एक बार मुझे प्रेम किया, किन्तु यद्यपि तूने मुझे प्रेम किया, क्या तूने मुझे जिया है? तूने मेरे लिए क्या किया है? तू महसूस करता है कि तू मेरे प्रेम के अयोग्य है, किन्तु तूने मेरे लिए क्या किया है?" पतरस ने देखा कि उसने यीशु के लिए कुछ नहीं किया था और परमेश्वर के लिए अपना जीवन देने का पिछला वादा स्मरण किया। और इसलिए, उसने अब और शिकायत नहीं की, और उसकी प्रार्थनाएँ बाद में और बेहतर हो गईं। उसने यह कहते हुए प्रार्थना कीः "प्रभु यीशु मसीह! एक बार मैंने तुझे छोड़ा था, और एक बार तूने भी मुझे छोड़ा था। हमने अलग होकर, और साहचर्य में एक साथ समय बिताया। फिर भी तू मुझे अन्य सभी की अपेक्षा सबसे ज्यादा प्रेम करता है। मैंने बार-बार तेरे विरुद्ध विद्रोह किया और तुझे बार-बार दुःखी किया। ऐसी बातों को मैं कैसे भूल सकता हूँ? जो कार्य तूने मुझमें किया है और जो कुछ तूने मुझे सौंपा है मैं उसे हमेशा मन में रखता हूँ, मैं कभी नहीं भूलता हूँ। जो कार्य तूने मुझमें किया है उसके साथ मैंने अपना सर्वोत्तम प्रयास किया है। तू जानता है कि मैं क्या कर सकता हूँ, और तू यह भी जानता है कि मैं क्या भूमिका निभा सकता हूँ। तेरी इच्छा मेरे लिए आदेश है और मेरे पास जो कुछ भी है वह सब मैं तेरे प्रति समर्पित कर दूँगा। केवल तू ही जानता है कि मैं तेरे लिए क्या कर सकता हूँ। यद्यपि शैतान ने मुझे बहुत अधिक मूर्ख बनाया और मैंने तेरे विरूद्ध विद्रोह किया, किन्तु मुझे विश्वास है कि तू मुझे उन अपराधों के लिए स्मरण नहीं करेगा, कि तू मेरे साथ उनके आधार पर व्यवहार नहीं करेगा। मैं अपना सम्पूर्ण जीवन तुझे समर्पित करना चाहता हूँ। मैं कुछ नहीं माँगता हूँ, और न ही मेरी अन्य आशाएँ या योजनाएँ हैं; मैं केवल तेरे इरादे के अनुसार कार्य करना चाहता हूँ और तेरी इच्छा को पूरा करना चाहता हूँ। मैं तेरे कड़वे कटोरे में से पीऊँगा और मैं तेरे आदेशों के लिए हूँ।"

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स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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उस समय के दौरान जो पतरस ने यीशु के साथ बिताया, उसने यीशु में अनेक प्यारे अभिलक्षणों, अनेक अनुकरणीय पहलुओं, और अनेक ऐसी चीजों को देखा जिन्होंने उसे आपूर्ति की। यद्यपि पतरस ने कई तरीकों से यीशु में परमेश्वर के अस्तित्व को देखा, और कई प्यारे गुण देखे, किन्तु पहले वह यीशु को नहीं जानता था। पतरस जब 20 वर्ष का था तब उसने यीशु का अनुसरण करना आरम्भ किया, और छः वर्ष तक वह ऐसा करता रहा। उस समय के दौरान, उसे यीशु के बारे में कभी भी पता नहीं चला, किन्तु वह केवल उसके प्रति आदर और प्रशंसा के भाव के कारण उसका अनुसरण करने को तैयार रहता था। जब यीशु ने गलील के तट पर उसे पहली बार बुलाया, तो उसने पूछाः "शमौन, योना के पुत्र, क्या तू मेरा अनुसरण करेगा?" पतरस ने कहा: "मुझे उसका अनुसरण अवश्य करना चाहिए जिसे स्वर्गिक पिता द्वारा भेजा जाता है। मुझे उसे अवश्य अभिस्वीकृत करना चाहिए जिसे पवित्र आत्मा के द्वारा चुना जाता है। मैं तेरा अनुसरण करूँगा।" उस समय, पतरस ने यीशु नाम के महानतम नबी, परमेश्वर के प्रिय पुत्र के बारे में सुना था, और पतरस उसे खोजने की निरंतर आशा कर रहा था, उसे देखने के अवसर की आशा कर रहा था (क्योंकि तब इसी तरह से पवित्र आत्मा के द्वारा उसकी अगुवाई की गई थी)। यद्यपि उसने उसे कभी भी नहीं देखा था और केवल उसके बारे में अफ़वाहें ही सुनी थी, किन्तु धीरे-धीरे उसके हृदय में यीशु के लिए लालसा और श्रद्धा पनप गई, और वह किसी दिन यीशु को देखने के लिए अक्सर लालायित रहता था। और यीशु ने पतरस को कैसे बुलाया? उसने भी पतरस नाम के व्यक्ति के बारे में सुना था, और ऐसा नहीं था कि उसे पवित्र आत्मा ने निर्देशित किया थाः "गलील की झील के पास जाओ, जहाँ शमौन नाम का योना का पुत्र है।" यीशु ने किसी को यह कहते सुना कि वहाँ पर शमौन नाम का योना का पुत्र है और यह कि लोगों ने उसका धर्मोपदेश सुना है, यह कि उसने भी स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार सुनाया, और यह कि जिन लोगों ने भी उसे सुना वे सभी खुशी से रो पड़े। इसे सुनने के बाद, यीशु उस व्यक्ति के पीछे गया, और गलील की झील तक गया; जब पतरस ने यीशु के बुलावे को स्वीकार किया, तब उसने उसका अनुसरण किया।

 

यीशु का अनुसरण करने के दौरान, उसके बारे में उसके कई अभिमत थे और वह अपने परिप्रेक्ष्य से आँकलन करता था। यद्यपि पवित्रात्मा के बारे में उसकी एक निश्चित अंश में समझ थी, तब भी पतरस बहुत प्रबुद्ध नहीं था, इसलिए वह अपनी बातों में कहता हैः "मुझे उसका अवश्य अनुसरण करना चाहिए जिसे स्वर्गिक पिता द्वारा भेजा जाता है। मुझे उसे अवश्य अभिस्वीकृत करना चाहिए जो पवित्र आत्मा के द्वारा चुना जाता है। मैं तेरा अनुसरण करूँगा।" उसने यीशु के द्वारा किये गए कामों को नहीं समझा और उसमें इनके बारे में स्पष्टता का अभाव था। कुछ समय तक उसका अनुसरण करने के बाद उसकी उसके द्वारा किये गए कामों और उसके द्वारा कही गई बातों में और यीशु में रुचि बढ़ी। उसे महसूस होने लगा कि यीशु ने अनुराग और सम्मान दोनों प्रेरित किए; वह उसके साथ सम्बद्ध होना और उसके साथ ठहरना पसंद करता था, और यीशु के वचनों को सुनना उसे आपूर्ति और सहायता प्रदान करते थे। यीशु का अनुसरण करने के दौरान, पतरस ने उसके जीवन के बारे में हर चीज़ का अवलोकन किया और उसे हृदय से लगाया: उसके कार्यों को, वचनों को, गतिविधियों को, और अभिव्यक्तियों को। उसने एक गहरी समझ प्राप्त की कि यीशु साधारण मनुष्य जैसा नहीं है। यद्यपि उसका मानवीय प्रकटन अत्यधिक साधारण था, वह मनुष्यों के लिए प्रेम, अनुकम्पा और सहिष्णुता से भरा हुआ था। उसने जो कुछ भी किया या कहा वह दूसरों के लिए बहुत मददगार था, और उसके साथ रहते हुए पतरस ने उन चीज़ों को देखा और सीखा जिन्हें उसने पहले कभी देखा या सीखा नहीं था। उसने देखा कि यद्यपि यीशु की न तो कोई भव्य कद-काठी है न ही असाधारण मानवता है, किन्तु उसका हाव-भाव सच में असाधारण और असामान्य था। यद्यपि पतरस इसे पूरी तरह से नहीं समझ सका था, लेकिन वह देख सकता था कि यीशु बाकी सब से भिन्न कार्य करता है, क्योंकि उसके काम करने का तरीका किसी साधारण मनुष्य द्वारा किए गए कामों के तरीकों से कहीं अधिक भिन्न था। यीशु के साथ सम्पर्क के दौरान, पतरस ने यह भी महसूस किया कि उसका चरित्र किसी भी साधारण मनुष्य से भिन्न था। उसने हमेशा स्थिरता से कार्य किया, और कभी भी जल्दबाजी नहीं की, किसी भी विषय को बढ़ा-चढ़ा कर नहीं बताया, न ही कम करके आँका, और अपने जीवन को इस तरह से संचालित किया जिससे ऐसा चरित्र उजागर हुआ जो सामान्य और सराहनीय दोनों था। बातचीत में, यीशु शिष्ट, आकर्षक, स्पष्ट और हँसमुख मगर शान्त था, और अपने कार्य के निष्पादन में कभी भी गरिमा नहीं खोता था। पतरस ने देखा कि यीशु कभी-कभी अल्प-भाषी रहता था, जबकि किसी अन्य समय में लगातार बात करता था। कई बार वह इतना प्रसन्न होता था कि वह कबूतर की तरह चपल और उल्लसित बन जाता था, और कभी-कभी इतना दुःखी होता था कि वह बिल्कुल भी बात नहीं करता था, मानो दुख के बोझ से लदी और बेहद थकी कोई माँ हो। कई बार वह क्रोध से भरा होता था, जैसे कि कोई बहादुर सैनिक शत्रुओं को मारने के लिए मुस्तैद हो, और कई बार तो एक गरजने वाले सिंह की तरह होता था। कभी-कभी वह हँसता था; फिर कभी वह प्रार्थना करता और रोता था। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि यीशु का आचरण कैसा था, पतरस का उसके प्रति प्रेम और आदर असीमित रूप से बढ़ता गया। यीशु की हँसी उसे खुशी से भर देती थी, उसका दुःख उसे दुःख में डुबा देता था, उसका क्रोध उसे डरा देता था, जबकि उसकी दया, क्षमा, और लोगों से उसकी सख्त अपेक्षा, उसके भीतर एक सच्ची श्रद्धा और लालसा को बढ़ाते हुए, उसे यीशु से सच्चा प्यार करवाने लगते थे। निस्संदेह, पतरस को इस सब का एहसास धीरे-धीरे तब हुआ जब एक बार वह कुछ वर्षों तक यीशु के साथ रह लिया था।

 

पतरस, प्राकृतिक समझ के साथ पैदा हुआ, विशेष रूप से एक समझदार व्यक्ति था, फिर भी यीशु का अनुसरण करते समय उसने कई प्रकार के मूर्खतापूर्ण काम किये। आरम्भ में, यीशु के बारे में उसकी कुछ अवधारणाएँ थी। उसने पूछाः "लोग कहते हैं कि तू एक नबी है, इसलिए जब तू आठ साल का और चीज़ों को समझने के लिए पर्याप्त उम्र का था, तब क्या तुझे पता था कि तू परमेश्वर है? क्या तुझे पता था कि तुझे पवित्र आत्मा द्वारा गर्भ में धारण किया गया था?" यीशु ने उत्तर दियाः "नहीं, मैं नहीं जानता था। क्या मैं तुझे एक साधारण व्यक्ति के समान नहीं लगता हूँ? मैं अन्य लोगों के जैसा ही हूँ। जिस व्यक्ति को परमपिता भेजता है वह एक सामान्य व्यक्ति होता है, न कि एक असाधारण व्यक्ति। और यद्यपि जो काम मैं करता हूँ वह मेरे स्वर्गिक पिता का प्रतिनिधित्व करता है, किन्तु मेरी छवि, मेरा व्यक्तित्व, और मेरी देह, स्वर्गिक पिता को पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर सकती हैं, केवल उसका एक भाग ही व्यक्त कर सकती हैं। यद्यपि मैं पवित्रात्मा से आया, किन्तु मैं तब भी एक सामान्य व्यक्ति हूँ, और मेरे परमपिता ने मुझे एक साधारण व्यक्ति के रूप में इस धरती पर भेजा है, न कि एक असाधारण व्यक्ति के रूप में।" जब पतरस ने यह सुना केवल तभी उसे यीशु के बारे में एक थोड़ी समझ प्राप्त हुई। यीशु के कार्य के, अनगिनत घंटों की उसकी शिक्षा को देखने, उसकी चरवाही, उसके पोषण के बाद ही उसे अधिक गहरी समझ प्राप्त हुई। अपने 30वें साल में, यीशु ने पतरस को अपने आगामी क्रूसीकरण के बारे में बताया और बताया कि वो काम के एक चरण को अंजाम देने आया था, यह कि वह समस्त मानवजाति के छुटकारे के लिए क्रूसीकरण के कार्य को करने आया है। उसने उसे यह भी बताया कि सलीब पर चढ़ाए जाने के तीन दिन बाद, मनुष्य का पुत्र फिर से जी उठेगा, और उठ जाने पर 40 दिन तक वह लोगों को दिखाई देगा। इन वचनों को सुनकर पतरस दुःखी था और उसने इन वचनों को हृदय से लगा लिया; तब से वह यीशु के और भी करीब हो गया। कुछ समय तक अनुभव करने के बाद, पतरस को पता चला कि यीशु ने जो किया वह सब कुछ परमेश्वर की ओर से था, और उसे यह लगा कि यीशु असाधारण रूप से प्यारा है। जब उसमें यह समझ आ गई केवल तभी पवित्र आत्मा ने उसे अंदर से प्रबुद्ध किया। तब यीशु अपने शिष्यों और अन्य अनुयायियों की ओर मुड़ा और पूछाः "यूहन्ना, तू बता मैं कौन हूँ?" उसने उत्तर दियाः "तू मूसा है।" फिर वह लूका की ओर मुड़ाः "और, लूका, तू क्या कहता है कि मैं कौन हूँ?" लूका ने उत्तर दियाः "तू नबियों में सबसे महान है।" फिर उसने एक बहन से पूछा और उस बहन ने उत्तर दियाः "तू नबियों में सबसे महान है जो अनन्त से अनन्त तक अनेक वचन कहता है। तेरी भविष्यवाणियों से बढ़कर और किसी की भविष्यवाणियाँ नहीं हैं, न ही किसी का ज्ञान तुझसे ज़्यादा है; तू एक नबियों है।" फिर यीशु पतरस की ओर मुड़ा और पूछाः "पतरस, तू बता मैं कौन हूँ?" पतरस ने उत्तर दियाः "तू, जीवित परमेश्वर का पुत्र, मसीह है। तू स्वर्ग से आया है, तू पृथ्वी का नहीं है, तू परमेश्वर के सृजनों के समान नहीं है। हम पृथ्वी पर हैं और तू हमारे साथ यहाँ है, किन्तु तू स्वर्ग का है। तू इस संसार का नहीं है, और तू इस पृथ्वी पर का नहीं है।" यह उसके अनुभव के माध्यम से था कि पवित्र आत्मा ने उसे प्रबुद्ध किया, जिसने उसे इस समझ को प्राप्त करने में समर्थ बनाया। इस प्रबुद्धता के बाद, उसने यीशु के द्वारा किए गए सभी कार्यों की और भी अधिक सराहना की, उसे और भी अधिक प्यारे के रूप में विचार किया, और कभी भी यीशु से अलग नहीं होना चाहता था। इसलिए, सलीब पर चढ़ाए जाने और पुनर्जीवित होने के बाद जब यीशु ने अपने आप को सबसे पहले पतरस पर प्रकट किया तो पतरस असाधारण प्रसन्नता से चिल्ला उठाः "प्रभु, तू उठ गया!" उसके बाद रोते हुए, उसने एक बहुत बड़ी मछली को पकड़ा और उसे पकाया और यीशु के सामने परोसा। यीशु मुस्कुराया, किन्तु कुछ नहीं बोला। यद्यपि पतरस जानता था कि यीशु पुनर्जीवित हो गया है, किन्तु इसका रहस्य उसकी समझ में नहीं आया। जब उसने यीशु को मछली खाने के लिए दी, तो यीशु ने उसे मना नहीं किया मगर बात नहीं की, न ही खाने के लिए बैठा, बल्कि अचानक ग़ायब हो गया। यह पतरस के लिए बहुत बड़ा झटका था और केवल तभी उसकी समझ में आया कि पुनर्जीवित यीशु पहले वाले यीशु से भिन्न है। यह जान लेने के बाद पतरस दुःखी हो गया, किन्तु उसे यह जानकर सांत्वना भी मिली कि प्रभु ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। वह जानता था कि यीशु ने अपना कार्य पूरा कर लिया है, उसका मनुष्यों के साथ रहने का समय समाप्त हो गया है, और कि इसके बाद से मनुष्य को स्वयं ही अपने मार्ग चलना होगा। यीशु ने एक बार उसे कहा थाः "तुझे भी उस कड़वे प्याले से अवश्य पीना चाहिए जिससे मैंने पीया है (उसने पुनरुत्थान के बाद यही कहा था), तुझे भी उस मार्ग पर चलना होगा जिस पर मैं चला हूँ, तुझे मेरे लिए अपना जीवन त्यागना होगा।" अब के विपरीत, उस समय तक कार्य ने आमने-सामने के वार्तालाप का रूप नहीं लिया था। अनुग्रह के युग के दौरान, पवित्र आत्मा का कार्य बहुत अधिक छिपा हुआ था, और पतरस ने बहुत मुश्किलें सहीं थीं और कभी-कभी तो चिल्ला कर यह कहता: "परमेश्वर! मेरे पास इस जीवन के अलावा और कुछ नहीं है। यद्यपि तेरे लिए इसका अधिक महत्व नहीं है, फिर भी मैं इसे तुझे समर्पित करना चाहता हूँ। यद्यपि मनुष्य तुझे प्रेम करने के योग्य नहीं हैं, और उनका प्रेम और हृदय बेकार हैं, तब भी मुझे विश्वास है कि तू मनुष्यों के हृदय के मनोरथों को जानता है। भले ही मनुष्य के शरीर तेरी स्वीकृति को प्राप्त नहीं करते हैं, फिर भी मैं चाहता हूँ कि तू मेरे हृदय को स्वीकार कर ले।" इन प्रार्थनाओं को करने पर उसे उत्साह मिलता, खासतौर पर जब वह प्रार्थना करता था: "मैं अपने हृदय को पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित करने को तैयार हूँ। भले ही मैं परमेश्वर के लिए कुछ करने में असमर्थ हूँ, फिर भी मैं परमेश्वर को ईमानदारी से संतुष्ट करने और अपने आप को पूरे हृदय से उसके प्रति समर्पित करने के लिए तैयार हूँ। मुझे विश्वास है कि परमेश्वर अवश्य मेरे हृदय को देखता है।" उसने कहाः "मैं अपने जीवन में कुछ नहीं माँगता हूँ किन्तु माँगता हूँ कि परमेश्वर के प्रेम के लिए मेरे विचार और मेरे हृदय की अभिलाषा परमेश्वर के द्वारा स्वीकार की जाए। मैं काफी समय तक प्रभु यीशु के साथ था, फिर भी मैंने उसे कभी भी प्रेम नहीं किया, यह मेरा सबसे बड़ा कर्ज़ है। यद्यपि मैं उसके साथ रहा, फिर भी मैंने उसे नहीं जाना, यहाँ तक कि उसकी पीठ पीछे कुछ अनुचित बातें भी कही। ये बातें सोचकर मैं प्रभु यीशु के प्रति अपने आप को और भी अधिक ऋणी समझता हूँ।" उसने हमेशा इसी तरह से प्रार्थना की। उसने कहा: "मैं धूल से भी कम हूँ। मैं अपने समर्पित हृदय को परमेश्वर को सौंपने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता हूँ।"

 

पतरस के अनुभवों में एक पराकाष्ठा थी, जब उसका शरीर लगभग पूरी तरह से टूट गया था, किन्तु यीशु ने उसे प्रोत्साहन दिया। और वह उसके सामने एक बार प्रकट हुआ। जब पतरस अत्यधिक पीड़ा में था और महसूस करता था कि उसका हृदय टूट गया है, तो यीशु ने उसे निर्देश दिया: "तू पृथ्वी पर मेरे साथ था, और मैं यहाँ तेरे साथ था। यद्यपि पहले हम स्वर्ग में एक साथ थे, यह सब कुछ आध्यात्मिक संसार के बारे में है। अब मैं आध्यात्मिक संसार में लौट आया हूँ, परन्तु तू पृथ्वी पर है। क्योंकि मैं पृथ्वी का नहीं हूँ, और यद्यपि तू भी पृथ्वी का नहीं है, किन्तु तुझे पृथ्वी पर अपना कार्य पूरा करना होगा। क्योंकि तू एक सेवक है, इसलिए तुझे अपना कर्तव्य अपनी पूरी योग्यता से निभाना होगा।" पतरस को यह सुनकर सांत्वना मिली कि वह परमेश्वर की ओर लौट सकता है। जब पतरस ऐसी पीड़ा में था कि वह लगभग बिस्तर पर पड़ा था, तो उसने पछतावा किया और यहाँ तक कहा: "मैं बहुत भ्रष्ट हूँ, मैं परमेश्वर को संतुष्ट करने में असमर्थ हूँ।" यीशु ने उसके सामने प्रकट होकर कहा: "पतरस, कहीं ऐसा तो नहीं कि तू उस संकल्प को भूल गया जो तूने एक बार मेरे सामने लिया था? क्या तू वास्तव में वह सब कुछ भूल गया जो मैंने कहा था? क्या तू उस संकल्प को भूल गया है जो तूने मुझसे किया था?" पतरस ने देखा कि यह यीशु है और वह बिस्तर से उठ गया, और यीशु ने उसे सांत्वना दी: "मैं पृथ्वी का नहीं हूँ, मैं तुझे पहले ही कह चुका हूँ—यह तुझे समझ जाना चाहिए, किन्तु क्या तू कोई और बात भी भूल गया जो मैंने तुझसे कही थी? 'तू भी पृथ्वी का नहीं है, संसार का नहीं है।' अभी यहाँ पर जो कार्य है उसे तुझे करना है, तू इस तरह से दुःखी नहीं हो सकता है, तू इस तरह से पीड़ित नहीं हो सकता है। हालाँकि मनुष्य और परमेश्वर एक ही संसार में एक साथ नहीं रह सकते हैं, मेरे पास मेरा कार्य है और तेरे पास तेरा कार्य है, और एक दिन जब तेरा कार्य समाप्त हो जाएगा, तो हम दोनों एक क्षेत्र में एक साथ रहेंगे, और मैं हमेशा मेरे साथ रहने के लिए तेरी अगुवाई करूँगा।" इन वचनों को सुनने के बाद पतरस को सांत्वना मिली और वह आश्वस्त हुआ। वह जानता था कि यह पीड़ा कुछ ऐसी थी जो उसे सहन और अनुभव करनी ही थी, और वह तब से प्रेरित था। यीशु हर महत्वपूर्ण क्षण में उसके सामने प्रकट हुआ, उसे विशेष प्रबुद्धता और मार्गदर्शन दिया, और उसमें अत्यधिक कार्य किया। और पतरस ने सबसे अधिक किस बात का पछतावा किया? पतरस के यह कहने के तुरंत बाद कि "तू जीवित परमेश्वर का पुत्र है", यीशु ने पतरस से एक और प्रश्न पूछा (यद्यपि यह बाइबल में इस प्रकार से दर्ज नहीं है), और वह प्रश्न यह था: "पतरस! क्या तूने कभी मुझे प्रेम किया है?" पतरस समझ गया कि क्या अभिप्राय है और, उसने कहाः "प्रभु! मैंने एक बार स्वर्गिक पिता से प्रेम किया था, किन्तु मैं स्वीकार करता हूँ कि मैंने तुझे कभी भी प्रेम नहीं किया।" फिर यीशु ने कहा, "यदि लोग स्वर्गिक परमेश्वर से प्रेम नहीं करते हैं, तो वे पृथ्वी पर पुत्र को कैसे प्रेम कर सकते हैं? यदि लोग परमपिता परमेश्वर द्वारा भेजे गए पुत्र को प्रेम नहीं करते हैं, तो वे स्वर्गिक पिता से कैसे प्रेम कर सकते हैं? यदि लोग वास्तव में पृथ्वी पर पुत्र से प्रेम करते हैं, तो फिर वे स्वर्गिक पिता को भी वास्तव में प्रेम करते हैं।" जब पतरस ने इन वचनों को सुना तो उसने अपनी कमी को महसूस किया। उसे अपने वचनों पर हमेशा इतना पछतावा महसूस होता था कि उसकी आँखों में आँसू आ जाते थे। "मैंने एक बार स्वर्गिक पिता से प्रेम किया, किन्तु मैंने तेरे से कभी भी प्रेम नहीं किया है।" यीशु के पुनर्जीवन और स्वर्गारोहण के बाद उसने उन पर और भी अधिक पछतावा और दुःख महसूस किया। अपने अतीत के कार्यों को, अपनी वर्तमान कद-काठी को याद कर, वह प्रार्थना करने के लिए प्रायः यीशु के पास आता, परमेश्वर की इच्छा को संतुष्ट न कर पाने और परमेश्वर के मानकों पर खरा न उतर पाने के कारण हमेशा पछतावा और आभार महसूस करता। ये मामले उसका सबसे बड़ा बोझ बन गए। उसने कहा, "एक दिन मैं तुझे वह सब अर्पित कर दूँगा जो मेरे पास है और सब कुछ जो मैं हूँ, मैं तुझे वह दूँगा जो सबसे अधिक मूल्यवान है।" उसने कहा, "परमेश्वर! मेरे पास केवल एक ही विश्वास और केवल एक ही प्रेम है। मेरे जीवन का कुछ भी मूल्य नहीं है, और मेरे शरीर का कुछ भी मूल्य नहीं है। मेरे पास केवल एक ही विश्वास और केवल एक ही प्रेम है। मेरे मन में तेरे लिए विश्वास है और हृदय में तेरे लिए प्रेम है; ये ही दो चीज़ें मेरे पास तुझे देने के लिए हैं, इसके अलावा और कुछ नहीं है।" पतरस यीशु के वचनों से बहुत प्रोत्साहित हुआ, क्योंकि यीशु के क्रूसीकरण से पहले उसने उससे कहा थाः "मैं इस संसार का नहीं हूँ, और तू भी इस संसार का नहीं है।" बाद में, जब पतरस एक अत्यधिक पीड़ा वाली स्थिति तक पहुँचा, तो यीशु ने उसे स्मरण दिलायाः "पतरस, क्या तू भूल गया है? मैं इस संसार का नहीं हूँ, और मैं सिर्फ अपने कार्य के लिए ही पहले चला गया। तू भी इस संसार का नहीं है, क्या तू भूल गया है? मैंने तुझे दो बार बताया है, क्या तुझे याद नहीं है?" पतरस ने उसे सुना और कहाः "मैं नहीं भूला हूँ!" तब यीशु ने कहाः "तूने एक बार मेरे साथ स्वर्ग में एक खुशहाल समय और मेरे बगल में एक समयावधि बितायी था। तू मुझे याद करता है और मैं तुझे याद करता हूँ। यद्यपि प्राणी मेरी दृष्टि में उल्लेख किए जाने के योग्य नहीं हैं, फिर भी मैं किसी निर्दोष और प्यार करने योग्य प्राणी को कैसे प्रेम न करूँ? क्या तू मेरी प्रतिज्ञा को भूल गया है? तुझे धरती पर मेरे आदेश को स्वीकार करना होगा; तुझे वह कार्य पूरा करना होगा जो मैंने तुझे सौंपा है। एक दिन मैं तुझे अपनी ओर करने के लिए निश्चित रूप से तेरी अगुवाई करूँगा" इसे सुनने के बाद, पतरस और भी अधिक उत्साहित हो गया तथा उसे और भी अधिक प्रेरणा मिली, इतनी कि जब वह सलीब पर था, तो वह यह कहने में समर्थ थाः "परमेश्वर! मैं तुझे बेहद प्यार करता हूँ! यहाँ तक कि यदि तू मुझे मरने के लिए कहे, तब भी मैं तुझे बेहद प्यार करता हूँ! तू जहाँ कहीं भी मेरी आत्मा को भेजे, चाहे तू अपनी पिछली प्रतिज्ञाओं को पूरा करे या न करे, इसके बाद तू चाहे जो कुछ भी करे, मैं तुझे प्यार करता हूँ और तुझ पर विश्वास करता हूँ।" उसने जो थामे रखा वह था उसका विश्वास और सच्चा प्रेम।

 

एक शाम, पतरस सहित कई अन्य चेले मछली पकड़ने वाली नाव में थे। वे सभी यीशु के साथ थे, और पतरस ने यीशु से एक बहुत ही निष्कपट प्रश्न पूछाः "प्रभु! काफी समय से मेरा एक प्रश्न है जो मैं तुझसे पूछना चाहूँगा।" यीशु ने उत्तर दिया: "तो पूछ!" तब पतरस ने पूछा: "क्या व्यवस्था के युग में किया गया कार्य तेरा कार्य था?" यीशु मुस्कुराया, मानो कि कह रहा हो, "यह बच्चा, कितना भोला है!" फिर वह सोद्देश्य बोला: "वह मेरा नहीं था, वह यहोवा और मूसा का कार्य था।" पतरस ने यह सुना और चिल्लायाः "ओह! तो यह तेरा कार्य नहीं था।" एक बार जब पतरस ने यह कह दिया, तो यीशु और नहीं बोला। पतरस ने स्वयं में सोचाः "यह तू नहीं था जिसने यह किया, तो कोई आश्चर्य नहीं कि तू व्यवस्था को नष्ट करने आया है, क्योंकि यह तेरा कार्य नहीं था।" उसका हृदय भी हल्का हो गया था। बाद में, यीशु ने महसूस किया कि पतरस बहुत निष्कपट है, किन्तु क्योंकि उस समय उसके पास कोई अंतर्दृष्टि नहीं थी, इसलिए यीशु ने और कुछ नहीं कहा या सीधे-सीधे उसका खण्डन नहीं किया। एक बार यीशु ने एक आराधनालय में धर्मोपदेश दिया, जहाँ पतरस सहित कई लोग उपस्थित थे। अपने धर्मोपदेश में, यीशु ने कहाः "एक जो अनन्त से अनन्त तक आएगा वही समस्त मानवजाति को पाप से छुटकारा देने के लिए, अनुग्रह के युग में छुटकारे का कार्य करेगा, किन्तु मनुष्य को पाप से बाहर लाने में वह किसी नियम से बँधा नहीं होगा। वह व्यवस्था से बाहर चलेगा और अनुग्रह के युग में प्रवेश करेगा। वह सम्पूर्ण मानवजाति को छुटकारा देगा। वह व्यवस्था के युग से अनुग्रह के युग में आगे बढ़ेगा, फिर भी कोई उसे नहीं जानेगा, उसे जो यहोवा से आता है। जो कार्य मूसा ने किया वह यहोवा द्वारा प्रदान किया गया; यहोवा ने जो कार्य किया था उसके कारण मूसा ने व्यवस्था का प्रारूप बनाया।" एक बार यह कहने के बाद, उसने कहना जारी रखा: "जो लोग अनुग्रह के युग के दौरान अनुग्रह के युग के आदेशों को समाप्त करेंगे उन्हें आपदा मिलेगी। उन्हें मंदिर में खड़े होकर परमेश्वर द्वारा विनाश को प्राप्त करना होगा, और उन पर आग गिरेगी।" यह सब सुनना समाप्त करने के बाद पतरस के अंदर कुछ प्रतिक्रिया हुई। अपने अनुभव के समय में, यीशु ने पतरस की चरवाही की और उसे सम्भाला, उसके साथ आत्मीयता से बातचीत की, जिससे पतरस को यीशु के बारे में थोड़ी बेहतर समझ प्राप्त हुई। जब पतरस ने यीशु के उस दिन के उपदेश के बारे में विचार किया, उसके बाद जब वे मछली पकड़ने वाली नाव में सवार थे तब उसने उससे जो प्रश्न पूछा था और यीशु ने जो उत्तर दिया था, और साथ ही जिस तरह से वह हँसा था, उसके बाद ही यह सब उसकी अब समझ में आया। बाद में पवित्र आत्मा ने पतरस को प्रबुद्ध किया, और केवल इसके माध्यम से ही उसकी समझ में आया कि यीशु जीवित परमेश्वर का पुत्र है। पवित्र आत्मा द्वारा प्रबुद्धता से पतरस की समझ विकसित हुई किन्तु उसकी समझ के लिए एक प्रक्रिया थी। यह प्रश्नों को पूछने, यीशु के उपदेश को सुनने से, उसके बाद यीशु की विशेष सहभागिता प्राप्त करने और उसकी विशेष चरवाही प्राप्त करने से विकसित हुई थी, जिससे पतरस को यह अनुभव हुआ कि यीशु जीवित परमेश्वर का पुत्र है। यह रातों-रात विकसित नहीं हुई थी; यह एक प्रक्रिया थी, और यह उसके बाद के अनुभवों में उसके लिए सहायक बनी। यीशु ने क्यों अन्य लोगों के जीवन में पूर्णता का कार्य नहीं किया, बल्कि केवल पतरस में ही किया? क्योंकि केवल पतरस ने ही समझा था कि यीशु जीवित परमेश्वर का पुत्र है, और अन्य कोई यह नहीं जानता था। यद्यपि कई शिष्य थे जो उसके अनुसरण के समय में काफी कुछ जानते थे, किन्तु उनका ज्ञान सतही था। इसी कारण पूर्ण बनाए जाने के एक उदाहरण के रूप में यीशु द्वारा पतरस को ही चुना गया था। तब यीशु ने पतरस से जो कहा वही आज वह उन लोगों से कहता है, जिनका ज्ञान और जीवन प्रवेश पतरस के स्तर तक अवश्य पहुँचना चाहिए। इसी अपेक्षा और इस मार्ग के अनुसार ही परमेश्वर हर एक को पूर्ण बनाएगा। आज लोगों से क्यों वास्तविक विश्वास और सच्चे प्रेम की अपेक्षा की जाती है? पतरस ने जो अनुभव किया है वह तुम लोगों को भी अनुभव अवश्य करना चाहिए, पतरस ने अपने अनुभवों से जो फल प्राप्त किए वे तुम लोगों में भी अभिव्यक्त अवश्य होने चाहिए, और पतरस ने जो पीड़ा सही उससे तुम लोगों को भी अवश्य गुज़रना चाहिए। जिस मार्ग पर तुम लोग चलते हो उसी मार्ग पर पतरस भी चला। जिस पीड़ा को तुम लोग सहते हो वही पीड़ा पतरस ने सही। जब तुम लोग महिमा को प्राप्त करते हो और जब तुम लोग वास्तविक जीवन व्यतीत करते हो, तब तुम लोग पतरस की छवि को जीते हो। मार्ग वही है, और इसी के अनुसार किसी को पूर्ण बनाया जाता है। हालाँकि, तुम लोगों की क्षमता में पतरस की क्षमता की अपेक्षा कुछ कमी है, क्योंकि समय बदल गया है, और इसीलिए भ्रष्टता की सीमा भी बदल गयी है। और यहूदिया के लिए भी एक प्राचीन सभ्यता के साथ लम्बे समय का राज्य था। इसलिए तुम लोगों को अपनी क्षमता को बढ़ाने का प्रयास अवश्य करना चाहिए।

 

पतरस एक बहुत ही समझदार व्यक्ति था, उसने जो कुछ किया उसमें वह दक्ष, और अत्यधिक ईमानदार भी था। वह कई असफलताओं से पीड़ित रहा। वह 14 वर्ष की उम्र में समाज के सम्पर्क में आया, जब वह स्कूल जाता था तो प्रायः आराधनालय में भी जाता था। उसमें अत्यधिक उत्साह था और सभाओं में उपस्थित होने के लिए हमेशा इच्छुक रहता था। उस समय तक यीशु ने अपना कार्य आधिकारिक रूप से आरम्भ नहीं किया था; यह अनुग्रह काल का मात्र आरम्भ ही था। जब पतरस 14 वर्ष का था तो वह धार्मिक लोगों के सम्पर्क में आने लगा था; जब वह 18 वर्ष का हुआ तो वह धार्मिक कुलीन लोगों के सम्पर्क में आ गया, किन्तु जब उसने पर्दे के पीछे की धार्मिक अराजकता को देखा, तो उसने छोड़ दिया। यह देख कर कि ये लोग कितने चालाक, धूर्त और बैर में गढ़े हुए हैं, वह अत्यंत निराश हो गया (उसे पूर्ण बनाने के लिए, उस समय पवित्र आत्मा ने इसी तरह से कार्य किया था। उसने विशेष रूप से उसे द्रवित किया और उसमें कुछ विशेष कार्य किया), और इसलिए वह 18 वर्ष की उम्र में आराधनालय से हट गया। उसके माता-पिता उसे सताते थे और उसे आस्था रखने से रोकते थे। (वे शैतान के संबंधी थे, और उनमें कोई आस्था नहीं थी)। अंततः, पतरस ने घर छोड़ दिया और इच्छानुसार यात्रा की, दो साल तक मछली पकड़ी और उपदेश दिया, जिस दौरान उसने कुछ ईमानदार लोगों की अगुवाई की। अब तुम्हें उस मार्ग को स्पष्ट रूप से देखने में समर्थ हो जाना चाहिए जो पतरस द्वारा लिया गया था। यदि तुमने इसे स्पष्ट रूप से से देख लिया, तो तुम उस कार्य के बारे में निश्चित होगे जो आज किया जा रहा है, इसलिए तुम शिकायत नहीं करोगे या निष्क्रिय नहीं होगे, या किसी भी चीज़ की लालसा नहीं करोगे। तुम्हें पतरस की उस समय की मनोदशा का अनुभव करना चाहिएः वह दुख से व्यथित था; उसने किसी भविष्य या किसी आशीष के लिए अब और नहीं कहा था। उसने संसारी लाभ, प्रसन्नता, प्रसिद्धि या धन-दौलत की कामना नहीं की, और केवल एक अर्थपूर्ण जीवन जीना चाहा, जो कि परमेश्वर के प्रेम को चुकाने और परमेश्वर के प्रति अपने सबसे बहुमूल्य को समर्पित करने के लिए था। तब वह अपने हृदय में संतुष्ट हो होगा। उसने प्रायः इन शब्दों के साथ परमेश्वर से प्रार्थना कीः "प्रभु यीशु मसीह, मैंने एक बार तुझे प्रेम किया, किन्तु मैंने तुझे वास्तव में प्रेम नहीं किया था। यद्यपि मैंने कहा था कि तुझ पर मेरा विश्वास है, किन्तु मैंने तुझे कभी भी एक सच्चे हृदय से प्रेम नहीं किया। मैंने केवल तेरी ओर देखा, तेरी सराहना की, और तुझे याद किया, किन्तु कभी भी तुझे प्रेम नहीं किया या तुझ पर वास्तव में विश्वास नहीं किया।" वह हमेशा इस प्रकार का संकल्प करने के लिए प्रार्थना करता था, वह यीशु के वचनों के द्वारा निरंतर प्रोत्साहित होता था और उन्हें प्रेरणा में बदलता था। बाद में, एक अवधि तक अनुभव करने के बाद, यीशु ने, अपने लिए उसमें और अधिक तड़प पैदा करते हुए, उसकी परीक्षा ली। उसने कहाः "प्रभु यीशु मसीह! मैं तुझे कितना याद करता हूँ, तुझे देखने के लिए कितना लालायित रहता हूँ। मुझमें बहुत कमी है, और तेरे प्रेम को पूरा नहीं कर सकता हूँ। मैं तुझसे प्रार्थना करता हूँ कि मुझे शीघ्र ही ले जा। तुझे मेरी कब आवश्यकता होगी? तू मुझे कब ले जाएगा? मैं कब एक बार फिर से तेरा चेहरा देखूँगा? मैं, भ्रष्ट होते रहने के लिए, इस शरीर में अब और नहीं जीना चाहता हूँ, और न ही अब और विद्रोह करना चाहता हूँ। मेरे पास जो कुछ भी है वह मैं जितना शीघ्र कर सकता हूँ तुझे समर्पित करने के लिए तैयार हूँ, और अब मैं तुझे और उदास नहीं करना चाहता हूँ।" इस तरह से उसने प्रार्थना की, किन्तु उस समय उसे नहीं पता था कि यीशु उसमें क्या पूर्ण बनाएगा। अपनी परीक्षा की पीड़ा के दौरान, यीशु पुनः उसके सामने प्रकट हुआ और उसने कहाः "पतरस, मैं तुझे पूर्ण बनाना चाहता हूँ, इतना कि तू फल का एक टुकड़ा बन जाए, एक ऐसा जो मेरे द्वारा तेरी पूर्णता का ठोस रूप हो, और जिसका मैं आनन्द लूँगा। क्या तू वास्तव में मेरे लिए गवाही दे सकता है? क्या तूने वह किया जो मैं तुझे करने के लिए कहता हूँ? क्या मेरे कहे वचनों को तूने जीया है? तूने एक बार मुझे प्रेम किया, किन्तु यद्यपि तूने मुझे प्रेम किया, क्या तूने मुझे जिया है? तूने मेरे लिए क्या किया है? तू महसूस करता है कि तू मेरे प्रेम के अयोग्य है, किन्तु तूने मेरे लिए क्या किया है?" पतरस ने देखा कि उसने यीशु के लिए कुछ नहीं किया था और परमेश्वर के लिए अपना जीवन देने का पिछला वादा स्मरण किया। और इसलिए, उसने अब और शिकायत नहीं की, और उसकी प्रार्थनाएँ बाद में और बेहतर हो गईं। उसने यह कहते हुए प्रार्थना कीः "प्रभु यीशु मसीह! एक बार मैंने तुझे छोड़ा था, और एक बार तूने भी मुझे छोड़ा था। हमने अलग होकर, और साहचर्य में एक साथ समय बिताया। फिर भी तू मुझे अन्य सभी की अपेक्षा सबसे ज्यादा प्रेम करता है। मैंने बार-बार तेरे विरुद्ध विद्रोह किया और तुझे बार-बार दुःखी किया। ऐसी बातों को मैं कैसे भूल सकता हूँ? जो कार्य तूने मुझमें किया है और जो कुछ तूने मुझे सौंपा है मैं उसे हमेशा मन में रखता हूँ, मैं कभी नहीं भूलता हूँ। जो कार्य तूने मुझमें किया है उसके साथ मैंने अपना सर्वोत्तम प्रयास किया है। तू जानता है कि मैं क्या कर सकता हूँ, और तू यह भी जानता है कि मैं क्या भूमिका निभा सकता हूँ। तेरी इच्छा मेरे लिए आदेश है और मेरे पास जो कुछ भी है वह सब मैं तेरे प्रति समर्पित कर दूँगा। केवल तू ही जानता है कि मैं तेरे लिए क्या कर सकता हूँ। यद्यपि शैतान ने मुझे बहुत अधिक मूर्ख बनाया और मैंने तेरे विरूद्ध विद्रोह किया, किन्तु मुझे विश्वास है कि तू मुझे उन अपराधों के लिए स्मरण नहीं करेगा, कि तू मेरे साथ उनके आधार पर व्यवहार नहीं करेगा। मैं अपना सम्पूर्ण जीवन तुझे समर्पित करना चाहता हूँ। मैं कुछ नहीं माँगता हूँ, और न ही मेरी अन्य आशाएँ या योजनाएँ हैं; मैं केवल तेरे इरादे के अनुसार कार्य करना चाहता हूँ और तेरी इच्छा को पूरा करना चाहता हूँ। मैं तेरे कड़वे कटोरे में से पीऊँगा और मैं तेरे आदेशों के लिए हूँ।"

  

स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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सम्बन्धित सामग्री:

यीशु की कहानी—परमेश्वर के दिल की वाणी—बाइबल की कथाओं की व्याख्या

 

धन लक्ष्मी साधना एवं प्राप्ति के उपाय - पुस्तक (पेज न. 6)

 

पेज न. 6

  

लक्ष्मी प्राप्ति के कुछ सिद्ध यंत्र

 

श्री महालक्ष्मी सर्वतोभद्र यंत्र:- इस यन्त्र की रचना मात्र दीपावली की रात्रि में ही की जाती है - इसे भोपपत्र पर अष्टगंध की स्याही एवं अनार की कलम से लिखा जाता है। चारो ओर इस यंत्र को लिखे- ॐ श्रीं हीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं हीं श्रीं ॐ नमः। यंत्र को पीत वस्त्र पर प्रतिष्ठित करने से पूर्व गूगल का धूप देवे फिर गूगल से ही 108 या 1008 बार उपर्युक्त मन्त्र को पढ़ते हुए हवन करे। यंत्र की रचना रजत या ताम्र पात्र पर भी की जा सकती है। इस यंत्र को पूजा घर, दुकान, गोदाम, गल्ले में भी रखा जा सकता है। इसके प्रभाव से उत्तरोतर लक्ष्मी में वृद्धि होने लगती है।

धन प्राप्ति कारक यंत्र:- कुछ यंत्र ऐसे भी होते है जो छोटे होते है किन्तु उनका प्रभाव तुरंत होता है और आर्थिक दृष्टि से अनुकूलता होने लगती है। यह यंत्र भी दीपावली रात्रि को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखकर धुप दीप जलाकर चाँदी के ताबीज में भरकर दाहिने हाथ की भुजा में बांधे तो व्यक्ति के जीवन में निश्चय ही आर्थिक उन्नति प्राप्त होती है।

लक्ष्मी प्राप्ति में सहायक:- बीज मन्त्र:- कहा भी है जिसके घर में हो बीसा, उसका क्या करे जगदीशा। बीसा यंत्रो को यंत्र राज भी कहा जाता है। ये कई प्रकार के है कुछ लक्ष्मी प्राप्ति बीसा यंत्रो का उल्लेख आवश्यक है।

1. समृद्धिदायक बीसा यंत्र:- इस बीसा यंत्र को अष्टगंध कि स्याही से भोजपत्र पर सोने या अनार की कलम से लिखना चाहिए। गुरु पुष्य, रवि पुष्प या दीपावली रात्रि इसके निर्माण में शुभ है। मन्त्र लिखते समय आपका मुँह पूर्व-उत्तर में होना चाहिए फिर उस पर धुप दीप अगरबत्ती से यंत्र का वंदन करे। यंत्र तैयार होने पर व्यक्ति खड़ा होकर यंत्र को दोनों हाथो की अंजलि में लेकर मस्तक पर लगावे एवं सदेव अपने बटुवे में रखे। अवश्य सफलता एवं आर्थिक लाभ होगा।

2. श्री लक्ष्मी बीसा यंत्र:- इस यंत्र को ताम्र पात्र पर बनाकर आधी रात के समय केशरयुक्त रक्त चन्दन से इस यंत्र पर ॐ के ऊपर "श्री" लिखकर रक्त या पीत पुष्प तथा बिल्बपत्र से पूजन करे। श्री सूक्त के 16 मंत्रो का पाठ करे एवं 7 माला का जाप करे "ॐ श्री"। महालक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती है। आहुतियाँ दे, ब्राह्मण को भोजन कराकर, चावल व गोटा उसे दान कर दे माला को नदी में प्रवाहित कर दे। यदि साधक अनुष्ठान न कर सके तो नित्य एक माला, एक वर्ष तक फेरे। दीपावली की रात्रि करे इस मन्त्र की एक माला (108 बार जप) एवं 108 बादाम (मन्त्र मुख) से आहुतिया देने से भी इसका तुरंत प्रभाव होता है। साधक को मनोवांछित लक्ष्मी प्राप्त होती है। व्यापारिक बांधाएं दूर होकर व्यापार में उन्नति होने लगती है।

श्री मंजु घोष प्रयोग:- दरिद्रता को दूर करने एवं बुद्धि की दृष्टि से यह यंत्र महत्वपूर्ण है। इसे "धन-धान्य लक्ष्मी मन्त्र" भी कहा जाता है।

यह प्रयोग भोजन करते समय किया जाता है। दिन में साधक अपने मुँह को जुठा नही करे। भोजन थाली सम्मुख आ जाय, आसन पर बैठे बैठे निम्न पाठ करे-

शशधरमिव शुभ्र खड्ग पुस्तांक-पाणी।

चुरचिरमति-शांत पंचचूड़ कुमारम।।

पृथुतर वर मुख्य पदम पत्रयनक्ष।

कुमति दहन दक्षं मंजु घोष नमामि।।

मंजु घोष लक्ष्मी के ध्यान के बाद अधोलिखित षडाक्षर मन्त्र का मन ही मन 108 बार जप करे। मन्त्र जन के लिए हल्दी की माला का प्रयोग करे।

मन्त्र है- ।। अ र व च ल धी ।।

भोजन करते समय अन्य से बात न करे मन ही मन इस मन्त्र का जाप करे। भोजन करने के पश्चात् थाली में पानी डालकर इस मन्त्र को थाली में लिखे फिर खड़ा हो जाये। हाथ मुह धोकर पुनः इस मन्त्र का मन ही मन 108 बार उच्चारण करे। दीपावली की रात्रि भोजन का समय सर्वथा उपयुक्त है। इसका प्रयोग स्वानुभूत है। इससे घर में आर्थिक अनुकूलता प्रारम्भ हो जाती है।

दशाक्षर लक्ष्मी मन्त्र:- यह मन्त्र दरिद्रता विनाश के लिए रामबाण है। "शारदा तिलक" ग्रन्थ में इस मन्त्र की बड़ी महिमा की गयी है।

कनक यक्षिणी साधना:- यह प्रयोग भी अचूक है, किन्तु इसमें एकाक्षी नारियल की आवश्यकता होती है, इस पर कई प्रयोग आर्थिक सम्पन्नता के लिए किये जाते है। वैसे मन्त्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित एकाक्षी नारियल पूजा घर में रखने मात्र से आर्थिक अनुकूलता देखी गयी है।

स्फटिक शिवलिंग प्रयोग:- पारद शिवलिंग एक स्फटिक शिवलिंग की शास्त्रो में बहुत महिमा कही गयी है। जो जीवन में अतुलनीय सम्पदा के साथ सम्मान और यश चाहते है, उन्हें अपने घर में इनको अवश्य स्थापित करना चाहिए।

दक्षिणावर्ती शंख कल्प:- तांत्रिक-मांत्रिक ग्रंथो में अनेकानेक कल्प है, परन्तु दक्षिणावर्ती शंख पर लक्ष्मी साधना का तुरंत प्रभाव है। शास्त्रो में कहा है कि जिनके जीवन में भाग्योदय होना होता है, उन्ही के घर दक्षिणावर्ती शंख होता है, क्योकि प्रथम तो दक्षिणावर्ती दुर्लभ है, किन्तु महत्वपूर्ण माने गए है एवं दूसरे इसमें नर-मादा एवं नपुंसक शंख भी होते है। इसलिए मात्र नर दक्षिणावर्ती शंख का प्रयोग ही मान्य है।

कमलगट्टा माला प्रयोग:- लक्ष्मी का निवास स्थान कमल दल है और कमलगट्टा इसी कमल पुष्प का बीज होता है। यह काले रंग का गोलाकार बीज होता है और इसी धागे में पिंरोकर माला का रूप दे दिया जाता है।

कांतियुक्त शालिग्राम साधना:- शालिग्राम भगवान विष्णु के विग्रह है और भगवान विष्णु लक्ष्मी के पति है। जहाँ पति है वहाँ पत्नी रहती है। अतः जहाँ भगवान विष्णु है वहाँ लक्ष्मी का आना तय है। जिन साधको ने इस साधना का प्रयोग किया उनको आर्थिक रूप से आश्चर्यजनक उपलब्धिया प्राप्त हुई है।

इस साधना में सामान्य शालिग्राम के स्थान पर कांति युक्त शालिग्राम का प्रयोग होता है।कांतियुक्त शालिग्राम सूर्य के सामने देखने पर काले होने पर भी इनमे लाल झांई दिखाई देगी, तो समझिये ये शालिग्राम शुद्ध है एवं इस प्रयोग के अनुकूल है।

गौरी शंकर रुद्राक्ष:- देखने पर ये दो रुद्राक्ष मिले हुए लगते है। इसे शिव-पार्वती का जोड़ा कहा जाता है, इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका भी महत्व एक मुखी रुद्राक्ष के समान है। हालाँकि इस प्रकार का रुद्राक्ष भी दुर्लभ है, फिर भी आसानी से मिल जाता है। वे लोग भाग्यशाली होते है जिनके घर में एक मुखी या गौरी शंकर रुद्राक्ष होता है। आजकल नकली रुद्राक्ष को असली बताकर बेचते है। अतः ध्यान रखना चाहिए, कि रुद्राक्ष असली हो।

स्फटिक मणिमाला प्रयोग:- यह सफ़ेद रंग की चमकीली प्रभायुक्त ओर अनुकूल फलदायी मानी गयी है। आजकल नकली स्फटिक मालाओ का अंबार है अतः साधक को परख कर शुद्ध स्फटिक माला लेनी चाहिए।

सामान्य रूप से स्फटीक माला अनुकूल होती है, फिर यदि वह मन्त्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित चैतन्य हो तो क्या कहना।? इस प्रकार की माला पर लक्ष्मी के संबंधित अनेक प्रयोग है। प्रत्येक गृहस्थ के घर में इस प्रकार की माला होनी चाहिए।

शाबर मंत्रो से लक्ष्मी प्राप्ति:- शाबर मंत्रो का इतिहास भी बहुत पुराना है। शाबर शब्द शबर से बना है, जिसका अर्थ है किएतः। महाभारत में किरात वेशधारी महादेव शंकर और अर्जुन का युद्ध प्रसंग आता है।किरात वेषधारी शिव ने उन्हें शाबर मन्त्र से ही पुनर्जीवन प्रदान किया था। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने शाबर मन्त्र जाल का उल्लेख किया है- कलि बिलो कि जग-हित गिरजा। शाबर मन्त्र जाल जिन्ह सिरसा।। अनमिल आखर अरथ न जापू। प्रगट महेस प्रतापू।। इससे स्प्ष्ट होता है कि शाबर मंत्रो का चलन भी अति प्राचीनकाल से हो रहा है। ये मन्त्र अत्यंत सरल एवं व्यव्हार की भाषा में पाये जाते है, किन्तु श्रद्धा एवं विश्वास के साथ जपने पर लाभ निश्चित है। ये मन्त्र नर नारी या कोई भी जाती वर्ण का व्यक्ति कर सकता है। इसकी साधना किसी भी श्रेष्ठ दिन या रात्रि में हो सकती है। किन्तु ग्रहण काल, महारात्रियाँ (होली, दीपावली, शिवरात्रि, नवरात्री) श्रेष्ठ है।

बिक्री बढ़ाने का मन्त्र:- यह मंत्र केवल रविवार के दिन नही किया जा सकता है। रविवार दीपावली हो तो सर्वश्रेष्ठ है। तीन रविवार का ही प्रयोग है।

व्यापर वृद्धि मन्त्र:- इस मन्त्र को सिद्ध करने की आवश्यकता नही है। नित्य दुकान, ऑफिस या फैक्ट्री खोलने से पूर्व एक माला फेरनी है, यानि 108 बार उच्चारण करना है।

मंत्र है- श्री शुक्ले महाशुक्ले कमलदल निवासे महालक्ष्म्यै नामौ नमः लक्ष्मी माई सत्य की सवाई आवो माई करो भलाई, न करो तो सात समुद्र की दुहाई ऋटि सिद्धि खावोगी तो नौ नाथ चौरासी की दुहाई।

धन प्राप्ति मंत्र:- नित्य प्रातः काल मुखशुद्धि करने के पश्चात 108 बार पाठ करने से व्यापर वृद्धि एवं उत्तरोत्तर लाभ होता है।

मंत्र है ।। ॐ हीं श्रीं हीं क्लिं श्रीं लक्ष्मी माम गृहे धन पूरय चिन्ताम् तुरय स्वाहा।।

मनोकामना सिद्धि मंत्र:- दीपावली की रात्रि को इस मन्त्र का दस हजार जप करने से मनोकामना पूर्ण होती है। साधक जो चाहता है, सिद्ध हो जाता है। मंत्र है- हीं मातसे मनसे ॐ ॐ ।।

व्यापार बाधा निवारक मंत्र:- व्यापर सम्बन्धी बाधाओ को दूर करने के लिए यह अचूक प्रयोग है- दीपावली रात्रि में स्नानादि से निवृत हो शुद्ध वस्त्र एवं शुद्धसन पर बैठकर सामने एक हाथ लम्बा सूती लाल कपड़ा बिछा दे। उस पर काले तिल की ढेरी बनाकर तेल का दीपक जला ले।

मंत्र है- ॐ हनुमंत वीर, रखो हद थिर, करो यह काम, वेपार बड़े, तुरंत दूर हो, टाना टूटे, ग्राहक बड़े, कारज सिद्ध होय, न होय तो अंजनी की दुहाई।

इस मंत्र से व्यापारिक बाधाये नष्ट होकर व्यापारिक उन्नति का अनुभव होना लगता है।

 

यहाँ तक छठा चरण समाप्त होता है।

 

धन लक्ष्मी साधना एवं प्राप्ति के उपाय - पुस्तक (पेज न. 5)

 

पेज नं 5

  

महालक्ष्मी स्तुति

  

अरे माता। लक्ष्मी मम गृह अलक्ष्मी द्रुत हरो

हरो माँ भव बाधा त्रिविध दुःख दूर अति करो

करो ना माँ देरी तुरंत मम टेरी हिय घरो

घरो पाणी मेरे शिर पर भवानी न बिसरो।।1।।

प्रतिज्ञा है तेरी शरण जन रक्षा करण की

इसी आशा पे मै शरण तव आयो भगवती

दया कीजे देवी शरम रख लीजे जगत में

नहीं तो लाजेगो विरद तुमरो सिंधु तनये।।2।।

यथा भाँति अंबे सुर भुवन मध्ये तुम बसो

बसो हो माँ जेसे हरि सहित बैकुण्ठ भुवने

पयोधि में माता सहस्त्र फणशायी युत यथा

उसी भाँति अंबे जगदम्बे तुम बसो।।3।।

बिना तेरे विधा विनय युत पाण्डित्य पदभी

नहीं शोभा पावे सकल गुण संपन्न जन भी

तुम्ही से है सारा सुयश उजियारा जगत में

बड़ायी दानयी अकल हुशियारी हर जगे।।4।।

पिता माता भ्राता भगिनी सुर दारादिक सबे

कृपा दृष्टि तेरी बिन कदर कोई न करते

जहाँ देखू तेरा विमल यश गाते सब जणे

उसी कि है शोभा जिस घर सदा वास तव है।।5।।

यथा बच्चा जच्च स्तन बिन न पाता कल जरा

सहारा जी का सलिल मछली को जिस तरा

जहा में कोई भी पवन बिन जिन्दा न रहता

उसी भाँति सत्ता तुमरी बिन पत्ता न हिलता।।6।।

कदाचारी कमी कलह प्रिय, क्रोधी। कुकरमी

कुबुद्धि, काकाक्षी, कुटिल, कुलघाती क्रतधनी

कुजाति, कुख्याति, शुभनजर तेरी पडत ही

जहा में हो जाता अदब करने योग्य झटही।।7।।

गृहस्थी की गाड़ी अटकी रह जाती तुम बिना

दिली बाते सारी दिल ही रह जाती तुम बिन

सिठाई सेठो की, नृपति ठकुराई न चलती

बिना तेरे मैया मनुज तनहे कौन गिनती।।8।।

पुराणो वेदो में सब जगह गाथा यह सुनी

तुम्ही है सारो की शिर मुकुट शोभा मयमणि

न आदि मधान्त पर अपर विधा इक तुम्ही

तुम्ही आदिमाता सत चित सुखानन्द लहरी।।9।।

मुनि विधारण्य प्रथम घर में थे निरधनी

परंतु माँ तेरे पद रज सहारे सिध हुए

सुनैये वर्षा की अखिल कर्नाटकक नगरी

भगाई सारो की बल पर तुम्हारे भुखमरी।।10।।

निशाना साधे जो तरुतल शिकारी गगन में

उड़े ऊंचा बाज, झपट चकवा को पकड़ने

अहो! माया तेरी विषधर डसा व्याध शर से

मरा पक्षी राजा निबल चकवा यो बच गया।।11।।

पड़ा मै भी ऐसा निबल चकवा सा विपद में

बचाने वाला माँ तुम बिन दिखाई न पड़ता

चलूँ अच्छी रीती तदापि फजीती, तुम बिना

सभी विधा, बुद्धि, सद्गुण सदाचार रद है।।12।।

रमे पद्मे लक्ष्मी प्रणत प्रतिपाली कर दया

न देखो माँ मेरी करणी, निज सोचो विरद को

बुरा हु तो भी माँ तनय तुमरा हु, विपद में

बचावो माँ आवो, तुरंत धन भंडार भर दो।।13।।

भरोसे पे तेरे कर गरव हे मात! सहसा

अवज्ञा की मैने सुर नर मुनीन्द्रादि सब की

सुनेगी ना मेरी अगर विनती ये दुःख भरी

कहाँ पे जावुंगा शरण किसकी माँ भगवती।।14।।

खड़े होना बाजु धवल युग हस्ती घट लिए

करे हिरा मोती मणि जलभिषेक सतत ही

करो में है तेरे युग कमल मुद्रा वर अभे

नमस्कार दामोदर जनतद्रिरिद्र दलिनी।।15।।

महालक्ष्मी का स्तवन नित भक्ति पढ़े

कभी वाके नहीं रहत घर में धन्य धन की

दरिद्री भी पाता विपुल धन कीर्ति जगत में

मनोवांछा सिद्धि मिलत सुख सरे सहज ही।।16।।

दीवाली को लक्ष्मी विधि सहित पूजा कर पुनः

सूती जो ये गाता गद गद गिरा रैन सगदी

दयालु माता का वरद कर ताके सर फिरे

सुखी होवे, खोवे विपद जग जंजाल सगरे।।17।।

 

दोहा

  

हरिवयरी जग जीवनी सुखदायिनी संसार।

"शंकर" की यह प्रार्थना माँ कीजे स्वीकार।।

और नहीं आधार मम जाऊ किसके द्वार।

तुझसी चौदह भुवन में है न बड़ी सरकार-1 ।।

पारब्रह्म की लाड़ली सब कुछ तेरे हाथ।

फिर विलंब क्यों तोरजन, तड़पत है दिन रात।।

आवो माँ आवो तुरंत, अब मत देर लगाव।

संग में ले रिध सिध धनद मोरे घट झट आव-2 ।।

इसके पश्चात् घी के दीपक व कपूर से आरती करे। ॐ कर्पूर गौरं करुणावतारं, संसारसरं भुजगेन्द्रहारम। सदा वसंत ह्रदयार विन्दे, भवं भवानि सहितं नमामि।। इसके बाद लक्ष्मी जी की आरती करे। पश्चात् आरती व धूप ज्योति का वंदन करे। देवाभिवन्दन, आत्मभिवन्दन, हस्त प्रक्षालन, मन्त्र पुष्पांजलि समर्पयामि- हाथ में पुष्प लेकर प्रार्थना करे-

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यसन। ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे सध्या: सन्ति देवाः।। ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने नभव्यम् वेश्रवणाय कुर्महे। स में कामान मध्य कामेश्वरो वेश्रवणा ददातु।। कुबेराय वेश्रवणाय महाराजाय नमः।

ॐ स्वस्ति साम्राज्य भोज्य स्वराज्य वै राज्य परमेष्ठय राज्य महाराज्यमधिपत्यमयं समन्तपर्यायी स्यात सार्वभौम: सार्वायूशान्तादपरार्धात् पृथिव्यै समुद्रपर्यन्ताय एकरदिति तदप्येष श्रलोकोडभिगीतो मरुतः परिवंशतारो मरुत्तस्यावसन गृहे। आविक्षितस्य कामप्रेवीखेदेवाः सभासद इति।।

ॐ विश्वतश्चक्षुरुत: विश्वतोमुखे विश्वतोबहुरत विश्वतसपात। सं बाहुभ्यां धमति स पतत्रैर्धावभूमि जनयन देव एकः। ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नोदन्ति प्रचोदयात। ॐ तत्पुरुषाय विदनहे नारायणाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात।

ॐ महालक्ष्यै च विदन हे विष्णुपत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात।

ॐ महालक्ष्म्यै नमः। पुष्पांजलि समर्पयामि। क्षमा प्रार्थना:- मंत्र हीनं क्रियाहीनं, भक्ति हीनं सुरेश्वरी। यत्पूजित मयादेवी परिपूर्णम् तदस्तु में।।1।।

त्वमेव विधा द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वँ मम देव देव।।2।।

यजमान को आशीर्वाद:- ॐ श्रीर्वचस्व मायुष्य मारोग्य, माविधाश्चोभमान महयते। धन धान्य पशु बहुपुत्र लाभं शतसंवत्सर दीर्घमायुः।।3।।

ठडंता चावल गडंता शत्रुः (चावल उडा देवे।)

पूजन सामग्री को यथा स्थिति में रहने दे। प्रसाद ग्रहण कर ले। घी-तेल के दो बड़े दीपक रात भर जलते रखे। प्रातः काल भौर वेला में शुभ समय में गणेश, लक्ष्मी जी को चिरस्थायी निवास करने का निवेदन करके गणपति, सिक्को को तिजोरी में रखे। त्रेलोक्य पूजिते देवी कमले विष्णु वल्ल्भे। यथा त्वमचला कृष्णे तथा भव मयि स्थिरा।।1।। कमला चंचला लक्ष्मीश्चला भूतिर्हरि प्रिया। पद्मा पद्मालया सम्पद उच्चै: श्री पदमधारिणी।।2।। दादशे तानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य यः पढ़ेत। स्थिर लक्ष्मी भर्वेत्स्य पुत्रदरादिमी: सह। लक्ष्मी त्वं सुस्थिरा भवः। प्रसन्नो भवः।।3।। महालक्ष्मीजी को पूजा कक्ष में सुस्थिर करे। कुबेर यंत्र को गल्ले में अन्य श्रीयंत्रादि कि नित्य पूजा करे।

न्वग्रहादि विसर्जन:- यांतु देवगणा सर्वे पूजामादाय मामकिम। इष्ट काम समधर्थ पुनरागभ्नायच।।4।।पूजन के जल का सर्वत्र छिटकाव करे। पूजन का सारा उपस्कार ब्राह्मण को देकर, दक्षिणा, प्रसाद आदि से संतुष्ठ करे।

  

लक्ष्मी प्राप्ति के विविध प्रयोग

  

नागरखंड के अनुसार जो श्री सूक्त द्वारा भक्ति से श्री लक्ष्मी देवी का पूजन करता रहेगा वह सात जन्म तक निर्धन नहीं रहेगा।

विष्णु धर्मोतर पुराण का मत है कि जो व्यक्ति की सूक्त का भक्ति से पाठ या हवन करता है, उसकी दरिद्रता नष्ट हो जाती है।

मेरुदण्ड के अनुसार दरिद्रता नाशक कलिकाल में मात्र श्री सूक्त का जप ही है।

लक्ष्मी सहस्रनाम से पुष्पो का चढ़ाना व् पुरुष सूक्त के साथ संपुट प्रयोग का भी उल्लेख है। लक्ष्मी के साथ विष्णु पूजन भी आवश्यक है। बिना पति के पत्नी पराये घर में क्यों स्थिर होवे ? अतः विष्णु लक्ष्मी पूजन के पश्चात् विष्णु सहस्त्र नाम व गोपाल सहस्त्र नाम का भी पाठ करना चाहिए।

दीपावली के हदन महालक्ष्मी आदि सभी देवो की सपत्नीक पूजन करके वेदपाठ के साथ कमल पुष्पादि सुख शय्या बिछाकर सुला देना चाहिए।

व्रतराज में कहा है- न कुर्वन्ति नरा इत्थं लक्ष्म्या ये सुख सुप्तिकाम।

धन चिंता विहीनस्ते कथं रात्रौ स्वपन्ति हि।।

सारांश यही है कि जो व्यक्ति कमलो की सुख शय्या पर लक्ष्मी जी को सुलाता है, उसके घर को छोड़कर लक्ष्मी नही जाती।

श्री सूक्त से पूजा अर्चना करने से समस्त ब्राह्मण जाती भी लक्ष्मी के दरिद्रता के श्राप से मुक्त हुई थी। आख्यान इस प्रकार है महर्षि मृगु द्वारा सहनशीलता एवं क्षमा की परीक्षा में जहाँ बृह्मा, रुद्रदेव असफल हो चुके थे वहाँ भगवन विष्णु सफल घोषित हुए थे। महर्षि मृगु बिना पूर्व सुचना के शयनागार में प्रविष्ठ हुए जहाँ भगवन विष्णु लक्ष्मी के साथ विराजमान थे। महर्षि मृगु ने आव देखा न ताव भगवन विष्णु के वक्ष:स्थल पर पदाघात कर दिया। भगवन विष्णु ने अपने श्वसुर के पदो को सहलाते हुए कहा- मेरी वज्रकर्कश छाती से आपके कोमल चरणो को चोट तो नही लगी? हे ब्राह्मण देव! आज आपने अतीव अनुग्रह किया। आज मै कृतार्थ हो गया। आपके दिव्य चरणो की रज सदा सर्वदा मेरे ह्रदय पर अंकित रहेगी। किन्तु लक्ष्मी जी यह दृश्य देख सहन नहीं कर सकी, उसका अंग प्रत्यंग आक्रोश से भर उठा। पति के अपमान से आहत हो अपने पिता को शाप दे डाला। "हे ब्राह्मण आपका घर एवं अन्य सभी ब्रह्मणो के आवासो का आज से मै परित्याग करती हूँ।" लक्ष्मी के श्राप के बाद पिता (भृगु) ने पुत्री (लक्ष्मी) को बहुत मान-मनुहार की किन्तु टस से मस नही हुई। आखिर में उन्होंने श्री सूक्त से लक्ष्मी की दिव्यस्वरूप की स्तुति की। लक्ष्मी जी प्रसन्न हुई कहा दीपावली की रात को जो ब्राह्मण या साधक इसका पाठ एवं हवन करेगा उस पर लक्ष्मी प्रसन्न होगी। ब्रह्मणो के घरो में शांति एवं समृद्धि दोनों बनी रहेगी। श्री सूक्त का पाठ लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए रामबाण है।

 

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संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:

 

"तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (लूका 12:40)।

 

"मैं चोर के समान आता हूँ" (प्रकाशितवाक्य 16:15)।

 

"देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)।

 

"जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य 2:7)।

 

"मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं" (यूहन्ना 10:27)।

  

परमेश्वर के अति-उत्कृष्ट वचन:

 

"स्वर्गारोहण" नीचे स्थानों से उँचे स्थानों पर उठाया जाना नहीं है जैसा कि लोग कल्पना करते हैं। यह एक बहुत बड़ी ग़लती है। स्वर्गारोहण मेरे द्वारा पूर्वनियत और चयनित किए जाने को संदर्भित करता है। यह उन सभी पर लक्षित है जिन्हें मैंने पूर्वनियत और चयनित किया है। जिन लोगों ने ज्येष्ठ पुत्रों की, मेरे पुत्रों की, या मेरे लोग की हैसियत प्राप्त कर ली है, वे सभी ऐसे लोग हैं जो स्वर्गारोहित किये जा चुके हैं। यह लोगों की अवधारणाओं के साथ सर्वाधिक असंगत है। जिन लोगों का भविष्य में मेरे घर में हिस्सा है वे सभी ऐसे लोग हैं जो मेरे सामने स्वर्गारोहित किये जा चुके हैं। यह पूर्णतः सत्य है, कभी भी नहीं बदलता है, और किसी के द्वारा भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह शैतान के विरुद्ध जवाबी हमला है। जिस किसी को भी मैंने पूर्व नियत किया है वह मेरे सामने स्वर्गारोहित किया जाएगा।

 

"वचन देह में प्रकट होता है" से "एक सौ चौथा कथन" से

 

मनुष्य विश्वास करता है कि सलीब पर चढ़ने और पुनरूत्थान के बाद, यीशु सफेद बादल पर स्वर्ग में वापस चला गया, और उसने सर्वोच्च महान के दाएँ हाथ पर अपना स्थान ग्रहण किया।उसी प्रकार, मनुष्य कल्पना करता है कि यीशु फिर से सफेद बादल पर सवार होकर (यह बादल उस बादल की ओर संकेत करता है जिस पर यीशु तब सवार हुआ था जब वह स्वर्ग में वापस गया था), उन लोगों के बीच वापस आएगा जिन्होंने हज़ारों सालों से उसके लिए बहुत अधिक लालसा रखी है, और यह कि वह यहूदियों का स्वरूप और उनके कपड़े धारण करेगा। मनुष्य के सामने प्रकट होने के बाद, वह उन्हें भोजन प्रदान करेगा, और उनके लिए जीवन के जल की बौछार करवाएगा, और मनुष्य के बीच में रहेगा, अनुग्रह और प्रेम से भरपूर, जीवन्त और वास्तविक, इत्यादि। फिर भी उद्धारकर्त्ता यीशु ने ऐसा नहीं किया; उसने मनुष्य की कल्पना के विपरीत किया। वह उनके बीच में नहीं आया जिन्होंने उसकी वापसी की लालसा की थी, और वह सफेद बादल पर सवारी करते हुए सभी मनुष्यों के सामने प्रकट नहीं हुआ। वह तो पहले से ही आ चुका है, किन्तु मनुष्य उसे नहीं जानता है, और उसके आगमन से अनजान बना हुआ है। मनुष्य केवल निरुद्देश्यता से उसका इन्तज़ार कर रहा है, इस बात से अनभिज्ञ कि वह तो पहले ही सफेद बादल (वह बादल जो उसका आत्मा, उसके वचन, और उसका सम्पूर्ण स्वभाव है और स्वरूप है) पर अवरोहण कर चुका है, और वह अब उन विजेताओं के समूह के बीच में है जिसे वह अंत के दिनों के दौरान बनाएगा।

 

"उद्धारकर्त्ता पहले ही एक "सफेद बादल" पर सवार होकर वापस आ चुका है" से

 

"वह जिसके कान हो, सुन ले कि आत्मा ने कलीसियाओं से क्या कहा।" क्या तुमने अब पवित्र आत्मा के वचन सुन लिए हैं? परमेश्वर के वचन तुम्हें अचानक मिले हैं। क्या तुम उन्हें सुनते हो? अंत के दिनों में परमेश्वर वचन का कार्य करता है, और ऐसे वचन पवित्र आत्मा के वचन हैं, क्योंकि परमेश्वर पवित्र आत्मा है और देहधारी भी हो सकता है; इसलिए, पवित्र आत्मा के वचन, जैसे अतीत में बोले गए थे, आज देहधारी परमेश्वर के वचन हैं। कई विवेकहीन मनुष्य हैं जिनका मानना है कि पवित्र आत्मा के वचन मनुष्य के कान में सीधे स्वर्ग से उतर कर आने चाहिए। इस प्रकार सोचने वाला कोई भी परमेश्वर के कार्य को नहीं जानता है। वास्तव में, पवित्र आत्मा के द्वारा कहे गए कथन वे ही हैं जो परमेश्वर ने देहधारी होकर कहे। पवित्र आत्मा प्रत्यक्ष रूप से मनुष्य से बात नहीं कर सकता है, और यहाँ तक कि व्यवस्था के युग में भी, यहोवा ने प्रत्यक्ष रूप से लोगों से बात नहीं की। क्या इस बात की बहुत कम सम्भावना नहीं होगी है कि वह आज के युग में भी ऐसा ही करेगा? कार्य को करने के लिए परमेश्वर को कथनों को बोलने के लिए, उसे अवश्य देहधारण करना चाहिए, अन्यथा उसका कार्य उसके उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकता है। जो परमेश्वर के देहधारी होने को इनकार करते हैं, वे ऐसे लोग होते हैं जो आत्मा को या उन सिद्धान्तों को नहीं जानते हैं जिनके द्वारा परमेश्वर कार्य करता है। जो मानते हैं कि अब पवित्र आत्मा का युग है फिर भी उसके नए कार्य को स्वीकार नहीं करते हैं वे अस्पष्ट विश्वास में जीने वाले लोग हैं। मनुष्यों का इस प्रकार का व्यवहार कभी भी पवित्र आत्मा का कार्य प्राप्त नहीं करेगा। जो लोग चाहते हैं कि पवित्र आत्मा प्रत्यक्ष रूप से उनसे बात करे और अपना कार्य करे, फिर भी वे देहधारी परमेश्वर के वचनों या कार्य को स्वीकार नहीं करते हैं, वे कभी भी नए युग में प्रवेश या परमेश्वर से पूरी तरह से उद्धार प्राप्त नहीं कर पाएँगे।

 

"वह मनुष्य किस प्रकार परमेश्वर के प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है जिसने उसे अपनी ही धारणाओं में परिभाषित किया है?" से

 

परमेश्वर मौन है, और हमारे सामने कभी प्रकट नहीं हुआ, फिर भी उसका काम कभी नहीं रूका है। वह सभी भूमियों पर देखता है, सभी का नियंत्रण करता है, और मनुष्य के सभी वचनों और कर्मों को देखता है। उसका प्रबंधन चरणबद्ध है और उसकी योजना के अनुसार है। यह चुपचाप, नाटकीय प्रभाव के बिना आगे बढ़ता है, मगर उसके चरण मनुष्यों के निकटतम बढ़ते रहते हैं, और उसका न्याय का आसन बिजली की रफ्तार से ब्रह्माण्ड में तैनात होता है, और उसके तुरंत बाद हमारे बीच उसके सिंहासन का अवरोहण होता है। वह कैसा आलीशान दृश्य है, कितनी भव्य और गंभीर झाँकी! कपोत के समान, गरजते हुए सिंह के समान, पवित्र आत्मा हम सब के बीच में पहुँचता है। वह बुद्धिमान है, वह धर्मी और आलीशान है, वह अधिकार से युक्त और प्रेम एवं करुणा से भरा हुआ, चुपचाप हमारे बीच में पहुँचता है। ...

 

...

 

और तब भी यही वह साधारण मनुष्य है जो लोगों के बीच में छुपा हुआ है जो हमें बचाने के नये काम को कर रहा है। वह हमें कोई सफाई नहीं देता है, और न बताता है कि वह क्यों आया है। वह केवल उस काम को करता है जिसे वह चरणों में, और अपनी योजना के अनुसार, करने का इरादा रखता है। उनके वचन और कथन अब बार-बार सुनाई देते हैं। सांत्वना देने, उत्साह बढ़ाने, स्मरण कराने, चेतावनी देने, से लेकर डॉटने-फटकारने, और अनुशासित करने तक; ऐसे स्वर जो नरम और दयालु हैं से ले कर, ऐसे वचनों तक जो भयंकर और राजसी हैं—वे सब मनुष्य में तरस और कँपकँपी दोनों भरते हैं। हर बात जो वह कहते हैं हमारे अंदर गहरे छिपे रहस्यों पर सीधे चोट करती है, उसके वचन हमारे हृदयों में डंक मारते हैं, हमारी आत्माओं पर डंक मारते हैं, हमें लज्जित और अपमानित कर देते हैं। ...

 

हमारी जानकारी के बिना, इस महत्वहीन व्यक्ति ने, परमेश्वर के कार्य में एक के बाद एक कदम में हमारी अगुवाई की है। हम अनगिनत परीक्षाओं से गुजरते हैं, अनगिनत ताड़नाओं के अधीन किये जाते हैं और मृत्यु द्वारा हमारी परीक्षा ली जाती है। हम परमेश्वर के धर्मी और आलीशान स्वभाव के बारे में सीखते हैं, उसके प्रेम और करुणा का आनंद भी लेते हैं; परमेश्वर के महान सामर्थ्य और विवेक की सराहना करते हैं, परमेश्वर की सुंदरता के गवाह बनते हैं, और मनुष्य को बचाने की परमेश्वर की उत्कट इच्छा को देखते हैं। इस साधारण मनुष्य के वचनों में, हमें परमेश्वर का स्वभाव और सार ज्ञात हो जाता है; परमेश्वर की इच्छा समझ जाते है, मनुष्य की प्रकृति और उसका सार ज्ञात हो जाता है, हम उद्धार और पूर्ण होने का मार्ग जान जाते हैँ।

 

"परमेश्वर के प्रकटन को उनके न्याय और ताड़ना में देखना" से

 

परमेश्वर का प्रत्येक वचन हमारे मर्मस्थल पर चोट करता है, और हमें दुःखी एवं भयभीत कर देता है। वह हमारे विचारों को प्रकट करता है, हमारी कल्पनाओं को प्रकट करता है, और हमारे भ्रष्ट स्वभाव को प्रकट करता है। वह सब जो हम कहते और करते हैं, और हमारे प्रत्येक विचार और सोच, हमारा स्वभाव और सार उसके वचनों के द्वारा प्रकट होता है, हमें अपमानित करता हुआ और भय से काँपता हुआ छोड़ देता है। हमें यह महसूस कराते हुए कि हम पूरी तरह उजागर कर दिए गए हैं, और यहाँ तक कि पूरी तरह से राजी महसूस कर करवाते हुए, वह हमें हमारे सभी कार्यों, हमारे लक्ष्यों और अभिप्रायों को, और यहाँ तक कि हमारे भ्रष्ट स्वभाव जिसे हमने कभी खोजा नहीं है, के बारे में भी बताता है। परमेश्वर अपने प्रति हमारे विरोध के लिए हमारा न्याय करता है, अपनी ईशनिंदा और तिरस्कार के कारण हमारी ताड़ना करता है, और हमें यह अनुभव करवाता है कि उसकी दृष्टि में हम मूल्यहीन हैं, और हम ही जीवित शैतान हैं। हमारी आशाएँ चूर-चूर हो जाती हैं, हम उससे अविवेकपूर्ण माँगें करने और उसके सामने ऐसा प्रयास करने का साहस अब और नहीं करते हैं, और यहाँ तक कि रात भर में हमारे स्वप्न गायब हो जाते हैं। यह ऐसा तथ्य है जिसकी कल्पना हममें से कोई नहीं कर सकता है और जिसे हममें से कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता है। एक क्षण के लिए, हमारे मन असंतुलित हो जाते हैं, और हम नहीं जानते हैं कि मार्ग पर आगे कैसे बढ़ें, नहीं जानते हैं कि अपना विश्वास कैसे जारी रखें। ऐसा लगता है कि हमारा विश्वास जहाँ था वहीं वापस लौट गया है, और यह कि हम कभी प्रभु यीशु से मिले और परिचित हुए नहीं हैं। हमारी आँखों के सामने हर बात हमें हक्का-बक्का कर देती है, और हमें महसूस करवाती है मानो हमें बाहर कर दिया गया है। फिर हम हताश होते हैं, हम हतोत्साहित होते हैं, और हमारे हृदयों की गहराई में अदम्य क्रोध और निरादर होता है। हम उसे बाहर निकालने का प्रयास करते हैं, कोई तरीका ढूँढ़ने का प्रयास करते हैं, और, उससे भी अधिक, हम अपने उद्धारकर्ता यीशु की प्रतीक्षा करना जारी रखने का प्रयास करते हैं और अपने हृदयों को उसके सामने उड़ेलते हैं। यद्यपि ऐसे अवसर भी आते हैं जब हम बाहर से न तो घमंडी होते हैं और न विनम्र, तब भी अपने हृदयों में हम नुकसान की ऐसी भावना से व्यथित हो जाते हैं जैसी पहले कभी नहीं हुई। यद्यपि कभी-कभी हम बाहरी तौर पर असामन्य रूप से शांत दिखाई दे सकते हैं, किंतु भीतर हम समुद्र की गर्जना जैसी यातना का अनुभव करते हैं। उसके न्याय और ताड़ना ने हमें हमारी सभी आशाओँ और स्वप्नों से वंचित कर दिया है, और हमारी अनावश्यक इच्छाओं से रहित कर दिया है, हम यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि वह हमारा उद्धारकर्ता है और हमारा उद्धार करने में सक्षम हैं। उसके न्याय एवं ताड़ना ने हमारे और उसके बीच एक गहरी खाई पैदा कर दी है और यहाँ तक कि कोई उसे पार करने की इच्छा भी नहीं कर रहा है। उसके न्याय और ताड़ना के कारण पहली बार हम इतना अधिक नुकसान और इतना बड़ा अपमान झेलते हैं। उसके न्याय और ताड़ना ने हमें परमेश्वर के आदर और मनुष्य के अपराध के बारे में सहनशीलता की वास्तव में सराहना करने दी है, जिसकी तुलना में हम बहुत अधम और अशुद्ध हैं। उसके न्याय और ताड़ना ने पहली बार हमें अनुभव कराया कि हम कितने अभिमानी और आडंबरपूर्ण हैं, और कैसे मनुष्य कभी परमेश्वर की बराबरी नहीं कर सकता है, और उसके समान नहीं बन सकता है। उसके न्याय और ताड़ना ने हमारे भीतर यह उत्कंठा उत्पन्न की है कि हम ऐसे स्वभाव में अब और न रहें, और हमारे भीतर ऐसे स्वभाव तथा सार से जितना जल्दी हो सके छुटकारा पाने की, और आगे उसके द्वारा तिरस्कृत और उसके लिए घृणित न होने की इच्छा उत्पन्न की है। उसके न्याय और ताड़ना ने हमारे लिए उसके वचनों का आज्ञापालन करना, और अब उसके आयोजनों और व्यवस्थाओं के विरुद्ध विद्रोह न करना सुखद बनाया। उसके न्याय और ताड़ना ने हमें एक बार फिर जीवन की खोज करने की इच्छा दी है, और उसे हमारे उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करने की प्रसन्नता दी है.... हम विजय के कार्य से बाहर निकल गए हैं, नरक से बाहर आ गए हैं, मृत्यु की छाया की घाटी से बाहर आ गए हैं.... सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमें, लोगों के इस समूह को जीत लिया है! उसने शैतान पर विजय पाई है, और अपने सभी शत्रुओं को पराजित कर दिया है!

 

"परमेश्वर के प्रकटन को उनके न्याय और ताड़ना में देखना" से

 

जब तुम राज्य के युग में देहधारी परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक कदम का अनुभव प्राप्त कर लोगे, तब तुम अनुभव करोगे कि अनेक वर्षों की तुम्हारी आशाएँ अंततः साकार हो गयी हैं। तुम अनुभव करोगे कि केवल अब तुमने परमेश्वर को वास्तव में आमने-सामने देखा है, केवल अब ही तुमने परमेश्वर के चेहरे को निहारा है, परमेश्वर व्यक्तिगत कथन को सुना है, परमेश्वर के कार्य की बुद्धि की सराहना की है, और वास्तव में महसूस किया है कि परमेश्वर कितना वास्तविक और सर्वशक्तिमान है। तुम महसूस करोगे कि तुमने ऐसी बहुत सी चीजों को पाया है जिन्हें अतीत में लोगों ने कभी देखा या धारण नहीं किया था। इस समय, तुम संतुष्ट रूप में जान लोगे कि परमेश्वर पर विश्वास करना क्या है, और परमेश्वर के हृदय के अनुसरण में होना क्या है। निस्संदेह, यदि तुम अतीत के विचारों से जुड़े रहते हो और परमेश्वर के दूसरे देहधारण को अस्वीकार या इनकार करते हो, तब तुम खाली-हाथ रहोगे और कुछ नहीं पाओगे, और अंततः परमेश्वर का विरोध करने के दोषी होगे। वे जो सत्य का पालन करते हैं और परमेश्वर के कार्य के प्रति समर्पण करते हैं, वे दूसरे देहधारी परमेश्वर – सर्वशक्तिमान—के नाम के अधीन आएँगे। वे परमेश्वर से व्यक्तिगत मार्गदर्शन पाने में सक्षम होंगे, वे अधिक उच्चतर सत्य को प्राप्त करेंगे और वास्तविक मानव जीवन ग्रहण करेंगे।

 

"केवल वह जो परमेश्वर के कार्य को अनुभव करता है वही परमेवर में सच में विश्वास करता है" से

  

स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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उत्तर: यह प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण है! अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने और परमेश्वर के प्रकटन को देखने के लिए, हमें यह अवश्य पता होना चाहिए कि परमेश्वर की वाणी को कैसे पहचानें। वास्तव में, परमेश्वर की वाणी को पहचानने का अर्थ है परमेश्वर के वचनों और कथनों को मानना और सृष्टिकर्ता के वचनों की विशेषताओं को मानना। इस बात की परवाह किए बिना कि वे देहधारी परमेश्वर के वचन हैं, या परमेश्वर के आत्मा के कथन हैं, वे सभी परमेश्वर द्वारा स्वर्ग से मानवजाति के लिए बोले गए वचन हैं। परमेश्वर के वचनों का लहज़ा और उनकी विशेषताएँ ऐसी ही हैं। परमेश्वर का अधिकार और पहचान स्पष्ट रूप से व्यक्त होते हैं। इसे सृष्टिकर्ता के बोलने का अद्वितीय साधन भी कहा जा सकता है। हर बार जब भी परमेश्वर देहधारी होता है, तो उसके कथन निश्चित रूप से कई क्षेत्रों को समाहित करते हैं। उनका संबंध मुख्य रूप से मनुष्य से परमेश्वर की अपेक्षाओं और उसकी फटकार से, परमेश्वर के प्रशासनिक आदेशों और आज्ञाओं से, न्याय और ताड़ना के उसके वचनों से और भ्रष्ट मानवजाति के उसके प्रकाशन से होता है। भविष्यवाणियों के वचन और मानवजाति से किए गए परमेश्वर के वादे इत्यादि भी हैं। ये सभी वचन सत्य, मार्ग और जीवन की अभिव्यक्ति हैं। ये सभी परमेश्वर के जीवन के सार के प्रकाशन हैं। वे परमेश्वर के स्वभाव और परमेश्वर के अस्तित्व को दर्शाते हैं। हम परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए वचनों से देख पाते हैं कि परमेश्वर के वचन सत्य हैं, और उनमें अधिकार और सामर्थ्य है। इस प्रकार, यदि आप यह पता लगाना चाहते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए वचन परमेश्वर की वाणी हैं या नहीं, तो आप प्रभु यीशु के वचनों और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को देख सकते हैं। आप उनकी तुलना कर सकते हैं, और देख सकते हैं कि क्या वे एक ही पवित्रात्मा द्वारा व्यक्त किए गए वचन हैं, और कि क्या वे एक ही परमेश्वर द्वारा किए गए कार्य हैं। यदि उनका स्रोत एक ही है, तो इससे साबित होता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन परमेश्वर के कथन हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर, परमेश्वर का प्रकटन है। आइए, हम व्यवस्था के युग के दौरान यहोवा परमेश्वर द्वारा बोले गए वचनों और अनुग्रह के युग में बोले गए प्रभु यीशु के वचनों को देखें। वे दोनों ही पवित्र आत्मा की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति थे, और इतना ही नहीं, वे एक ही परमेश्वर के कार्य थे। इससे साबित होता है कि प्रभु यीशु, यहोवा परमेश्वर का प्रकटन था, सृष्टिकर्ता का प्रकटन था। जो लोग बाइबल पढ़ चुके हैं, वे सभी जानते हैं कि अनुग्रह के युग के दौरान प्रभु यीशु द्वारा व्यक्त किए गए वचनों में, फटकार के वचन, मानवजाति से परमेश्वर की अपेक्षाओं के वचन और ऐसे वचन शामिल थे जो परमेश्वर के प्रशासनिक आदेशों पर थोड़ी चर्चा करते थे। कई भविष्यवाणियों और वादों के वचन भी हैं। ये वचन अनुग्रह के युग के दौरान परमेश्वर द्वारा किए गए कार्यों का एक पूरा चरण थे।

 

सबसे पहले, हम प्रभु यीशु की अपेक्षाओं और मनुष्यों के लिए उसकी फटकारों को देखेंगे। प्रभु यीशु ने कहा, “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है” (मत्ती 4: 17)। “तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इसके कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए। तुम जगत की ज्योति हो। जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता” (मत्ती 5 : 13-14)। “तू परमेश्‍वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।ये ही दो आज्ञाएँ सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्‍ताओं का आधार हैं” (मत्ती 22: 37-40)। “धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। … धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्‍त किए जाएँगे। … धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएँ और झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें। तब आनन्दित और मगन होना, क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है। इसलिये कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्‍ताओं को जो तुम से पहले थे इसी रीति से सताया था” (मत्ती 5: 3, 6, 10-12)।

 

आइए, हम देखें कि प्रभु यीशु ने प्रशासनिक आदेशों के बारे में क्या कहा था। मत्ती 12:31-32, प्रभु यीशु ने कहा, “इसलिये मैं तुम से कहता हूँ कि मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्दा क्षमा की जाएगी, परन्तु पवित्र आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी। जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहेगा, उसका यह अपराध क्षमा किया जाएगा, परन्तु जो कोई पवित्र आत्मा के विरोध में कुछ कहेगा, उसका अपराध न तो इस लोक में और न परलोक में क्षमा किया जाएगा” इसके अलावा, मत्ती 5:22 में प्रभु यीशु ने कहा: “परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि जो कोई अपने भाई पर क्रोध करेगा, वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा, और जो कोई अपने भाई को निकम्मा कहेगा वह महासभा में दण्ड के योग्य होगा; और जो कोई कहे ‘अरे मूर्ख’ वह नरक की आग के दण्ड के योग्य होगा।

प्रशासनिक आदेशों के इन वचनों के अलावा, फरीसियों का न्याय करने वाले और उन्हें उजागर करने वाले प्रभु यीशु के वचन भी:”हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो” (मत्ती 23:13)। “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है तो उसे अपने से दूना नारकीय बना देते हो” (मत्ती 23:15)। “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम चूना फिरी हुई कब्रों के समान हो जो ऊपर से तो सुन्दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हड्डियों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं। इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो” (मत्ती 23: 27-28)।

भाइयो और बहनो, प्रभु यीशु ने भविष्यवाणियों और मनुष्यों से वादे के भी कुछ वचन बोले हैं। यूहन्ना 14:2-3 में, प्रभु यीशु ने कहा: “क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो” यूहन्ना 12:47-48 भी है, प्रभु यीशु ने यह भी कहा है, “यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा” ऐसे ही, प्रकाशित वाक्य 21:3-4 भी है: “देख, परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है। वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्‍वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्‍वर होगा। 4वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहींयशा।

अनुग्रह के युग के दौरान प्रभु यीशु द्वारा व्यक्त किए गए विभिन्न सत्यों से, हम देख सकते हैं कि प्रभु यीशु उद्धारकर्ता का प्रकटन था, और प्रभु यीशु के वचन समस्त मानवजाति के लिए परमेश्वर के कथन थे। उसने मानवजाति की अगुआई करने, मानवजाति का भरण-पोषण करने और मानवजाति को व्यक्तिगत रूप से छुटकारा देने के लिए, परमेश्वर के स्वभाव और उनकी इच्छा को मानवजाति के सामने प्रत्यक्ष रूप से व्यक्त किया। यह पूरी तरह से परमेश्वर की पहचान और उनके अधिकार को दर्शाता है। उसके वचनों को पढ़ कर हमें तुरंत महसूस होता है कि ये वचन सत्य हैं, और उनमें अधिकार और सामर्थ्य है। ये वचन परमेश्वर की वाणी हैं, ये मानवजाति के लिए परमेश्वर के कथन हैं। अंत के दिनों में, प्रभु यीशु वापस आ गया है: सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों का न्याय का कार्य करने के लिए आया है। उसने राज्य के युग का शुभारंभ और अनुग्रह के युग का अंत कर दिया है। प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य के आधार पर, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय के कार्य का चरण पूरा किया है, उसने मानवजाति के शुद्धिकरण और उद्धार के लिए सभी सत्यों को व्यक्त किया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए वचन समृद्ध और पूरी तरह से व्यापक हैं। ठीक जैसे कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है: “यह कहना उचित है कि सृजन के बाद यह पहली बार है कि परमेश्वर ने समस्त मानव जाति को संबोधित किया था। इससे पहले परमेश्वर ने कभी भी इतने विस्तार से और इतने व्यवस्थित तरीके से निर्मित मानव जाति से बात नहीं की थी। निस्संदेह, यह भी पहली बार ही था कि उसने इतनी अधिक, और इतने लंबे समय तक, समस्त मानव जाति से बात की थी। यह पूर्णतः अभूतपूर्व था। इसके अलावा, ये कथन मानवता के बीच परमेश्वर द्वारा व्यक्त किया गया पहला पाठ थे जिसमें उसने लोगों की बुराइयों को दिखाया, उनका मार्गदर्शन किया, उनका न्याय किया, और उनसे खुल कर बात की और इसलिए भी, वे पहले कथन थे जिनमें परमेश्वर ने अपने पदचिह्नों को, उस स्थान को जिसमें वह रहता है, परमेश्वर के स्वभाव को, परमेश्वर के स्वरूप को, परमेश्वर के विचारों को, और मानवता के लिए उसकी चिंता को लोगों को जानने दिया। यह कहा जा सकता है कि ये ही पहले कथन थे जो परमेश्वर ने सृष्टि के बाद तीसरे स्वर्ग से मानव जाति के लिए बोले थे, और पहली बार था कि परमेश्वर ने मानव जाति हेतु शब्दों के बीच अपनी आवाज प्रकट करने और व्यक्त करने के लिए अपनी अंतर्निहित पहचान का उपयोग किया” (सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिये परमेश्वर के कथन “वचन देह में प्रकट होता है” के “परिचय” से लिया गया)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए वचन इतने व्यापक और समृद्ध हैं कि उनकी तुलना नहीं की जा सकती। उनमें, मुख्य रूप से न्याय, मनुष्य का प्रकाशन, राज्य के युग के प्रशासनिक आदेश एवं आज्ञाओं के साथ-साथ मनुष्यों के प्रति परमेश्वर की फटकार, अपेक्षाएँ, उसके वादे और भविष्यवाणियाँ भी समाहित हैं। आइए, हम सबसे पहले मनुष्य के लिए परमेश्वर की फटकार और मनुष्य से उसकी अपेक्षाओं और परमेश्वर के कार्य के बारे में परमेश्वर के वचनों के कुछ अंशों को पढ़ें।

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स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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झाओ जीहान, चीन

 

जीवन की यात्रा में, हम में से हर एक, कुछ ऐसी असाधारण घटनाओं का अनुभव करता है जो हमारी स्मृतिपटल पर अंकित हो जाते हैं और ये कभी भी नहीं भुलाए जाते हैं। जब मेरे पति की कार दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, उस समय के अनुभव ने मुझ पर सबसे गहरी छाप छोड़ी है। उस वक्त किसी को नहीं मालूम था कि वे बच पाएंगे या नहीं, आने वाले दिनों के दौरान मैं पूरी तरह से हैरान-परेशान थी और मुझमें बिल्कुल ताकत नहीं बची थी। लेकिन मेरे लिए जो बात अलग थी, वह यह था कि, परमेश्वर मेरे साथ थे और मेरे पास उनका मार्गदर्शन था, इस प्रकार मेरे पास एक सहारा था, परमेश्वर से प्रार्थना करने और उन पर भरोसा करने के माध्यम से, मैंने अपनी निराशा के बीच एक चमत्कार होते हुए देखा। उस बुरे वक्त के दौरान, मैंने परमेश्वर के अधिकार, संप्रभुता की अधिक समझ और उनके प्रेम की सच्ची सराहना प्राप्त की...

 

13 अगस्त 2014 की शाम, मैं कुछ काम निपटाने के बाद अपने घर जा रही थी, लगभग आधी रात हो चुकी थी। जैसे ही मैं अपने निवास के मुख्य द्वार पर पहुंची, मैंने अपनी सबसे बड़ी बहन, उनके पति और अपनी दूसरी बहन के पति को अप्रत्याशित रूप से वहाँ खड़ा पाया। मुझे ये बहुत अजीब लगा: वे सब इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे हैं? इससे पहले कि मैं इसके बारे में कुछ और सोच पाती, मेरी सबसे बड़ी बहन मेरे पास पहुंची और रोते हुए बोली, "जीहान, तुम कहाँ थी? चिंता से हमारा सर चकरा रहा है। तुम्हारे पति की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गयी है। हमारे भाई ने फोन किया था, वह चाहता है कि तुम तुरंत अस्पताल पहुँचो।" जब मैंने अचानक ये बुरी खबर सुनी, तो मुझे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ और मैं बस वहीं खड़ा रही। मैंने मन में सोचा: "मेरे पति की कार का एक्सीडेंट हो गया? यह कैसे हो सकता है? रात के खाने के समय वे हमारे बेटे से फोन पर बात कर रहे थे..." मेरे जीजाजी ने मुझे दुर्घटना के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मेरे पति की हालत गम्भीर थी, अगर वे बच गये तो बहुत भाग्यशाली होंगे। 99 प्रतिशत संभावना थी कि वे दिमागी तौर पर मृत होंगे। सुनते हुए मैं बहुत रोयी, मुझे लगा कि आसमान ही गिर पड़ेगा। मुझे कुछ पता नहीं था कि इन सबका सामना कैसे करना है।

 

चूँकि बहुत रात हो चुकी थी, इसलिए हमें शहर के अस्पताल के लिए टैक्सी ढूंढने में कुछ समय लग गया। इसके कारण यह सोचते हुए कि मैं अपने पति को कभी जीवित नहीं देख पाऊंगी, मैं और भी परेशान हो गयी। मैं अभिभूत होकर घबरा रही थी कि मुझे अचानक बाइबल में दर्ज अय्यूब की कहानी याद आई। जब उसकी परीक्षा ली गयी थी, तो उसकी सारी संपत्ति चोरी हो गई थी, उसके बच्चों का दुर्भाग्यपूर्ण अंत हो गया था, और उसका पूरा बदन भयानक फोड़े से घिर गया था। इस परीक्षा ने अय्यूब को बहुत तकलीफ और पीड़ा पहुँचाई थी, लेकिन फिर भी उसके दिल में परमेश्वर थे, और उसने पापमय ढंग से बोलने के बजाय अपने जन्म के दिन को अभिशाप देना पसंद किया। चाहे परमेश्वर प्रदान करे, या छीन ले, वह परमेश्वर के लिए पूरी तरह से आज्ञाकारी था। अय्यूब ने शिकायत का एक भी शब्द मुँह से नहीं निकाला, बल्कि यहोवा के नाम का गुणगान किया और परमेश्वर के लिए मजबूत गवाही दी। और इसलिए, मैंने भी फौरन परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे परमेश्वर! जब मैंने अपने पति की कार दुर्घटना के बारे में सुना, तो मैं स्तब्ध रह गई थी, मैं पूरी तरह से हतप्रभ महसूस कर रही थी, मुझे नहीं पता कि वे अभी कैसे हैं। लेकिन जब मैं सोचती हूँ कि कैसे अय्यूब ने आपको श्रद्धा दी और आपके प्रति आज्ञाकारी रहा, तो मैं समझती हूँ कि मुझे उसके जैसा बनने की कोशिश करनी चाहिए और आप पर विश्वास करना चाहिए। हे परमेश्वर! सभी चीजें आपके हाथ में हैं, चाहे मेरे पति के चंगे होने की कोई उम्मीद हो या न हो, मैं आपसे विनती करती हूँ कि आप मेरे दिल को आप पर दोष लगाने से रोकें। मैं आपके आयोजन और व्यवस्था के प्रति समर्पित होना चाहती हूँ, और अपने पति को आपके हाथों में सौंपती हूँ।" प्रार्थना के बाद, मेरा दिल धीरे-धीरे शांत हो गया।

 

थोड़ी देर बाद, मेरे जीजाजी को एक टैक्सी मिल गयी और हमने अस्पताल का रुख किया। उस समय तक, सुबह के 5 बज चुके थे। मेरे पति को गहन चिकित्सा विभाग में भर्ती किया गया था। मैंने जल्दी से एक डॉक्टर खोजा और उससे अपने पति की स्थिति के बारे में पूछा। डॉक्टर ने कहा, "मरीज की चोटें बहुत गंभीर हैं। अगर वो बच भी गया था 99 प्रतिशत सम्भावना है कि वह दिमागी तौर पर मृत होगा। आपको इस संभावना के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए और इलाज के लिए कम से कम 200 हज़ार युआन का इंतजाम कर लेना चाहिए।" यह सुनकर मैं तो लगभग बेहोश ही हो गयी। मुझे बहुत चिंता होने लगी: "मेरे पति जीवित रहेंगे ये निश्चित नहीं है, और इलाज में इतना अधिक खर्च होगा। अगर ऐसा होता है कि उनका उपचार काम न आया, तो न केवल मैं अपने पति को खो दूंगी, बल्कि मैं वह सारा पैसा भी व्यर्थ में गँवा दूँगी। हमारे परिवार के लिए रोजीरोटी कमाने वाले व्यक्ति के बिना, मेरा बेटा और मैं कैसे काम कर पाएंगे? अगर मेरे पति सचमुच दिमागी रूप से मृत हो गए, तो मैं इस परिवार को कैसे चला पाऊंगी?" ठीक उस समय, मुझे ऐसा लगा कि मुझ पर ज़बरदस्त बोझ आ पड़ा हो, जो मुझे इतनी ज़ोर से दबा रहा था कि मैं साँस नहीं ले पा रही थी। मैं पूरी तरह से असहाय महसूस कर रही थी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करना है। मेरी आंखों के सामने अँधेरा छा गया, मैं दीवार के सहारे धीरे-धीरे नीचे बैठ गयी।

 

अपनी असहाय अवस्था में, मैं अपना दर्द केवल परमेश्वर से बाँट सकती थी। इसलिए, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा, "हे परमेश्वर! मेरा आध्यात्मिक कद बहुत छोटा है। इस समस्या के पड़ने से मैं बहुत कमज़ोर हो गयी हूँ, मुझे नहीं पता कि मुझे क्या करना है। हे परमेश्वर! कृपया मुझे प्रबुद्ध करें और राह दिखाएं।" प्रार्थना के बाद, मैंने परमेश्वर के वचनों के बारे में सोचा, "शेष सभी चीजों के साथ, मनुष्य चुपचाप और अनजाने में परमेश्वर से मिठास और बारिश और ओस द्वारा पोषित होता है। शेष सभी चीजों की तरह, मनुष्य अनजाने में परमेश्वर के हाथ की योजना के अधीन रहता है। मनुष्य का हृदय और आत्मा परमेश्वर के हाथ में हैं, और उसका पूरा जीवन परमेश्वर की दृष्टि में है। भले ही तुम यह मानो या न मानो, कोई भी और सभी चीज़ें, चाहे जीवित हों या मृत, परमेश्वर के विचारों के अनुसार ही जगह बदलेंगी, परिवर्तित, नवीनीकृत और गायब होंगी। परमेश्वर सभी चीजों को इसी तरीके से संचालित करता है" ("परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है")। हाँ, परमेश्वर ने आकाश, पृथ्वी और सभी चीजों का निर्माण किया है, और उन्होंने हमें जीवन भी दिया है। परमेश्वर हमें वह सब कुछ प्रदान करते हैं जिसकी हमें आवश्यकता होती है, और वह हम में से प्रत्येक की नियति की व्यवस्था और उस पर राज करते हैं। जीवन और मृत्यु तो बस उन्हीं के हाथों में है, क्योंकि यह परमेश्वर का अधिकार है। मेरे जैसे सृजित प्राणी का अपने भविष्य और मेरी नियति पर कोई नियंत्रण नहीं है, इसलिए मुझे सब कुछ परमेश्वर के हाथों में सौंप देना चाहिए और उनकी संप्रभुता और व्यवस्था को समर्पित होना चाहिए। फिर मैंने उस समय के बारे में सोचा जब मूसा ने इस्राएलियों को मिस्र से बाहर निकाला था। जब उन लोगों ने जंगल में प्रवेश किया और उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था, तो यहोवा ने स्वर्ग से मन्ना गिराया और उन्हें खाने के लिए बटेर उपलब्ध करवाए, और यहोवा ने उनसे वादा किया कि वह उन्हें हर दिन खाने के लिए पर्याप्त भोजन देगा। फिर भी कुछ को परमेश्वर पर भरोसा नहीं था, वे डरते थे कि अगले दिन उन्हें भोजन नहीं मिलेगा। इसलिए, उन्होंने अगले दिन खाने के लिए कुछ मन्ना बचा लिया, लेकिन जब अगला दिन आया, तो उन्होंने पाया कि मन्ना खाने लायक नहीं रह गया था। इससे मुझे समझ आया कि परमेश्वर वो सृष्टिकर्ता हैं जो मानवजाति की आपूर्ति और पोषण करते हैं, और जब तक हम ईमानदारी से उन पर विश्वास करते हैं और उनका पालन करते हैं, तब तक हमारे लिए उनका प्रावधान कभी नहीं सूखेगा। लेकिन फिर भी लोगों को परमेश्वर में विश्वास नहीं है और वे हमेशा अपने हितों और भविष्य के लिए योजना बनाने की चिंता में लगे रहते हैं। इस बिंदु पर, मैंने आत्म-अवलोकन के माध्यम से महसूस किया कि मुझे परमेश्वर में सच्चा विश्वास नहीं था, मैं हमेशा अपने भविष्य के जीवन के बारे में चिंतित रहती थी। न केवल इससे मेरी समस्याओं का हल नहीं हो सकता था, बल्कि यह केवल उस दबाव और बोझ में बढ़त कर रहा था जो मैं पहले से महसूस कर रही थी। यह सोचकर, मैंने अपने परिवार के भविष्य को परमेश्वर के हाथों में सौंपते हुए, उनसे प्रार्थना की। मैंने अपनी प्रार्थना में कहा, "चाहे परमेश्वर जो भी करें, मैं केवल उनकी संप्रभुता और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पित होने में सक्षम होने की कामना करती हूँ। उसी वक्त, मैं जो दबाव और तनाव महसूस कर रही थी, उससे मुझे थोड़ी राहत मिली।

 

मैं गहन चिकित्सा विभाग गयी और अपने पति को देखा। चूँकि उनके सिर का फ्रैक्चर हुआ था, इस कारण उनके दोनों कानों से खून रिस रहा था। उनकी तीन पसलियां भी टूटी गयी थीं, उनके दाहिने पैर की हड्डी टूट चुकी थी, बाएं पैर के सभी पंजे टूटे हुए थे, दोनों फेफड़े जख्मी हो चुके थे, और उनके शरीर का ज्यादातर हिस्सा काले और नीले रंग के जख्मों से भरा था। मैंने सोचा कि कल सुबह मेरे पति कितने खुश थे, और कल शाम को उन्होंने हमारे बेटे से फोन पर बात की थी, और अब वह इस हाल में थे… जितना मैंने इस बारे में सोचती, उतना ही मुझे लगता कि दर्द मेरे दिल को चीर रहा है।

 

दुर्घटना के बाद के तीसरे दिन, मेरे पति की हालत अचानक बिगड़ गई। उनकी सांस बहुत उथली हो गई और उनके चेहरा बेरंग पड़ गया, मानो वे मरने ही वाले थे। मेरे पति को देखकर, मेरे परिवार ने रोते हुए कहा कि मेरे पति शायद पूरा दिन नहीं देख पाएंगे। यह सोचकर कि वे हमें छोड़ कर जा रहे हैं, मेरा दिल दुःख से भर गया और मैं बहुत पीड़ा में थी। उसी समय, मुझे एहसास हुआ कि लोग कितने नगण्य हैं, और बीमारी के सामने हम कितने असहाय और शक्तिहीन हैं। मैं बस परमेश्वर से चुपचाप प्रार्थना कर सकती थी, उनसे आशा कर सकती थी और अपने पति को उन्हें सौंप सकती थी। उस समय, मैं एक भजन, "पा नहीं सकते थाह परमेश्वर के कार्यों की," के बारे में सोचने लगी जिसमें लिखा है, "फैले हो तुम ज़मीं से आसमाँ तक, कौन जानता है दायरा तुम्हारे कर्मों का? रेतीले तट पर देखते हैं हम बस एक कण, तुम्हारी व्यवस्था के हम इंतज़ार में हैं ख़ामोशी से।" मैं ख़ामोशी से दिल में यह गीत गुनगुनाने लगी और समझ गयी कि परमेश्वर सृष्टिकर्ता हैं, कि वह सभी चीजों पर शासन करते हैं, उनका प्रशासन करते हैं, कि परमेश्वर जीवन, मृत्यु, बीमारी और बुढ़ापे को पूर्वनियत करते हैं, साथ ही साथ ऐसे नियमों का निर्धारण भी करते हैं जो सभी चीजों में परिवर्तन पर नियन्त्रण करते हैं। मैं समझ गयी कि कोई भी इंसान उन्हें बदल नहीं सकता, उन्हें तोड़ने की तो बात ही दूर है। जब प्रभु यीशु ने अपने कार्य किए, तो उन्होंने हवा और समुद्र को फटकारने के लिए केवल एक वचन कहा और वे शांत हो गए; एक वचन के साथ, प्रभु यीशु ने लाजर को उसके कब्र से बाहर बुलाया और वह 4 दिनों के लिए मृत होने के बाद फिर से जीवित हो गया। परमेश्वर नरक की चाबी रखते हैं और मानवजाति के जीवन और मृत्यु को नियंत्रित करते हैं। केवल परमेश्वर ही लोगों को जीवन में वापस ला सकते हैं, शून्य को किसी वस्तु में बदल सकते हैं—परमेश्वर के अधिकार को नापा नहीं जा सकता! परमेश्वर के कर्मों पर विचार करते हुए मैंने परमेश्वर में अपनी आस्था को पा लिया और मैं विश्वास करने लगी कि सभी चीजें परमेश्वर के हाथों में हैं। मेरे पति फिर से जागेंगे या नहीं, उनकी चोटें किस हद तक विकसित होंगी, यह परमेश्वर के ऊपर है। मैंने फिर परमेश्वर से प्रार्थना की, अपने पति को उन्हें सौंप दिया, उनकी सभी व्यवस्थाओं के लिए समर्पित होने को तैयार हो गयी।

 

चौथे दिन की सुबह, मैं और मेरा बेटा गहन चिकित्सा विभाग में गये और एक नर्स से अपने पति की स्थिति के बारे में पूछा। उसने कहा कि कोई नई घटना नहीं हुई है, लेकिन वह पहले से थोड़ा बेहतर हैं। कृतज्ञता के आँसू मेरे आँखों से बह निकले, मैंने ख़ामोशी से परमेश्वर को अपना धन्यवाद और स्तुति अर्पित की।

 

एक सप्ताह बीत गया, मेरे पति अब तक होश में नहीं आये थे। डॉक्टर ने मुझसे कहा, "चूँकि आपके पति को अभी तक होश नहीं आया है, हमें ऑपरेशन करवाने के लिए उन्हें दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित करना होगा। आपको ऑपरेशन के लिए भुगतान करने के लिए बहुत से धन का इंतजाम करना होगा।" बात करते हुए, उन्होंने वार्ड के एक अन्य मरीज की ओर इशारा किया, और कहा, "उन्हें देखिये। उनकी चोटें आपके पति की तरह गंभीर नहीं हैं, लेकिन 10 दिनों से अधिक समय से उनका इलाज चल रहा है और उनकी सूजन कम नहीं हुई है और उन्हें होश नहीं आया है। हमारे पास उन्हें दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।" डॉक्टर की बात सुनकर, मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। मुझे चिंता थी कि मेरे पति दिमागी रूप से मृत हो जाएंगे, लेकिन मुझे नहीं पता था कि उनके ऑपरेशन के भुगतान के लिए पैसे कहाँ से लाऊँ। उस समय, मैं अपने क्रेडिट कार्ड पर लोन लेकर अपने पति के अस्पताल की फीस का भुगतान कर रही थी। अगर पैसे कम पड़ जाने के कारण उनके इलाज में देरी हुई, तो मैं क्या करुँगी? उस पल, चिंता, घबराहट, दर्द और लाचारी ने मुझ पर एक साथ हमला कर दिया। मैं बस परमेश्वर से प्रार्थना कर सकती थी, उनसे आशा कर सकती थी, उन्हें सब कुछ सौंप कर उनकी मदद और मार्गदर्शन की याचना कर सकती थी।

 

दसवें दिन, उपस्थित डॉक्टर ने मुझसे कहा, "मैं आपके लिए दूसरे अस्पताल से संपर्क करूंगा। यदि आपके पति अगले दो दिनों में होश में नहीं आते हैं, तो उन्हें स्थानांतरित करना होगा, क्योंकि आपके पति के पैर की हड्डी का ऑपरेशन दो हफ्तों के भीतर किया जाना चाहिए, अन्यथा वह स्थायी रूप से अक्षम हो जाएगा। ऑपरेशन के लिए आपको लगभग 400 हज़ार युआन का इंतज़ाम करना होगा। इसमें वाकई देरी नहीं की जा सकती है..." यह सुनकर, मैं बेहद चिंतित हो गयी, और मुझे नहीं पता था कि मैं इतने पैसे उधार लेने के लिए कहाँ जा सकती हूँ। मेरे परिवार ने ट्रैफिक पुलिस को उपहार दिए ताकि वे हमें उस व्यक्ति को खोजने में मदद करें जो मेरे पति से टकरा गया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हमारे रिश्तेदारों और दोस्तों ने हमारी स्थिति देखी, वे जानते थे कि हम कभी भी पैसा वापस नहीं कर पाएंगे, और इसलिए उन्होंने मुझसे केवल सांत्वना के शब्द कहे, कोई भी व्यक्ति हमें एक पैसा उधार देने को तैयार नहीं था। संसार और मानवीय भावनाओं की अस्थिरता ने मुझे निराशा में डाल दिया। रोते हुए, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की और कहा, "हे परमेश्वर! सब कुछ आपके हाथों में है। मेरे पति 10 दिन से बेहोश हैं, फिर भी वे जी रहे हैं, और इससे मैं देख सकती हूँ कि आप उनकी रक्षा कर रहे हैं। लेकिन आज, डॉक्टर हमें दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित करना चाहते हैं और ऑपरेशन बहुत महंगा होगा। मैं वास्तव में नहीं जानती कि क्या करना है। हे परमेश्वर! मैं आपसे मेरी आस्था को दृढ़ करने और मेरे लिए एक मार्ग खोलने की विनती करती हूँ। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या करते हैं, मैं इसे एक आज्ञाकारी दिल के साथ अनुभव करना चाहती हूँ।" प्रार्थना करने के बाद, मैंने थोड़ा शांत महसूस किया। इन पिछले कुछ दिनों में, मैं प्रार्थना के माध्यम से परमेश्वर के करीब हो गयी थी और मैंने अपनी आँखों से परमेश्वर के चमत्कारिक कार्यों को देखा था। सभी बाधाओं के बावजूद, मेरे पति अभी भी जीवित थे, यह सब परमेश्वर की देखभाल और सुरक्षा के कारण ही था। मेरा मानना था कि, जब तक मैं परमेश्वर से प्रार्थना करती हूँ, उन पर भरोसा करती रहती हूँ, तब तक परमेश्वर निश्चित रूप से मेरा मार्गदर्शन करेंगे। मुझे परमेश्वर में विश्वास रखना ही होगा, थोड़ा झटका लगने के कारण निराश और उदास नहीं होना चाहिए, क्योंकि अगर मैं ऐसा महसूस करने लगी, तो मैं परमेश्वर के काम का अनुभव कैसे करुँगी?

 

बाद में, मैं कुछ पैसे जुटाने की कोशिश करने के लिए घर लौट आयी। अप्रत्याशित रूप से, मेरे चाचा मुझे कुछ पैसे उधार देने के लिए तैयार हो गये थे और उससे भी बेहतर खबर यह थी कि जो व्यक्ति दुर्घटना का ज़िम्मेदार था, वह मिल गया था। तभी, मेरे बेटे ने मुझे फोन किया और उत्साह से कहा, "माँ, पिताजी को होश आ गया है। डॉक्टर कह रहे हैं कि उन्हें अब दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित होने की आवश्यकता नहीं है, और पिताजी के ऑपरेशन की व्यवस्था कर रहे हैं। जल्दी कीजिये और अस्पताल आ जाइये।" अपने बेटे की बात सुनकर, मैं बहुत रोमांचित हो गयी, मेरी आँखों से आँसू बह निकले और मेरा दुःख, सुख से मिल गया। अपने दिल में, मैं परमेश्वर का शुक्रिया अदा करती रही और उनके शानदार कामों की स्तुति करता रही।

 

मेरे पति के पैर की हड्डी के ऑपरेशन से पहले, डॉक्टर ने मुझे गारंटी फॉर्म पर और गंभीर बीमारी के नोटिस पर हस्ताक्षर करने को कहा, उन्होंने मुझसे कहा, "हालांकि आपके पति को होश आ गया है, लेकिन उनकी चोटों की गंभीर प्रकृति के कारण, उनका शरीर बहुत कमज़ोर है। उन्हें अब एक लंबे ऑपरेशन से गुज़रना होगा और अगर वह इसे सहन नहीं पाए तो वह ऑपरेशन की मेज पर छटपटाने लगेंगे। इसलिए, हमें उन्हें बेहोशी की दवा देनी होगी। लेकिन ऐसा करने से, ये जोखिम रहेगा कि ऑपरेशन के बाद उन्हें फिर से होश न आये। हमने इस अस्पताल में पहले भी ऐसा होते देखा है। रोगी के एक रिश्तेदार के रूप में, आपको ध्यान से सोचना होगा कि क्या आप ये जोखिम लेना चाहती हैं या बस उन्हें अपनी वर्तमान स्थिति में छोड़ देना चाहती हैं।" डॉक्टर की बातें सुनने के बाद, मैं असमंजस में पड़ गयी थी। थोड़ी देर के लिए मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, मुझे नहीं पता था कि मैं यह निर्णय कैसे लूँ। तब मैंने सोचा कि मेरे पति ने अस्पताल में पिछले 10 दिन अधिक खतरे के बिना निकाले हैं। न केवल उन्हें दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित नहीं किया गया, बल्कि वे ऑपरेशन से पहले होश में भी आ गये—क्या ये परमेश्वर के चमत्कारिक कर्म नहीं हैं? जबकि जो मरीज मेरे पति जितना गंभीर रूप से घायल नहीं था, वह भी 10 दिनों से अधिक समय के इलाज के बावजूद अभी तक होश में नहीं आया था। अंत में, उस मरीज को दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित करना पड़ा था, और यह अनिश्चित था कि वह जीवित रहेगा या नहीं। मैंने सोचा कि कैसे मेरे पति को परमेश्वर द्वारा पूरे समय संरक्षित रखा गया था, इसलिए जो भी आगे होगा वह भी परमेश्वर द्वारा शासित होगा। मनुष्य का जीवन, मृत्यु, भाग्य और दुर्भाग्य सभी परमेश्वर के हाथों में हैं, मुझे परमेश्वर के आयोजन और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पित होना ही चाहिये। इसलिए मैंने इस बारे में और नहीं सोचा और फॉर्म पर हस्ताक्षर करते हुए मैंने परमेश्वर से एक मौन प्रार्थना की: "हे परमेश्वर! मैं विश्वास करती हूँ कि मेरे पति की जीवन-मृत्यु आपके हाथों में है, डॉक्टरों का कथन इस बारे में निर्णायक नहीं है। इस स्थिति का अनुभव करते हुए मैं आप पर भरोसा करना चाहती हूँ, आपसे आशा रखती हूँ। अंत में मेरे पति के साथ चाहे जो भी हो, मेरा मानना है कि आप जो कुछ भी करते हैं वह सबसे अच्छे के लिए होता है, मेरे जैसे छोटे से सृजन को सृष्टिकर्ता की आज्ञा का पालन करना चाहिये।"

 

मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरे पति का ऑपरेशन इतनी अच्छी तरह से हो पाएगा, उन्हें खतरे से धीरे-धीरे दूर जाते देखकर, मेरे दिल से पत्थर आखिरकार हट गया। डॉक्टर ने विस्मय में मुझसे कहा, "आपके पति का होश में आना, पूरी तरह से हमारी कल्पना के परे है। यह वास्तव में एक चमत्कार है!" मुझे दिल की गहराई से पता था कि यह सब परमेश्वर की सुरक्षा है, और मैंने तहे दिल से परमेश्वर की दया को धन्यवाद दिया। हालाँकि, ऑपरेशन के बाद मेरे पति पूरी तरह से अपनी स्मृति खो चुके थे और उन्होंने मुझे पहचाना भी नहीं। वे आसानी से अपना आपा खो देते थे, उनकी मानसिक स्थिति एक शिशु जैसी थी, और मैं बेहद चिंतित थी। मैंने डॉक्टर से सलाह ली और पूछा कि क्या मेरे पति कभी वैसे हो पाएंगे जैसे वह हुआ करते थे, लेकिन डॉक्टर ने कहा, "वह ऑपरेशन के बाद की भूलने की बीमारी से पीड़ित है और यह कहना मुश्किल है कि वह कब ठीक होंगे। जब आपके पति की चोट ठीक हो जाये तो वह पुनर्वास केंद्र में जा सकते हैं…" उन्हें यह कहते सुनकर, मैं एक बार फिर चिंता में पड़ने लगी: "यदि मेरे पति ऐसे ही रहे, तो वह एक साधारण व्यक्ति की तरह रहेंगे। मैं क्या करूं?" इस चिंता के साथ, मैं न खा सकती थी, न सो सकती थी, जब मुझे कुछ भी सूझना बंद हो गया तो मैंने परमेश्वर के वचनों के बारे में सोचा, "कहने का आशय है कि, कोई व्यक्ति मरने के बाद कहाँ जाता है और कहाँ उसका पुनर्जन्म होता है, वह पुरुष होगा अथवा स्त्री, उसका ध्येय क्या है, जीवन में वह किन परिस्थितियों से गुज़रेगा, उसकी असफलताएँ, वह किन आशीषों का सुख भोगेगा, वह किनसे मिलेगा, उनके साथ क्या होगा—कोई भी इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकता है, इससे बच नहीं सकता है, या इससे छुप नहीं सकता है। कहने का अर्थ है कि, तुम्हारा जीवन निश्चित कर दिए जाने के पश्चात्, तुम्हारे साथ जो होता है उसमें, तुम इससे बचने का कैसा भी प्रयास करो, तुम किसी भी साधन द्वारा तुम बचने का प्रयास करो, आध्यात्मिक दुनिया में परमेश्वर ने तुम्हारे लिये जो मार्ग निर्धारित कर दिया है उसके उल्लंघन का तुम्हारे पास कोई उपाय नहीं है" ("स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है X")। परमेश्वर के वचनों से मुझे समझ में आया कि परमेश्वर ने हमारे जीवन में उन सभी चीजों को पूर्वनियत किया है जिनका हम अनुभव करते हैं। यह हमारे ऊपर नहीं है कि क्या होता है, चाहे कठिनाई हो या सौभाग्य, हम इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकते। लेकिन अपने पूरे जीवन के दौरान प्रत्येक चरण जिसका हम अनुभव करते हैं वो परमेश्वर द्वारा सावधानीपूर्वक व्यवस्थित की गई है और सभी बातों के पीछे उनके अच्छे इरादे हैं। परमेश्‍वर को आशा है कि हम इन वातावरणों का अनुभव करते हुए, उनके स्वभाव और स्वरूप को भलीभांति समझ जायेंगे और वह आशा करते हैं कि वे हमारे जीवन को विकसित करने में सक्षम होंगे। मैं उन पिछले कुछ दिनों के अपने अनुभवों के बारे में सोचने लगी, जब मेरे पति का जीवन उस कार दुर्घटना के कारण बुझने वाला था, जब मैं खुद को असहाय और दर्द में महसूस कर रही थी, तो यह परमेश्वर के वचनों का सामयिक प्रबोधन और मार्गदर्शन ही था जिसने मुझे उनकी संप्रभुता और अधिकार के बारे में समझाया था। केवल तबी ही मैंने अपने दिल से चिंता को निकाला, मुझे परमेश्वर पर भरोसा करने का विश्वास मिला; जब मैं ऑपरेशन की भारी लागत का सामना कर रही थी और नहीं जानती थी कि मुझे क्या करना है, मैंने परमेश्वर से ईमानदारी से प्रार्थना की और परमेश्वर ने मेरे लिए एक रास्ता खोल दिया। न केवल उन्होंने मेरे पैसे की कमी की समस्या का हल किया, बल्कि वे मेरे पति को होश में भी लाये। बाद में, मैंने वास्तव में परमेश्वर के प्रेम और मार्गदर्शन का अनुभव किया। परमेश्वर मुझे एक पल के लिए भी नहीं छोड़ते थे, हर बार जब मैं खुद को असहाय एवं कमजोर महसूस करती थी, तो परमेश्वर अपने समयोचित वचनों द्वारा मुझे बाधाओं को पार करने की राह दिखाने के लिए मौजूद रहते थे। परमेश्वर के मार्गदर्शन के बिना, मुझे नहीं पता होता कि उस दर्द से कैसे निकलना है। केवल अब मुझे यह समझ में आया है कि, अगर मुझे इस स्थिति का अनुभव नहीं होता, तो मैं कभी भी परमेश्वर को वास्तव में नहीं जान पाती, परमेश्वर के अधिकार के बारे में मेरी समझ हमेशा सैद्धांतिक बनी रहती, उनमें मेरा विश्वास कभी नहीं बढ़ता। इन स्थितियों ने मेरे जीवन को सबसे अधिक लाभ पहुँचाया है इसलिए मैं अब उनसे बचने की इच्छा नहीं रखती, और मैं आगे के मार्ग पर चलने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करने को तैयार हूँ, और मुझे विश्वास है कि परमेश्वर मेरा मार्गदर्शन करेंगे।

 

मेरे पति स्थानान्तरित होने से पहले 21 दिनों तक शहर के अस्पताल में रहे। उसके बाद, मैंने हर दिन परमेश्वर से प्रार्थना की और अपने पति को परमेश्वर के हाथों में रख दिया। मैंने धैर्यपूर्वक उन्हें बोलना सिखाया और सभी प्रकार की चीजों और उसके आसपास के लोगों को पहचानना सिखाया। बहुत धीरे-धीरे, वे रिश्तेदारों को पहचानने में सक्षम हो गये और अब अपना आपा नहीं खोते थे। अपने पति को दिन-प्रतिदिन बेहतर होते देखकर मुझे बहुत खुशी हुई, और सभी डॉक्टरों ने आश्चर्यचकित होते हुए मुझसे कहा, "यह तो अविश्वसनीय है। किसी ने नहीं सोचा होगा कि ये इतनी जल्दी ठीक होने लगेंगे। ये तो वास्तव में चमत्कार है! उनकी बगल में जो मरीज़ था वो भी उन्हीं के समान कार एक्सीडेंट का शिकार था और दुर्घटना के 6 महीनों के बाद भी उसे होश नहीं आया है। अभी भी संदेह है कि वह जीवित रहेगा या नहीं। आप सच में बहुत भाग्यशाली हैं!" यह सुनकर, मैं अपने दिल में परमेश्वर का धन्यवाद और प्रशंसा करती रही, क्योंकि यह केवल परमेश्वर की सुरक्षा थी जिसने मेरे पति को जीवित रखा था।

 

मेंरे पति को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उनकी तबियत जल्दी से ठीक होने लगी। न केवल वह बैसाखी की सहायता से चल सकते थे, बल्कि उनकी मूल स्मृति भी वापस आ गई थी। मैंने उन्हें वो सब बताया जो अस्पताल में भर्ती होने के बाद से हुआ था, कैसे मैंने परमेश्वर पर भरोसा किया था और कैसे परमेश्वर ने मुझे उन दिनों के अत्यंत दर्द और कमजोरी से निकलने की राह दिखाई थी। उनकी आँखों में आँसू झिलमिलाने लगे, "जब मैं बेहतर हो जाउँगा, तो मैं गवाही दूँगा कि परमेश्वर ने मुझे बचाया, ताकि अधिक लोगों को परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और उनके चमत्कारिक कर्मों के बारे में पता चले।" जब मैने अपने पति को यह कहते हुए सुना तो मुझे परमेश्वर के उद्धार के लिए वास्तविक आभार महसूस हुआ।

 

इस असाधारण अनुभव के माध्यम से, मैंने वास्तव में परमेश्वर के चमत्कारिक कर्मों को देखा, मैंने देखा कि परमेश्वर सभी चीजों के शासक हैं। परमेश्वर वास्तव में हर एक व्यक्ति के जीवन और मृत्यु को नियंत्रित करते हैं, और कोई भी सृजित वस्तु कभी भी उनके सामर्थ्य और अधिकार को पार नहीं कर सकती है। जैसा कि परमेश्वर का वचन कहता है, "मनुष्य का जीवन परमेश्वर से निकलता है, स्वर्ग का अस्तित्व परमेश्वर के कारण है, और पृथ्वी का अस्तित्व भी परमेश्वर की जीवन शक्ति से ही उद्भूत होता है। कोई वस्तु कितनी भी महत्वपूर्ण हो, परमेश्वर के प्रभुत्व से बढ़कर श्रेष्ठ नहीं हो सकती, और कोई भी वस्तु शक्ति के साथ परमेश्वर के अधिकार की सीमा को तोड़ नहीं सकती है। इस प्रकार से, चाहे वे कोई भी क्यों न हों, सभी को परमेश्वर के अधिकार के अधीन ही समर्पित होना होगा, प्रत्येक को परमेश्वर की आज्ञा में रहना होगा, और कोई भी उसके नियंत्रण से बच कर नहीं जा सकता है" ("केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनन्त जीवन का मार्ग दे सकता है")।

  

स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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और पढ़ें:

प्रार्थना क्या है - प्रार्थना का महत्व जानें - सीखें कि प्रार्थना कैसे करें?

धन लक्ष्मी साधना एवं प्राप्ति के उपाय - पुस्तक (पेज न. 3)

 

पेज न. 3

  

लक्ष्मी का निवास कहाँ ?

  

जो मनुष्य धर्मशील, जितेंद्रिय, विनम्र पर दुःखकातर, भक्त, कृतज्ञ और उदार है। सदाचारी, बड़े-बुढो कि सेवा में तत्पर, पुण्यात्मा, क्षमाशील एवं बुद्धिमान है। जो दानपुण्य, गुरुपूजा-देवपूजा नियमित करता है। त्याग, सत्य और शौच उनका भूषण है। जो स्त्रिया गुरु-भक्ति एवं पति परायणा है, जिनमे क्षमा, सत्य, इंद्रिय संयम, सरलता, घीरा, प्रियवादिनी, लावण्यमयी एवं सुशीला है। जो देवताओ एवं ब्राह्मणो में श्रद्धा रखती है और जो कलहहीन है। जिस घर में हमेशा यज्ञ, होम होता है। देवता गौ, और गुरु-ब्राह्मणो की पूजा होती है। वहाँ लक्ष्मी का निवास होता है। इसके अलावा- आंवला, फल, गोबर, शंख, शुक्लवस्त्र, चन्द्र, महेश्वरी, नारायण, वसुंधरा, उत्सव, मंदिर इन स्थानो में लक्ष्मी का स्थायी निवास है।

 

लक्ष्मी का निवास नहीं- जो मनुष्य पापकर्मरत, ऋणग्रस्त या अतिशय कंजूस, कटुभाषी, कलहकारी हो। जो व्यक्ति कन्या, आत्म और वेद विक्रय करता हो। जो माता-पिता, आर्या, गुरु-पत्नी, गुर-पुत्र, अनाथाभगिनी, कन्या और आश्रयरहित बांधवो का पोषण प्रदाता न हो और जिसके दांत गंदे, मलिनवस्त्र, सूखा मस्तिष्क तथा हास्य विकृत है। जो सायं शयन, पूर्ण नग्नशयन, दिन में स्त्री का संसर्ग बहुभक्षी, निष्ठर और झूठ बोलता हो। पराया अन्न, परायी नार, पराया वस्त्र और पराया वाहन पर बुरी नजर रखता हो। जो आलसी, क्रोधी, कृपण, व्यसनी, अपव्ययी, दुराचारी, अदुरदर्शी और अहंकारी हो। वहाँ लक्ष्मी नही रहती। माँ लक्ष्मी को चोरी, दुर्व्यसन, अपवित्रता और अशांति से घृणा है।

  

लक्ष्मी को क्या है सर्वाधिक प्रिय ?

 

सौभाग्य एवं ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी को पुष्पो में सर्वाधिक प्रिय कमल का फूल है। कमल सौभाग्य का प्रतीक है और उस पर विराजमान देवी लक्ष्मी सौभाग्यदामिनी है अत: उनका सम्बन्ध कमल से अनिवार्य प्रतीत होता है। एक प्रचलित मान्यता के अनुसार लक्ष्मी को कमल से उत्पन्न माना जाता है, इसलिए इसे पदमजा कहा जाता है। सृष्टि को प्रारम्भ करने का श्रेय भी कमल को जाता है। काव्य तथा श्रृंगार में भी कमल को भरपूर प्रसिद्धि मिली है। समस्त जल पुष्पो में कमल ही श्रेष्ठ है। वेदो के अनुसार रक्तिम, श्वेत एवं नील कमल क्रमशः ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश के प्रतीक माने गए है। कमल भारतीय धर्म, दर्शन एवं संस्कृति का सन्देश वाहक है। संसार रूपी कीचड में उत्पन्न होते हुए भी कमलवत् (असंसारी) रहो यही कमल का सन्देश है। यह सात्विक पुष्प है लक्ष्मी को सर्वाधिक प्रिय है।

  

लक्ष्मी के स्थायित्व के सात कल्प

  

कहां है- "पुरुष पुरातन की वधु क्यों न चंचला होय"। पुरुष पुरातन यानि विष्णु की पत्नी अर्थात लक्ष्मी चंचला है। या यह भी कि बूढ़े व्यक्ति की युवा पत्नी चंचल क्यों नही होगी। लक्ष्मी कभी भी एक स्थान पर टिक कर नही रहती। किन्तु लक्ष्मी की स्थायी प्राप्ति के इन सात अमूल्य अलौकिक कल्पो के सहारे हम लक्ष्मी की स्थायी कृपा प्राप्त कर सकते है। प्रत्येक सनातन धर्मी और जो लक्ष्मी के स्थायी निवास की कामना रखते है, उनके लिए लक्ष्मी के प्रिय सात कल्प आवश्यक है।

  

एकाक्षी नारियल

 

सामान्यत: नारियल की जय उतारने पर टहनी की ओर तीन काले बिंदु दिखाई पड़ते है। मान्यता है कि दो बिंदु नेत्रो के एवं एक बिंदु आँख का प्रतीक है। लक्ष्मी सूक्त (यज्ञवक्लयाचार्य) में कहा गया है- संसार में सब कुछ सुलभ है, किन्तु एकाक्षी नारियल दुर्लभ है। संस्कृत में कहा है- दुर्लभ स्फटिकं हारं, दुर्लभ पारदंशिवं।

दुर्लभो वपु एकाक्षी नालिकेश्च दुर्लभम् अर्थात स्फटिक मणियो की माला, पारद शिवलिंग तथा एकाक्षी नारियल संसार में अत्यंत दुर्लभ है। विष्णु पुराण में तो कहा गया है कि जिसके घर में मन्त्र सिद्ध, प्राण प्रतिष्ठित एकाक्षी नारियल है, उसके घर में स्थायी रूप से अटूट लक्ष्मी का निवास रहता है। दीपावली पर जो व्यक्ति लक्ष्मी मूर्ति के समक्ष एकाक्षी नारियल रखकर उसकी पूजा करता है, उसके जीवन में धन-धान्य का अभाव रह ही नही सकता। इसे सुंघाने मात्र से स्त्री गर्भ के कष्ट से मुक्ति पा लेती है तथा सरलता से प्रसव होता है। जिस घर में यह नारियल होता है वहां तांत्रिक प्रभाव बेअसर होता है। एकाक्षी नारियल प्राण प्रतिष्ठित, लक्ष्मी मंत्रो से अभिमंत्रित तथा रूद्र मंत्रो से अभिषेशित होना चाहिए। यह कार्य प्रत्येक साधक के लिए असम्भव है अत: उसे अपने गुरु से ही यह विशिष्ठ नारियल प्राप्त करना चाहिये।

  

कनकधारा यन्त्र

  

यह यन्त्र अत्यंत दुर्लभ, परन्तु लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रामबाण है। यह यन्त्र दरिद्रतानाशक एवं ऐश्वर्य प्रदान करने वाला है। यह अदभुत यन्त्र तुरंत फलदायी है, परन्तु इसकी प्राण प्रतिष्ठा उतनी ही दुःसाध्य है अत: सिद्धहस्त गुरु द्वारा ही इसे प्राप्त करना चाहिए।

यदि आप बेरोजगार है या कई प्रकार के व्यवसाय कर हार चुके है अथवा गृहस्थ जीवन में आर्थिक अभाव है तो यह यन्त्र विशेष फलदायी है। शीघ्र धन प्राप्ति के लिए कनक धारा साधना विशेष प्रभावी है।

यदि कनकधारा यन्त्र के सामने बैठकर आदिशंकराचार्य कृत कनकधारा स्त्रोत का पाठ किया जाए जो तुरंत फलदायी होता है। मनुष्य अपने कर्ज से छुटकारा पता है। अचानक धन का आगमन होने लगता है। कनकधारा यंत्र एवं कनकधारा स्त्रोत अत्यंत प्रभावी है और स्वानुभूत है।

  

श्री यन्त्र

 

श्री यन्त्र सम्बधित आख्यान है कि एक बार लक्ष्मी अप्रसन्न होकर बैकुण्ड धाम चली गयी। इससे पृथ्वी पर हाहाकार व्याप्त हो गया। चारो ओर के लोग धराधाम पर दीन-हीन होकर इधर-उधर घूमने लगे। तब ब्राह्मणो में श्रेष्ठ वशिष्ठ ने बैकुण्ठ में जाकर लक्ष्मी से पृथ्वी पर आने की प्रार्थना कि। माँ लक्ष्मी किसी भी स्थिति में भूतल पर आने को तैयार नही हुई। तब वशिष्ठ ने अनंत श्री विष्णु की आराधना कि। श्री विष्णु प्रसन्न हुए एवं वशिष्ठ को साथ लेकर लक्ष्मी के पास गए और उन्हें मनाने लगे किन्तु लक्ष्मी ने द्रढ़ता से कहा मै किसी भी स्थिति में पृथ्वी पर नही जाऊंगी। खिन्नमना वशिष्ठ खाली हाथ पुन: पृथ्वीलोक लौट आये एवं लक्ष्मी के निर्णय से सबको अवगत करा दिया। सभी किंकर्तव्यमूढ़ थे कि अब क्या किया जाये ? तब देवताओ के गुरु बृहस्पति ने कहा कि अब तो मात्र एक ही उपाय है- श्री यन्त्र कि साधना। यदि श्री यन्त्र को स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा एवं पूजा कि जाए तो लक्ष्मी को अवश्य आना पड़ेगा। ऋषि महर्षियो ने गुरु बृहस्पति के निर्देशानुसार श्री यन्त्र का निर्माण कर एवं उसकी मंत्रादि से प्राण प्रतिष्ठा कर दीपावली से दो दिन पूर्व यानि धनतेरस को स्थापित कर शोडषोपचार से विधिवत पूजन किया। पूजा समाप्त होते ही लक्ष्मी वहां उपस्थित हो गयी और कहा श्री यन्त्र ही तो मेरा आधार है और इसी कारण मुझे यहाँ आना पड़ा। श्री यन्त्र में लक्ष्मी की आत्मा वास करती है, इसी कारण से इसे यन्त्र राज कहते है। दीपावली की महानिशा रात्रि को लक्ष्मी पूजन के समय इसकी पूजा-अर्चना तथा "ॐ श्रीं हीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं हीं श्रीं ॐ महालक्ष्मै नम:" मंत्र की 11 माला तथा श्री सूक्त का पाठ अवश्य करना चाहिए।

  

दक्षिणावर्ती शंख

 

यह शंख समुंद्र में पैदा होता है. जहा लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ।

इस दृष्टि से एक ही पिता की संतान होने से यह शंख लक्ष्मी का लघु भ्राता कहलाता है। विश्व के समस्त जल जन्तुओ में यही एक मात्र शंख है, जो कुरूप होने पर भी सर्वाधिक पूज्य और मान्य है।

जो व्यक्ति इस शंख को प्राण प्रतिष्ठित युक्त अभिमंत्रित कर पूजा घर में स्थापित करता है,उस घर में लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है सामन्यत सभी शंख बायीं तरफ से खुले रहते है, लेकिन बहुत कम शंख ऐसे भी होते है जो दायी ओर खुले हो। दायी ओर से खुले शंख की ही महता है। इसे ही दक्षिणाव्रती शंख भी कहते है।

  

कुबेर कलश एवं श्रीफल

 

कुबेर धन सम्पत्ति के अधिपति है और देवताओ के कोषाधिपति है उनकी साधना देवता भी करते है। कुबेर में लक्ष्मी का वास है और सुख समृद्धि एव सम्पदा के प्रतीक है। अत: लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुबेर कलश एवं श्री फल ही विशिष्ठ कल्प है। आर्थिक उन्नति, व्यापारिक सफलता एवं स्थायी धन सम्पति प्राप्ति के लिए धन त्रयोदशी की रात्रि अथवा दीपावली रात्रि में अभिमंत्रित कुबेर कलश एवं श्री फल को स्थापित करना विशेष शुभ फलदायी है। जिससे आपके धन सम्पति का खजाना हमेशा कुबेर के खजाने की तरह भरा रहेगा। लक्ष्मी का स्थायी निवास रहेगा। वास्तव में वह घर सौभाग्यशाली है जहाँ कुबेर का स्थायी निवास, अर्थात धन की कमी नहीं है।

  

लक्ष्मी चरण पादुका

 

माँ लक्ष्मी की कृपा दृष्टि हेतु लक्ष्मी चरण पादुका एक सुनहरा कल्प है। जहाँ जहाँ लक्ष्मी के चरण होंगे वहाँ सुख, समृद्धि का निवास होगा। लक्ष्मी के स्थायी निवास के लिए लक्ष्मी चरण पादुका का विशेष महत्व है। बशर्ते वह अभिमंत्रित, सिद्ध एवं मन्त्रचेतनय युक्त हो। प्राण प्रतिष्ठा के बिना चरण पादुका का कोई महत्व नही। अत: दीपावली की शुभ रात्रि पर विशेष रूप से अभिमंत्रित लक्ष्मी स्वरुप चरण पादुका को अपनी तिजोरी, पर्स या पूजन कक्ष में स्थापित कर लक्ष्मी के स्थायी वास का संकल्प करे।

   

श्वेतार्क गणपति

 

सफ़ेद आकड़े का पौधा दुर्लभ है। यह लाखो करोडो पौधो में से एक आध पौधा सफ़ेद रंग का होता है। इसी श्वेत आर्क की जड़ को सावधानी से निकालकर, ऊपरी परत को कई दिन तक पानी में भिगोए रखने के बाद उस पर गणेश जी का उभरा चित्र दिखाई देगा। अथवा सफ़ेद आर्क से बने गणपति की महिमा भी अपरम्पार है। जिस परिवार में श्वेतार्क गणपति की नित्य पूजा होती है, उसके यहाँ जीवन भर धन-धान्य एवं समृद्धि का अटूट भंडार रहता है यह स्वानुभुत है।

सच तो यह है कि धन बिना जीवन व्यर्थ है। और धन की देवी लक्ष्मी है। वह जिस जिस कल्प में विधमान है, प्रत्येक गृहस्थ का उस कल्प को पाने और साधना करने की आवश्यकता है। कहा भी है- धनात् धर्म ततो जय: यानि धन से धर्म हो सकता है और धन से सांसारिक भवबंधन से विजय निश्चित है। इस सन्दर्भ में यह जानना-समजना आवश्यक है कि लक्ष्मी कहां रहती है और कहां नहीं रह पाती।

  

यहाँ तक तृतीय चरण समाप्त होता है।

   

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झाओ जीहान, चीन

 

जीवन की यात्रा में, हम में से हर एक, कुछ ऐसी असाधारण घटनाओं का अनुभव करता है जो हमारी स्मृतिपटल पर अंकित हो जाते हैं और ये कभी भी नहीं भुलाए जाते हैं। जब मेरे पति की कार दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, उस समय के अनुभव ने मुझ पर सबसे गहरी छाप छोड़ी है। उस वक्त किसी को नहीं मालूम था कि वे बच पाएंगे या नहीं, आने वाले दिनों के दौरान मैं पूरी तरह से हैरान-परेशान थी और मुझमें बिल्कुल ताकत नहीं बची थी। लेकिन मेरे लिए जो बात अलग थी, वह यह था कि, परमेश्वर मेरे साथ थे और मेरे पास उनका मार्गदर्शन था, इस प्रकार मेरे पास एक सहारा था, परमेश्वर से प्रार्थना करने और उन पर भरोसा करने के माध्यम से, मैंने अपनी निराशा के बीच एक चमत्कार होते हुए देखा। उस बुरे वक्त के दौरान, मैंने परमेश्वर के अधिकार, संप्रभुता की अधिक समझ और उनके प्रेम की सच्ची सराहना प्राप्त की...

 

13 अगस्त 2014 की शाम, मैं कुछ काम निपटाने के बाद अपने घर जा रही थी, लगभग आधी रात हो चुकी थी। जैसे ही मैं अपने निवास के मुख्य द्वार पर पहुंची, मैंने अपनी सबसे बड़ी बहन, उनके पति और अपनी दूसरी बहन के पति को अप्रत्याशित रूप से वहाँ खड़ा पाया। मुझे ये बहुत अजीब लगा: वे सब इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे हैं? इससे पहले कि मैं इसके बारे में कुछ और सोच पाती, मेरी सबसे बड़ी बहन मेरे पास पहुंची और रोते हुए बोली, "जीहान, तुम कहाँ थी? चिंता से हमारा सर चकरा रहा है। तुम्हारे पति की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गयी है। हमारे भाई ने फोन किया था, वह चाहता है कि तुम तुरंत अस्पताल पहुँचो।" जब मैंने अचानक ये बुरी खबर सुनी, तो मुझे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ और मैं बस वहीं खड़ा रही। मैंने मन में सोचा: "मेरे पति की कार का एक्सीडेंट हो गया? यह कैसे हो सकता है? रात के खाने के समय वे हमारे बेटे से फोन पर बात कर रहे थे..." मेरे जीजाजी ने मुझे दुर्घटना के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मेरे पति की हालत गम्भीर थी, अगर वे बच गये तो बहुत भाग्यशाली होंगे। 99 प्रतिशत संभावना थी कि वे दिमागी तौर पर मृत होंगे। सुनते हुए मैं बहुत रोयी, मुझे लगा कि आसमान ही गिर पड़ेगा। मुझे कुछ पता नहीं था कि इन सबका सामना कैसे करना है।

 

चूँकि बहुत रात हो चुकी थी, इसलिए हमें शहर के अस्पताल के लिए टैक्सी ढूंढने में कुछ समय लग गया। इसके कारण यह सोचते हुए कि मैं अपने पति को कभी जीवित नहीं देख पाऊंगी, मैं और भी परेशान हो गयी। मैं अभिभूत होकर घबरा रही थी कि मुझे अचानक बाइबल में दर्ज अय्यूब की कहानी याद आई। जब उसकी परीक्षा ली गयी थी, तो उसकी सारी संपत्ति चोरी हो गई थी, उसके बच्चों का दुर्भाग्यपूर्ण अंत हो गया था, और उसका पूरा बदन भयानक फोड़े से घिर गया था। इस परीक्षा ने अय्यूब को बहुत तकलीफ और पीड़ा पहुँचाई थी, लेकिन फिर भी उसके दिल में परमेश्वर थे, और उसने पापमय ढंग से बोलने के बजाय अपने जन्म के दिन को अभिशाप देना पसंद किया। चाहे परमेश्वर प्रदान करे, या छीन ले, वह परमेश्वर के लिए पूरी तरह से आज्ञाकारी था। अय्यूब ने शिकायत का एक भी शब्द मुँह से नहीं निकाला, बल्कि यहोवा के नाम का गुणगान किया और परमेश्वर के लिए मजबूत गवाही दी। और इसलिए, मैंने भी फौरन परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे परमेश्वर! जब मैंने अपने पति की कार दुर्घटना के बारे में सुना, तो मैं स्तब्ध रह गई थी, मैं पूरी तरह से हतप्रभ महसूस कर रही थी, मुझे नहीं पता कि वे अभी कैसे हैं। लेकिन जब मैं सोचती हूँ कि कैसे अय्यूब ने आपको श्रद्धा दी और आपके प्रति आज्ञाकारी रहा, तो मैं समझती हूँ कि मुझे उसके जैसा बनने की कोशिश करनी चाहिए और आप पर विश्वास करना चाहिए। हे परमेश्वर! सभी चीजें आपके हाथ में हैं, चाहे मेरे पति के चंगे होने की कोई उम्मीद हो या न हो, मैं आपसे विनती करती हूँ कि आप मेरे दिल को आप पर दोष लगाने से रोकें। मैं आपके आयोजन और व्यवस्था के प्रति समर्पित होना चाहती हूँ, और अपने पति को आपके हाथों में सौंपती हूँ।" प्रार्थना के बाद, मेरा दिल धीरे-धीरे शांत हो गया।

  

थोड़ी देर बाद, मेरे जीजाजी को एक टैक्सी मिल गयी और हमने अस्पताल का रुख किया। उस समय तक, सुबह के 5 बज चुके थे। मेरे पति को गहन चिकित्सा विभाग में भर्ती किया गया था। मैंने जल्दी से एक डॉक्टर खोजा और उससे अपने पति की स्थिति के बारे में पूछा। डॉक्टर ने कहा, "मरीज की चोटें बहुत गंभीर हैं। अगर वो बच भी गया था 99 प्रतिशत सम्भावना है कि वह दिमागी तौर पर मृत होगा। आपको इस संभावना के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए और इलाज के लिए कम से कम 200 हज़ार युआन का इंतजाम कर लेना चाहिए।" यह सुनकर मैं तो लगभग बेहोश ही हो गयी। मुझे बहुत चिंता होने लगी: "मेरे पति जीवित रहेंगे ये निश्चित नहीं है, और इलाज में इतना अधिक खर्च होगा। अगर ऐसा होता है कि उनका उपचार काम न आया, तो न केवल मैं अपने पति को खो दूंगी, बल्कि मैं वह सारा पैसा भी व्यर्थ में गँवा दूँगी। हमारे परिवार के लिए रोजीरोटी कमाने वाले व्यक्ति के बिना, मेरा बेटा और मैं कैसे काम कर पाएंगे? अगर मेरे पति सचमुच दिमागी रूप से मृत हो गए, तो मैं इस परिवार को कैसे चला पाऊंगी?" ठीक उस समय, मुझे ऐसा लगा कि मुझ पर ज़बरदस्त बोझ आ पड़ा हो, जो मुझे इतनी ज़ोर से दबा रहा था कि मैं साँस नहीं ले पा रही थी। मैं पूरी तरह से असहाय महसूस कर रही थी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करना है। मेरी आंखों के सामने अँधेरा छा गया, मैं दीवार के सहारे धीरे-धीरे नीचे बैठ गयी।

 

अपनी असहाय अवस्था में, मैं अपना दर्द केवल परमेश्वर से बाँट सकती थी। इसलिए, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा, "हे परमेश्वर! मेरा आध्यात्मिक कद बहुत छोटा है। इस समस्या के पड़ने से मैं बहुत कमज़ोर हो गयी हूँ, मुझे नहीं पता कि मुझे क्या करना है। हे परमेश्वर! कृपया मुझे प्रबुद्ध करें और राह दिखाएं।" प्रार्थना के बाद, मैंने परमेश्वर के वचनों के बारे में सोचा, "शेष सभी चीजों के साथ, मनुष्य चुपचाप और अनजाने में परमेश्वर से मिठास और बारिश और ओस द्वारा पोषित होता है। शेष सभी चीजों की तरह, मनुष्य अनजाने में परमेश्वर के हाथ की योजना के अधीन रहता है। मनुष्य का हृदय और आत्मा परमेश्वर के हाथ में हैं, और उसका पूरा जीवन परमेश्वर की दृष्टि में है। भले ही तुम यह मानो या न मानो, कोई भी और सभी चीज़ें, चाहे जीवित हों या मृत, परमेश्वर के विचारों के अनुसार ही जगह बदलेंगी, परिवर्तित, नवीनीकृत और गायब होंगी। परमेश्वर सभी चीजों को इसी तरीके से संचालित करता है" ("परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है")। हाँ, परमेश्वर ने आकाश, पृथ्वी और सभी चीजों का निर्माण किया है, और उन्होंने हमें जीवन भी दिया है। परमेश्वर हमें वह सब कुछ प्रदान करते हैं जिसकी हमें आवश्यकता होती है, और वह हम में से प्रत्येक की नियति की व्यवस्था और उस पर राज करते हैं। जीवन और मृत्यु तो बस उन्हीं के हाथों में है, क्योंकि यह परमेश्वर का अधिकार है। मेरे जैसे सृजित प्राणी का अपने भविष्य और मेरी नियति पर कोई नियंत्रण नहीं है, इसलिए मुझे सब कुछ परमेश्वर के हाथों में सौंप देना चाहिए और उनकी संप्रभुता और व्यवस्था को समर्पित होना चाहिए। फिर मैंने उस समय के बारे में सोचा जब मूसा ने इस्राएलियों को मिस्र से बाहर निकाला था। जब उन लोगों ने जंगल में प्रवेश किया और उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था, तो यहोवा ने स्वर्ग से मन्ना गिराया और उन्हें खाने के लिए बटेर उपलब्ध करवाए, और यहोवा ने उनसे वादा किया कि वह उन्हें हर दिन खाने के लिए पर्याप्त भोजन देगा। फिर भी कुछ को परमेश्वर पर भरोसा नहीं था, वे डरते थे कि अगले दिन उन्हें भोजन नहीं मिलेगा। इसलिए, उन्होंने अगले दिन खाने के लिए कुछ मन्ना बचा लिया, लेकिन जब अगला दिन आया, तो उन्होंने पाया कि मन्ना खाने लायक नहीं रह गया था। इससे मुझे समझ आया कि परमेश्वर वो सृष्टिकर्ता हैं जो मानवजाति की आपूर्ति और पोषण करते हैं, और जब तक हम ईमानदारी से उन पर विश्वास करते हैं और उनका पालन करते हैं, तब तक हमारे लिए उनका प्रावधान कभी नहीं सूखेगा। लेकिन फिर भी लोगों को परमेश्वर में विश्वास नहीं है और वे हमेशा अपने हितों और भविष्य के लिए योजना बनाने की चिंता में लगे रहते हैं। इस बिंदु पर, मैंने आत्म-अवलोकन के माध्यम से महसूस किया कि मुझे परमेश्वर में सच्चा विश्वास नहीं था, मैं हमेशा अपने भविष्य के जीवन के बारे में चिंतित रहती थी। न केवल इससे मेरी समस्याओं का हल नहीं हो सकता था, बल्कि यह केवल उस दबाव और बोझ में बढ़त कर रहा था जो मैं पहले से महसूस कर रही थी। यह सोचकर, मैंने अपने परिवार के भविष्य को परमेश्वर के हाथों में सौंपते हुए, उनसे प्रार्थना की। मैंने अपनी प्रार्थना में कहा, "चाहे परमेश्वर जो भी करें, मैं केवल उनकी संप्रभुता और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पित होने में सक्षम होने की कामना करती हूँ। उसी वक्त, मैं जो दबाव और तनाव महसूस कर रही थी, उससे मुझे थोड़ी राहत मिली।

 

मैं गहन चिकित्सा विभाग गयी और अपने पति को देखा। चूँकि उनके सिर का फ्रैक्चर हुआ था, इस कारण उनके दोनों कानों से खून रिस रहा था। उनकी तीन पसलियां भी टूटी गयी थीं, उनके दाहिने पैर की हड्डी टूट चुकी थी, बाएं पैर के सभी पंजे टूटे हुए थे, दोनों फेफड़े जख्मी हो चुके थे, और उनके शरीर का ज्यादातर हिस्सा काले और नीले रंग के जख्मों से भरा था। मैंने सोचा कि कल सुबह मेरे पति कितने खुश थे, और कल शाम को उन्होंने हमारे बेटे से फोन पर बात की थी, और अब वह इस हाल में थे… जितना मैंने इस बारे में सोचती, उतना ही मुझे लगता कि दर्द मेरे दिल को चीर रहा है।

 

दुर्घटना के बाद के तीसरे दिन, मेरे पति की हालत अचानक बिगड़ गई। उनकी सांस बहुत उथली हो गई और उनके चेहरा बेरंग पड़ गया, मानो वे मरने ही वाले थे। मेरे पति को देखकर, मेरे परिवार ने रोते हुए कहा कि मेरे पति शायद पूरा दिन नहीं देख पाएंगे। यह सोचकर कि वे हमें छोड़ कर जा रहे हैं, मेरा दिल दुःख से भर गया और मैं बहुत पीड़ा में थी। उसी समय, मुझे एहसास हुआ कि लोग कितने नगण्य हैं, और बीमारी के सामने हम कितने असहाय और शक्तिहीन हैं। मैं बस परमेश्वर से चुपचाप प्रार्थना कर सकती थी, उनसे आशा कर सकती थी और अपने पति को उन्हें सौंप सकती थी। उस समय, मैं एक भजन, "पा नहीं सकते थाह परमेश्वर के कार्यों की," के बारे में सोचने लगी जिसमें लिखा है, "फैले हो तुम ज़मीं से आसमाँ तक, कौन जानता है दायरा तुम्हारे कर्मों का? रेतीले तट पर देखते हैं हम बस एक कण, तुम्हारी व्यवस्था के हम इंतज़ार में हैं ख़ामोशी से।" मैं ख़ामोशी से दिल में यह गीत गुनगुनाने लगी और समझ गयी कि परमेश्वर सृष्टिकर्ता हैं, कि वह सभी चीजों पर शासन करते हैं, उनका प्रशासन करते हैं, कि परमेश्वर जीवन, मृत्यु, बीमारी और बुढ़ापे को पूर्वनियत करते हैं, साथ ही साथ ऐसे नियमों का निर्धारण भी करते हैं जो सभी चीजों में परिवर्तन पर नियन्त्रण करते हैं। मैं समझ गयी कि कोई भी इंसान उन्हें बदल नहीं सकता, उन्हें तोड़ने की तो बात ही दूर है। जब प्रभु यीशु ने अपने कार्य किए, तो उन्होंने हवा और समुद्र को फटकारने के लिए केवल एक वचन कहा और वे शांत हो गए; एक वचन के साथ, प्रभु यीशु ने लाजर को उसके कब्र से बाहर बुलाया और वह 4 दिनों के लिए मृत होने के बाद फिर से जीवित हो गया। परमेश्वर नरक की चाबी रखते हैं और मानवजाति के जीवन और मृत्यु को नियंत्रित करते हैं। केवल परमेश्वर ही लोगों को जीवन में वापस ला सकते हैं, शून्य को किसी वस्तु में बदल सकते हैं—परमेश्वर के अधिकार को नापा नहीं जा सकता! परमेश्वर के कर्मों पर विचार करते हुए मैंने परमेश्वर में अपनी आस्था को पा लिया और मैं विश्वास करने लगी कि सभी चीजें परमेश्वर के हाथों में हैं। मेरे पति फिर से जागेंगे या नहीं, उनकी चोटें किस हद तक विकसित होंगी, यह परमेश्वर के ऊपर है। मैंने फिर परमेश्वर से प्रार्थना की, अपने पति को उन्हें सौंप दिया, उनकी सभी व्यवस्थाओं के लिए समर्पित होने को तैयार हो गयी।

 

चौथे दिन की सुबह, मैं और मेरा बेटा गहन चिकित्सा विभाग में गये और एक नर्स से अपने पति की स्थिति के बारे में पूछा। उसने कहा कि कोई नई घटना नहीं हुई है, लेकिन वह पहले से थोड़ा बेहतर हैं। कृतज्ञता के आँसू मेरे आँखों से बह निकले, मैंने ख़ामोशी से परमेश्वर को अपना धन्यवाद और स्तुति अर्पित की।

 

एक सप्ताह बीत गया, मेरे पति अब तक होश में नहीं आये थे। डॉक्टर ने मुझसे कहा, "चूँकि आपके पति को अभी तक होश नहीं आया है, हमें ऑपरेशन करवाने के लिए उन्हें दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित करना होगा। आपको ऑपरेशन के लिए भुगतान करने के लिए बहुत से धन का इंतजाम करना होगा।" बात करते हुए, उन्होंने वार्ड के एक अन्य मरीज की ओर इशारा किया, और कहा, "उन्हें देखिये। उनकी चोटें आपके पति की तरह गंभीर नहीं हैं, लेकिन 10 दिनों से अधिक समय से उनका इलाज चल रहा है और उनकी सूजन कम नहीं हुई है और उन्हें होश नहीं आया है। हमारे पास उन्हें दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।" डॉक्टर की बात सुनकर, मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। मुझे चिंता थी कि मेरे पति दिमागी रूप से मृत हो जाएंगे, लेकिन मुझे नहीं पता था कि उनके ऑपरेशन के भुगतान के लिए पैसे कहाँ से लाऊँ। उस समय, मैं अपने क्रेडिट कार्ड पर लोन लेकर अपने पति के अस्पताल की फीस का भुगतान कर रही थी। अगर पैसे कम पड़ जाने के कारण उनके इलाज में देरी हुई, तो मैं क्या करुँगी? उस पल, चिंता, घबराहट, दर्द और लाचारी ने मुझ पर एक साथ हमला कर दिया। मैं बस परमेश्वर से प्रार्थना कर सकती थी, उनसे आशा कर सकती थी, उन्हें सब कुछ सौंप कर उनकी मदद और मार्गदर्शन की याचना कर सकती थी।

 

दसवें दिन, उपस्थित डॉक्टर ने मुझसे कहा, "मैं आपके लिए दूसरे अस्पताल से संपर्क करूंगा। यदि आपके पति अगले दो दिनों में होश में नहीं आते हैं, तो उन्हें स्थानांतरित करना होगा, क्योंकि आपके पति के पैर की हड्डी का ऑपरेशन दो हफ्तों के भीतर किया जाना चाहिए, अन्यथा वह स्थायी रूप से अक्षम हो जाएगा। ऑपरेशन के लिए आपको लगभग 400 हज़ार युआन का इंतज़ाम करना होगा। इसमें वाकई देरी नहीं की जा सकती है..." यह सुनकर, मैं बेहद चिंतित हो गयी, और मुझे नहीं पता था कि मैं इतने पैसे उधार लेने के लिए कहाँ जा सकती हूँ। मेरे परिवार ने ट्रैफिक पुलिस को उपहार दिए ताकि वे हमें उस व्यक्ति को खोजने में मदद करें जो मेरे पति से टकरा गया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हमारे रिश्तेदारों और दोस्तों ने हमारी स्थिति देखी, वे जानते थे कि हम कभी भी पैसा वापस नहीं कर पाएंगे, और इसलिए उन्होंने मुझसे केवल सांत्वना के शब्द कहे, कोई भी व्यक्ति हमें एक पैसा उधार देने को तैयार नहीं था। संसार और मानवीय भावनाओं की अस्थिरता ने मुझे निराशा में डाल दिया। रोते हुए, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की और कहा, "हे परमेश्वर! सब कुछ आपके हाथों में है। मेरे पति 10 दिन से बेहोश हैं, फिर भी वे जी रहे हैं, और इससे मैं देख सकती हूँ कि आप उनकी रक्षा कर रहे हैं। लेकिन आज, डॉक्टर हमें दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित करना चाहते हैं और ऑपरेशन बहुत महंगा होगा। मैं वास्तव में नहीं जानती कि क्या करना है। हे परमेश्वर! मैं आपसे मेरी आस्था को दृढ़ करने और मेरे लिए एक मार्ग खोलने की विनती करती हूँ। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या करते हैं, मैं इसे एक आज्ञाकारी दिल के साथ अनुभव करना चाहती हूँ।" प्रार्थना करने के बाद, मैंने थोड़ा शांत महसूस किया। इन पिछले कुछ दिनों में, मैं प्रार्थना के माध्यम से परमेश्वर के करीब हो गयी थी और मैंने अपनी आँखों से परमेश्वर के चमत्कारिक कार्यों को देखा था। सभी बाधाओं के बावजूद, मेरे पति अभी भी जीवित थे, यह सब परमेश्वर की देखभाल और सुरक्षा के कारण ही था। मेरा मानना था कि, जब तक मैं परमेश्वर से प्रार्थना करती हूँ, उन पर भरोसा करती रहती हूँ, तब तक परमेश्वर निश्चित रूप से मेरा मार्गदर्शन करेंगे। मुझे परमेश्वर में विश्वास रखना ही होगा, थोड़ा झटका लगने के कारण निराश और उदास नहीं होना चाहिए, क्योंकि अगर मैं ऐसा महसूस करने लगी, तो मैं परमेश्वर के काम का अनुभव कैसे करुँगी?

 

बाद में, मैं कुछ पैसे जुटाने की कोशिश करने के लिए घर लौट आयी। अप्रत्याशित रूप से, मेरे चाचा मुझे कुछ पैसे उधार देने के लिए तैयार हो गये थे और उससे भी बेहतर खबर यह थी कि जो व्यक्ति दुर्घटना का ज़िम्मेदार था, वह मिल गया था। तभी, मेरे बेटे ने मुझे फोन किया और उत्साह से कहा, "माँ, पिताजी को होश आ गया है। डॉक्टर कह रहे हैं कि उन्हें अब दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित होने की आवश्यकता नहीं है, और पिताजी के ऑपरेशन की व्यवस्था कर रहे हैं। जल्दी कीजिये और अस्पताल आ जाइये।" अपने बेटे की बात सुनकर, मैं बहुत रोमांचित हो गयी, मेरी आँखों से आँसू बह निकले और मेरा दुःख, सुख से मिल गया। अपने दिल में, मैं परमेश्वर का शुक्रिया अदा करती रही और उनके शानदार कामों की स्तुति करता रही।

 

मेरे पति के पैर की हड्डी के ऑपरेशन से पहले, डॉक्टर ने मुझे गारंटी फॉर्म पर और गंभीर बीमारी के नोटिस पर हस्ताक्षर करने को कहा, उन्होंने मुझसे कहा, "हालांकि आपके पति को होश आ गया है, लेकिन उनकी चोटों की गंभीर प्रकृति के कारण, उनका शरीर बहुत कमज़ोर है। उन्हें अब एक लंबे ऑपरेशन से गुज़रना होगा और अगर वह इसे सहन नहीं पाए तो वह ऑपरेशन की मेज पर छटपटाने लगेंगे। इसलिए, हमें उन्हें बेहोशी की दवा देनी होगी। लेकिन ऐसा करने से, ये जोखिम रहेगा कि ऑपरेशन के बाद उन्हें फिर से होश न आये। हमने इस अस्पताल में पहले भी ऐसा होते देखा है। रोगी के एक रिश्तेदार के रूप में, आपको ध्यान से सोचना होगा कि क्या आप ये जोखिम लेना चाहती हैं या बस उन्हें अपनी वर्तमान स्थिति में छोड़ देना चाहती हैं।" डॉक्टर की बातें सुनने के बाद, मैं असमंजस में पड़ गयी थी। थोड़ी देर के लिए मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, मुझे नहीं पता था कि मैं यह निर्णय कैसे लूँ। तब मैंने सोचा कि मेरे पति ने अस्पताल में पिछले 10 दिन अधिक खतरे के बिना निकाले हैं। न केवल उन्हें दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित नहीं किया गया, बल्कि वे ऑपरेशन से पहले होश में भी आ गये—क्या ये परमेश्वर के चमत्कारिक कर्म नहीं हैं? जबकि जो मरीज मेरे पति जितना गंभीर रूप से घायल नहीं था, वह भी 10 दिनों से अधिक समय के इलाज के बावजूद अभी तक होश में नहीं आया था। अंत में, उस मरीज को दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित करना पड़ा था, और यह अनिश्चित था कि वह जीवित रहेगा या नहीं। मैंने सोचा कि कैसे मेरे पति को परमेश्वर द्वारा पूरे समय संरक्षित रखा गया था, इसलिए जो भी आगे होगा वह भी परमेश्वर द्वारा शासित होगा। मनुष्य का जीवन, मृत्यु, भाग्य और दुर्भाग्य सभी परमेश्वर के हाथों में हैं, मुझे परमेश्वर के आयोजन और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पित होना ही चाहिये। इसलिए मैंने इस बारे में और नहीं सोचा और फॉर्म पर हस्ताक्षर करते हुए मैंने परमेश्वर से एक मौन प्रार्थना की: "हे परमेश्वर! मैं विश्वास करती हूँ कि मेरे पति की जीवन-मृत्यु आपके हाथों में है, डॉक्टरों का कथन इस बारे में निर्णायक नहीं है। इस स्थिति का अनुभव करते हुए मैं आप पर भरोसा करना चाहती हूँ, आपसे आशा रखती हूँ। अंत में मेरे पति के साथ चाहे जो भी हो, मेरा मानना है कि आप जो कुछ भी करते हैं वह सबसे अच्छे के लिए होता है, मेरे जैसे छोटे से सृजन को सृष्टिकर्ता की आज्ञा का पालन करना चाहिये।"

  

मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरे पति का ऑपरेशन इतनी अच्छी तरह से हो पाएगा, उन्हें खतरे से धीरे-धीरे दूर जाते देखकर, मेरे दिल से पत्थर आखिरकार हट गया। डॉक्टर ने विस्मय में मुझसे कहा, "आपके पति का होश में आना, पूरी तरह से हमारी कल्पना के परे है। यह वास्तव में एक चमत्कार है!" मुझे दिल की गहराई से पता था कि यह सब परमेश्वर की सुरक्षा है, और मैंने तहे दिल से परमेश्वर की दया को धन्यवाद दिया। हालाँकि, ऑपरेशन के बाद मेरे पति पूरी तरह से अपनी स्मृति खो चुके थे और उन्होंने मुझे पहचाना भी नहीं। वे आसानी से अपना आपा खो देते थे, उनकी मानसिक स्थिति एक शिशु जैसी थी, और मैं बेहद चिंतित थी। मैंने डॉक्टर से सलाह ली और पूछा कि क्या मेरे पति कभी वैसे हो पाएंगे जैसे वह हुआ करते थे, लेकिन डॉक्टर ने कहा, "वह ऑपरेशन के बाद की भूलने की बीमारी से पीड़ित है और यह कहना मुश्किल है कि वह कब ठीक होंगे। जब आपके पति की चोट ठीक हो जाये तो वह पुनर्वास केंद्र में जा सकते हैं…" उन्हें यह कहते सुनकर, मैं एक बार फिर चिंता में पड़ने लगी: "यदि मेरे पति ऐसे ही रहे, तो वह एक साधारण व्यक्ति की तरह रहेंगे। मैं क्या करूं?" इस चिंता के साथ, मैं न खा सकती थी, न सो सकती थी, जब मुझे कुछ भी सूझना बंद हो गया तो मैंने परमेश्वर के वचनों के बारे में सोचा, "कहने का आशय है कि, कोई व्यक्ति मरने के बाद कहाँ जाता है और कहाँ उसका पुनर्जन्म होता है, वह पुरुष होगा अथवा स्त्री, उसका ध्येय क्या है, जीवन में वह किन परिस्थितियों से गुज़रेगा, उसकी असफलताएँ, वह किन आशीषों का सुख भोगेगा, वह किनसे मिलेगा, उनके साथ क्या होगा—कोई भी इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकता है, इससे बच नहीं सकता है, या इससे छुप नहीं सकता है। कहने का अर्थ है कि, तुम्हारा जीवन निश्चित कर दिए जाने के पश्चात्, तुम्हारे साथ जो होता है उसमें, तुम इससे बचने का कैसा भी प्रयास करो, तुम किसी भी साधन द्वारा तुम बचने का प्रयास करो, आध्यात्मिक दुनिया में परमेश्वर ने तुम्हारे लिये जो मार्ग निर्धारित कर दिया है उसके उल्लंघन का तुम्हारे पास कोई उपाय नहीं है" ("स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है X")। परमेश्वर के वचनों से मुझे समझ में आया कि परमेश्वर ने हमारे जीवन में उन सभी चीजों को पूर्वनियत किया है जिनका हम अनुभव करते हैं। यह हमारे ऊपर नहीं है कि क्या होता है, चाहे कठिनाई हो या सौभाग्य, हम इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकते। लेकिन अपने पूरे जीवन के दौरान प्रत्येक चरण जिसका हम अनुभव करते हैं वो परमेश्वर द्वारा सावधानीपूर्वक व्यवस्थित की गई है और सभी बातों के पीछे उनके अच्छे इरादे हैं। परमेश्‍वर को आशा है कि हम इन वातावरणों का अनुभव करते हुए, उनके स्वभाव और स्वरूप को भलीभांति समझ जायेंगे और वह आशा करते हैं कि वे हमारे जीवन को विकसित करने में सक्षम होंगे। मैं उन पिछले कुछ दिनों के अपने अनुभवों के बारे में सोचने लगी, जब मेरे पति का जीवन उस कार दुर्घटना के कारण बुझने वाला था, जब मैं खुद को असहाय और दर्द में महसूस कर रही थी, तो यह परमेश्वर के वचनों का सामयिक प्रबोधन और मार्गदर्शन ही था जिसने मुझे उनकी संप्रभुता और अधिकार के बारे में समझाया था। केवल तबी ही मैंने अपने दिल से चिंता को निकाला, मुझे परमेश्वर पर भरोसा करने का विश्वास मिला; जब मैं ऑपरेशन की भारी लागत का सामना कर रही थी और नहीं जानती थी कि मुझे क्या करना है, मैंने परमेश्वर से ईमानदारी से प्रार्थना की और परमेश्वर ने मेरे लिए एक रास्ता खोल दिया। न केवल उन्होंने मेरे पैसे की कमी की समस्या का हल किया, बल्कि वे मेरे पति को होश में भी लाये। बाद में, मैंने वास्तव में परमेश्वर के प्रेम और मार्गदर्शन का अनुभव किया। परमेश्वर मुझे एक पल के लिए भी नहीं छोड़ते थे, हर बार जब मैं खुद को असहाय एवं कमजोर महसूस करती थी, तो परमेश्वर अपने समयोचित वचनों द्वारा मुझे बाधाओं को पार करने की राह दिखाने के लिए मौजूद रहते थे। परमेश्वर के मार्गदर्शन के बिना, मुझे नहीं पता होता कि उस दर्द से कैसे निकलना है। केवल अब मुझे यह समझ में आया है कि, अगर मुझे इस स्थिति का अनुभव नहीं होता, तो मैं कभी भी परमेश्वर को वास्तव में नहीं जान पाती, परमेश्वर के अधिकार के बारे में मेरी समझ हमेशा सैद्धांतिक बनी रहती, उनमें मेरा विश्वास कभी नहीं बढ़ता। इन स्थितियों ने मेरे जीवन को सबसे अधिक लाभ पहुँचाया है इसलिए मैं अब उनसे बचने की इच्छा नहीं रखती, और मैं आगे के मार्ग पर चलने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करने को तैयार हूँ, और मुझे विश्वास है कि परमेश्वर मेरा मार्गदर्शन करेंगे।

 

मेरे पति स्थानान्तरित होने से पहले 21 दिनों तक शहर के अस्पताल में रहे। उसके बाद, मैंने हर दिन परमेश्वर से प्रार्थना की और अपने पति को परमेश्वर के हाथों में रख दिया। मैंने धैर्यपूर्वक उन्हें बोलना सिखाया और सभी प्रकार की चीजों और उसके आसपास के लोगों को पहचानना सिखाया। बहुत धीरे-धीरे, वे रिश्तेदारों को पहचानने में सक्षम हो गये और अब अपना आपा नहीं खोते थे। अपने पति को दिन-प्रतिदिन बेहतर होते देखकर मुझे बहुत खुशी हुई, और सभी डॉक्टरों ने आश्चर्यचकित होते हुए मुझसे कहा, "यह तो अविश्वसनीय है। किसी ने नहीं सोचा होगा कि ये इतनी जल्दी ठीक होने लगेंगे। ये तो वास्तव में चमत्कार है! उनकी बगल में जो मरीज़ था वो भी उन्हीं के समान कार एक्सीडेंट का शिकार था और दुर्घटना के 6 महीनों के बाद भी उसे होश नहीं आया है। अभी भी संदेह है कि वह जीवित रहेगा या नहीं। आप सच में बहुत भाग्यशाली हैं!" यह सुनकर, मैं अपने दिल में परमेश्वर का धन्यवाद और प्रशंसा करती रही, क्योंकि यह केवल परमेश्वर की सुरक्षा थी जिसने मेरे पति को जीवित रखा था।

 

मेंरे पति को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उनकी तबियत जल्दी से ठीक होने लगी। न केवल वह बैसाखी की सहायता से चल सकते थे, बल्कि उनकी मूल स्मृति भी वापस आ गई थी। मैंने उन्हें वो सब बताया जो अस्पताल में भर्ती होने के बाद से हुआ था, कैसे मैंने परमेश्वर पर भरोसा किया था और कैसे परमेश्वर ने मुझे उन दिनों के अत्यंत दर्द और कमजोरी से निकलने की राह दिखाई थी। उनकी आँखों में आँसू झिलमिलाने लगे, "जब मैं बेहतर हो जाउँगा, तो मैं गवाही दूँगा कि परमेश्वर ने मुझे बचाया, ताकि अधिक लोगों को परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और उनके चमत्कारिक कर्मों के बारे में पता चले।" जब मैने अपने पति को यह कहते हुए सुना तो मुझे परमेश्वर के उद्धार के लिए वास्तविक आभार महसूस हुआ।

 

इस असाधारण अनुभव के माध्यम से, मैंने वास्तव में परमेश्वर के चमत्कारिक कर्मों को देखा, मैंने देखा कि परमेश्वर सभी चीजों के शासक हैं। परमेश्वर वास्तव में हर एक व्यक्ति के जीवन और मृत्यु को नियंत्रित करते हैं, और कोई भी सृजित वस्तु कभी भी उनके सामर्थ्य और अधिकार को पार नहीं कर सकती है। जैसा कि परमेश्वर का वचन कहता है, "मनुष्य का जीवन परमेश्वर से निकलता है, स्वर्ग का अस्तित्व परमेश्वर के कारण है, और पृथ्वी का अस्तित्व भी परमेश्वर की जीवन शक्ति से ही उद्भूत होता है। कोई वस्तु कितनी भी महत्वपूर्ण हो, परमेश्वर के प्रभुत्व से बढ़कर श्रेष्ठ नहीं हो सकती, और कोई भी वस्तु शक्ति के साथ परमेश्वर के अधिकार की सीमा को तोड़ नहीं सकती है। इस प्रकार से, चाहे वे कोई भी क्यों न हों, सभी को परमेश्वर के अधिकार के अधीन ही समर्पित होना होगा, प्रत्येक को परमेश्वर की आज्ञा में रहना होगा, और कोई भी उसके नियंत्रण से बच कर नहीं जा सकता है" ("केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनन्त जीवन का मार्ग दे सकता है")।

  

स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

 

तहेदिल से परमेश्वर की आत्मा को स्पर्श करके लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, उससे प्रेम करते हैं, और उसे संतुष्ट करते हैं, और इस प्रकार वे परमेश्वर की संतुष्टि प्राप्त करते हैं; जब वे परमेश्वर के वचनों के संपर्क में आते हैं, तो परमेश्वर का आत्मा का उन पर भावनात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि तुम एक उचित आध्यात्मिक जीवन प्राप्त करना चाहते हो और परमेश्वर के साथ एक उचित संबंध स्थापित करना चाहते हो, तो तुम्‍हें पहले उसे अपना हृदय अर्पित करना होगा, और अपने हृदय को उसके सामने शांत करना होगा। अपने पूरे हृदय को परमेश्वर की स्तुति में डुबोकर ही तुम धीरे-धीरे एक उचित आध्यात्मिक जीवन का विकास कर सकते हो। यदि लोग परमेश्वर को अपना हृदय अर्पित नहीं करते हैं और उस पर पूरी तरह विश्वास नहीं करते हैं, और अगर उनका दिल उन्हें महसूस नहीं करता है और वे परमेश्वर के बोझ को अपना बोझ नहीं मानते हैं, तो जो कुछ भी वे कर रहे हैं उससे केवल परमेश्वर को धोखा दे रहे हैं, और ये धार्मिक व्यक्तियों का केवल व्यवहार है—ये परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त नहीं कर सकता है।

 

— "वचन देह में प्रकट होता है" में "परमेश्वर के साथ एक उचित संबंध स्थापित करना बहुत महत्वपूर्ण है" से उद्धृत

 

आज पवित्र आत्मा के वचन पवित्र आत्मा के कार्य का गतिविज्ञान हैं और इसके दौरान पवित्र आत्मा के द्वारा मनुष्य का निरंतर प्रबोधन, पवित्र आत्मा के कार्य की प्रवृत्ति है। और आज पवित्र आत्मा के कार्य की प्रवृत्ति क्या है? यह आज परमेश्वर के कार्य और एक सामान्य आध्यात्मिक जीवन में दर्ज होने में लोगों का नेतृत्व करना है। ...

 

सबसे पहले, तुम्हें अपने दिल को परमेश्वर के वचनों में उड़ेल देना चाहिए। तुम्हें परमेश्वर के अतीत के वचनों का अनुसरण नहीं करना चाहिए, और न तो उनका अध्ययन करना चाहिए और न ही आज के वचनों से उनकी तुलना करनी चाहिए। इसके बजाय, तुम्हें पूरी तरह से परमेश्वर के वर्तमान वचनों में अपना दिल उड़ेल देना चाहिए। अगर ऐसे लोग हैं जो अभी भी अतीत काल के परमेश्वर के वचन, आध्यात्मिक किताबें, या प्रचार-प्रसार के अन्य विवरणों को पढ़ना चाहते हैं, जो आज पवित्र आत्मा के वचनों का पालन नहीं करते हैं, तो वे सभी लोगों में सबसे अधिक मूर्ख हैं; परमेश्वर ऐसे लोगों से घृणा करता है। यदि तुम आज पवित्र आत्मा का प्रकाश स्वीकार करने के लिए तैयार हो, तो फिर अपने दिल को आज परमेश्वर की उक्तियों में उड़ेल दो। यह पहली चीज़ है जो तुम्हें हासिल करनी है।

 

— "वचन देह में प्रकट होता है" में "परमेश्वर के सबसे नए कार्य को जानो और परमेश्वर के चरण-चिन्हों का अनुसरण करो" से उद्धृत

 

परमेश्वर में विश्वास करने में तुम्हें कम से कम परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध रखने के विषय का समाधान करना चाहिए। परमेश्वर के साथ सामान्य संबंध के बिना परमेश्वर में विश्वास करने का महत्व खो जाता है। परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध को स्थापित करना परमेश्वर की उपस्थिति में अपने हृदय को शांत करने के द्वारा ही किया जा सकता है। परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध को स्थापित करने का अर्थ है परमेश्वर के किसी भी कार्य पर संदेह न करना या उसका इनकार न करना, बल्कि उसके प्रति समर्पित रहना, और इससे बढ़कर इसका अर्थ है परमेश्वर की उपस्थिति में सही इरादों को रखना, स्वयं के बारे में न सोचते हुए हमेशा परमेश्वर के परिवार की बातों को सबसे महत्वपूर्ण विषय के रूप में सोचना, फिर चाहे तुम कुछ भी क्यों न कर रहे हो, परमेश्वर के अवलोकन को स्वीकार करना और परमेश्वर के प्रबंधनों के प्रति समर्पण करना। परमेश्वर की उपस्थिति में तुम जब भी कुछ करते हो तो तुम अपने हृदय को शांत कर सकते हो; यदि तुम परमेश्वर की इच्छा को नहीं भी समझते हो, फिर भी तुम्हें अपनी सर्वोत्तम योग्यता के साथ अपने कर्तव्‍यों और जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए। अभी देर नहीं हुई है, परमेश्वर की इच्छा का स्वयं पर प्रकट होने की प्रतीक्षा करो, और फिर तुम इसे अभ्यास में लाओ। जब परमेश्वर के साथ तुम्हारा संबंध सामान्य हो जाता है, तब तुम्हारा संबंध लोगों के साथ भी सामान्य होगा। सब कुछ परमेश्वर के वचनों पर स्थापित है। परमेश्वर के वचनों को खाने और उन्हें पीने से परमेश्वर की माँगों के अनुसार कार्य करो, अपने दृष्टिकोणों को सही रखो, और ऐसे कार्यों को न करो जो परमेश्वर का प्रतिरोध करते हों या कलीसिया में विघ्न डालते हों। ऐसे कार्यों को न करो जो भाइयों और बहनों के जीवनों को लाभान्वित न करें, ऐसी बातों को न कहो जो दूसरे लोगों के जीवन में योगदान न दें, निंदनीय कार्य न करो। सब कार्यों को करने में न्यायी और सम्माननीय बनो और उन्हें परमेश्वर के समक्ष प्रस्तुति योग्य बनाओ। यद्यपि कभी-कभी देह कमज़ोर होती है, फिर भी तुम अपने लाभों का लालच न करते हुए परमेश्वर के परिवार को लाभान्वित करने को सर्वोच्च महत्त्व दे सकते हो, और धार्मिकता को पूरा कर सकते हो। यदि तुम इस तरह से कार्य कर सकते हो, तो परमेश्वर के साथ तुम्हारा संबंध सामान्य होगा।

 

जब भी तुम कुछ करते हो, तो तुम्हें यह जांचना आवश्यक है कि क्या तुम्हारी प्रेरणाएँ सही हैं। यदि तुम परमेश्वर की माँगों के अनुसार कार्य कर सकते हो, तो परमेश्वर के साथ तुम्हारा संबंध सामान्य है। यह निम्नतम मापदंड है। जब तुम अपनी प्रेरणाओं को जाँचते हो, तो यदि उनमें ऐसी प्रेरणाएँ मिल जाएँ जो सही न हों, और यदि तुम उनसे फिर सकते हो और परमेश्वर के वचनों के अनुसार कार्य कर सकते हो, तो तुम एक ऐसे व्यक्ति बन जाओगे जो परमेश्वर के समक्ष सही है, और जो दर्शाएगा कि परमेश्वर के साथ तुम्हारा संबंध सामान्य है, और तुम जो कुछ करते हो वह परमेश्वर के लिए है, न कि तुम्हारे अपने लिए। तुम जब भी कुछ करते या कहते हो, तो तुम्हें अपने हृदय को सही रखना, और धर्मी बनना चाहिए, और अपनी भावनाओं में नहीं बहना चाहिए, या तुम्हारी अपनी इच्छा के अनुसार कार्य नहीं करना चाहिए। ये ऐसे सिद्धांत हैं जिनमें परमेश्वर के विश्वासी स्वयं आचरण करते हैं। एक व्यक्ति की प्रेरणाएँ और उसका महत्व छोटी बातों में प्रकट हो सकता है, और इस प्रकार, परमेश्वर द्वारा सिद्ध बनाए जाने के मार्ग में प्रवेश करने के लिए लोगों को पहले उनकी अपनी प्रेरणाओं और परमेश्वर के साथ उनके संबंध का समाधान करना आवश्यक है। जब परमेश्वर के साथ तुम्हारा संबंध सामान्य होता है, केवल तभी तुम परमेश्वर के द्वारा सिद्ध किए जाओगे, और केवल तभी तुम में परमेश्वर का व्यवहार, काट-छाँट, अनुशासन और शोधन अपने वांछित प्रभाव को पूरा कर पाएगा। कहने का अर्थ यह है कि लोग अपने हृदयों में परमेश्वर को रख सकेंगे, और व्यक्तिगत लाभों को नहीं खोजेंगे, अपने व्यक्तिगत भविष्य (अर्थात् शरीर के बारे में सोचना) के बारे में नहीं सोचेंगे, बल्कि वे जीवन में प्रवेश करने के बोझ को रखेंगे, सत्य का अनुसरण करने में अपना सर्वोत्तम प्रयास करेंगे, और परमेश्वर के कार्य के प्रति समर्पित रहेंगे। इस प्रकार से, जिन लक्ष्यों को तुम खोजते हो वे सही हैं, और परमेश्वर के साथ तुम्हारा संबंध सामान्य है।

 

— "वचन देह में प्रकट होता है" में "परमेश्वर के साथ तुम्हारा संबंध कैसा है?" से उद्धृत

 

संदर्भ के लिए धर्मोपदेश और संगति के उद्धरण:

 

परमेश्वर के साथ उचित संबंध स्थापित करते समय, हमें कहाँ से शुरू करना चाहिए? परमेश्वर से प्रार्थना करते समय दिल से बात करना सबसे महत्वपूर्ण बात है। उदाहरण के लिए, प्रार्थना में तुम कहते हो, "हे परमेश्वर, मैं देखता हूँ कि मेरे कई भाई-बहन तेरे लिए खुद को समर्पित करते हैं, लेकिन मेरी हैसियत बहुत छोटी है। मैं अपनी आजीविका, अपने भविष्य के बारे में सोचता हूँ और सोचता हूँ कि क्या मेरा शरीर भविष्य में कठिनाइयों का सामना कर पाएगा। मैं सब कुछ नहीं त्याग सकता। मैं वाकई तेरे कर्ज में हूँ। उनके पास इतना बड़ा कद कैसे हो सकता है? हम समान प्रकार के परिवारों से आते हैं। मगर वे खुद को परमेश्वर के लिए पूरे समय खपा सकते हैं, मैं ऐसा क्यों नहीं कर सकता? मुझमें सत्य की बहुत कमी है। मैं हमेशा अपने शारीरिक इच्छाओं की चिंता करता हूँ। मेरे पास पर्याप्त आस्था नहीं है। हे परमेश्वर, मैं चाहता हूँ कि तू मुझे प्रबुद्ध करे, मुझे रोशन करे, मुझे वास्तव में तुझ पर विश्वास करने और तेरे लिए जल्द से जल्द खुद को खपाने में सक्षम बना।" यह दिल से बात करना है। यदि तुम हर दिन, दिल से, इस तरह परमेश्वर के साथ संवाद करते हो, तो उसे पता चलेगा कि तुम ईमानदार हो और उसे मूर्ख बनाने या चिकनी चुपड़ी बातों में फंसाने और उसे धोखा देने की कोशिश नहीं कर रहे हो। तब पवित्र आत्मा अपना कार्य करेगा। परमेश्वर के साथ उचित संबंध स्थापित करने का यही अर्थ है। हम रचनाएं हैं, और वह सृष्टिकर्ता है। रचना जब अपने सृष्टिकर्ता के सामने खड़ी हो तो उसके पास क्या-क्या होना चाहिए? उसके पास सच्ची आज्ञाकारिता, स्वीकृति, विश्वास और आराधना होनी चाहिए। हमें अपने दिल पूरी तरह से परमेश्वर को दे देना चाहिए। उन्हें उसे अगुवाई करने, शासन करने और योजना बनाने देना चाहिए। इस तरह प्रार्थना करना और तलाश करना सही है। परमेश्वर के साथ उचित संबंध स्थापित करने का यही अर्थ है।

 

— जीवन में प्रवेश पर धर्मोपदेश और संगति से उद्धृत

 

परमेश्वर के साथ उचित सम्बन्ध कैसे स्थापित करें? बहुत से सिद्धांत इसमें शामिल हैं। पहला यह है कि तुम्हें परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और बुद्धि में विश्वास करना होगा, तुम्हें विश्वास करना होगा कि परमेश्वर के सभी वचनों को पूरा किया जाएगा। यही आधार है। यदि तुम परमेश्वर के वचनों में विश्वास नहीं करते हो, तो यह नहीं चलेगा, क्योंकि इससे वास्तविक विश्वास की कमी दिखाई देती है; परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता में विश्वास करने में विफलता वास्तविक विश्वास की कमी दर्शाती है। दूसरा, तुम्हें अपना दिल परमेश्वर को देना होगा और परमेश्वर को सभी चीजों में अधिकार लेने देना होगा। तीसरा, तुम्हें परमेश्वर की परीक्षा को स्वीकार करना होगा, और यह महत्वपूर्ण है। यदि तुम अपनी प्रार्थनाओं और सहभागिता, अपने कार्यों और शब्दों के बारे में परमेश्वर की परीक्षा को स्वीकार नहीं करते हो, तो तुम परमेश्वर के साथ सच्ची सहभागिता कैसे कर सकते हो? क्या तुम उसे बता सकते हो कि तुम्हारे दिल में क्या है? जब तुम बोलते हो, तो तुम केवल अपने लिए प्रार्थना करते हो; जब तुम बोलते हो, तो तुम जो कहते हो वह झूठ के साथ मिश्रित होता है, बुरे इरादे रखता है, और दिखावे और झूठ से भरा हुआ है। यदि तुम परमेश्वर की परीक्षा को स्वीकार नहीं करते हो, तो क्या तुम इन चीज़ों को पहचान सकते हो? एक बार जब तुम परमेश्वर की परीक्षा को स्वीकार कर लेते हो, तो जब तुम गलत बातें कहते हो, निरर्थक शब्दों को कहने के बाद, वादे करने के बाद, तुम तुरंत सोचते हो, "अरे, क्या मैं परमेश्वर को धोखा नहीं दे रहा हूँ? यह परमेश्वर से झूठ बोलने जैसा क्यों लगता है?" यही परमेश्वर की परीक्षा को स्वीकार करना है, और इसी कारण से यह इतना महत्वपूर्ण है। चौथा, तुम्हें सभी चीजों में सत्य तलाशना सीखना होगा। शैतान के दर्शन पर भरोसा न करो, और तुम्हें लाभ होता है या नहीं, इस पर आधारित चीजें मत करो। तुम्हें सत्य का अर्थ निकालते हुए, सत्य की तलाश करनी चाहिए, फिर तुम्हें सत्य का अभ्यास करना चाहिए। व्यक्तिगत लाभों या नुकसानों की परवाह किये बिना, तुम्हें सत्य का अभ्यास करना चाहिए और सत्य कहना चाहिए, साथ ही एक ईमानदार व्यक्ति बनना चाहिए। नुकसान उठाना एक तरह का आशीर्वाद है; जब तुम नुकसान उठाते हो, तो तुम्हें परमेश्वर का और अधिक आशीष मिलता है। अब्राहम का कई बार फायदा उठाया गया, और लोगों से अपने संवाद के दौरान वह हमेशा समझौता किया करता था। यहाँ तक कि उसके सेवकों ने भी शिकायत की, "आप इतने कमज़ोर क्यों हैं? आइए उनसे लड़ें!" उस समय अब्राहम ने क्या सोचा? "हम उनके साथ नहीं लड़ेंगे। सब कुछ परमेश्वर के हाथों में है, और थोड़ा सा नुकसान उठाने में कुछ भी बुरा नहीं है।" नतीजतन, परमेश्वर ने अब्राहम को और भी आशीष दिया। क्या यदि सत्य का अभ्यास करने के कारण, तुम्हें अपने व्यक्तिगत लाभ के विषय में नुकसान भुगतना पड़ा है, और तुम परमेश्वर को दोष नहीं देते हो, तो परमेश्वर तुम्हें आशीष देगा। पाँचवाँ, तुमको सभी चीजों में सत्य का पालन करना सीखना होगा, यह भी महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति सत्य के अनुसार चीजें कहता है उसकी पहचान के बावजूद, चाहे जो व्यक्ति ऐसा कहता है उसके हमारे साथ अच्छे रिश्ते हों या न हों, और चाहे हम उसके साथ कैसे भी व्यवहार करते हों, जब तक उसकी बातें सत्य के अनुसार है, हमें उसका पालन करना चाहिए और वह जो कहता है उसे स्वीकार करना चाहिए। यह क्या दर्शाता है? यह दिखाता है कि मनुष्य के पास ऐसा दिल है जो परमेश्वर का सम्मान करता है। यदि कोई व्यक्ति सत्य के अनुसार बात करने वाले तीन-चार साल के बच्चे का पालन कर सकता है, तो क्या यह व्यक्ति किसी भी तरह से घमंडी है? क्या यह कोई ऐसा है जो अहंकारी है? वह बदल गया है, उसका स्वभाव बदल गया है ...छठा, अपने कर्तव्यों को पूरा करने में परमेश्वर के प्रति वफादार रहो। सृजित प्राणी के रूप में अपने कर्तव्यों को कभी न भूलो। यदि तुम अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करते हो, तो तुम कभी भी परमेश्वर की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाओगे। यदि मनुष्य अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करता है, तो वह कचरा है, और वह शैतान से संबंधित है। यदि तुम परमेश्वर के सामने अपने कर्तव्यों को पूरा कर सकते हो, तो तुम परमेश्वर के लोगों में से एक हो, क्योंकि यही वह पहचान है। यदि तुमने अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह से पूरा कर लिया है, तो तुम एक योग्य प्राणी हो; यदि तुम अपने कर्तव्यों को पूरा करने में असफल रहे, तो तुम एक योग्य प्राणी नहीं हो, और तुम्हें परमेश्वर की मंजूरी नहीं मिलेगी। इसलिए, यदि तुम अपने कर्तव्यों को पूरा करने में परमेश्वर के प्रति वफादार हो, यदि तुम फिर परमेश्वर के संपर्क में आते हो, तो क्या परमेश्वर तुम्हें आशीष नहीं दे सकता? क्या परमेश्वर तुम्हारे साथ नहीं हो सकता? सातवाँ, सभी चीजों में परमेश्वर के पक्ष में रहो, परमेश्वर के साथ दिल और मन से एक होकर रहो। अगर तुम्हारे माता-पिता कुछ ऐसा कहते हैं जो सत्य के अनुसार नहीं है, जो परमेश्वर के ख़िलाफ़ विद्रोह करता है और परमेश्वर का विरोध करता है, तो तुम्हें परमेश्वर के पक्ष में खड़े होने में सक्षम होना चाहिए, तुम्हें अपने माता-पिता के साथ तर्क-वितर्क करना चाहिए, उन्हें अस्वीकार कर देना चाहिए, उनकी बातों को मानने से इनकार कर देना चाहिए। क्या यह गवाही देना नहीं है? क्या यह शैतान को शर्मिंदा कर सकता है? (हाँ, कर सकता है।) ...यदि मनुष्य इन सात सिद्धांतों का पालन कर सकता है, तो वह परमेश्वर की मंजूरी प्राप्त कर सकता है और तभी परमेश्वर के साथ उसका रिश्ता पूरी तरह से सामान्य होगा। ये सात सिद्धांत बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।

 

— जीवन में प्रवेश पर धर्मोपदेश और संगति से उद्धृत

 

स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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एबी हंट्समैन और मेघन मैककेन कहते हैं कि वे बहन की तरह हैं, और उनके पास इसे साबित करने के लिए कहानियां हैं।

 

वहां दिन-या-रात की सुविधा है; मेम और मजेदार ट्वीट्स से भरा टेक्स्ट थ्रेड जो एक या दूसरे से छूट गया है; डिनर में 33 वर्षीय हंट्समैन ने मैककेन के नए बॉयफ्रेंड (बिगाड़ने वाले: उसने किया - और फिर 35 वर्षीय मैककेन ने उससे शादी की ) को पसंद करते हुए एक बाथरूम में बातचीत की।

 

और फिर वहाँ दिए गए घंटों और घंटों की सलाह दी और प्राप्त की है: नहीं, गर्भवती होने पर हवा पर उज्ज्वल नीले जंपसूट न पहनें; हां, मुझे लगेगा कि आपकी छाती पर अजीब सी गांठ है, क्योंकि यह कुछ ज्यादा ही गंभीर है। (सौभाग्य से यह नहीं था।)

 

"हम नमक और काली मिर्च की तरह हैं, ठीक है?" हंट्समैन, जो कि यूटा के पूर्व गवर्नर जॉन हंट्समैन जूनियर की बेटी है, उसने हाल ही में मैककेन के साथ अपने ड्रेसिंग रूम में PEOPLE को बताया।

 

"मैं हमेशा कहता हूं, 'हर किसी को नमक और काली मिर्च की जरूरत होती है और आपको दोनों की जरूरत होती है।' आप सिर्फ मिर्च नहीं चाहते हैं और आप केवल नमक नहीं चाहते हैं। "

 

यह व्यावहारिक रूप से एक कुटीर उद्योग है, जो द व्यू पर देखने की कोशिश कर रहा है - शीर्ष रेटेड दिन की बात, हंट्समैन और मैककेन, 35 वर्षीय , जोय बेहार , व्हूपी गोल्डबर्ग और सनी होस्टिन के साथ सह-मेज़र शो - किसे और कौन पसंद करता है, कौन पसंद करता है बच निकलने वाली हैच के रूप में उपयोग करने के लिए उनके अनुबंध से एक छेद काटने की कोशिश कर रहा है।

 

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शो की सबसे रूढ़िवादी आवाज, मैककेन, इसकी सबसे अधिक संरक्षित मेज़बान भी है। वह आपको बताएंगे। "यह शो मुझे 'आइस क्वीन' का उपनाम देता है," वह कहती हैं।

 

सच में, ज्यादातर दिनों में, वह अपने सबसे करीबी दोस्तों में से एक से कुछ फीट दूर बैठी है - उनकी समानता और उनके वर्षों के साथ-साथ उनके रिश्तों के कारण जाली बंधन, पहले राष्ट्रीय राजनीति में और फिर मीडिया में।

 

वे इस कहानी के बारे में बताते हैं कि वे पहले कैसे दोस्त बन गए: हंट्समैन और मैक्केन दोनों न्यूयॉर्क शहर में रह रहे थे और फॉक्स न्यूज में काम कर रहे थे और हंट्समैन ने मैक्केन से पूछा कि क्या वह ड्रिंक लेना चाहते हैं।

 

"मुझे लगता है कि यह मेरी माँ थी, वह जैसी थी, 'तुम और मेघन में बहुत आम है, तुम लोगों को सिर्फ कनेक्ट करने के लिए मिला है," व्याध को याद है।

 

वो सही थी।

 

“हमें इस उद्योग में कई बुरे अनुभव हुए हैं, जहाँ महिलाएँ अन्य महिलाओं का समर्थन नहीं कर रही थीं। और मैंने इसे देखा और इसका अनुभव किया, और एबी ने इसे देखा और इसका अनुभव किया, ”मैक्केन कहते हैं। "हर कोई हमेशा हमें एक-दूसरे के खिलाफ गड्ढे में डालने की कोशिश करता है या ऐसा काम करता है जैसे एक राजनेता की बेटी के लिए केवल एक ही काम है," वह जारी है।

 

"और हमने कहा कि जिस दिन हमें मार्गरिट्स मिला था कि हम कभी भी कम नहीं जा रहे थे और एक दूसरे का समर्थन नहीं कर रहे थे," मैककेन कहते हैं। कोई बात नहीं क्या।

 

"जब से मार्गरिट्स के बाद से, उसके तीन बच्चे थे, मेरे पिताजी की मृत्यु हो गई, मेरा गर्भपात हो गया, हम द एफ पर काम करते हैं- देखें ," मैककेन कहती हैं, उसकी आवाज़ वैसे ही तीखी हो जाती है जैसी वह अक्सर शो में देखती है - रेज़र जैसी लेकिन नहीं इस बात से अनजान कि उसका गुस्सा कैसा है और इसे थोड़ा मजाकिया कैसे बनाया जाए।

 

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यह सच है: यह व्याध और मैक्केन दोनों के लिए एक वर्ष रहा है और इसके माध्यम से वे एक दूसरे पर, अलग-अलग तरीकों से भरोसा करते हैं।

 

हंट्समैन मैककेन को गर्म करता है - उसके खोल के माध्यम से टूट जाता है - और मैककेन हमेशा हंट्समैन को सच्चाई बताएगा। (और जब संघर्ष होता है, व्याध मैककेन के दरवाजे पर दस्तक देता है, उसे बताता है कि उन्हें इसके बारे में बात करने की आवश्यकता है।)

 

मैक्केन कहते हैं, "मेरे लिए यह अच्छा है कि मैं उसे थोड़ा सा दे दूं और वह मुझे थोड़ा सा दे।"

 

"मैं अपने आप से दोस्ती नहीं करना चाहता," व्याध कहता है। "मैं किसी ऐसे व्यक्ति से दोस्ती नहीं करना चाहता जो मेरे जैसा है, क्योंकि आप उतना नहीं सीखते।"

 

"आप मुझे मजबूत बनाते हैं," वह मैक्केन को बताती है।

 

मैककेन हंट्समैन की पहली कॉल थी जब उसने पाया कि वह जुड़वाँ बच्चों के साथ गर्भवती थी, जिसका उसने जून में स्वागत किया था , उसके बाद शिशु बेटी रूबी के लिए एनआईसीयू में दो सप्ताह का प्रवास किया।

 

और हंट्समैन पहले लोगों में से एक था, जिसे मैककेन ने अपनी हालिया गर्भावस्था के बारे में बताया, जो एक गर्भपात में समाप्त हो गया, क्योंकि उसने इस गर्मी का खुलासा किया था ।

 

"हम एक-दूसरे को टेक्स्टिंग कर रहे थे और मैं पसंद कर रहा हूं, 'मैं तुम्हारे लिए यहां हूं,' वह पसंद है, 'मैं तुम्हारे लिए यहां हूं," हंटरमैन कहते हैं। "और मुझे पसंद है, यहाँ हम हैं, दो महिलाएँ बहुत डरावनी चीजों से गुजर रही हैं, बहुत ही भावुक बातें हैं, और हम अभी भी कर सकते हैं - वह मेरे लिए वहाँ थी, सहायक और प्यार, चाहे वह किसी भी दौर से गुज़रे। और मुझे लगता है कि उसने मुझे एक व्यक्ति के रूप में बहुत कुछ बताया। "

 

"मुझे पता है कि महिलाएं हैं, जब वे गर्भपात का अनुभव करती हैं, गर्भावस्था के आसपास नहीं हो सकती हैं, जो मुझे पूरी तरह से मिलता है," मैककेन कहते हैं। लेकिन यह उसके लिए अलग था: व्याध "मेरे पिता की मृत्यु के बाद गर्भवती हो गई।" ... मैंने सोचा कि यह जीवन के चक्र की याद दिलाने के लिए बहुत सुंदर था। "

 

मैककेन, जो कहती हैं कि वह और पति बेन डॉमेनेच अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वे अधिक बच्चों के लिए प्रयास कर सकते हैं, विशेष रूप से हंट्समैन के सबसे छोटे बेटे, विलियम से जुड़ा हुआ है।

 

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"मैं पूरी बात से बहुत दुखी था और यह सिर्फ इतना अंधेरा और उदासी की तरह महसूस किया और फिर मुझे याद है कि वे पैदा होने के तुरंत बाद अपने अपार्टमेंट में जा रहे थे और मेरे पास उनकी एक तस्वीर थी," मैक्केन कहते हैं। "वह कह रही थी कि वास्तव में आपके द्वारा बिछाने वाले शिशुओं के बारे में कुछ चिकित्सा है - पोषण और सुखदायक।"

 

"त्वचा से त्वचा," व्याध हस्तक्षेप करता है और पहली बार नहीं।

 

इस लंबे समय के लिए दोस्तों, उनके पास कुछ चीजों के बारे में एक साझा आशुलिपि है: वे कहानियां जो वे खत्म करते हैं और अपनी सच्ची भावनाओं को बताते हैं। ( पामेला एंडरसन के साथ व्यू के इंटरव्यू के दौरान "एब्बी सदमे में थी", मैककेन कहती हैं। "मैंने उसके चेहरे की ओर देखा और मुझे पसंद आया, 'ओह माय गॉड, मुझे कुछ पता चल रहा है।'")

 

वे दोनों जानते हैं कि वे एक सामान्य से अधिक सुर्खियों में हैं, यह देखते हुए कि कैसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने राजनीति में रुचि पैदा की है - और द व्यू की रेटिंग, जहां ट्रम्प लगभग दैनिक विषय है।

 

और यह हमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सबसे पुराने बेटे, डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर , और डॉन जूनियर की प्रेमिका, किम्बर्ली गिलफॉयल तक पहुंचाता है । जोड़े को देखें पर 7 नवंबर को दिखाई दिया जाहिरा तौर पर डॉन जूनियर की नई किताब, उत्प्रेरित बढ़ावा देने के लिए, पहली बार के लिए,।

 

इसके बजाय, वह और गिलफॉय, राष्ट्रपति के पुन: चुनाव अभियान के एक सलाहकार, महाभियोग के बारे में मेजबानों , बिडेंस और राष्ट्रपति ट्रम्प की विभाजनकारी शैली के साथ छिड़ गए। हंट्समैन ने पूछताछ का नेतृत्व करते हुए, डॉन जूनियर पर दबाव डाला कि उन्होंने राष्ट्रपति ट्रम्प पर महाभियोग की जाँच के केंद्र में सरकारी व्हिसलब्लोअर के कथित नाम का खुलासा क्यों किया।

 

मैककेन के पिता, दिवंगत सेन जॉन मैक्केन , पिछले साल ब्रेन कैंसर से मैक्केन की मृत्यु के बाद भी राष्ट्रपति के पसंदीदा लक्ष्य रहे हैं।

 

उसने डॉन जूनियर की द व्यू पर उपस्थिति के दौरान बात नहीं की - एक सेगमेंट के लिए बचाएं जहां उसने उसे बताया , "मि। ट्रम्प, राजनीति में बहुत सारे अमेरिकी चरित्र को याद करते हैं, और बहुत सारे लोग इस देश की आत्मा को याद करते हैं। आपने और आपके परिवार ने बहुत से लोगों को चोट पहुंचाई है और खान परिवार सहित बहुत सारे लोगों को दर्द में डाल दिया है, जो एक गोल्ड स्टार परिवार है जो मुझे लगता है कि उनके बेटे के नुकसान के लिए सम्मान किया जाना चाहिए। क्या यह सब आपको अच्छा लगता है? ”

 

व्याध ने उस साक्षात्कार से पहले PEOPLE को और मैककेन को "एक टन बात की" बताया। पहले से, मैक्केन ने उससे कहा, "मुझे वास्तव में तुम्हारी ज़रूरत है।"

 

"आपके पास इसे सही तरीके से प्राप्त करने के लिए हर कारण था," व्याध ने अपने PEOPLE साक्षात्कार में मैक्केन को बताया। (रिकॉर्ड के लिए, वे कहते हैं कि उन्होंने ज्यादा बातचीत नहीं की, अगर डॉन-जूनियर या गिलफॉय के साथ ऑफ-कैमरा के साथ, तो बिल्कुल भी नहीं।)

 

"मैं डॉन जूनियर साक्षात्कार के साथ एक बहुत कठिन समय था, वास्तव में कठिन," मैक्केन कहते हैं। "और मैं बाद में सलाह के लिए पूछ रहा था।"

 

"यह हर किसी के लिए कठिन था, लेकिन ऐसा नहीं था कि हम वहां बैठे थे लोगों को नाम पुकारते हुए," व्याध कहते हैं।

 

"मुझे पता था कि मैं डॉन जूनियर के साथ साक्षात्कार कर रहा था, मुझे पता था कि मैं स्पष्ट रूप से सभी के साथ सुरक्षित रहूंगा, लेकिन मैंने एबी को बताया, 'मेरी सामान्य स्पिटफायर, मेरे पास इसके लिए भावनात्मक बैंडविड्थ नहीं है," मैककेन कहते हैं। "और मुझे पता था कि वह लीड लेगी और उसने कमाल कर दिया।"

 

वह राष्ट्रपति की सबसे पुरानी बेटी और एक वरिष्ठ सहयोगी इवांका ट्रम्प के साथ एबीसी न्यूज साक्षात्कार में अपने सवाल के लिए व्याध को श्रेय देती हैं।

 

व्याध और मैककेन ने पॉडकास्ट के विचार के बारे में एक साथ साक्षात्कार विषयों के साथ अधिक गहराई से बातचीत करने के तरीके के बारे में बात की है।

 

मैक्केन, विनम्रतापूर्वक कहते हैं, "मैं इसे एस- एब ऑफ एब्बी और मेघन कहना चाहता था।"

 

“हमारे बहुत सारे दोस्त हैं जो डेमोक्रेट हैं, लिबरटेरियन हैं, चाहे कोई भी हो। यह विवादास्पद नहीं है, ”व्याध कहता है।

 

हालांकि, वे जो कुछ भी कर रहे हैं, वह विभाजन के साथ व्यापक और अस्थायी रूप से भड़कने वाले हैं, वे कहते हैं कि वे एक रिपब्लिकन पार्टी के साथ टकराव की तुलना में अधिक रुचि के साथ बाहर महसूस करते हैं।

 

"अब, हम इस जगह पर हैं जहाँ हम पसंद करते हैं, 'हम फिट नहीं हैं," व्याध कहता है, "' हमारे पास बातचीत नहीं हो सकती। ''

 

"यह मुझे अकेला महसूस करता है," मैककेन कहते हैं। "लेकिन तब मैं अकेला महसूस नहीं करता, क्योंकि मुझे पता है कि एबी भी ऐसा ही महसूस करता है।"

 

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बैचलर एलम लॉरेन बुशनेल और देश के स्टार क्रिस लेन ने अपनी स्टोरीबुक रोमांस पर एक खुशी से कभी-कभी अध्याय डालने में कोई समय बर्बाद नहीं किया: एक साल से भी कम समय पहले, वे एक जोड़े के रूप में सार्वजनिक हुए , मार्च में सह-आदत शुरू हुई , सगाई हो गई जून में, और अब सिर्फ चार महीने बाद, वे पति-पत्नी हैं!

 

नैशविले, टेनेसी के अपने गृहनगर में एक इनडोर "गुप्त उद्यान" समारोह में 160 परिवार के सदस्यों और दोस्तों से पहले शुक्रवार शाम को दोनों ने विशेष रूप से पुष्टि की।

 

34 साल के लेन ने कहा, "मैंने अभी कुछ समय के लिए दिन का इंतजार किया है और मुझे खुशी है कि यह आखिरकार यहां हो गया।" "मुझे लगता है कि मैं दुनिया का सबसे भाग्यशाली लड़का हूँ जिससे उसकी शादी हो रही है।"

 

29 साल की दुल्हन ने कहा, "मैं अपनी सबसे अच्छी लड़की की तरह महसूस करती हूं।" हम दोनों पहचानते हैं कि हमारे पास क्या खास है, और हम खुद को बहुत भाग्यशाली समझते हैं। "

 

जितनी तेजी से उनका प्रेमालाप था, वास्तव में यह जोड़ी धीमी शुरुआत कर रही थी। 2015 के बाद से, जब वे ऑस्टिन, टेक्सास में एक रेडियो कार्यक्रम में मिले थे, लेन बताते हैं कि उन्होंने "बेतरतीब ढंग से पूछा" बुशनेल को अगस्त 2018 में दोस्तों के एक समूह में शामिल होने के लिए वह बहामास की छुट्टी के लिए इकट्ठा हो रहे थे। उष्णकटिबंधीय सेटिंग में, दोनों ने अपने आपसी आकर्षण को पहचाना, लेकिन लेन ने एक सड़क को फेंक दिया। "उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे वह हमेशा के लिए सिंगल रहना चाहते थे, कैसे पता नहीं था कि अगर वह बच्चे चाहते हैं," बुशनेल याद करते हैं। "क्रिस ने पूरी तरह से मुझे डराने के लिए हमारी पूरी यात्रा का उपयोग करने का फैसला किया।"

 

बुशनेल भी मानती है कि उसने अपनी दीवारें खड़ी कर ली हैं। "मुझे लगता है कि मैं सिर्फ बहुत पहरा दे रही थी और अपनी रक्षा कर रही थी," वह कहती हैं।

 

लेन कहते हैं: "मुझे लगता है कि हम दोनों शायद पूरी तरह से खुद से लड़ रहे थे।"

 

लेकिन लेन के नैशविले में लौटने और बुशनेल के ला के घर जाने के बाद, वह उसे अपने दिमाग से निकाल नहीं सका। डेली फोन कॉल के कारण अधिक मेल-मिलाप हुए, और दोनों ने खुद को प्यार में पड़ते हुए पाया। पिछले नवंबर में, उन्होंने नैशविले में CMA अवार्ड्स सप्ताह के दौरान पहली बार लाल कालीनों को एक साथ चलाया।

 

"यह सब ठीक था, चलो इस बात को करते हैं और देखते हैं कि क्या होता है," लेन याद करते हैं।

 

वर्ष के पहले तक, वे दोनों सभी अंदर थे। उसने दांव लगाया और नैशविले चले गए, और युगल ने जल्द ही रिंग की खरीदारी शुरू कर दी। "मैं बस उसे वही पाना चाहता था जो वह चाहती है," लेन ने 3.5 कैरेट के पन्ना-कट वाले हीरे के बारे में कहा जो बुशनेल ने चुना था। “मुझे लगता है कि ऐसा करने का एक व्यावहारिक तरीका है। क्यों नहीं?"

 

उन्होंने 16 जून को ओरेगन के पोर्टलैंड में अपने माता-पिता के घर पर एक आश्चर्यजनक प्रस्ताव में उन्हें कस्टम रिंग भेंट की। वह क्षण अपने ही साउंडट्रैक के साथ आया। लेन ने एक गाने पर हफ्तों तक काम किया था , जिसमें उनके " बिग, बिग प्लान्स " का वर्णन किया गया था: "हम उनके गृहनगर में वापस आ रहे हैं, और मैं एक घुटने पर नीचे हूँ / मुझे लगता है कि वह अंत में समझ गया कि मैं उससे पूछने वाला हूँ मुझसे शादी कर लो। ”संगीत एक बूमबॉक्स पर खेला गया था, क्योंकि लेन ने उन शब्दों को लिखा था जो उसने लिखे थे।

 

बुशनेल को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। वह कहती हैं, "जब तक मैंने ये शब्द नहीं सुने, तब तक मैं उससे शादी करने के लिए कहने वाली थी।"

 

संबंधित: देश स्टार क्रिस लेन और बैचलर एलम लॉरेन बुशनेल संलग्न हैं: सभी प्रस्ताव विवरण

 

लेन ने अपना दिल एक पतन शादी पर सेट किया था, इसलिए युगल जानते थे कि उनके पास बर्बाद करने का समय नहीं है। बुशविल कहते हैं, "हमने नौवें और एवरेट के नैशविले वेडिंग प्लानर जोशिया कैर को नौवें और एवरेट में प्रवेश किया -" हमने बल्ले से राइट क्लिक किया।

 

स्थल के लिए, उन्होंने 14TENN का चयन किया, जिसमें उज्ज्वल सफेद दीवारों, उजागर बीम और अंधेरे दृढ़ लकड़ी के फर्श के साथ एक औद्योगिक-ठाठ घटना स्थान था। बड़े, खुले कमरे में बुशनेल और उसे नैशविले फूलवाला, स्टेला रोज फ्लोरल , इनडोर गार्डन बनाने के लिए एकदम सही कैनवास दिया गया। "मैं वास्तव में हरे रंग को शामिल करना चाहता था," उसने कहा। "नैशविले वास्तव में हरे रंग का है, और फिर मैं ओरेगन से हूं, इसलिए मैं इसे महसूस करना चाहता था। मैं चाहता था कि यह एक गुप्त किस्म का एहसास हो - वास्तव में रोमांटिक। ”

 

उसकी पोशाक के लिए, बुशनेल कहती है कि वह स्टोर-खरीदी और कस्टम-डिज़ाइन के बीच "एक प्रकार का अनिर्णय पक्षाघात" में था। नैशविले डिजाइनर ओलिया ज़ावोज़िना के साथ परामर्श का सुझाव देने पर कैर ने गतिरोध को तोड़ दिया । बुशनेल की प्रसन्नता के लिए, ज़ावोज़िना ने अपने सपने की पोशाक को उतार दिया, एक लंबी लेकिन सुरुचिपूर्ण सफेद रेशम की गाउन में एक लंबी ट्रेन के साथ जो बुशनेल को "वाह पल" कहती है, अन्य शोधन ने इसे और अधिक विशेष बना दिया: फीता घूंघट, यहां तक ​​कि ट्रेन से भी लंबा। Zavozina की माँ द्वारा हस्तनिर्मित किया गया था। और, भावुक कारणों से, शादी की पोशाक के बटन जो बुशनेल की मां ने पहने थे, उन्हें भी स्लीवलेस गाउन में जोड़ा गया था।

 

ज़वोज़िना ने पूरी शादी की पार्टी के लिए पोशाक डिजाइनिंग को समाप्त कर दिया, लेन को एक तेज, काले रंग के टक्स में डाल दिया (उसने अपनी पहली धनुष टाई पहनी) और एक काले सूट में अपने सबसे अच्छे आदमी, समान जुड़वां, कोरी को ड्रेसिंग किया। बुशनेल की नौकरानी, ​​छोटी बहन, मोली, ने अपने स्ट्रैपलेस शैंपेन गाउन को डिजाइन करने में मदद की।

 

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लेन पहली नज़र के लिए इंतजार करना चाहता था जब उसकी दुल्हन गलियारे से नीचे चली गई, लेकिन व्यावहारिकता ने जीत हासिल की। शादी से पहले औपचारिक तस्वीरें ली गई थीं ताकि जोड़े समारोह के तुरंत बाद अपने इकट्ठे मेहमानों के साथ शादी कर सकें। अतिथि सूची में शामिल नामों में देश के गायक-अभिनेता जन क्रेमर और उनके पति, पूर्व एनएफएल खिलाड़ी माइक कॉसिन, एबी स्मियर्स, दान + शाय की दान स्मारकों की पत्नी , लेन के लेबलमेट अर्नेस्ट और द बैचलर सीजन से बुशनेल के चार साथी शामिल हैं । 20, अमांडा स्टैंटन, जेन सविआनो और जुड़वाँ हेली फर्ग्यूसन और एमिली फर्ग्यूसन ।

 

वर और वधू दोनों ने अपनी-अपनी प्रतिज्ञाएँ लिखीं; लेन ने एक दक्षिण कैरोलिना के पादरी और लेखक, डॉ। क्लेटन किंग, का चयन किया, जिनकी पुस्तकों का लेन पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

 

कॉकटेल घंटे के दौरान, समारोह की साइट को बंद कर दिया गया था ताकि इसे औपचारिक भोजन के लिए एक स्थान में बदल दिया जा सके। बियॉन्ड डिटेल्स- केटर्ड मेन्यू में डेजर्ट के लिए रोस्ट चिकन, बीफ फिल्टर्स, परमेसन रिसोट्टो, शतावरी और स्ट्रॉबेरी शॉर्टकेक शामिल थे। एक पारंपरिक सफेद शादी का केक भी था, जिसमें नमकीन कारमेल बटरक्रिम फिलिंग, डेज़र्ट डिज़ाइन्स ऑफ़ लिलैंड का निर्माण था।

 

"हम किसी को भूखा नहीं छोड़ना चाहते थे," बुशनेल कहते हैं, दो डेसर्ट को समझाते हुए।

 

अपने पहले नृत्य के लिए, बुशनेल ने अपनी लंबी ट्रेन का भंडाफोड़ किया, और युगल ने लेन के प्रस्ताव गीत, "बिग, बिग प्लान्स" में भाग लिया, जिसे उन्होंने अधिक अंतरंग ध्वनिक शैली में फिर से रिकॉर्ड किया।

 

"क्रिस ने लिखा था, और यह हमारे रिश्ते से प्रेरित था, और यह हमारे लिए ऐसा विशेष अर्थ है," बुशनेल कहते हैं, "इसलिए मुझे नहीं लगता कि हम वास्तव में किसी और चीज़ पर नृत्य कर सकते हैं।"

 

बाद में, मेहमानों ने डांस फ्लोर को लिया, जेसी फ्रेशर द्वारा धुनों पर थिरकते हुए, जिन्होंने " फिक्स ," लेन के पहले नंबर 1 एकल को लिखा, और फ्लोरिडा जॉर्जिया लाइन के लिए सड़क पर डीजेएड है।

 

शाम को एक शेक शेक फूड ट्रक के आश्चर्यजनक आगमन से छाया हुआ था, जो बर्गर और फ्राइज़ की सेवा के लिए दिखाई दिया। "आप नृत्य कर रहे हैं और आप एक भूख काम करते हैं," बुशनेल कहते हैं। "तो मेरी 'मस्ट' हमें देर रात के नाश्ते के लिए थी।"

 

हालांकि दूल्हा और दुल्हन जल्दी शादी के बाद पलायन करने की योजना बना रहे हैं, उन्होंने अपनी जगहों को "असली हनीमून" पर सेट कर दिया है - जैसा कि लेन कहते हैं - शायद हवाई में, एक बार जब वह इस साल अपने दौरे के कार्यक्रम को पूरा करता है। और उनकी तत्काल टू-डू सूची में एक और बात है: वे जल्दी से अपने शहर के अपार्टमेंट से बाहर निकलेंगे, साथ ही उनके हाल ही में अपनाए गए म्यूट, कूपर और शहर में एक नए घर में।

 

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"हमारे पास आगे देखने के लिए बहुत कुछ है," लेन कहते हैं। “मैं संगीत में एक लंबे कैरियर के लिए प्रार्थना कर रहा हूं। यह कुछ ऐसा है जिसके बारे में मैं बहुत भावुक हूं। लॉरेन की तरह किसी को पाने के लिए, जीवन में सबसे अच्छे दोस्त के रूप में, यह एक लाख गुना बेहतर बनाने जा रहा है। अभी बहुत सारे फर्स्ट हैं जो हम अनुभव करेंगे - उम्मीद है कि बच्चे। बस पूरे नौ गज। मैं उसके साथ यह सब चाहता हूं। ”

 

नई श्रीमती लेन का कहना है कि वह भी अपने पति के साथ "जीवन के सभी विभिन्न अध्यायों" को साझा करने के लिए इंतजार नहीं कर सकती हैं। "मुझे यकीन है कि मैं केवल उन अध्यायों के साथ प्यार में पड़ना जारी रखूंगी," वह कहती हैं। “मैं मोटी और पतली, अच्छे और बुरे, चुनौतियों और उत्साह के माध्यम से उसे अपनी तरफ से करूंगा। बस उस सब के माध्यम से उसे मेरे पति को कॉल करने में सक्षम होने के नाते बहुत रोमांचक है। ”

 

क्रिस लेन और लॉरेन बुशनेल के बड़े दिन से अधिक के लिए, PeopleTV.com पर बुधवार को अपनी शादी की विशेष स्ट्रीमिंग - ट्यून करें और अगले सप्ताह के समाचारों पर PEOPLE के अगले सप्ताह का मुद्दा उठाएं। 1।

 

इस कूर्द का इतिहास

इस कूर्द भारत उपभेदों के वंश को Zagros पहाड़ क्षेत्र के किनारे सही में सहस्राब्दी ई.पू. के दौरान 2000 के रूप में जल्दी ई.पू. वहाँ एक लोगों को बुलाया kardaker के कूर्द "पूर्वजों माना थे जैसे हैं.

केवल 636 ई. इस क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन जहाँ ज्यादातर लोगों के कुर्द, अरब विजय गाड़ियों का एक परिणाम के रूप में था, इस्लामवाद गया था.

 

प्रारंभिक 1500s में कुर्दिस्तान को तुर्क और फारसी साम्राज्य के बीच मुश्किल से लड़ने के लिए एक चोट जगह बन गई. में मध्य 1800s ने दो साम्राज्य के बीच राज्य क्षेत्र का पहला विभाजन था. प्रथम विश्व युद्ध के अंत में कमरे के एक आगे और साझा लिया. कुर्दिस्तान अब चार भागों में, चार देशों, तुर्की, ईरान, इराक और सीरिया के बीच विभाजित किया गया था. इस कूर्द अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ी है और बार बार नए राज्यों में स्वायत्तता किसी प्रकार का वादा किया. लेकिन वहाँ की गई है धोखा दिया वादा करता है. इस शुद्ध वृद्धि राष्ट्रवाद एक मजबूत अल्पसंख्यक नहीं बात की थी. आर्थिक हितों और औपनिवेशिक देशों ने भी कुर्द क्षेत्र में newfound oljerikedomer पर देख के रूपों. इस कूर्द एक देश के बिना लोगों को बना रहा.

 

धर्म

बहुमत kurdena के मुसलमानों, मुख्यतः Sunnis रहे हैं. सबसे बड़ा गैर कूर्द के बीच में मुस्लिम समूह yezideierna, है एक संप्रदाय जो पारसी धर्म में अपनी जड़ों की है. वहाँ कुर्दिस्तान में कई अन्य छोटे धार्मिक समूह हैं.

 

भाषा

कुर्दिश भाषा इंडो भाषा परिवार का है और एक के indoiranska भाषा समूह की भाषाओं में से एक है. Kurdi स्कैन कई बोली है. दो मुख्य कुर्द भाषा उत्तर भी kurmanji के रूप में जाना जाता है और sydkudiska भी Sorani कहा जाता है. इन दो भाषा को भी आज, प्रश्न के लिखित हैं अलग अल्फा-चुक़ंदर के साथ हालांकि.

 

इस कूर्द तुर्की में

कूर्द का बहुमत तुर्की में रहते हैं. वे 14 और 15 लाख के बीच होने का अनुमान है. तुर्की में भी कुरडिश 'अस्तित्व को मान्यता नहीं है. सब कुछ कूर्द और कुर्दिस्तान के बारे में निषिद्ध है. कुरडिश इस शताब्दी के अंत से प्राप्त द्वारा इस विद्रोह और जब तक 30s सबसे अमानवीय तरीके से कुचल गया था. बच्चों, महिलाओं और जंगल में जला दिया पुरानी या अंदर पर्वत की गुफाओं में बंद कर दिया. कुर्दिश के हजारों थे कुर्दिस्तान से तुर्की के उन पश्चिमी भागों में, विशेष रूप से Konya क्षेत्र के लिए भेजा.

 

इस कूर्द ईरान कूर्द में ईरान में अन्य ईरानी गुरुवार के साथ कंधे से गैर लोकतांत्रिक और अनुचित शाह प्रणाली फेंक के ऊपर की ओर लड़ा था. यह सुधार के लिए काम किया. लेकिन नतीजा कुछ भी थी लेकिन लोकतंत्र और न्याय. एक प्रतिक्रियावादी और अलोकतांत्रिक इस्लामी नेतृत्व, आतंक के लिए प्रसिद्ध सत्ता ले ली. शुरुआत में उनके क्षेत्र भर में कुर्द नियंत्रित. लेकिन Khomeny ने कुर्द और इस्लामी सैनिकों, कुर्दिस्तान के पिता के खिलाफ एक तथाकथित "सप्ताहांत युद्ध" की घोषणा की. वे कुर्द विद्रोही शेर को कम करने के लिए सब कुछ कुचल डालना. पहले वर्ष के दौरान 50,000 Kurds से अधिक मार डाला.

 

गुरुवार सब कुछ कुरडिश नष्ट की कोशिश कर रहा kurderna.Den इस कूर्द इराक में इराक की तानाशाही शासन में RACISTES के खिलाफ एक नीति का आयोजन किया गया है. आतंक, अपमान, विस्थापन मजबूर किया और कुर्दिस्तान के förarabisering ने शासन की नीतियों है. कुरडिश स्वतंत्रता खोज प्रतिक्रिया रासायनिक हथियारों के लिए किया गया.

 

Kurds सीरिया में सीरिया में जागरूक चुप्पी के दौरान शुरू की Kurds के खिलाफ एक Arabization नीति है. कहाँ कूर्द कोई पहचान नहीं दस्तावेज़ और शरणार्थियों, के रूप में हालांकि वे पीढ़ियों के लिए वहाँ रहता है. सीरियन कुर्दिस्तान, इस कुरडिश किसी भी सशस्त्र संघर्ष नहीं कर रहे हैं, लेकिन motståndsrörelen शांति से गुरुवार कि निष्पक्ष रहे हैं और Kurds के लिए jämlighet इस उद्देश्य को प्राप्त कोशिश कर रहा था.

 

इराकी कुर्दिस्तान में कुर्दिस्तान कूर्द में वर्तमान स्थिति के खाड़ी युद्ध के बाद, ऊपर गुलाब और उनके क्षेत्र की सारी मुक्त. लेकिन जब इराक कुर्द अपने सिर पर दूर इराकी सेना के लगभग ढाई लाख कुर्द गर्दन भाग गए पर हमला किया. सबसे ईरान और तुर्की के लिए भाग गए. पूरे मध्य पूर्व पर इसके destabilizing प्रभाव के बारे में चिंताओं के साथ इस मास के पैमाने और अन्य अंतरराष्ट्रीय अभिनेताओं की एक संख्या गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र prompted अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा के रूप में इस स्थिति को समझना. सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 688 में आदेश और Oversea एक मुक्त क्षेत्र स्थापित करने के लिए मित्र देशों की सेना और संयुक्त राष्ट्र गार्डस गुरुवार इराकी कुर्दिस्तान भेजने के लिए संबंधित अपनाया. कुरडिश समस्या के इतिहास में पहले कभी नहीं के रूप में एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन गया. इराकी कुर्दिस्तान में कूर्द का मानवीय पीड़ा में अत्यधिक लागत के बावजूद कि यह एक पूरे के रूप में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक सकारात्मक विकास के लिए ले जायेंगे यह सोचा गया था.

1992 की अपनी संसद और गुरुवार को क्षेत्र में एक कुर्द सरकार को बधिया kurdena चुना है. जो बाहर का रिश्ता करने के लिए हिस्सा भी कूर्द के लिए इराकी कुर्दिस्तान में बुरा बन गया दुर्भाग्य से इस गया था और उन दो प्रमुख कुर्द गुटों के बीच एक युद्ध लगातार नहीं तोड़ दिया. ईरान, इराक और तुर्की, जो की क्षमता एक समाधान खोजने के लिए क्षीण संघर्ष, में ही डाल दिया है.

इस कूर्द ईरान और सीरिया के कुर्दिस्तान के खाड़ी युद्ध के बाद किसी भी नाटकीय परिवर्तन का अनुभव नहीं है में. ईरानी कुर्दिस्तान में प्रतिरोध आंदोलन और बन कुछ Stronger है लड़ाई पर जाता है.

तुर्की कुर्दिस्तान में कुर्द विरोध प्रदर्शन गतिविधियों और लोकप्रिय विद्रोह सहित इस क्षेत्र में बड़े शहरों, में एक जन आंदोलन में विकसित किया है. इस बीच, कूर्द के खिलाफ तुर्की सेना बर्बरता हाल के वर्षों में वृद्धि हुई है. इस कूर्द अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं. उनके शहरों और गांवों, आग पर टिकी हैं जंगलों के लिए अपने तंत्र को नष्ट कर दिया. महिलाओं को चुना है, लेकिन मौत के लिए अत्याचार और जेलों युवा लोगों से भरे हुए हैं. वहाँ तुर्की कुर्दिस्तान में एक नरसंहार चल रही है. लोग डर रहे हैं और दूसरे समूह में से बाहर जाने की हिम्मत नहीं. यह आज क्या तुर्की कुर्दिस्तान में चल रहा है के एक छोटे से चयन है.

 

Halabja Halabja दक्षिण में कुर्दिस्तान एक शहर है, इसके बारे में 70,000 निवासी था. 16 विभिन्न अवसरों पर बुधवार, 16 मार्च 1988 ansöll इराकी हवा इस शहर की शांति. हर हमले के विमान में 6-8 भाग लिया. रासायनिक विषाक्तता पर प्रतिबंध लगा दिया है जो इस शहर के ऊपर कम कर रहे थे इस बम gasbomber कई internatioellt युक्त था. कम से कम पाँच हज़ार लोगों, ज्यादातर बच्चों, महिलाओं और पुराने, तुरंत मर गया. और 10,000 लोग घायल हो गए थे. शहर के सभी निवासियों की ईरान, ज्यादातर करने के लिए भाग गए. 1991 के वसंत के बाद से कई गया है वापस Halabja करने के लिए चले गए. इस कूर्द Halabja के बीच "कुर्दिस्तान हिरोशिमा कहा जाता है."

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गलत धातु में बना रत्न पत्थर के समान, नहीं होता कोई फायदा

 

रत्नों में ग्रहों की उर्जा को अवशोषित करने की अद्भुत क्षमता होती है। रत्नों में विराजमान अलौकिक गुणों के कारण रत्नों को ग्रहों का अंश भी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक रत्न किसी खास धातु के लिए ही बना है। यदि किसी रत्न को गलत धातु में बनवा लिया जाए, तो या तो उसका असर नहीं होता या फिर कई बार वह गलत प्रभाव भी छोड़ जाता है।

 

इन सभी धातुओं का भी अपना असर होता है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि जब ये धातु किसी खास रत्न के साथ मिला दी जाएं तो इसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है। यही कारण है कि रत्न को किसी विशेष धातु से बनी अंगूठी में ही धारण करने की सलाह दी जाती है।

 

सौरमंडल में नौ ग्रह हैं, इन ग्रहों को अपने पक्ष में करने और इनका सकारात्मक प्रभाव पाने के लिए रत्न धारण किए जाते हैं। ग्रहों को मजबूती प्रदान करने के लिए भी रत्न पहने जाते हैं। रत्न अपना असर तो दिखाते हैं लेकिन इन्हें किस धातु में पहना जा रहा है, ये बात सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।

 

रत्नशास्त्र के अनुसार जानें कौन सी धातु में पहनें कौन सा रत्न:

 

माणिक्य : सूर्य के रत्न माणिक्य यानि रूबी को तांबे या सोने की धातु में पहनना चाहिए। इसमें भी तांबे में पहनने से इसका असर बहुत ही लाभदायक होता है, हालांकि सोने की चमक और दिखावे के चलते लोग तांबे को कम पसंद करते हैं। माणिक्य रत्न करियर में सफलता पाने के लिए बहुत लाभकारी होता है।

 

पन्ना : यह बुध का रत्न माना जाता है, पन्ना सोने की धातु में पहनना सबसे शुभ माना जाता है। पन्ना रत्न धारण करने से बुध के शुभ फल प्राप्त होते हैं और आंखों की रोशनी भी तेज होती है। यह रत्न करियर में नई ऊंचाइयां प्रदान करने में सबसे ज्यादा सहायक है।

 

मोती : चंद्रमा का रत्न है मोती जो मन और मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है। मोती हमेशा चांदी की धातु में ही पहना जाना चाहिए। मोती को कभी भी सोने की धातु में नहीं पहना जाता है। जिन लोगों के गुस्सा अधिक आता हो, उन्हें यह रत्न अवश्य पहनना चाहिए।

 

नीलम : शनि देव का रत्न है नीलम। इस रत्न को शनि को और मजबूत करने के लिए पहना जाता है। ये रत्न अगर किसी को सूट ना करे तो वह व्यक्ति बर्बाद हो सकता है। नीलम रत्न को सोने या प्लैटिनम की धातु में धारण करें।

 

पुखराज : बृहस्पति का रत्न पुखराज सबसे तुरंत लाभ देने वाला रत्न माना जाता है। इस रत्न को सिर्फ सोने की धातु में ही धारण करना चाहिए। हालांकि महंगा होने के कारण लोग इस उपरत्न सुनहैला भी पहन लेते हैं लेकिन उसका इतना अच्छा असर नहीं होता। धन की कमी हो तो इसे तांबे में भी धारण कर सकते हैं।

 

मूंगा : मूंगा का स्वामी मंगल है, इस रत्न को पहनने के बाद जातक प्रतिदिन नई ऊंचाइयों को प्राप्त करता है, ऐसा माना जाता है। मूंगा को सोना, चांदी या तांबे की धातु में ग्रहण किया जा सकता है। हालांकि सबसे अधिक फायदा यह तांबे की धातु में ही देता है लेकिन लोग इसे भी सोने में ही ज्यादा पहनना पसंद करते हैं।

 

गोमेद : राहु का रत्न है गोमेद, इसे किसी भी अष्टधातु, चांदी या त्रिलोह में बनवाकर पहना जा सकता है। इसकी एक खास बात यह है कि इसे पहनने से पहले, कुछ विशेष पुजा करनी होती हैं। ये पूजा पंडित या ज्योतिष आदि अपने-अपने अनुसार करवाते हैं।

 

लहसुनिया : केतु का रत्न है लहसुनिया, इसे चांदी या अष्टधातु बनवाकर धारण करें, यह हर कोई नहीं पहन सकता। इस रत्न को बहुत ही कम लोगों को बताया जाता है, लेकिन इसे पहनें तभी जब कोई ज्योतिषि इसकी सलाह दे।

 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उपरोक्त रत्नों के अलावा भी कई प्रकार के रत्न होते हैं। हर रत्न किसी विशेष परेशानी या किसी खास मकसद से ही धारण किया जाता है। हर रत्न को धारण करने से पहले किसी ज्ञानी ज्योतिषी की राय ले लेनी चाहिए।

 

 

डेविन डावसन और लिआ साइक्स शादी हो चुकी है।

 

" ऑल ऑन मी " क्रोनर और गायक-गीतकार ने रविवार को टेनेसी के फ्रैंकलिन में गाँठ बाँधा, जहां 200 लोगों के सामने कार्नेटन के ऐतिहासिक बागान घर और संग्रहालय - और PEOPLE में सभी विशेष विवरण हैं।

 

अपने बड़े दिन से आगे, 30 वर्षीय, डॉसन ने, PEOPLE को बताया कि उन्होंने और 22 साल के सैक्स ने, अपने खेत के रूप में (1864 में अमेरिकन सिविल वॉर ऑफ़ फ्रैंकलिन के युद्ध के तुरंत बाद) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, क्योंकि यह था एक शरद ऋतु समारोह के लिए आदर्श सेटिंग।

 

युगल ने कहा, "संपत्ति में बगीचे, पत्ते और 250 साल पुराने ओक के पेड़ के साथ एक अविश्वसनीय रूप से भव्य और प्राकृतिक वेदी के रूप में गिरने वाली शादी के लिए एक आदर्श सेट है," दंपति ने कहा कि उन्होंने डावसन की एक रंग योजना को चुना अंतरिक्ष को सजाने के लिए हस्ताक्षर काले, साथ ही साथ मर्टल और शैंपेन।

 

बड़े दिन पर डावसन के पास खड़े होकर एक दुल्हन पक्ष सात दूल्हों से बना था: उसका सबसे अच्छा आदमी और जुड़वाँ भाई जैकब ड्यूरेट, उसके बचपन के सबसे अच्छे दोस्त काइल फिशमैन और डैनियल कच्छ, कॉलेज ग्रांट बिल्विन्स के उसके सबसे अच्छे दोस्त और मैट रॉबर्ट्स, उसके बैंड का अधिकार -हैंड मैन और सहयोगी ऑस्टिन टेलर स्मिथ और संगीत उद्योग के विश्वासपात्र जोश टॉमलिंसन, जो नैशविले चले जाने पर उनके द्वारा बनाए गए पहले दोस्त थे।

 

साइक्स के बड़े भाई, जैकब ने इस जोड़े से शादी की, जिन्होंने अपनी शादी की प्रतिज्ञा लिखी थी।

 

डॉसन ने कहा, "हम पारंपरिक विवाह के अलावा अपनी लिखी हुई प्रतिज्ञाओं को सुनाना चाहते थे।" "आप बेहतर मानते हैं कि दो गीतकार और कलाकार हमारी प्रतिज्ञा और वादे लिखना चाहते थे!"

 

अपनी-अपनी प्रतिज्ञाओं को सुनाने के साथ, इस जोड़े ने समारोह के दौरान "हाऊ डीप द फादर लव" नामक एक पूजा गीत गाया क्योंकि विश्वास उनके रिश्ते का एक बड़ा हिस्सा है। डॉसन ने अनुमान लगाया कि वे विशेष क्षण के दौरान रोएंगे, मजाक करते हुए, "हम कंबरलैंड को खुशी और प्यार के आँसू के साथ बाढ़ सकते हैं जो गिर जाएंगे।"

 

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बस अंकल सैम से ओके हो गया # 10Days #sykedtobedurrett @zdevin

 

17 अक्टूबर 2019 को प्रातः 10:21 बजे पीडीटी पर लेह साइक्स (@leahgracesykes) द्वारा साझा की गई एक पोस्ट

 

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डॉसन ने यह भी संकेत दिया कि उनके पास साइक्स के लिए कुछ विशेष है।

 

उन्होंने कहा, "जब लिआ और मुझे घोषित किया जाता है, तो मुझे थोड़ा आश्चर्य होता है।" "यह मेरे लिए एक आदमी के रूप में कुछ बहुत बड़ा है जिसने पांच साल में कुछ भी नहीं पहना है लेकिन काला है।"

 

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Sykes ने Monique Lhuillier द्वारा डिजाइन किए गए समारोह और रिसेप्शन के लिए एक गाउन पहना था, जिसे उन्होंने "फॉर्म-फिटिंग, सॉलिड लेस" ड्रेस "कम बैक" के साथ बताया था। उनके घूंघट की लंबाई चैपल थी।

 

"ईमानदारी से, मैंने कहा कि मैं एक परी राजकुमारी की तरह महसूस करना चाहती थी और ठीक यही ड्रेस मुझे कैसा महसूस कराती है," उसने समारोह से पहले लोगों को बताया।

 

डावसन ने समारोह और स्वागत समारोह के लिए एक कस्टम टक्स पहना, जो उन्होंने नैशविले में फियोन बेस्पोक के आरोन मैकगिल और ओनली वन टेलरिंग के साथ डिजाइन किया था।

 

सगाई की अंगूठी और शादी के बैंड के लिए, डॉसन ने उन्हें नैशविले में BEZALEL के मालिक टिम स्टैमेन के साथ डिजाइन किया। डावसन और स्टैमन ने सगाई की अंगूठी को "सरल, सुरुचिपूर्ण और कालातीत" होने के लिए डिजाइन करने में महीनों का समय बिताया, जबकि बैंड में मुख्य दादी के शादी के हीरे (मुख्य हीरे के नीचे) को एम्बेड करने के लिए एक छोटा सा, अद्वितीय स्पर्श जोड़ते हुए, "हमेशा याद रखने के लिए एक अनुस्मारक के रूप में" सुर्खियों और पहुंच से भरी दुनिया में अपने लिए कुछ। ”

 

शादी के बैंड को सगाई की अंगूठी के साथ पूरी तरह से मेल खाने और फिट करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिसमें 1.75 कैरेट का हीरा और पूर्ण प्लेटिनम सेटिंग और बैंड है।

 

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हम शादी कर रहे है!!!!! कल हमने 2 साल एक साथ मनाए थे और मैंने कहा कि हाँ वह उन्हें बाकी दे रहा है। डेविन, मैं वास्तव में लंबे समय से जानता हूं कि आप हमेशा के लिए थे। 9 दिनों के बाद मेरे पिताजी को फोन करने से लेकर मेरे परिवार को अपने जैसा बनाने में, मेरे मन में कभी कोई संदेह नहीं रहा। मुझे कोई भ्रम नहीं है कि हमेशा के लिए आसान होने जा रहा है, लेकिन मैं इसे खर्च नहीं करना चाहता और इसके माध्यम से किसी और के माध्यम से बढ़ सकता हूं। मैं तुम्हें प्यार करता हूँ, मेरे जीवन और उससे परे के लिए। @zdevin

 

लीह सैक्स (@leahgracesykes) द्वारा 11 मार्च, 2019 को सुबह 10:00 बजे पीडीटी पर साझा की गई एक पोस्ट

 

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रिसेप्शन में, दंपति ने अपनी कहानी के कुछ हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने के लिए छोटे-छोटे स्पर्शों को शामिल किया, जिसमें टोस्ट के लिए टकीला शॉट, हस्तनिर्मित मार्गरिट्स और एक देशी बार, जो उनके मूल कैलिफ़ोर्निया, उनके मूल फ़्लोरिडा और नैशविले के वर्तमान घर से आए थे।

 

एक शादीशुदा जोड़े के रूप में अपने पहले नृत्य के लिए, ब्रूनो मेजर ने डॉसन और साइक्स ने "वॉटन मीन ए थिंग " चुना। डॉसन ने अनुमान लगाया कि उनकी शादी के मेहमान रिसेप्शन में "डांस फ्लोर में छेद और टक्स और ड्रेस के माध्यम से पसीना जलाएंगे"।

 

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डावसन और साइक्स दो-ढाई साल से साथ हैं और दोनों मिले हुए हैं और दोनों नैशविले में बेलमोंट विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हैं। उन्होंने एकेडमी ऑफ कंट्री म्यूजिक अवार्ड्स में एक युगल के रूप में अपने रेड कार्पेट की शुरुआत की, लेकिन डॉसन जानते थे कि साइक्स कूद से एक है।

 

"हमारी पहली तारीख के बाद मैंने अपने भाई से कहा कि मैं किसी और को उसके साथ नहीं रहने देना चाहता," उन्होंने कहा। “उसने मुझसे कहा कि इसे बंद कर दो! यह बड़ा है क्योंकि हमने कभी भी प्यार या रिश्तों पर एक साथ बात नहीं की। ”

 

दूसरी ओर, साइक्स को पता था कि डॉसन एक है "जब उसने लगातार मेरे लिए प्राथमिकता तय की थी: मेरा परिवार, संगीत और विश्वास।"

 

"मुझे पता था कि वह हमेशा मुझे उन चीजों की ओर इशारा करेगा जो महत्वपूर्ण थीं और मुझे एक बेहतर बहन, बेटी और पत्नी होने के लिए चुनौती देती हैं," उसने कहा।

 

डॉसन - जिसे ब्लेक शेल्टन के नंबर 1 लिखने के लिए वर्ष के गीत के लिए नामांकित किया गया है, ने अगले महीने के CMA अवार्ड्स में "गॉड्स कंट्री" को हिट किया - मार्च में सैन फ्रांसिस्को की यात्रा पर डेटिंग की अपनी दो साल की सालगिरह मनाते हुए सैक्स को प्रस्तावित किया।

 

“रविवार हमारी पहली तारीख की दो साल की सालगिरह थी, और मुझे अब कुछ समय के लिए पता चला है कि मैं चाहता था कि जिस दिन मैं उसे प्रपोज करूं। मैं उस दिन को पत्थर में सेट करना चाहता था ताकि हम हमेशा याद रख सकें कि 10 मार्च हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है। ”डावसन ने उस समय लोगों को बताया। "मैं सैन फ्रांसिस्को के आसपास बड़ा हुआ और वह कभी नहीं रही, इसलिए हमने इसमें से एक यात्रा की और मुझे दुनिया के अपने पसंदीदा शहरों में से एक में उसे दिखाने के लिए मिला।"

 

"मुझे लगता है कि उसे संदेह हो सकता है कि मैं इस सप्ताह के अंत में इस सवाल को पॉप करूँगा जब मैं उसे अपने सभी पसंदीदा स्थानों - ओशन बीच, द प्रेसिडियो , ट्विन चोटियों - पर ले जाऊंगा , लेकिन मैं उसे आश्चर्यचकित करने की कोशिश करना चाहता था जब उसे कम से कम उम्मीद थी," जारी रखा। "इसलिए मैंने शनिवार की देर रात तक इंतजार किया ... जब यह आधी रात (हमारी सालगिरह) में बदल गया, वर्जिन होटल में हमारे अच्छे दोस्तों ने मुझे अपनी छत पर ले जाने दिया।"

 

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मेरे पास सबसे अच्छे शादी का काम है जो आज देव और स्वयं के मौजूद सभी चित्रों के माध्यम से जाना और अपने पसंदीदा को चुनना है ... यह "नरक हाँ" हमेशा के लिए कहने के बाद सेकंड था। देव, मैं आपकी पत्नी बनने के लिए अधिक उत्साहित नहीं हो सकती।

 

लीह सैक्स (@leahgracesykes) द्वारा 13 अगस्त, 2019 को सुबह 10:22 बजे पीडीटी पर साझा की गई एक पोस्ट

 

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जैसा कि अब लग रहा था कि शादी करने का सही समय है, डॉसन ने कहा, "हम दोनों जानते थे कि हम एक-दूसरे को हमेशा के लिए वादा करना चाहते थे।"

 

"इसमें कोई शक नहीं था," उन्होंने कहा। "हम अपने प्यार को उच्चतम स्तर पर ले जाना चाहते थे और इसे पहाड़ के सबसे ऊपर से चिल्लाकर अपने सबसे करीबी लोगों के साथ मनाना चाहते थे।"

 

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डावसन - जो पहले ब्रेट एल्ड्रेड , टिम मैकग्रॉ और फेथ हिल के लिए खुल चुके हैं और साथ ही अपने खुद के दौरे का श्रेय लेते हैं - अपने और सैक्स के रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए “मुश्किल लेकिन पुरस्कृत करियर पथ जिसे हमने चुना है” के लिए समझ और सम्मान।

 

"डार्क हॉर्स" गायक, जो जल्द ही नया संगीत देंगे, ने कहा, "संगीत हमें एक-दूसरे के लिए होने की अनुमति देता है, लेकिन एक-दूसरे को हमारा सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए धक्का देता है।" “एक यात्रा और कभी-कभी लंबी दूरी की जोड़ी के रूप में, हम एक-दूसरे को देखकर दो सप्ताह से अधिक समय तक नहीं जाने की कोशिश करते हैं। हम सप्ताह में कम से कम तीन बार फेसटाइम की कोशिश करते हैं जब हम लंबे समय तक अलग रहते हैं। इसके अलावा, यह केवल मज़ेदार है - जीवन का आनंद लेना और हमारे जीवन के बाकी हिस्सों के लिए एक साथ 'पहले' का अनुभव करना। "

 

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75 दिन।

 

Devin Dawson (@zdevin) द्वारा 13 अगस्त, 2019 को शाम 6:58 बजे पीडीटी पर साझा की गई एक पोस्ट

 

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जब शादी की बात आती है, तो डॉसन ने कहा कि वह अपने प्यार को "अंतिम स्तर" पर ले जाने के लिए उत्साहित हैं

 

"मैं अपने परिवार के साथ जश्न मनाने, एक साथ और भी मजबूत होने के लिए, कठिन समय के माध्यम से काम करने के लिए, परिवार शुरू करने के लिए और हमेशा किसी करीबी की तुलना में करीब होने के लिए उत्साहित हूं," उन्होंने कहा।

 

लेकिन हमेशा के लिए हनीमून से पहले - या, डॉसन और साइक्स के मामले में, "मिनी मून।"

 

"हम अपने मिनी चाँद को ब्लैकबेरी फार्म में बिता रहे हैं," डॉसन ने कहा। “यह टेनेसी की पहाड़ियों में एक निजी पर्वत स्थल और खेत है। हमने इसे उठाया क्योंकि यह करीब है (हम सड़क यात्राओं से प्यार करते हैं) और यह बहुत खूबसूरत है। यह आराम करने और अपने आप को विलासिता में रखने के लिए एक आदर्श स्थान है जिसे हम आमतौर पर खुद को बर्दाश्त नहीं करते हैं। हम साल के शीर्ष पर विदेश में एक पूर्ण हनीमून लेंगे।

 

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Rihai Manch:For Resistance Against Repression

 

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मुजफ्फरनगर के दोषियों को बचाकर संघ परिवार का एजेंडा पूरा कर रही है सपा

सरकार- रिहाई मंच

 

मुजफ्फरनगर के पीड़ितों की स्थिति 2002 के गुजरात हिंसा पीड़ितों जैसी- हर्ष मंदर

 

एसआइसी प्रमुख मनोज कुमार झा मुजरिमों का नाम निकलवाने के लिए डालते थे दबाव-

रिजवान (पीड़ित)

 

हर्ष मंदर, जफर इकबाल, अकरम चैधरी और राजन्या बोस लिखित ‘सिमटती जिंदगी’ रिपोर्ट

हुई जारी

 

रिहाई मंच की रिपार्ट ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खड़ी है’ ने सपा-भाजपा गठजोड़

को किया बेनकाब

 

मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा की चैथी बरसी पर रिहाई मंच ने किया सम्मेलन

 

लखनऊ 7 सितम्बर 2016। मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा की चैथी बरसी पर यूपी

प्रेस क्लब लखनऊ में रिहाई मंच ने ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खडी़ है’ विषय

पर सम्मेलन किया। इस दौरान दो रिपोर्टें भी जारी हुईं।

 

इस अवसर पर पूर्व आइएएस और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि

मुजफ्फरनगर की हिंसा छेड़छाड़ के झूठे अफवाह के आधार पर हिंदुत्ववादी संगठनांे

ने फैलाई थी। जिसे यदि सरकार चाहती तो रोक सकती थी लेकिन उसकी आपराधिक

निष्क्रियता के चलते हिंसा का विस्तार होता गया। राज्य सरकार ने दंगे के बाद

लोगों को सुरक्षित अपने गाँव वापस लौटने और फिर से नई जिंदगी शुरू करने में

किसी तरह की मदद नहीं की। यह चिंताजनक है कि मुजफ्फरनगर के पीड़ितों की स्थिति

2002 के गुजरात हिंसा के पीड़ितों जैसी है। दोनों जगहों पर मुसलमानों को अलग

थलग बसने के लिए मजबूर किया गया, उनका सामाजिक बहिष्कार हुआ और वे अभी भी डर

के माहौल में जी रहे हैं। न्याय की भी कोई उम्मीद नहीं है। इसके लिए संघ

परिवारी संगठन और राज्य सरकार दोनों बराबर के दोषी हैं।

 

मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा पीड़ितों का मुकदमा लड़ रहे असद हयात ने कहा कि

इस हिंसा के बाद लगभग 15 लाशें गायब हैं जो कि ग्राम लिसाढ़, हड़ौली, बहावड़ी, ताजपुर

सिंभालका के निवासी हैं। सरकार कहती है कि लाश मिलने पर इन्हें मृत घोषित किया

जाएगा। जबकि चश्मदीद गवाह कहते हैं कि हमारे सामने हत्या हुई। पुलिस तो घटना

स्थल पर तुरंत पहुंच गई थी फिर यह लाशें किसने गायब कीं? 18 से अधिक लोग

गुमशुदा हैं जिनके परिजनों ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई है। अगर वो जीवित

होते तो अब तक लौट आते। लगभग 10 हत्याएं जनपद बागपत में हुई जिन्हें सरकार ने

सांप्रदायिक हिंसा में हुई मौत नहीं माना है। 25 से अधिक मामले ऐसे भी हैं

जिनकी निष्पक्ष विवेचना नहीं हुई और इन व्यक्तियों की सांप्रदायिक हत्याओं को

पुलिस ने आम लूट पाट की घटनाओं में शामिल कर दिया।मुख्य साजिशकर्ता भाजपा और

भारतीय किसान यूनियन के नेताओं और इनसे जुड़े संगठन के नेताओं के विरुद्ध धारा

120 बी आपराधिक साजिश रचने के जुर्म में कोई जांच ही नहीं की गई। इसतरह सरकार

ने दंगा क्यों हुआ, किसने कराया, कौन साजिशकर्ता था उन पर पर्दा डाल दिया।

 

मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पर गठित विष्णु सहाय कमीशन पर सवाल उठाते हुए

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि

मुलायम सिंह मुसलमानों के साथ आयोगों का खेल खेलना बंद करें। सहाय कमीशन ने

अपनी रिपोर्ट में इस बात को स्वीकारा है कि 4 सितंबर 2013 को मुजफ्फरनगर बंद

के नाम पर अराजकाता फैलाने में वर्तमान भाजपा मंत्री संजीव बालियान, उमेश मलिक,

राजेश वर्मा व अन्य शामिल थे। ठीक इसी तरीके से 5 सितंबर को लिसाढ़ में हुई

पंचायत को स्वीकारा है कि पंचायत में गठवाला खाप मुखिया हरिकिशन सिंह और डा0

विनोद मलिक जैसे लोग शामिल थे जिसके बाद लिसाढ़ से सांप्रदायिक हिंसा शुरू हुई।

7 सितंबर को वर्तमान भाजपा सांसद हुकुम सिंह, महापंचायत में भारतीय किसान

यूनियन के नेता राकेश टिकैत, अध्यक्ष नरेश टिकैत, साध्वी प्राची, भाजपा के

पूर्व एमएलए अशोक कंसल, भाजपा के पूर्व सांसद सोहन वीर सिंह, सरधना के भाजपा

विधायक संगीत सिंह सोम, बिजनौर के भाजपा विधायक भारतेंदु सिंह, जाट महासभा के

अध्यक्ष धर्मवीर बालियान, रालोद के जिला अध्यक्ष अजीत राठी शामिल थे।

मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने के लिए इन सब के साथ संगीत सोम द्वारा

29 सितंबर को शाम 6 बजकर 21 मिनट पर फर्जी वीडियो इंटरनेट द्वारा प्रचारित

करना भी आयोग ने माना। उन्होंने कहा कि इतना सब जब साफ था तो निष्कर्ष तक

पहुचते-पहुचते आखिर सहाय कमीशन ने इन सांप्रदायिकता भड़काने वालों के खिलाफ

कार्रवाई की बात क्यों नहीं कही?

 

मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने कहा कि देश में साम्प्रदायिक

हिंसा के पीड़ितों को न्याय न देने की जो प्रक्रिया चल रही है वह लोकतंत्र के

लिए आत्मघाती है। इस प्रक्रिया को चलाते हुए संघ गिरोह जिस हिंदू राष्ट्र की

परिकल्पना कर रहा है उस पर अमल करते हुए ही सपा सरकार उन्हें न्याय से वंचित

किए हुए है।

 

हर्ष मंदर, जफर इकबाल, अकरम अख्तर चैधरी और राजन्या बोस लिखित ‘सिमटती

जिंदगी’ रिपोर्ट

में बताया गया है कि किस तरह 2013 में हुई साम्प्रदायिक हिंसा में लगभग 50,000

लोग अपने गाँवों से उजड़कर कैम्प में आकर रहने लगे। इनमें से एक तिहाई से भी कम

लोग वापस अपने गाँव लौट सके। कैम्प के बाद ये लोग मुसलमान आबादी वाले इलाके

में जमीन खरीदकर बस गए। लगभग 30,000 लोग मुजफ्फरनगर और शामली जिले के 65

पुनर्वास कॉलोनियों में रह रहे हैं जो अब वापस कभी गाँव नहीं जाएँगे। इन

कॉलोनियों में नागरिक सुविधाओं जैसे, बिजली, सड़क, पानी, सफाई, स्कूल, आँगनवाड़ी

जैसी सुविधाओं की बहुत कमी है। ज्यादातर कॉलोनियाँ सरकारी रिकार्ड से बाहर

हैं।

 

आरटीआई कार्यकर्ता व रिहाई मंच नेता सलीम बेग ने कहा कि उन्होंने नवंबर 2015

में सात बिंदुओं पर मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा संबन्धित सूचना प्राप्त करना

चाही थी। जिसमें अनेक चैकाने वाले तथ्य सामने आए जैसे उत्तर प्रदेश राज्य

अल्पसंख्यक आयोग को सांप्रदायिक हिंसा से संबन्धित एक भी शिकायती पत्र प्राप्त

नहीं हुआ। इससे भी शर्मनाक कि राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने मुजफ्फरनगर का दौरा ही

नहीं किया। सबसे शर्मनाक कि मुस्लिम विधायकों ने सरकार के आपराधिक रवैये पर

कोई सवाल नहीं उठाया।

 

रिहाई मंच की रिपोर्ट ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खड़ी है’ पर बोलते हुए रिहाई

मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि जब उन्होंने भाजपा विधायक संगीत सोम व सुरेश

राणा पर अमीनाबाद लखनऊ में रासुका के तहत जेल में रहते हुए फेसबुक द्वारा

साप्रदायिक तनाव भड़काने की तहरीर दी तो उस पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की

पर इसी थाने में हाशिमपुरा के सवाल पर इंसाफ मांगने वाले रिहाई मंच नेताओं

समेत अन्य लोगों पर दंगा भड़काने का मुकदमा दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि

सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए डूंगर निवासी मेहरदीन की हत्या का उनके द्वारा

मुकदमा दर्ज कराने पर महीनों बाद पुलिस ने उन्हें मुजफ्फरनगर बुलाया की

पोस्टमार्टम के लिए लाश निकाली जाएगी पर बयान दर्ज करने के बावजूद लाश नहीं

निकाली गई। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जांच

के लिए गठित एसआईसी का प्रमुख मनोज कुमार झा जैसे अधिकारी को बना दिया जिनपर

खुद खालिद मुजाहिद की हिरासती हत्या का आरोप है और निमेष कमीशन की रिपोर्ट ने

भी जिनके खिलाफ आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुसलमानों को फंसाने के लिए

कार्रवाई की मांग की है।

 

शामली से आए अकरम अख्तर चैधरी ने सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बलात्कार की

घटनाओं पर कहा कि बलात्कार पीड़ितों को सरकार ने सुरक्षा नहीं मुहैया कराया

जिसके चलते गवाह दबाव में आ गए। एक मुकदमें में गवाह मुकर गए जिसके कारण सभी

चार आरोपी बरी हो गए, अन्य मामलों में भी मुजरिम जमानत पर बाहर है और तो और एक

बलात्कार के मामले में तीन साल बीत जाने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।

 

मुजफ्फरनगर-शामली सांप्रदायिक हिंसा में सबसे अधिक 13 हत्या होने वाले लिसाढ

गांव निवासी रिजवान सैफी जिनके परिवार के पांच लोगों की हत्या हुई थी ने कहा

कि मेरे दादा-दादी की हत्याकर उनकी लाश को गायब कर दिया गया लेकिन जांच कर रहे

एसआईसी के मनोज झां आरोपियों के नाम निकलवाने के लिए हम पर दबाव बनाते रहे। वे

हमें जब भी बुलाते थे उसके पहले आरोपियों को भी वहां बुलाकर हममें डर व दहशत

का माहौल बनाने की कोशिश करते थे। मेरे गांव से सटा हुआ मीमला रसूलपुर जिसके

ग्राम निवासियों ने थाना कांधला पुलिस को फोन करके बताया कि उनके गांव के बाहर

कब्रिस्तान के पास तीन अज्ञात लाशें पड़ी हैं, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची

और यह कहकर चली गई कि उसे अभी वह ले नहीं जा सकती और बाद में वह लाशें गायब हो

गईं। जिसको पुलिस ने आरटीआई में भी माना है।

 

कार्यक्रम का संचालन राजीव यादव ने किया। इस दौरान अमित अम्बेडकर, लखनऊ रिहाई

मंच महासचिव शकील कुरैशी, रफत फातिमा, अनिल यादव, अजय सिंह, अरुंधती धुरू, आली

से आंचल, जनचेतना से रामबाबू, सत्यम वर्मा, पुनीत गोयल, बीएम प्रसाद, आरके सिंह,

पीसी कुरील, प्रबुद्ध गौतम, साहिरा नईम, अजरा, सृजनयोगी आदियोग, वीरेंद्र

गुप्ता, कल्पना पांडेय, डाॅ दाउद खान, इनायतुल्ला खान, यावर अब्बास, मोहम्मद

अली, अब्दुल्लाह, केके वत्स, डाॅ0 इमरान, यावर अब्बास, प्रतीक सरकार, शशांक लाल,

एसपी सिंह, निखिलेश, संजय नायक, सुधा सिंह, माहिर खान, आबिद जैदी, सबीहा मोहानी,

शाहनवाज आलम आदि मौजूद रहे।

 

द्वारा जारी-

 

शाहनवाज आलम

 

प्रवक्ता रिहाई मंच

 

9415254919

 

Lizzo और एरियाना ग्रांडे ध्वनि "नरक के रूप में अच्छा" एक साथ!

 

31 साल के लिज़ो ने शुक्रवार को 26 साल के अपने हिट गाने के रीमिक्स को "साइड से साइड" क्रूनर में बदल दिया, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रशंसकों को उनकी कीमत पता है।

 

"वू, लड़की, अपने जूते उतारने की जरूरत है / आपको एक गहरी साँस लेनी होगी, आप पर ध्यान केंद्रित करने का समय / सभी बड़े झगड़े, लंबी रातें जो आप के माध्यम से / मुझे मिली टकीला की एक बोतल मुझे आपके लिए बचा रही है," लिज़ो ग्रांडे आने से पहले गाती है।

 

"वह बेहतर जानता है कि मेरे लायक है / वहाँ इतना है कि मैं लायक हूं," ग्रांडे क्रोन्स।

 

"तो लड़की, अगर वह तुम्हें अब और प्यार नहीं करती है," वह लिज़ो के रूप में जारी है, तो गाती है "फिर अपने ठीक गधे को बाहर घुमाओ।"

 

लिज़ो ने मूल रूप से 2016 में अपनी पहली फिल्म ईपी कोकोनट ऑइल पर "गुड ऐज़ हेल" रिलीज़ की, जिसने शरीर की सकारात्मकता और आत्म-प्रेम के विषयों से निपटा।

 

लिज़ो ने गुरुवार को इंस्टाग्राम लाइव के माध्यम से रीमिक्स की घोषणा की , जिसके बारे में संकेत देते हुए कि वह ट्रैक पर आशा रखते थे।

 

"मैं आपको एक संकेत देता हूं," लिज़ो ने कहा कि उसने एक भव्य आकार के स्टारबक्स कॉफी कप का आयोजन किया।

 

"अगर आप इस पेय के आकार का अनुमान लगा सकते हैं, तो आपको पता चल जाएगा कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूं," लिज़ो मजाक करने से पहले कहता है "स्टारबक्स मुझे इसके लिए एक सिक्का दे सकता है।"

 

फैंस ने तुरंत ही कमेंट करना शुरू कर दिया "GRANDE !!!!"

 

इस पोस्ट को इंस्टाग्राम पर देखें

 

क्या आपको लगता है कि अच्छे रिम के रूप में क्या हो सकता है? इसके मध्‍यम IM SO EXCITED पर ड्रॉपिंग है

 

Lizzo (@lizzobeeating) द्वारा 24 अक्टूबर, 2019 को दोपहर 2:34 बजे पीडीटी पर साझा की गई एक पोस्ट

 

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ग्रांडे ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी पर गाना गाते हुए एक वीडियो साझा करते हुए, रीमिक्स को अपने ही अकाउंट पर छेड़ दिया।

 

"हम आपको आज रात आ रहे हैं 'गुड ऐज़ हेल' का एक मीठा सा रीमिक्स मिला :), ग्रांडे ने क्लिप पर लिखा।

 

"मुझे @ लिज़ोबेटिंग के लिए धन्यवाद देने के लिए धन्यवाद," ग्रांडे ने जोड़ना जारी रखा, "लव यू!"

 

ग्रांडे के साथ लिज़ो का सहयोग रीमिक्स किए जाने वाले उनके गीतों में से केवल एक नहीं है।

 

संबंधित: 20 लिज़ो के बोल जो आपको महसूस होंगे '' नर्क की तरह अच्छा ''

 

इससे पहले गुरुवार को, लिज़ो ने अपनी हिट "ट्रुथ हर्ट्स" का एक रीमिक्स संस्करण साझा किया और यह हेलोवीन भावना में शामिल होने के लिए एकदम सही है।

 

1993 की क्लासिक फिल्म हॉकस पोकसस से प्रेरित होकर , पैरोडी न्यूयॉर्क आधारित अभिनेत्री जीना नामी बैज़ द्वारा लिखी गई थी, जिसने गीत को विनीफ्रेड "विनी" सैंडरसन के रूप में प्रदर्शित किया था, जो मूल रूप से बेट्टे मिडलर द्वारा खेला गया था। एंड्रिया गैलेनो और मैरी बैरन क्रमशः मैरी और सारा सैंडरसन के रूप में बैकअप गाते हैं।

 

गीत कुछ डायन-प्रेरित ट्विस्ट के साथ "ट्रू हर्ट्स" मूल गीत का एक चतुर मिश्रण हैं।

 

यहाँ आइकॉनिक ओपनिंग पद्य का विच संस्करण है:

 

"शैतान महान 'क्यों वह महान होगा? / पुस्तक! मैंने सिर्फ एक डीएनए टेस्ट लिया, मुझे पता चला कि मैं 100% चुड़ैल हूँ / जब मैं पागल हो रही हूँ / हाँ, मुझे शैतान समस्याएँ हैं, यह मेरे अंदर का द्वंद्व है / ब्लिंग ब्लिंग है, तो मैं उन्हें हल करती हूँ, यही जादूगरनी है मुझ मे।"

 

"आप एक बुरी चुड़ैल हो सकते हैं, सुपर बुराई / अंडरवर्ल्ड के साथ आपकी थोड़ी सी मदद करें / आपने मुझे नीचे रखने के लिए पेश किया, लेकिन एक कुंवारी लड़की ने मुझे वापस लाया / 'क्योंकि उसने पाया कि मोमबत्ती की लौ लौ काली है।"

 

गुरुवार को अपने इंस्टाग्राम स्टोरीज़ पर, बैज़ ने अपने रीमिक्स के लिए लिज़ो के ध्यान में उत्साह व्यक्त किया।

 

संबंधित: लिज़ो 'हेटर्स' के साथ कैसे व्यवहार करती है और कैसे उसने अपनी शैली की खोज की है

 

"तुम लोग, ओह माय गॉड, मैं सचमुच न्यूयॉर्क शहर में हूं, मैं पूरे दिन ऑडिशन दे रही हूं, और लिज़ो ने हमारे Hocus Pocus वीडियो को साझा किया," उसने कहा। "हे भगवान, यह ट्विटर पर है, मैं बाहर गुस्सा कर रहा हूँ!"

 

Lizzo ने इंस्टाग्राम और ट्विटर दोनों पर वीडियो साझा करते हुए लिखा, "Y'all hoes isn’t ready for हैलोवीन जब तक यू सिंग ट्रुथ हॉकस पॉक्सो चुड़ैलों की शैली में दर्द होता है और यह अवधि, पूह" कैप्शन में है।

 

Link- vashikaranmantra1.com/

 

जानिए राजकुमार सिद्धार्थ कैसे बन गए महात्मा बुद्ध!

 

बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु के राजा शुद्धोधन के यहां लुम्बिनीमें हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। कहा जाता है कि इनके जन्म के तुरंत बाद एक तपस्वी ने यह भविष्यवाणी की थी कि यह बालक छोटी आयु में ही संन्यासी बन जाएगा। जिसके बाद उनके चिंतित पिता शुद्धोधन ने सिद्धार्थ की महल से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी। इसी के बाद 16 वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का विवाह राजकुमारी यशोधरा से कर दिया गया जिनसे इनका एक पुत्र राहुल पैदा हुआ।

बचपन से ही सिद्धार्थ गंभीर स्वभाव के थे। एक दिन जब वह भ्रमण पर निकले तो उन्होंने एक वृद्ध को देखा जिसकी कमर झुकी हुई थी और वह लगातार खांसता हुआ लाठी के सहारे चला जा रहा था। थोड़ी आगे एक मरीज को कष्ट से कराहते देखा जिसके बाद वह विचलित हो गए। उसके बाद उन्होंने एक मृतक की अर्थी देखी, जिसके पीछे उसके परिजन विलाप करते जा रहे थे। ये सभी दृश्य देख उनका मन क्षोभ और वितृष्णा से भर उठा, तभी उन्होंने एक संन्यासी को देखा जो संसार के सभी बंधनों से मुक्त भ्रमण कर रहा था। इन सभी दृश्यों ने सिद्धार्थ को झकझोर कर रख दिया और उन्होंने संन्यासी बनने का निश्चय कर लिया। तब 19 वर्ष की आयु में एक रात सिद्धार्थ बिना किसी को बताए सत्य की खोज में निकल पड़े।

घर छोड़ने के बाद बुद्ध सात दिन तक 'अनुपीय' नामक गांव में रहे। फिर गुरु की खोज में वह मगध की राजधानी पहुंचे जहां कुछ दिनों तक वह आलार कालाम नाम के तपस्वी के पास रहे। इसके बाद भी उन्हें संतुष्टि नहीं मिली तो उन्होंने ज्ञान प्राप्ति के लिए स्वयं ही तपस्या शुरू कर दी। कठोर तप के कारण उनकी काया जर्जर हो गई थी लेकिन उन्हें अभी तक ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई थी। घूमते-घूमते वह एक दिन गया में उरुवेला के निकट निरंजना (फल्गु) नदी के तट पर पहुंचे और वहां एक पीपल के वृक्ष के नीचे स्थिर भाव में बैठ कर समाधिस्थ हो गए। छह वर्षों तक समाधिस्थ रहने के बाद जब उनकी आंखें खुलीं और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई, वह वैशाख पूर्णिमा का दिन था और वह महात्मा गौतम बुद्ध कहलाए। उस स्थान को बोध गया व पीपल का पेड़ बोधि वृक्ष कहा जाता है।

नारद जी ने एक आश्रम में जन्म लिया था । उनकी माँ उस आश्रम की सेविका थीं। नारद जी का बचपन ऋषि कुमारों के साथ खेल-कूदकर बीता। ऋषि-महर्षियों के संग ने उनके मन में छुपी हुई आध्यात्मिक जिज्ञासा को जगा दिया और वे भी योग के रास्ते पर चल पड़े। अपनी तपस्या के बल पर उन्होंने ऋद्धि-सिद्धियां प्राप्त कीं और सदा के लिए अमर हो गए। नारद जी को यह अभिमान हो गया कि उनसे बढ़कर इस पृथ्वी पर और कोई दूसरा विष्णु भगवान का भक्त नहीं है। उनका व्यवहार भी इस भावना से प्रेरित होकर कुछ बदलने लगा। वे भगवान के गुणों का गान करने के साथ-साथ अपने सेवा कार्यों का भी वर्णन करने लगे। भगवान से कोई बात छुपी थोड़े ही है। उन्हें तुरंत इसका पता चल गया। भला वे अपने भक्त का पतन कैसे देख सकते थे। इसलिए उन्होंने नारदजी को इस दुष्प्रवृत्ति से बचाने का निर्णय किया।

 

Blockquote-open.gif एक दिन नारद जी और भगवान विष्णु साथ-साथ वन में जा रहे थे कि अचानक विष्णु जी एक वृक्ष के नीचे थककर बैठ गए और बोले, 'भई नारद जी हम तो थक गए, प्यास भी लगी है। कहीं से पानी मिल जाए तो लाओ। हमसे तो प्यास के मारे चला ही नहीं जा रहा है। हमारा तो गला सूख रहा है।' Blockquote-close.gif

एक दिन नारद जी और भगवान विष्णु साथ-साथ वन में जा रहे थे कि अचानक विष्णु जी एक वृक्ष के नीचे थककर बैठ गए और बोले, 'भई नारद जी हम तो थक गए,प्यास भी लगी है। कहीं से पानी मिल जाए तो लाओ। हमसे तो प्यास के मारे चला ही नहीं जा रहा है। हमारा तो गला सूख रहा है।' नारद जी तुंरत सावधान हो गए, उनके होते हुए भला भगवान प्यासे रहें। वे बोले, 'भगवान अभी लाया, आप थोड़ी देर प्रतीक्षा करें।' नारद जी एक ओर दौड़ लिए। उनके जाते ही भगवान मुस्कराए और अपनी माया को नारद जी को सत्य के मार्ग पर लाने का आदेश दिया। माया शुरू हो गई। नारद जी थोड़ी दूर ही गए होगें कि एक गांव दिखाई पड़ा, जिसके बाहर कुएं पर कुछ युवा स्त्रियां पानी भर रही थीं। कुएं के पास जब वे पहुंचे तो एक कन्या को देखकर अपनी सुध-बुध खो बैठे, बस उसे ही निहारने लगे। यह भूल गए कि वे भगवान के लिए पानी लेने आए थे। कन्या भी समझ गई। वह जल्दी-जल्दी जल से घड़ा भरकर अपनी सहेलियों को पीछे छोड़कर घर की ओर लपकी। नारद जी भी उसके पीछे हो लिए। कन्या तो घर के अंदर चली गई लेकिन नारद जी ने द्वार पर खड़े होकर 'नारायण', 'नारायण' का अलख जगाया । गृहस्वामी नारायण का नाम सुनकर बाहर आया। उसने नारद जी को तुरंत पहचान लिया। अत्यन्त विनम्रता और आदर के साथा वह उन्हें घर के अन्दर ले गया और उनके हाथ-पैर धुलाकर स्वच्छ आसन पर बैठाया तथा उनकी सेवा-सत्कार में कोई कमी न छोड़ी। तब शान्ति के साथ उनके आगमन से अपने को धन्य बताते हुए अपने योग्य सेवा के लिए आग्रह किया। नारदजी बोले, 'आपके घर में जो आपकी कन्या जल का घड़ा लेकर अभी-अभी आई है, मैं उससे विवाह करना चाहता हूं।' गृहस्वामी एकदम चकित रह गया लेकिन उसे प्रसन्नता भी हुई कि मेरी कन्या एक ऐसे महान् योगी तथा संत के पास जाएगी। उसने स्वीकृति प्रदान कर दी और नारद जी को अपने घर में ही रख लिया। दो-चार दिन पश्चात् शुभ मुहूर्त ने अपनी कन्या का विवाह नारद जी के साथ कर दिया तथा उन्हें ग्राम में ही उतनी धरती का टुकड़ा दे दिया कि खेती करके वे आराम से अपना पेट भर सकें। अब नारद जी की वीणा एक खूंटी पर टंगी रहती जिसकी ओर उनका ध्यान बहुत कम जाता। अपनी पत्नी के आगे नारायण को वे भूल गए। दिन भर खेती में लगे रहते। कभी हल चलाते, कभी पानी देते, कभी बीज बोते, कभी निराई-गुड़ाई करते। जैसे-जैसे पौधे बढ़ते उनकी प्रसन्नता का पारा वार न रहता। फ़सलें हर वर्ष पकतीं, कटतीं, अनाज से उनके कोठोर भर जाते। नारद जी की गृहस्थी भी बढ़ती गई। तीन-चार लड़के-लड़कियां भी हो गए। अब नारद जी को एक क्षण भी फुरसत न थी। वे हर समय उनके पालन-पोषण तथा पढ़ाई-लिखाई में लगे रहते अथवा खेती में काम करते।

 

अचानक एक बार वर्षा के दिनों में तेज़ बारिश हुई। कई दिनों तक बंद होने का नाम ही नहीं लिया। बादलों की गरज और बिजली की कड़क ने सबके ह्दय में भय उत्पन्न कर दिया। मूसलाधार वर्षा ने ग्राम के पास बहने वाली नदी में बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी। किनारे तोड़कर नदी उफन पड़ी। चारों ओर पानी ही पानी कच्चे-पक्के सभी मकान ढहने लगे। घर का सामान बह गया। पशु भी डूब गए। अनेक व्यक्ति मर गए। गांव में त्राहि-त्राहि मच गई। नारद जी अब क्या करें। उन्होंने भी घर में जो कीमती थोड़ा-बहुत सामान बचा था उसकी गठड़ी-मुठरी बांधी और अपनी पत्नी तथा बच्चों को लेकर पानी में से होते हुए जान बचाने के लिए घर से बाहर निकले। बगल में गठरी, एक हाथ से एक बच्चे का पकड़े, दूसरे से अपनी स्त्री को संभाले तथा पत्नी भी एक बच्चे को गोद में लिए, एक का हाथ पकड़े धीरे-धीरे आगे बढ़े। पानी का बहाव अत्यन्त तेज़ था तथा यह भी पता नहीं चलता था कि कहां गड्ढा है और कहां टीला। अचानक नारद जी ने ठोकर खाई और गठरी बगल से निकलकर बह गई। नारद जी गठरी कैसे पकड़ें, दोनों हाथ तो घिरे थे। सोचा जैसा उसकी इच्छा फिर कमा लेंगे। कुछ दूर जाने पर पत्नी एक गड्ढे में गिर पड़ी ओर गोद का बच्चा बह गया। पत्नी बहुत रोई, लेकिन क्या हो सकता था, धीरे-धीरे और दो बच्चे भी पानी में बह गए, बहुत कोशिश की उन्हें बचाने की, लेकिन कुछ न हो सका। दोनों पति-पत्नी बड़े दुखी, रोते, कलपते, एक-दूसरे को सात्वना देते, आगे कोई ऊंची जगह ढूंढते बढ़ते रहे। एक जगह आगे चलकर दोनों एक गड्ढे समा गए। नारद जी तो किसी प्रकार के गड्ढे में से निकल आए, लेकिन उनकी पत्नी का पता नहीं चला । बहुत देर तक नारदजी उसे इधर से उधर दूर-दूर तक ढूंढ़ते रहे लेकिन व्यर्थ, रोते-रोते उनका बुरा हाल था, ह्दय पत्नी और बच्चों को याद कर करके फटा जा रहा था । उनकी तो सारी गृहस्थी उजड़ गई थी। बेचारे क्या करें, किसे कोसें अपने भाग्य को या भगवान को। भगवान का ध्यान आते ही नारद जी के मस्तिष्क में प्रकाश फैल गया और पुरानी सभी बातें याद आ गई। वे किसलिए आए थे और कहां फंस गए। ओ हो! भगवान विष्णु तो उनकी प्रतीक्षा कर रहे होंगे। वे तो उनके लिए जल लेने आए थे और यहाँ गृहस्थी बसाकर बैठ गए। वर्षो बीत गए, गृहस्थी को बसाने में और फिर सब नष्ट हो गया। क्या भगवान अब भी मेरी प्रतीक्षा में उसी वृक्ष के नीचे बैठे होंगे। यह सोचते ही बाढ़ नदारद हो गई। गांव भी अतंर्धान हो गया। वे तो घने वन में खड़े थे। नारद जी पछताते और शरमाते हुए दौड़े, देखा कुछ ही दूर पर उसी वृक्ष के नीचे भगवान लेटे हैं। नारद जी को देखते ही वे उठ बैठे और बोले, 'अरे भाई नारद, कहां चले गए थे, बड़ी देर लगा दी । पानी लाए या नहीं।'

 

नारद जी भगवान के चरण पकड़कर बैठ गए और लगे अश्रु बहाने। उनके मुंह से एक बोल भी न फटा। भगवान मुस्कराए और बोल, 'तुम अभी तो गए थे। कुछ अधिक देर थोड़े ही हुई है।' लेकिन नारद जी को लगता है कि वर्षों बीत गए। अब उनकी समझ में आया कि सब भगवान की माया थी, जो उनके अभिमान को चूर-चूर करने के लिए पैदा हुई थी। उन्हें बड़ा घमण्ड था कि उनसे बढ़कर त्रिलोक में दूसरा कोई भक्त नहीं है। जरा सी देर में ढेर हो गया। वे पुनः सरलता और विनय के साथ भगवान के गुण गाने लगे।

 

इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हमारे पास कुछ है, हमने अथक परिश्रम, लगन तथा निष्ठा से कुछ प्राप्त कर लिया है चाहे वह अपार धन हो, शारीरिक शक्ति हो, भरा-पूरा परिवार हो या फिर कोई ऊंची योग्यता, पद या यश हो तो उस पर घमण्ड क्यों करें। क्या हमसे ऊपर और लोग नहीं हैं? क्या हम ही सर्वोपरि हैं? अनेक हमसे पहले हो चुके हैं और आगे भी होगें फिर घमण्ड कैसा। अपनी इस विशेषता से अपना और दूसरों का लाभ होने दें तभी उसका कुछ महत्त्व है अन्यथा वह तो कोयले की बोरी के समान है जो आपके स्टोर में व्यर्थ में ही बिना उपयोग में आए रखी है। इकट्ठा करने में नहीं बांटने में सुख है, आनन्द है।

आसान भाषा में आज हम जानेंगे की हर्निया क्या होता है और इसके होने के क्या कारण हैं और इसका बचाव क्या हैं ?

 

पेट की मांसपेशियां (Abdominal muscles) किन्ही कारणों से कमजोर हो जाती है और पेट के अंदर के ऑर्गन्स या अंग जैसे आंतें उस कमजोरी की वजह से बाहर आने की कोशिश करतें हैं , जिसे हम समान्य भाषा में हर्निया कहतें हैं।

 

हर्निया होने के बहुत सारे कारण है।

 

• जन्मजात या Congenital

• धूम्रपान या Smoking

• पुरानी खांसी या chronic cough

• पेशाब में रुकावट आना

• Urethral (u-REE-thrul) stricture

• गर्भावस्था या pregnancy

 

हर्निया के प्रकार

 

• इन्गुइनल (Inguinal) हर्निया

• अम्बिलिकल हर्निया or Umbilical hernia

• इपीगैस्ट्रिक हर्निया or Epigastric hernia

• इंसिज़नल हर्निया or Incisional hernia

 

हर्निया का इलाज क्यों जरूरी है ?

 

ऑब्स्ट्रक्टेड हर्निया

ऑब्स्ट्रक्टेड हर्निया एक इमरजेंसी स्थिति होती है जिसमे की आपको तुरंत सर्जरी की जरूरत होती है।

यदि अंग मांसपेसियों के द्वारा बाहर आ जाये और रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाये और उस अंग के सड़ने की

संभावना बढ़ जाये तब ऐसी स्थिति में आपको तुरंत सर्जरी की जरूरत होती है।

 

स्ट्रांगुलेटेड हर्निया or Strangulated Hernia

 

अगर आंत अंदर फंस कर रुक जाए और गलने लगे तो यह एक इमरजेंसी की स्थिति होती है, जिसमे की आपको तुरंत सर्जरी की जरूरत होती है।

 

स्ट्रांगुलेटेड हर्निया की स्थिति जानलेवा भी हो सकती है , तो इस स्थिति से बचने के लिए सर्जरी ही एकमात्र उपाय है।

 

हर्निया की सर्जरी के प्रकार

 

हर्निया के सर्जरी मुख्यतः दो प्रकार की होती है

 

1 ओपन सर्जरी or Open Surgery

2. लेप्रोस्कोपिक सर्जरी or Laparoscopic Surgery/Keyhole Surgery

 

Read about Laparoscopic Surgery : www.mirascare.com/blogs/laparoscopic-surgery-types/

  

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To know more About Hernia : www.mirascare.com/hernia-surgery-in-gurgaon

Rihai Manch:For Resistance Against Repression

 

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मुजफ्फरनगर के दोषियों को बचाकर संघ परिवार का एजेंडा पूरा कर रही है सपा

सरकार- रिहाई मंच

 

मुजफ्फरनगर के पीड़ितों की स्थिति 2002 के गुजरात हिंसा पीड़ितों जैसी- हर्ष मंदर

 

एसआइसी प्रमुख मनोज कुमार झा मुजरिमों का नाम निकलवाने के लिए डालते थे दबाव-

रिजवान (पीड़ित)

 

हर्ष मंदर, जफर इकबाल, अकरम चैधरी और राजन्या बोस लिखित ‘सिमटती जिंदगी’ रिपोर्ट

हुई जारी

 

रिहाई मंच की रिपार्ट ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खड़ी है’ ने सपा-भाजपा गठजोड़

को किया बेनकाब

 

मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा की चैथी बरसी पर रिहाई मंच ने किया सम्मेलन

 

लखनऊ 7 सितम्बर 2016। मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा की चैथी बरसी पर यूपी

प्रेस क्लब लखनऊ में रिहाई मंच ने ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खडी़ है’ विषय

पर सम्मेलन किया। इस दौरान दो रिपोर्टें भी जारी हुईं।

 

इस अवसर पर पूर्व आइएएस और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि

मुजफ्फरनगर की हिंसा छेड़छाड़ के झूठे अफवाह के आधार पर हिंदुत्ववादी संगठनांे

ने फैलाई थी। जिसे यदि सरकार चाहती तो रोक सकती थी लेकिन उसकी आपराधिक

निष्क्रियता के चलते हिंसा का विस्तार होता गया। राज्य सरकार ने दंगे के बाद

लोगों को सुरक्षित अपने गाँव वापस लौटने और फिर से नई जिंदगी शुरू करने में

किसी तरह की मदद नहीं की। यह चिंताजनक है कि मुजफ्फरनगर के पीड़ितों की स्थिति

2002 के गुजरात हिंसा के पीड़ितों जैसी है। दोनों जगहों पर मुसलमानों को अलग

थलग बसने के लिए मजबूर किया गया, उनका सामाजिक बहिष्कार हुआ और वे अभी भी डर

के माहौल में जी रहे हैं। न्याय की भी कोई उम्मीद नहीं है। इसके लिए संघ

परिवारी संगठन और राज्य सरकार दोनों बराबर के दोषी हैं।

 

मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा पीड़ितों का मुकदमा लड़ रहे असद हयात ने कहा कि

इस हिंसा के बाद लगभग 15 लाशें गायब हैं जो कि ग्राम लिसाढ़, हड़ौली, बहावड़ी, ताजपुर

सिंभालका के निवासी हैं। सरकार कहती है कि लाश मिलने पर इन्हें मृत घोषित किया

जाएगा। जबकि चश्मदीद गवाह कहते हैं कि हमारे सामने हत्या हुई। पुलिस तो घटना

स्थल पर तुरंत पहुंच गई थी फिर यह लाशें किसने गायब कीं? 18 से अधिक लोग

गुमशुदा हैं जिनके परिजनों ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई है। अगर वो जीवित

होते तो अब तक लौट आते। लगभग 10 हत्याएं जनपद बागपत में हुई जिन्हें सरकार ने

सांप्रदायिक हिंसा में हुई मौत नहीं माना है। 25 से अधिक मामले ऐसे भी हैं

जिनकी निष्पक्ष विवेचना नहीं हुई और इन व्यक्तियों की सांप्रदायिक हत्याओं को

पुलिस ने आम लूट पाट की घटनाओं में शामिल कर दिया।मुख्य साजिशकर्ता भाजपा और

भारतीय किसान यूनियन के नेताओं और इनसे जुड़े संगठन के नेताओं के विरुद्ध धारा

120 बी आपराधिक साजिश रचने के जुर्म में कोई जांच ही नहीं की गई। इसतरह सरकार

ने दंगा क्यों हुआ, किसने कराया, कौन साजिशकर्ता था उन पर पर्दा डाल दिया।

 

मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पर गठित विष्णु सहाय कमीशन पर सवाल उठाते हुए

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि

मुलायम सिंह मुसलमानों के साथ आयोगों का खेल खेलना बंद करें। सहाय कमीशन ने

अपनी रिपोर्ट में इस बात को स्वीकारा है कि 4 सितंबर 2013 को मुजफ्फरनगर बंद

के नाम पर अराजकाता फैलाने में वर्तमान भाजपा मंत्री संजीव बालियान, उमेश मलिक,

राजेश वर्मा व अन्य शामिल थे। ठीक इसी तरीके से 5 सितंबर को लिसाढ़ में हुई

पंचायत को स्वीकारा है कि पंचायत में गठवाला खाप मुखिया हरिकिशन सिंह और डा0

विनोद मलिक जैसे लोग शामिल थे जिसके बाद लिसाढ़ से सांप्रदायिक हिंसा शुरू हुई।

7 सितंबर को वर्तमान भाजपा सांसद हुकुम सिंह, महापंचायत में भारतीय किसान

यूनियन के नेता राकेश टिकैत, अध्यक्ष नरेश टिकैत, साध्वी प्राची, भाजपा के

पूर्व एमएलए अशोक कंसल, भाजपा के पूर्व सांसद सोहन वीर सिंह, सरधना के भाजपा

विधायक संगीत सिंह सोम, बिजनौर के भाजपा विधायक भारतेंदु सिंह, जाट महासभा के

अध्यक्ष धर्मवीर बालियान, रालोद के जिला अध्यक्ष अजीत राठी शामिल थे।

मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने के लिए इन सब के साथ संगीत सोम द्वारा

29 सितंबर को शाम 6 बजकर 21 मिनट पर फर्जी वीडियो इंटरनेट द्वारा प्रचारित

करना भी आयोग ने माना। उन्होंने कहा कि इतना सब जब साफ था तो निष्कर्ष तक

पहुचते-पहुचते आखिर सहाय कमीशन ने इन सांप्रदायिकता भड़काने वालों के खिलाफ

कार्रवाई की बात क्यों नहीं कही?

 

मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने कहा कि देश में साम्प्रदायिक

हिंसा के पीड़ितों को न्याय न देने की जो प्रक्रिया चल रही है वह लोकतंत्र के

लिए आत्मघाती है। इस प्रक्रिया को चलाते हुए संघ गिरोह जिस हिंदू राष्ट्र की

परिकल्पना कर रहा है उस पर अमल करते हुए ही सपा सरकार उन्हें न्याय से वंचित

किए हुए है।

 

हर्ष मंदर, जफर इकबाल, अकरम अख्तर चैधरी और राजन्या बोस लिखित ‘सिमटती

जिंदगी’ रिपोर्ट

में बताया गया है कि किस तरह 2013 में हुई साम्प्रदायिक हिंसा में लगभग 50,000

लोग अपने गाँवों से उजड़कर कैम्प में आकर रहने लगे। इनमें से एक तिहाई से भी कम

लोग वापस अपने गाँव लौट सके। कैम्प के बाद ये लोग मुसलमान आबादी वाले इलाके

में जमीन खरीदकर बस गए। लगभग 30,000 लोग मुजफ्फरनगर और शामली जिले के 65

पुनर्वास कॉलोनियों में रह रहे हैं जो अब वापस कभी गाँव नहीं जाएँगे। इन

कॉलोनियों में नागरिक सुविधाओं जैसे, बिजली, सड़क, पानी, सफाई, स्कूल, आँगनवाड़ी

जैसी सुविधाओं की बहुत कमी है। ज्यादातर कॉलोनियाँ सरकारी रिकार्ड से बाहर

हैं।

 

आरटीआई कार्यकर्ता व रिहाई मंच नेता सलीम बेग ने कहा कि उन्होंने नवंबर 2015

में सात बिंदुओं पर मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा संबन्धित सूचना प्राप्त करना

चाही थी। जिसमें अनेक चैकाने वाले तथ्य सामने आए जैसे उत्तर प्रदेश राज्य

अल्पसंख्यक आयोग को सांप्रदायिक हिंसा से संबन्धित एक भी शिकायती पत्र प्राप्त

नहीं हुआ। इससे भी शर्मनाक कि राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने मुजफ्फरनगर का दौरा ही

नहीं किया। सबसे शर्मनाक कि मुस्लिम विधायकों ने सरकार के आपराधिक रवैये पर

कोई सवाल नहीं उठाया।

 

रिहाई मंच की रिपोर्ट ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खड़ी है’ पर बोलते हुए रिहाई

मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि जब उन्होंने भाजपा विधायक संगीत सोम व सुरेश

राणा पर अमीनाबाद लखनऊ में रासुका के तहत जेल में रहते हुए फेसबुक द्वारा

साप्रदायिक तनाव भड़काने की तहरीर दी तो उस पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की

पर इसी थाने में हाशिमपुरा के सवाल पर इंसाफ मांगने वाले रिहाई मंच नेताओं

समेत अन्य लोगों पर दंगा भड़काने का मुकदमा दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि

सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए डूंगर निवासी मेहरदीन की हत्या का उनके द्वारा

मुकदमा दर्ज कराने पर महीनों बाद पुलिस ने उन्हें मुजफ्फरनगर बुलाया की

पोस्टमार्टम के लिए लाश निकाली जाएगी पर बयान दर्ज करने के बावजूद लाश नहीं

निकाली गई। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जांच

के लिए गठित एसआईसी का प्रमुख मनोज कुमार झा जैसे अधिकारी को बना दिया जिनपर

खुद खालिद मुजाहिद की हिरासती हत्या का आरोप है और निमेष कमीशन की रिपोर्ट ने

भी जिनके खिलाफ आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुसलमानों को फंसाने के लिए

कार्रवाई की मांग की है।

 

शामली से आए अकरम अख्तर चैधरी ने सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बलात्कार की

घटनाओं पर कहा कि बलात्कार पीड़ितों को सरकार ने सुरक्षा नहीं मुहैया कराया

जिसके चलते गवाह दबाव में आ गए। एक मुकदमें में गवाह मुकर गए जिसके कारण सभी

चार आरोपी बरी हो गए, अन्य मामलों में भी मुजरिम जमानत पर बाहर है और तो और एक

बलात्कार के मामले में तीन साल बीत जाने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।

 

मुजफ्फरनगर-शामली सांप्रदायिक हिंसा में सबसे अधिक 13 हत्या होने वाले लिसाढ

गांव निवासी रिजवान सैफी जिनके परिवार के पांच लोगों की हत्या हुई थी ने कहा

कि मेरे दादा-दादी की हत्याकर उनकी लाश को गायब कर दिया गया लेकिन जांच कर रहे

एसआईसी के मनोज झां आरोपियों के नाम निकलवाने के लिए हम पर दबाव बनाते रहे। वे

हमें जब भी बुलाते थे उसके पहले आरोपियों को भी वहां बुलाकर हममें डर व दहशत

का माहौल बनाने की कोशिश करते थे। मेरे गांव से सटा हुआ मीमला रसूलपुर जिसके

ग्राम निवासियों ने थाना कांधला पुलिस को फोन करके बताया कि उनके गांव के बाहर

कब्रिस्तान के पास तीन अज्ञात लाशें पड़ी हैं, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची

और यह कहकर चली गई कि उसे अभी वह ले नहीं जा सकती और बाद में वह लाशें गायब हो

गईं। जिसको पुलिस ने आरटीआई में भी माना है।

 

कार्यक्रम का संचालन राजीव यादव ने किया। इस दौरान अमित अम्बेडकर, लखनऊ रिहाई

मंच महासचिव शकील कुरैशी, रफत फातिमा, अनिल यादव, अजय सिंह, अरुंधती धुरू, आली

से आंचल, जनचेतना से रामबाबू, सत्यम वर्मा, पुनीत गोयल, बीएम प्रसाद, आरके सिंह,

पीसी कुरील, प्रबुद्ध गौतम, साहिरा नईम, अजरा, सृजनयोगी आदियोग, वीरेंद्र

गुप्ता, कल्पना पांडेय, डाॅ दाउद खान, इनायतुल्ला खान, यावर अब्बास, मोहम्मद

अली, अब्दुल्लाह, केके वत्स, डाॅ0 इमरान, यावर अब्बास, प्रतीक सरकार, शशांक लाल,

एसपी सिंह, निखिलेश, संजय नायक, सुधा सिंह, माहिर खान, आबिद जैदी, सबीहा मोहानी,

शाहनवाज आलम आदि मौजूद रहे।

 

द्वारा जारी-

 

शाहनवाज आलम

 

प्रवक्ता रिहाई मंच

 

9415254919

ख़ुद देखें काक तंत्र तुरंत कार्य सिद्धि करवाने वाला उपाय - Fulfil Your Wish With A Crow Feather

Full video in Gopal Raju Motivational Videos at You Tube

नाथ दसानन कर मैं भ्राता ।

श्रवन सुजसु सुनि आयउँ प्रभु भंजन भव भीर ।

त्राहि त्राहि आरति हरन सरन सुखद रघुबीर ॥

अनुज सहित मिलि ढिग बैठारी । बोले बचन भगत भय हारी ॥

कहु लंकेस सहित परिवारा । कुसल कुठाहर बास तुम्हारा ॥

खल मंडली बसहु दिनु राती । सखा धरम निबहइ केहि भाँती ॥

मैं जानउँ तुम्हारि सब रीती । अति नय निपुन न भाव अनीती ॥

बरु भल बास नरक कर ताता । दुष्ट संग जनि देइ बिधाता ॥

अब पद देखि कुसल रघुराया । जौं तुम्ह कीन्हि जानि जन दाया ॥

मागा तुरत सिंधु कर नीरा I

जदपि सखा तव इच्छा नहीं । मोर दरसु अमोघ जग माहीं ॥

अस कहि राम तिलक तेहि सारा ।

{पूर्व प्रसंग :- लंकासे निष्कासित विभीषण भगवान श्रीरामकी शरणमें समुद्रके इस पार (जिधर श्रीरामचंद्रजीकी सेना थी) आ गए । अनजान व्यक्ति आते देख वानरोंको संदेह हुआ I वानरराज सुग्रीव उससे मिले I भरोसा होने पर उन्हें भगवान श्रीरामसे मिलाया I}

भावार्थ :- हे नाथ ! मैं दशमुख रावणका भाई हूँ । मैं कानोंसे आपका सुयश सुनकर आया हूँ कि प्रभु (शरणागत-वत्सल और)- भव (जन्म-मरण)- के भयका नाश करने वाले हैं । हे दुखियोंके दुःख दूर करनेवाले और शरणागतको सुख देने वाले श्रीरघुवीर ! मेरी रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिए I छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित गले मिलकर उनको अपने पास बैठाकर श्रीरामजी भक्तोंके भयको हरनेवाले वचन बोले- हे लंकेश ! परिवार सहित अपनी कुशल कहो । तुम्हारा निवास बुरी जगह पर है I दिन-रात दुष्टोंकी मंडलीमें बसते हो । (ऐसी दशामें) हे सखे ! तुम्हारा धर्म किस प्रकार निभता है ? मैं तुम्हारी सब रीति (आचार-व्यवहार) जानता हूँ । तुम अत्यंत नीतिनिपुण हो, तुम्हें अनीति नहीं सुहाती I (विभीषणजीने कहा)- हे तात ! नरकमें रहना वरन अच्छा है, परंतु विधाता दुष्टका संग (कभी) न दे । हे रघुनाथजी ! अब आपके चरणोंका दर्शन कर कुशल से हूँ, जो आपने अपना सेवक जानकर मुझ पर दया की है I प्रभु श्रीरामजीने तुरंत ही समुद्रका जल माँगा और कहा- हे सखा ! यद्यपि तुम्हारी इच्छा नहीं है, पर जगतमें मेरा दर्शन अमोघ है (वह निष्फल नहीं जाता) । ऐसा कहकर श्रीरामजीने उनको राजतिलक कर दिया (लंकाधिपति घोषित किया) ।

Rihai Manch:For Resistance Against Repression

 

.....................................................

 

मुजफ्फरनगर के दोषियों को बचाकर संघ परिवार का एजेंडा पूरा कर रही है सपा

सरकार- रिहाई मंच

 

मुजफ्फरनगर के पीड़ितों की स्थिति 2002 के गुजरात हिंसा पीड़ितों जैसी- हर्ष मंदर

 

एसआइसी प्रमुख मनोज कुमार झा मुजरिमों का नाम निकलवाने के लिए डालते थे दबाव-

रिजवान (पीड़ित)

 

हर्ष मंदर, जफर इकबाल, अकरम चैधरी और राजन्या बोस लिखित ‘सिमटती जिंदगी’ रिपोर्ट

हुई जारी

 

रिहाई मंच की रिपार्ट ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खड़ी है’ ने सपा-भाजपा गठजोड़

को किया बेनकाब

 

मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा की चैथी बरसी पर रिहाई मंच ने किया सम्मेलन

 

लखनऊ 7 सितम्बर 2016। मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा की चैथी बरसी पर यूपी

प्रेस क्लब लखनऊ में रिहाई मंच ने ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खडी़ है’ विषय

पर सम्मेलन किया। इस दौरान दो रिपोर्टें भी जारी हुईं।

 

इस अवसर पर पूर्व आइएएस और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि

मुजफ्फरनगर की हिंसा छेड़छाड़ के झूठे अफवाह के आधार पर हिंदुत्ववादी संगठनांे

ने फैलाई थी। जिसे यदि सरकार चाहती तो रोक सकती थी लेकिन उसकी आपराधिक

निष्क्रियता के चलते हिंसा का विस्तार होता गया। राज्य सरकार ने दंगे के बाद

लोगों को सुरक्षित अपने गाँव वापस लौटने और फिर से नई जिंदगी शुरू करने में

किसी तरह की मदद नहीं की। यह चिंताजनक है कि मुजफ्फरनगर के पीड़ितों की स्थिति

2002 के गुजरात हिंसा के पीड़ितों जैसी है। दोनों जगहों पर मुसलमानों को अलग

थलग बसने के लिए मजबूर किया गया, उनका सामाजिक बहिष्कार हुआ और वे अभी भी डर

के माहौल में जी रहे हैं। न्याय की भी कोई उम्मीद नहीं है। इसके लिए संघ

परिवारी संगठन और राज्य सरकार दोनों बराबर के दोषी हैं।

 

मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा पीड़ितों का मुकदमा लड़ रहे असद हयात ने कहा कि

इस हिंसा के बाद लगभग 15 लाशें गायब हैं जो कि ग्राम लिसाढ़, हड़ौली, बहावड़ी, ताजपुर

सिंभालका के निवासी हैं। सरकार कहती है कि लाश मिलने पर इन्हें मृत घोषित किया

जाएगा। जबकि चश्मदीद गवाह कहते हैं कि हमारे सामने हत्या हुई। पुलिस तो घटना

स्थल पर तुरंत पहुंच गई थी फिर यह लाशें किसने गायब कीं? 18 से अधिक लोग

गुमशुदा हैं जिनके परिजनों ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई है। अगर वो जीवित

होते तो अब तक लौट आते। लगभग 10 हत्याएं जनपद बागपत में हुई जिन्हें सरकार ने

सांप्रदायिक हिंसा में हुई मौत नहीं माना है। 25 से अधिक मामले ऐसे भी हैं

जिनकी निष्पक्ष विवेचना नहीं हुई और इन व्यक्तियों की सांप्रदायिक हत्याओं को

पुलिस ने आम लूट पाट की घटनाओं में शामिल कर दिया।मुख्य साजिशकर्ता भाजपा और

भारतीय किसान यूनियन के नेताओं और इनसे जुड़े संगठन के नेताओं के विरुद्ध धारा

120 बी आपराधिक साजिश रचने के जुर्म में कोई जांच ही नहीं की गई। इसतरह सरकार

ने दंगा क्यों हुआ, किसने कराया, कौन साजिशकर्ता था उन पर पर्दा डाल दिया।

 

मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पर गठित विष्णु सहाय कमीशन पर सवाल उठाते हुए

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि

मुलायम सिंह मुसलमानों के साथ आयोगों का खेल खेलना बंद करें। सहाय कमीशन ने

अपनी रिपोर्ट में इस बात को स्वीकारा है कि 4 सितंबर 2013 को मुजफ्फरनगर बंद

के नाम पर अराजकाता फैलाने में वर्तमान भाजपा मंत्री संजीव बालियान, उमेश मलिक,

राजेश वर्मा व अन्य शामिल थे। ठीक इसी तरीके से 5 सितंबर को लिसाढ़ में हुई

पंचायत को स्वीकारा है कि पंचायत में गठवाला खाप मुखिया हरिकिशन सिंह और डा0

विनोद मलिक जैसे लोग शामिल थे जिसके बाद लिसाढ़ से सांप्रदायिक हिंसा शुरू हुई।

7 सितंबर को वर्तमान भाजपा सांसद हुकुम सिंह, महापंचायत में भारतीय किसान

यूनियन के नेता राकेश टिकैत, अध्यक्ष नरेश टिकैत, साध्वी प्राची, भाजपा के

पूर्व एमएलए अशोक कंसल, भाजपा के पूर्व सांसद सोहन वीर सिंह, सरधना के भाजपा

विधायक संगीत सिंह सोम, बिजनौर के भाजपा विधायक भारतेंदु सिंह, जाट महासभा के

अध्यक्ष धर्मवीर बालियान, रालोद के जिला अध्यक्ष अजीत राठी शामिल थे।

मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने के लिए इन सब के साथ संगीत सोम द्वारा

29 सितंबर को शाम 6 बजकर 21 मिनट पर फर्जी वीडियो इंटरनेट द्वारा प्रचारित

करना भी आयोग ने माना। उन्होंने कहा कि इतना सब जब साफ था तो निष्कर्ष तक

पहुचते-पहुचते आखिर सहाय कमीशन ने इन सांप्रदायिकता भड़काने वालों के खिलाफ

कार्रवाई की बात क्यों नहीं कही?

 

मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने कहा कि देश में साम्प्रदायिक

हिंसा के पीड़ितों को न्याय न देने की जो प्रक्रिया चल रही है वह लोकतंत्र के

लिए आत्मघाती है। इस प्रक्रिया को चलाते हुए संघ गिरोह जिस हिंदू राष्ट्र की

परिकल्पना कर रहा है उस पर अमल करते हुए ही सपा सरकार उन्हें न्याय से वंचित

किए हुए है।

 

हर्ष मंदर, जफर इकबाल, अकरम अख्तर चैधरी और राजन्या बोस लिखित ‘सिमटती

जिंदगी’ रिपोर्ट

में बताया गया है कि किस तरह 2013 में हुई साम्प्रदायिक हिंसा में लगभग 50,000

लोग अपने गाँवों से उजड़कर कैम्प में आकर रहने लगे। इनमें से एक तिहाई से भी कम

लोग वापस अपने गाँव लौट सके। कैम्प के बाद ये लोग मुसलमान आबादी वाले इलाके

में जमीन खरीदकर बस गए। लगभग 30,000 लोग मुजफ्फरनगर और शामली जिले के 65

पुनर्वास कॉलोनियों में रह रहे हैं जो अब वापस कभी गाँव नहीं जाएँगे। इन

कॉलोनियों में नागरिक सुविधाओं जैसे, बिजली, सड़क, पानी, सफाई, स्कूल, आँगनवाड़ी

जैसी सुविधाओं की बहुत कमी है। ज्यादातर कॉलोनियाँ सरकारी रिकार्ड से बाहर

हैं।

 

आरटीआई कार्यकर्ता व रिहाई मंच नेता सलीम बेग ने कहा कि उन्होंने नवंबर 2015

में सात बिंदुओं पर मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा संबन्धित सूचना प्राप्त करना

चाही थी। जिसमें अनेक चैकाने वाले तथ्य सामने आए जैसे उत्तर प्रदेश राज्य

अल्पसंख्यक आयोग को सांप्रदायिक हिंसा से संबन्धित एक भी शिकायती पत्र प्राप्त

नहीं हुआ। इससे भी शर्मनाक कि राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने मुजफ्फरनगर का दौरा ही

नहीं किया। सबसे शर्मनाक कि मुस्लिम विधायकों ने सरकार के आपराधिक रवैये पर

कोई सवाल नहीं उठाया।

 

रिहाई मंच की रिपोर्ट ‘सरकार दोषियों के साथ क्यों खड़ी है’ पर बोलते हुए रिहाई

मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि जब उन्होंने भाजपा विधायक संगीत सोम व सुरेश

राणा पर अमीनाबाद लखनऊ में रासुका के तहत जेल में रहते हुए फेसबुक द्वारा

साप्रदायिक तनाव भड़काने की तहरीर दी तो उस पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की

पर इसी थाने में हाशिमपुरा के सवाल पर इंसाफ मांगने वाले रिहाई मंच नेताओं

समेत अन्य लोगों पर दंगा भड़काने का मुकदमा दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि

सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए डूंगर निवासी मेहरदीन की हत्या का उनके द्वारा

मुकदमा दर्ज कराने पर महीनों बाद पुलिस ने उन्हें मुजफ्फरनगर बुलाया की

पोस्टमार्टम के लिए लाश निकाली जाएगी पर बयान दर्ज करने के बावजूद लाश नहीं

निकाली गई। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जांच

के लिए गठित एसआईसी का प्रमुख मनोज कुमार झा जैसे अधिकारी को बना दिया जिनपर

खुद खालिद मुजाहिद की हिरासती हत्या का आरोप है और निमेष कमीशन की रिपोर्ट ने

भी जिनके खिलाफ आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुसलमानों को फंसाने के लिए

कार्रवाई की मांग की है।

 

शामली से आए अकरम अख्तर चैधरी ने सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बलात्कार की

घटनाओं पर कहा कि बलात्कार पीड़ितों को सरकार ने सुरक्षा नहीं मुहैया कराया

जिसके चलते गवाह दबाव में आ गए। एक मुकदमें में गवाह मुकर गए जिसके कारण सभी

चार आरोपी बरी हो गए, अन्य मामलों में भी मुजरिम जमानत पर बाहर है और तो और एक

बलात्कार के मामले में तीन साल बीत जाने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।

 

मुजफ्फरनगर-शामली सांप्रदायिक हिंसा में सबसे अधिक 13 हत्या होने वाले लिसाढ

गांव निवासी रिजवान सैफी जिनके परिवार के पांच लोगों की हत्या हुई थी ने कहा

कि मेरे दादा-दादी की हत्याकर उनकी लाश को गायब कर दिया गया लेकिन जांच कर रहे

एसआईसी के मनोज झां आरोपियों के नाम निकलवाने के लिए हम पर दबाव बनाते रहे। वे

हमें जब भी बुलाते थे उसके पहले आरोपियों को भी वहां बुलाकर हममें डर व दहशत

का माहौल बनाने की कोशिश करते थे। मेरे गांव से सटा हुआ मीमला रसूलपुर जिसके

ग्राम निवासियों ने थाना कांधला पुलिस को फोन करके बताया कि उनके गांव के बाहर

कब्रिस्तान के पास तीन अज्ञात लाशें पड़ी हैं, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची

और यह कहकर चली गई कि उसे अभी वह ले नहीं जा सकती और बाद में वह लाशें गायब हो

गईं। जिसको पुलिस ने आरटीआई में भी माना है।

 

कार्यक्रम का संचालन राजीव यादव ने किया। इस दौरान अमित अम्बेडकर, लखनऊ रिहाई

मंच महासचिव शकील कुरैशी, रफत फातिमा, अनिल यादव, अजय सिंह, अरुंधती धुरू, आली

से आंचल, जनचेतना से रामबाबू, सत्यम वर्मा, पुनीत गोयल, बीएम प्रसाद, आरके सिंह,

पीसी कुरील, प्रबुद्ध गौतम, साहिरा नईम, अजरा, सृजनयोगी आदियोग, वीरेंद्र

गुप्ता, कल्पना पांडेय, डाॅ दाउद खान, इनायतुल्ला खान, यावर अब्बास, मोहम्मद

अली, अब्दुल्लाह, केके वत्स, डाॅ0 इमरान, यावर अब्बास, प्रतीक सरकार, शशांक लाल,

एसपी सिंह, निखिलेश, संजय नायक, सुधा सिंह, माहिर खान, आबिद जैदी, सबीहा मोहानी,

शाहनवाज आलम आदि मौजूद रहे।

 

द्वारा जारी-

 

शाहनवाज आलम

 

प्रवक्ता रिहाई मंच

 

9415254919

हाल ही में सुर्ख़ियों में साम्प्रदायिकता का खूब बोल बाला रहा, पहले एक खबर आई जिसमे कम्युनल सर्विस के नज़रिये से रांची के जज महोदय को हिन्दू लड़की को कुरान बांटने का फैसला सुनाना भारी पड़ा और उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा। साम्प्रदायिकता के भाव को कम करने की कोशिश में ऐसा फैसला देना जज साहब की गलती बताई गयी लेकिन उसके तुरंत बाद ही बिहार से आई खबरों ने सम्प्रदियकता से बढ़ते खतरों का प्रमाण दे दिया।

पहली खबर थी कि बिहार के सारन जिले से, जहाँ तीन अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को भैंस चुराने के आरोप में भीड़ ने इतना मारा कि उन्होंने दम तोड़ दिया। दूसरी खबर में भी मंदिर में दम्पति को चोरी के शक के चलते प्रताड़ित किया गया और इतना मारा गया की पति की मौत हो गयी।

जब mob-lynching पर सुर्खियां गरमाई तो बिहार के CM ने बड़ी आसानी से कह दिया "लोगों ने भैंस चुराई थी ये लिंचिंग का मामला नहीं है", शायद cm साहब के लिए भी पशु चुराना किसी इंसान की हत्या से ज्यादा बड़ा आरोप है। ऐसी ही वजह से देश में पिछले 5-6 सालों में तक़रीबन 95 मौतें हो चुकी हैं। और आए दिन भीड़तंत्र कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहा है।

hi.kingdomsalvation.org/testimonies/will-rapture-be-insta...

  

हुआन बाओ

 

सहकर्मियों की बैठक में, वांग जिंग, शाओ या, गाओ मिंगयुआन, लियू जी, फैन बिंग और अन्य लोगों ने कलीसिया के काम के बारे में चर्चा बस खत्म ही की थी।

 

वांग जिंग ने फिर गंभीरता से कहा, "भाइयो और बहनो, दुनिया वर्तमान में अकाल, भूकंप और महामारियों से ग्रस्त है, और लगातार युद्ध हो रहे हैं—बहुत सारे रक्तिम चंद्रमा दिखाई दिए हैं। ये सभी अंत के दिनों और प्रभु यीशु की वापसी के संकेत हैं! हम दुनिया के रुझानों से देख सकते हैं कि हम प्रभु के आगमन के महत्वपूर्ण समय में पहुँच चुके हैं, और शायद वह पहले ही लौट चुके हैं। हम सतर्क रहते हैं और प्रार्थना करते हैं ताकि हम उनकी वापसी का स्वागत कर सकें। मेरे दिमाग में कुछ और भी है जिस पर मैं सभी के साथ चर्चा करना चाहती हूँ। मैं नहीं जानती कि क्यों, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मैं ऐसा महसूस कर रही हूँ कि मैं प्रभु से आध्यात्मिक रूप से दूर हो गयी हूँ। जो उत्साह और प्रेम मुझमें कभी हुआ करता था, धीरे-धीरे क्षीण हो गया है, भले ही मैं कई सालों से प्रभु के लिए सुसमाचार का प्रचार और काम कर रही हूँ, और मैंने काफी दुःख भी भोगा है, लेकिन मैंने पाया है कि मैं उनके वचनों को बनाए रखने में सर्वथा असमर्थ हूँ। मैं अब भी बार-बार खुद को पाप करते और उनकी शिक्षाओं के खिलाफ जाते हुए पाती हूँ। प्रभु यीशु की हमसे स्पष्ट आवश्यकता है कि हम निर्दोष, ईमानदार हों, केवल ईमानदार लोग ही स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। लेकिन दूसरों के साथ अपनी बातचीत में, बस इसलिए कि अपने हितों की रक्षा कर सकूँ, मैं अक्सर झूठ बोलती हूँ, धोखा देती हूँ। अगर मैं देखती हूँ कि कलीसिया में कोई भाई या बहन है जो मेरे जितना अच्छा कार्य नहीं कर पा रहा है, तो मैं घमंडी हो जाता हूँ और उन्हें नीची नजरों से देखती हूँ, और जब मेरे घर में कुछ व्यवधान होता है, या परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ता है या किसी आपदा से पीड़ित होता है, तो मैं प्रभु को गलत मान लेती हूँ, उन्हें दोष देती हूँ। मैं लगातार पाप से बंधा हुई हूँ, मैंने वास्तव में न तो परमेश्वर के वचनों का अनुभव किया है, न इस पर अमल किया है; मैं प्रभु के वचनों की वास्तविकता को नहीं जी पायी हूँ। क्या आपको लगता है कि हम जैसे लोग जो हमेशा पाप करते हैं, पापस्वीकर करते हैं, और फिर से पाप करते हैं, वाकई प्रभु के आने पर स्वर्ग के राज्य में आरोहित किये जा सकता है? मैं सच में सोचती हूँ की कहीं प्रभु के आगमन पर हमें निकाल न दिया जाये।"

  

वांग जिंग ने जो कहा उससे कई सहकर्मी गहराई से परिचित थे, उन्होंने इस पर चर्चा शुरू की।

 

शाओ या ने असहज होकर कहा, "यह सच है। मैं हाल ही में इस पर भी विचार करती रही हूँ। अब दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, उससे हम देख सकते हैं कि प्रभु का दिन निकट है, लेकिन हम अभी भी लगातार पाप करने और उसे स्वीकारने की स्थिति में रह रहे हैं। भले ही हम कठिन परिश्रम कर रहे हों, फिर भी हम निरर्थकता के पीछे भागते हैं, और पाप के सुखों में आनंद मनाते हैं। जब कोई और हमारे चेहरे, स्थिति, या रुचियों को चोट पहुँचाने के लिए कुछ करता है, तो हम तुच्छ साज़िशों में शामिल होते हैं। हमारे पास पूरी तरह से सहिष्णुता और धैर्य की कमी है, हममें विशेष रूप से प्रेमपूर्ण दिलों का भाव है। यहाँ तक कि पादरी और एल्डर भी सोहरत और निजी लाभ के लिए झगड़ते हैं, और ईर्ष्या के करण संघर्ष करते हैं। वे केवल अपने काम और उपदेशों में बाइबल और धर्मसिद्धांत की व्याख्या करते हैं, वे हमेशा दिखाव करते रहते हैं कि उन्होंने प्रभु के लिए कितना काम किया है, वे कैसे हर जगह सुसमाचार का प्रचार करते हुए दौड़-भाग करते रहे हैं—वे बिल्कुल भी प्रभु के वचनों की वास्तविकता नहीं जी रहे हैं। प्रभु पवित्र है, लेकिन हम पूरी तरह पापी हैं, फिर भी हर दिन हम प्रभु के वापस लौटने और स्वर्गिक राज्य में आरोहित किये जाने की उम्मीद कर रहे हैं। क्या यह सिर्फ एक मूर्खतापूर्ण सपना नहीं है?"

 

फैन बिंग के पास पहले से ही एक प्रतिक्रिया तैयार थी। "इस बारे में कोई संदेह कैसे हो सकता है? भले ही हम अभी भी अक्सर पाप करते हैं और विवश हैं, पाप से बंधे हैं, और प्रभु के कई वचनों का अभ्यास नहीं करते हैं, फिर भी हम आशा नहीं खो सकते हैं! बाइबल में, पौलुस ने कहा है: 'कि यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे, और अपने मन से विश्‍वास करे कि परमेश्‍वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्‍चय उद्धार पाएगा। क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है' (रोमियों 10:9-10)। 'यदि यह अनुग्रह से हुआ है, तो फिर कर्मों से नहीं; नहीं तो अनुग्रह फिर अनुग्रह नहीं रहा' (रोमियों 11:6)। हमें विश्वास के द्वारा न्यायसंगत ठहराया गया है, इसलिए प्रभु अब हमें पापी के रूप में नहीं देखते हैं। फिलिप्पियों 3:20–21 में कहा गया है, 'पर हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहाँ से आने की बाट जोह रहे हैं। वह अपनी शक्‍ति के उस प्रभाव के अनुसार जिसके द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।' 1 कुरिन्थियों 15:51-52 में, 'देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूँ: हम सब नहीं सोएँगे, परन्तु सब बदल जाएँगे, और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूँकते ही होगा। क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएँगे, और हम बदल जाएँगे।' जब प्रभु वापस लौटेंगे, तो पलक झपकते ही हमारा देह-रूप बदल जाएगा और हम अब पाप से जुड़े और बंधे नहीं रहेंगे—हम पूरी तरह से शुद्ध हो जाएंगे और फिर हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाया जा सकता है। हमें बस प्रभु में विश्वास रखना है!"

 

कुछ सहकर्मियों ने सहमति में अपना सिर हिलाया, जबकि अन्य ने अपनी भौहें सिकोड़ लीं। गाओ मिंगयुआन उठ खड़ा हुआ, अपने लिए एक गिलास में पानी लेकर, यह कहते हुए कमरे में टहलने लगा, "ये अंश जिनका उल्लेख भाई फैन ने किया है, वे सभी पौलुस द्वारा कही गई बातें हैं। क्या वास्तव में पौलुस के शब्दों के अनुसार अपना अभ्यास का मार्ग बनाना सही होगा? इतने वर्षों की सभाओं और प्रचार के बीच, शायद ही कभी हमने प्रभु यीशु के वचनों के बारे में बात की हो, हम उन्हें विशेष रूप से व्यवहार में नहीं लाते हैं। इसके बजाय, हम लगातार स्वर्ग के राज्य में प्रवेश के जैसी महत्वपूर्ण बातों में भी, पौलुस के वचनों को लगातार उच्चता देते हैं, उसकी गवाही देते हैं। हम सोचते हैं कि हम पूरी तरह से बस प्रभु में अपने विश्वास के द्वारा पूरी तरह से उचित ठहराए जा सकते हैं, इस तथ्य के बावजूद कि हम लगातार पाप कर रहे हैं और हमने शुद्धि हासिल नहीं की है, हम प्रभु के आगमन पर तुरंत रूप बदल लेंगे और स्वर्ग के राज्य में ले जाये जाएंगे। इन सभी वर्षों में हमारा अभ्यास पौलुस के शब्दों पर आधारित है—क्या हमारे पास पवित्र आत्मा के कार्य से इसकी पुष्टि है? क्या हमने अच्छी फसल पाई है? हम पौलुस के शब्दों के अनुसार काम और प्रचार करते हैं और ऐसा लगता है कि हमारे सभी भाई-बहनों का विश्वास है कि प्रभु के आने पर उन्हें स्वर्ग में आरोहित किया जायेगा। लेकिन कोई भी प्रभु के वचनों को व्यवहार में लाने और अपने दैनिक जीवन में आज्ञाओं को पालन करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करता है। उनमें से कुछ तो अपनी दैहिक वरीयताओं का अनुसरण करते हुए, शोहरत और पद का पीछा करते हुए, दुनिया के बुरे रुझानों का अनुसरण करते हुए, बस खाने, पीने और आनंद मनाने में व्यस्त रहते हुए, अधिक से अधिक अपने आप को भोग में लिप्त कर रहे हैं। उन्हें परमेश्वर का कोई भय नहीं है, और वे सच्चे पश्चाताप के बिना पाप में जी रहे हैं। ऐसा मालूम देता है कि हमारे सभी भाई-बहनों मानते हैं कि चूँकि प्रभु ने हमारे पापों को क्षमा कर दिया है, इसलिए भले ही हम अभी तक पवित्र नहीं हुए हैं, प्रभु अपने आगमन पर एक चुटकी में हमें पवित्र बनाने में सक्षम होंगे, और फिर जैसी उम्मीद है वैसे ही हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे। क्या आप सभी वास्तव में सोचते हैं कि इस तरह का विश्वास प्रभु की इच्छा के अनुरूप है? परमेश्वर कहते हैं, 'इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ' (लैव्यव्यवस्था 11:45)। और बाइबल कहती है, '... उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा' (इब्रानियों 12:14)। प्रभु पवित्र और धर्मी हैं, और केवल वे ही जो अपने पापों से मुक्त हुए हैं, स्वर्ग में प्रवेश कर सकते हैं। हम उस शुद्धता को प्राप्त नहीं कर सकते, इसलिए हम प्रभु का चेहरा देखने के योग्य नहीं हैं। हम लगातार पाप कर रहे हैं और प्रभु के वचनों को व्यवहार में नहीं ला रहे हैं, लेकिन हम निरंतर प्रतीक्षा कर रहे हैं कि प्रभु हमें स्वर्गिक राज्य में ले जाएं—क्या यह हवाई महल नहीं है?"

 

स्तब्ध, वांग जिंग मन में सोचने लगी, "भाई गाओ ने जो कहा वह सच है! हमारी खोज पौलुस के शब्दों पर आधारित है, और भले ही यह अधिक आसान है, हम अपने जीवन में किसी भी वृद्धि का अनुभव नहीं करते हैं। न केवल प्रभु के प्रति प्रेम हमारा विश्वास और समर्पण थोड़ा भी नहीं बढ़ा है, बल्कि हम उनके वचनों का अभ्यास करने पर कम से कम ध्यान दे रहे हैं, कई बार खुद को आनंद भोगने और जानबूझकर पाप करने में लिप्त कर लेते हैं, समय के साथ हम अब खुद को फटकारना भी बंद कर देते हैं...। पौलुस के शब्दों का अभ्यास करने से, न केवल हम पाप कम करने में विफल रहे हैं, बल्कि हम बिना किसी सच्चे पश्चाताप के लगातार पाप में जी रहे हैं। प्रभु पवित्र हैं—यदि हम इसी तरह आगे बढ़ते रहे, तो हम संभवतः उनका चेहरा नहीं देख सकते, तो हम स्वर्ग के राज्य में आरोहित किये जाने का सपना कैसे देख सकते हैं?"

 

फैन बिंग ने भाई गाओ से चिढ़ कर कहा, "भाई गाओ, आप ऐसा नहीं कह सकते! प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया, उन्होंने हमें हमारे पापों से छुड़ाया, इसलिए हम उनके प्रति अपने विश्वास के द्वारा बहुत स्पष्ट रूप से उचित ठहराए जा चुके हैं। कोई भी हमारे पापों के लिए हमारी निंदा नहीं कर सकता। जैसा कि पौलुस ने कहा है, 'परमेश्‍वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्‍वर ही है जो उनको धर्मी ठहरानेवाला है। फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा?' (रोमियों 8:33-34)। चूंकि परमेश्वर ने हमें सही ठहराया है और हम पहले ही एक बार बचाये गए हैं, तो हम सभी अनंत काल के लिए बच गए हैं, हमें इस बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है कि हम पाप करते हैं या नहीं, या हमें शुद्ध किया गया है या नहीं। जब तक हम पौलुस के शब्दों को मानते हैं, तब तक प्रभु के आगमन पर, पलक झपकते ही हम रूप बदल लेंगे और स्वर्ग के राज्य में पहुंच जायेंगे। यदि हमें इस पर भी विश्वास नहीं है, तो क्या हम अभी भी प्रभु के विश्वासी हैं?"

 

फैन बिंग ने अपना आखिरी शब्द कहा ही था कि जब लियू जी ने यह खंडन पेश किया: "भाई फैन, आपने जो अभी कहा है मैं उससे असहमत हूँ। परमेश्वर के चुने हुए कौन हैं? जो लगातार पाप करते और उसे स्वीकारते हैं, जो पश्चाताप के बारे में कुछ नहीं जानते हैं? क्या वे जिनके हृदयों में परमेश्वर के प्रति श्रद्धा का अभाव है, जो उनका पालन नहीं कर सकते, बल्कि हमेशा उनके खिलाफ विद्रोह करते हैं, उनका प्रतिकार करते हैं, उनके बलिदानों को चुराते हैं, जो व्यभिचारी हैं, वे विश्वसी हैं? क्या ऐसे लोग परमेश्वर के चुने हुए हो सकते हैं? आपके विचारों के आधार पर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम विश्वासियों के रूप में किस प्रकार के पाप करते हैं, प्रभु हमें क्षमा कर देंगे, जब वह आएंगे तो हमें स्वर्ग के राज्य में निश्चित आरोहित किया जाएगा। अगर वाकई ऐसा होता, तो आप प्रकाशितवाक्य 21:27 की व्याख्या कैसे करेंगे? 'परन्तु उसमें कोई अपवित्र वस्तु, या घृणित काम करनेवाला, या झूठ का गढ़नेवाला किसी रीति से प्रवेश न करेगा, पर केवल वे लोग जिनके नाम मेम्ने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं।' इब्रानियों 10:26-27 में भी लिखा है: 'क्योंकि सच्‍चाई की पहिचान प्राप्‍त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं। हाँ, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा।' मुझे लगता है कि केवल सच्ची गवाही देने वाले, प्रभु के वचनों के अनुसार अभ्यास करने में सक्षम लोग ही परमेश्वर के चुने हुए हैं। और तो और, प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि जब वह अंत के दिनों में वापस आयेंगे, तो वह भेड़ को बकरियों से, जंगली पौधों से गेहूँ को, बुरे से अच्छे नौकरों को अलग करेगा। अगर हम बस इसलिए सीधे स्वर्ग के राज्य में पहुँच सकते हैं, क्योंकि हम विश्वास से न्यायसंगत हैं, क्योंकि हम अनुग्रह से बचाये गए हैं, तो प्रभु यीशु की उन भविष्यवाणियों को कैसे पूरा किया जाएगा? मैं वास्तव में यह नहीं सोचती कि यह उतना सरल है जितना कि हम कल्पना करते हैं।"

  

गाओ मिंगयुआन ने बाइबल खोली और कहा, "सिस्टर लियू की संगति बिल्कुल सटीक है—स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना उतना आसान नहीं है जितना हम सोचते हैं। प्रकाशितवाक्य 22:12 में लिखा है, 'देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है।' इससे हमें पता चलता है कि जब प्रभु अंत के दिनों में लौटेंगे, तो वह प्रत्येक व्यक्ति को उनके कार्यों के अनुसार इनाम या दंडित करेंगे। विश्वासियों के नाते, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में सक्षम होने का सीधा संबंध इससे है कि हम प्रभु के वचनों को व्यवहार में लाते हैं या नहीं और प्रभु के मार्ग पर चलते हैं या नहीं। पौलुस ने जो कहा, उसके आधार पर, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि हम उनके मार्ग का पालन करते हैं या हम कितना पाप करते हैं—जब प्रभु वापस लौटेंगे तो हम तुरंत एक नया रूप लेंगे और सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाये जायेंगे। तो फिर प्रभु यीशु का 'हर एक के काम के अनुसार बदला देने' का कथन कैसे पूरा होगा? हम इससे देख सकते हैं कि पौलुस के शब्द उस मार्ग से जो परमेश्वर ने निर्धारित किया है और उनकी मनुष्य से जो आवश्यकताएं हैं उनसे पूरी तरह से भटक गये हैं। यदि हम अपने विश्वास में पौलुस के शब्दों का पालन करते हैं, तो यह अंततः आत्म-पराजय होगा और हम परमेश्वर से दूर होते जायेंगे। किसी भी कीमत पर हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए परमेश्वर की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकते। यह हमारे लिए और भी स्पष्ट करता है कि पौलुस ने विश्वास के द्वारा उचित ठहराए जाने और प्रभु के आने पर तुरंत एक नया रूप ले लेने के बारे में जो कहा, वह ज़रा भी सत्य के अनुरूप नहीं है—यह उसकी अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के अलावा और कुछ भी नहीं है! प्रभु यीशु स्वर्ग के परमेश्वर हैं, और केवल परमेश्वर ही यह निर्धारित कर सकते हैं कि किस प्रकार का व्यक्ति स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करता है। पौलुस सिर्फ एक भ्रष्ट इंसान था, इसलिए यह निर्धारित करना उस पर नहीं है कि हमें परमेश्वर के राज्य में जाने दिया जाएगा या नहीं। यदि हम प्रभु के वचनों को उनके आगमन की प्रतीक्षा और स्वर्ग के राज्य में आरोहित किये जाने के संबंध में अपने आधार के रूप में नहीं लेते हैं, यदि हम उनके वचनों को पूरा नहीं करते हैं, बल्कि पौलुस ने जो भी कहा है, उसके अनुसार अपने भ्रमों को पकड़कर, बस प्रभु के आने की प्रतीक्षा करते हैं जिससे हम एक पल में पूरी तरह से बदल जायें, तो हम स्वयं को प्रभु द्वारा निकाल दिए जाने के जोखिम में डाल देते हैं! इसलिए विश्वासियों के नाते, विशेष रूप से परमेश्वर के आगमन के बारे में हमें प्रभु के वचनों के अनुसार चलने की जरूरत है। हमें विशेष रूप से प्रभु के वचनों को अपना आधार बनाना होगा—यह उनकी इच्छा को पूरा करने का एकमात्र तरीका है।"

 

वांग जिंग ने इस पर सहमति जताई और कहा, "मैं प्रभु को धन्यवाद देती हूँ। इस संगति में वास्तव में प्रकाश है और यह पवित्र आत्मा के प्रबोधन से आया है। यह सोचकर कि हम कैसे प्रभु में विश्वास तो करते हैं, लेकिन अपने वचनों को व्यवहार में लाने पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं या अपने भ्रष्टाचार को खत्म करने और शुद्ध होने की तलाश नहीं करते हैं, बल्कि पौलुस के शब्दों को बरकरार रखते हैं और पौलुस के शब्दों को अपनी खोज का आधार बनाते हैं, क्या यह प्रभु के वचनों के बदले पौलुस के शब्दों का प्रयोग करना नहीं है? इस तरह, हम केवल नाम में प्रभु पर विश्वास करते हैं, लेकिन व्यवहार में हम सिर्फ पौलुस पर विश्वास करते हैं। यह परमेश्वर के विरोध में है! प्रभु के आगमन का स्वागत करने जैसी महत्वपूर्ण बात में प्रभु के नहीं, बल्कि पौलुस के वचनों के अनुसार खोजना क्या बहुत ही नासमझी भरा और मूर्खतापूर्ण नहीं है?"

 

शाओ या ने भी कहा, "यह सही है, अब मुझे एहसास है कि अगर हम प्रभु के वचनों को अमल में लाने में प्रयास नहीं करते हैं या गंभीरता से उन पर विचार और उनकी इच्छा जानने का प्रयास नहीं करते हैं, बल्कि एक इंसान के शब्दों को अपने अभ्यास को आधार बनाते हैं, तो यह वास्तव में अनजाने में प्रभु के विरुद्ध जाना होगा। यह वास्तव में भयानक है!"

 

यह सुनकर अचानक वांग जिंग के मन में कुछ आया और उसने जल्दी से पूछा, "भाइयो और बहनो, चूंकि केवल वे ही जो अपने पापों से मुक्त हो चुके हैं, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं, तो हम पाप के बंधन को कैसे मिटा सकते हैं और कैसे शुद्ध किये जा सकते हैं? मैं खुद को भ्रष्टाचार से मुक्त करना चाहती हूँ लेकिन मैं हर समय पाप करने से खुद को नहीं रोक पाती हूँ। मैं अपने आप पर लगाम लगाने की कोशिश करती हूँ लेकिन मैं ऐसा कर ही नहीं पाती। इसके लिए आख़िर क्या किया जा सकता है?"

 

गाओ मिंगुआन ने वहाँ मौजूद सभी को देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "हम पाप में रहते हैं और हम केवल आत्म-नियंत्रण के माध्यम से समस्या की जड़ को हल नहीं कर सकते हैं। केवल परमेश्वर ही हमें पापों की बेड़ियों से बचा सकते हैं। वास्तव में, प्रभु यीशु ने बहुत समय पहले हमारे लिए रास्ता बताया था। प्रभु यीशु ने कहा है, 'मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा' (यूहन्ना 16:12-13)। 'यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा' (यूहन्ना 12:47-48)। 'मैं यह विनती नहीं करता कि तू उन्हें जगत से उठा ले; परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्‍ट से बचाए रख। ...सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है। ...और उनके लिये मैं अपने आप को पवित्र करता हूँ, ताकि वे भी सत्य के द्वारा पवित्र किये जाएँ' (यूहन्ना 17:15, 17, 19)। हम प्रभु के वचनों से देख सकते हैं कि अंत के दिनों में जब प्रभु यीशु वापस आएंगे तो वे सत्य व्यक्त करेंगे और अपने न्याय के कार्य के चरण को करेंगे, हम सभी सत्य में प्रवेश करायेंगे। इस तरह हम पाप से बच सकते हैं, शुद्धि और पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। परमेश्वर का कार्य बहुत व्यावहारिक है, यह बिल्कुल भी वैसा नहीं है जैसा हम कल्पना करते हैं, पलक झपकते ही पूरी तरह से बदल जाना और हमें शुद्ध बना देना। इसके बजाय, उनका कार्य और वचन बहुत वास्तविक हैं, बहुत व्यावहारिक हैं। वह मनुष्य के पापों का न्याय करने और उन्हें शुद्ध करने के लिए वचनों का उपयोग करते हैं ताकि हम भ्रष्टाचार से मुक्त हो सकें। यदि हम परमेश्वर के वचनों के न्याय और ताड़ना को स्वीकार करते हैं, उनके कार्य का अनुभव करते हैं, उनके वचनों को व्यवहार में लाते हैं, तब ही हम पाप के बंधनों से पूरी तरह से बच पाएंगे और शुद्ध हो सकेंगे, और फिर परमेश्वर के राज्य में आने, उनका आशीष और वादा प्राप्त करने के योग्य होंगे।"

 

शाओ या की आँखें चमक उठीं, उसने खुशी से कहा, "ओह, तो प्रभु अंत के दिनों में लौटने वाले हैं, अधिक वचनों को व्यक्त करने और न्याय का कार्य करने वाले हैं। वे हमें परमेश्वर के वचनों से सभी सत्य को समझने और शुद्ध होने की अनुमति देने वाले हैं। इतनी बातें तो तर्कसंगत हैं साथ ही 1 पतरस 4:17 में भी लिखा है, 'क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए; और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उनका क्या अन्त होगा जो परमेश्‍वर के सुसमाचार को नहीं मानते?' बाइबल में बहुत पहले ही भविष्यवाणी की गई थी कि अंत के दिनों में प्रभु आएंगे और हमें शुद्ध करने के लिए न्याय के कार्य का एक चरण करेंगे। प्रभु का धन्यवाद, अब हमारे पास पाप से बचने और शुद्ध होने का मार्ग है!"

 

वांग जिंग ने भी भावना से भरकर कहा, "हाँ, प्रभु का कार्य वास्तव में बहुत व्यावहारिक है! यदि हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश और शुद्धि की तलाश करना चाहते हैं, तो हमें बहुत ही व्यावहारिक तरीके से परमेश्वर के वचनों के न्याय और शुद्धता का अनुभव करना होगा, और परमेश्वर के वचनों के माध्यम से परिवर्तन की तलाश करनी होगी। मैं इस प्रबुद्धता और मार्गदर्शन के लिए प्रभु को धन्यवाद देती हूँ। आज की संगति ने वास्तव में मेरे गलत दृष्टिकोण को हटा दिया है, अन्यथा मैं अभी भी पौलुस के वचनों के आधार पर तलाश करना जारी रखती। इसके परिणाम तो अकल्पनीय होते! मैं सच में प्रभु को धन्यवाद देती हूँ! ओह, सहकर्मी गाओ, आज आपके द्वारा साझा की गई इस प्रबोधन देने वाली संगति का स्रोत क्या था?"

 

मुस्कुराते हुए, गाओ मिंगयुआन ने कहा, "जब तक मैंने एक किताब नहीं पढ़ी थी, तब तक मैं इनमें से किसी भी चीज़ को नहीं समझता था। मैं आज इसे लेकर आया हूँ। क्यों न हम सब साथ में इसके कुछ अंश पढ़ें?"

 

सभी ने कहा, "बहुत बढ़िया!"

 

फैन बिंग के अपवाद के साथ, जिसके चेहरे पर बहुत शोक था, बैठक में बाकी सभी ने महसूस किया कि इस संगति में पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और रोशनी थी और इसने उनके कुछ गहनतम प्रश्नों को हल किया था। वे सभी प्रभु के मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिए बिना न रह सके।

  

स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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हिंदी बाइबल स्टडी——दस कुँवारियों का दृष्‍टान्त——प्रभु के स्‍वागत के लिए आपकी सहायता हेतु

 

किम कार्दशियन वेस्ट अपने भाई रॉब कार्दशियन के बदला-अश्लील मुकदमा के बारे में बोल रही है।

 

न्यूयॉर्क पत्रिका के साथ हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान, 39, किम, से चर्चा करने के लिए कहा गया था कि कैसे लीक हुए सेक्स टेप अब बदला पोर्न के रूप में जाना जाता है - एक अवधारणा जिसने उसे अपनी व्यक्तिगत "स्थिति" और रॉब और उसके पूर्व ब्लाॅक पर प्रतिबिंबित किया। च्याना ।

 

"मैंने कभी इस बारे में सोचा भी नहीं था," किम ने न्यूयॉर्क पत्रिका को बताया। “मुझे लगता है कि सवाल थोड़ा मुश्किल है। मेरी स्थिति के लिए भी नहीं, लेकिन क्योंकि मेरे भाई ने अपने बच्चे की माँ की तस्वीरें पोस्ट की थीं और वह बदला लेने वाले पोर्न मुकदमा में है। ”

 

“जाहिर है, मुझे अंतर मिलता है। और मैं मेरे बारे में बात करूंगा, लेकिन मुझे यह कहना सही नहीं है कि उसे एस के सबसे बड़े टुकड़े की तरह महसूस किए बिना - “किम ने प्रकाशन में जोड़ा।

 

रोब और चीना दोनों के लिए प्रतिनिधि ने टिप्पणी के लिए PEOPLE के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया।

 

फरवरी 2007 में, किम और उसके पूर्व रे जे द्वारा 2002 में एक सेक्स टेप लीक किया गया था। द कार्डीशियन स्टार के साथ कीपिंग अप , जिसने अब कान्ये वेस्ट से शादी की है और उसके चार बच्चे हैं, ने स्पष्ट फिल्म के बारे में अनगिनत बार खोला है , 2012 में ओपरा विन्फ्रे को बताते हुए, “मुझे उन विकल्पों के साथ रहना होगा जो मैंने बनाए हैं। और मैं उस पर वास नहीं कर सकता। ”

 

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जैसा कि रोब के लिए - 2017 में, च्याना, जिसे रोब ने बेटी ड्रीम 3 के साथ साझा किया, ने रियलिटी स्टार के खिलाफ उसके ब्रांड को नुकसान पहुंचाने और मौखिक रूप से और शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार करने के लिए मुकदमा दायर किया। रोब ने च्याना द्वारा किए गए मौखिक और शारीरिक शोषण के आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि च्याना ने "किसी भी आचरण के परिणामस्वरूप किसी भी चोट या नुकसान का सामना नहीं किया"।

 

PEOPLE, 31 वर्षीय च्याना द्वारा प्राप्त किए गए दाखिलों में, दावा किया गया है कि 5 जुलाई को अपने पूर्व-मंगेतर के विस्फोटक सोशल मीडिया हिसात्मक आचरण के बाद से उसे "महत्वपूर्ण नुकसान" का सामना करना पड़ा है, जिसमें उसने अपने बच्चे की माँ के बारे में ग्राफिक और एक्सप्लेटिव-अनमोल सामग्री साझा की - जिसमें शामिल हैं तीन नग्न तस्वीरें - ड्रग / शराब के दुरुपयोग और बेवफाई का आरोप लगाते हुए।

 

मुकदमे के अनुसार, च्याना (जन्म एंजेला व्हाइट) ने न्यूड फोटो घोटाले का आरोप लगाया और कार्दशियन परिवार के प्रभाव ने रॉब और च्याना को उसके ई! 30 वर्षीय कार्दशियन के साथ रियलिटी शो, सीजन 2 से पहले।

 

"रोब कार्दशियन, एंजेला व्हाइट को नष्ट करने के लिए एक अपमानजनक इरादा है, जो उसके बच्चे की मां है, जिसने 2016 में उसे छोड़ दिया," शिकायत में कहा गया है। "बदला लेने के लिए, कार्दशियन-जेनर परिवार मीडिया शिकारियों बन गया, सोशल मीडिया पर उसे शर्मसार करने और उसके हिट टेलीविजन शो को मारना शुरू कर दिया, जिसने पहले ही दूसरे सत्र की फिल्म बनाना शुरू कर दिया था।"

 

जुलाई में कार्दशियन के सोशल मीडिया हमले के बाद, चीना और उसकी कानूनी टीम ने कैलिफोर्निया के बदला अश्लील कानूनों के उल्लंघन के रियलिटी स्टार पर आरोप लगाया, उन्होंने PEOPLE द्वारा प्राप्त अदालती दस्तावेजों में दावा किया कि उसने कथित तौर पर उसे मारा और कई बार खुद को मारने की धमकी दी ।

 

एक न्यायाधीश ने बाद में उसे उसके खिलाफ निरोधक आदेशों का एक सेट दिया।

 

जबकि मुकदमा अभी तक सुलझा नहीं है, लेकिन चीना और रॉब एक बेहतर जगह पर हैं - कम से कम जब उनकी बेटी की देखभाल करने की बात आती है।

 

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जून में, RuPaul के दिन के टेलीविजन टॉक शो में एक उपस्थिति के दौरान, च्याना ने कहा, "सह-पालन अच्छा है।"

 

"मेरे दोनों बच्चों के पिता के साथ, हमारे बीच एक आपसी समझौता है और सब कुछ सुचारू रूप से चलता है," वह पूर्व-मंगेतर टायगा को जोड़ती है, जो उसके 6 वर्षीय बेटे किंग काहिरा का पिता है। "तो हवा में कोई दुश्मनी नहीं है, सब कुछ अच्छा है। हम सभी एक अच्छी जगह पर हैं। ”

 

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भाइयो और बहनो:

 

प्रभु की शांति आपके साथ हो! प्रार्थना करना हम ईसाइयों का, परमेश्वर के साथ सामान्य संबंध स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। ऐसा विशेष रूप से सुबह और रात के समय किया जाता है। यही कारण है कि प्रार्थना करना सीखना बेहद जरूरी है। हालाँकि, कई भाई-बहन परेशानी महसूस करते हैं: हर दिन, हम सुबह और रात, दोनों समय प्रार्थना करते हैं; हम खाने से पहले और और खाने के बाद भी प्रार्थना करते हैं, साथ ही साथ जब हम सभा में होते हैं तब भी प्रार्थना करते हैं; इसके अलावा, हर बार जब हम प्रार्थना करते हैं, हम प्रभु से बहुत कुछ कहते हैं और लंबे समय तक प्रार्थना करते हैं। हालाँकि, हम हमेशा ऐसा महसूस करते हैं जैसे परमेश्वर वहाँ नहीं है; ऐसा लगता है जैसे हम प्रार्थना करते समय खुद से बात कर रहे हैं, और हमारी आत्मा शांति या आनंद महसूस नहीं करती है। परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं को क्यों नहीं सुनते? हम ऐसी प्रार्थना कैसे करें ताकि हम परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त कर सकें?

 

वास्तव में, परमेश्वर के हमारी प्रार्थना न सुनने के कुछ कारण हैं। मैं इस बारे में अपनी व्यक्तिगत समझ सभी से साझा करूँगा।

 

पहला, क्या हम एक परमेश्वर से एक निष्कपट दिल से प्रार्थना करते हैं?

  

प्रभु यीशु ने कहा: "जिसमें सच्‍चे भक्‍त पिता की आराधना आत्मा और सच्‍चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही आराधकों को ढूँढ़ता है" (यूहन्ना 4:23)। परमेश्वर के वचनों ने हमें दिखाया है कि हमें परमेश्वर के इरादों के अनुसार उनकी आराधना करने के लिए प्रार्थना कैसे करनी चाहिए। परमेश्वर सबसे अधिक ध्यान इस बात पर केंद्रित करते हैं कि जब हम उनके सामने होते हैं तब क्या हम एक निष्कपट दिल रखते हैं और क्या हम उनसे ईमानदार और सच्चे शब्द बोलते हैं। अगर प्रार्थना करते समय हमारे दिल में उनके लिये आदर है, हमारा दिल निष्कपट है, तो परमेश्वर हमारी प्रार्थनाएं स्वीकार करेंगे। हालाँकि, जब हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं, हम अक्सर परमेश्वर के सामने खुद को शांत करने में और परमेश्वर से प्रार्थना करने के लिए एक सच्चे दिल का उपयोग करने में असमर्थ होते हैं। हमारे होंठ हिलते हैं लेकिन हमारा दिल परिवार या काम के बारे में सोच रहा होता है और चिंताओं से भरा होता है। कभी-कभी, हमारे होंठ हिलते हैं लेकिन हमारे दिल नहीं। हमारा रवैया खरा नहीं होता, और हम बस उदासीनता से काम करते हैं और क्या हो सकता था इस पर विचार करते हैं, हम इसे लापरवाही से करते हैं। हम अक्सर कुछ प्रतिष्ठित, दिखावे से भरे, खोखले शब्द भी कहते हैं, ऐसे शब्द जो केवल सुनने में अच्छे लगते हैं या मिलावटी शब्द जो परमेश्वर को धोखा देने के लिए होते हैं। मिसाल के तौर पर, हम अपने माता-पिता से प्रभु की तुलना में ज़्यादा प्यार करते हैं या हम अपने कैरियर को प्रभु से ज्यादा प्यार करते हैं, फिर भी जब हम प्रार्थना करते हैं, तो हम कहते हैं, "हे प्रभु, मैं आपसे प्यार करता हूँ! मैं सब कुछ छोड़ने के लिए तैयार हूँ और अपने पूरे दिल से आपके लिए व्यय करना चाहता हूँ!" जब हमारे परिवारों को कुछ दुखद घटनाओं का सामना करना पड़ता है, तो हमारे दिल नकारात्मक हो जाते हैं और हम प्रभु से शिकायत करते हैं। फिर भी, जब हम प्रार्थना करते हैं, हम प्रभु को धन्यवाद देते हैं और प्रभु से प्रशंसा-युक्त शब्द कहते हैं... असल में, प्रार्थनाओं में, यदि कोई निष्कपट नहीं है और केवल कुछ बड़े-बड़े, खोखले या झूठे शब्दों का उपयोग करके उदासीनता से काम करता है या यदि कोई परमेश्वर के सामने अपना भेष बदलकर केवल कुछ कर्ण-प्रिय शब्द कहता है, तो वह परमेश्वर को धोखा दे रहा है। परमेश्वर उन प्रार्थनाओं को नहीं सुनेंगे जो खरी नहीं हैं।

 

दूसरा, क्या हम परमेश्वर से तर्कसंगत तरीके से प्रार्थना करते हैं?

 

ज्यादातर समय, जब हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं, हम परमेश्वर से चीजों की अंधाधुंध माँग करते हैं या हमारे पास परमेश्वर के लिए सभी प्रकार के असाधारण अनुरोध होते हैं। उदाहरण के लिए: यदि हमारे पास नौकरी नहीं है, तो हम परमेश्वर को नौकरी देने के लिए कहते हैं। अगर हमारे पास बच्चा नहीं है, तो हम परमेश्वर से हमें एक बच्चा प्रदान करने के लिए कहते हैं। अगर हम बीमार हैं, तो हम परमेश्वर को अपनी बीमारी का इलाज करने के लिए कहते हैं। अगर हमारे परिवार कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, तो हम परमेश्वर से हमारी मदद करने को कहते हैं। व्यवसायी लोग परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं और उनसे आशीष माँगते हैं ताकि वे बहुत सारा पैसा कमा सकें। छात्र परमेश्वर से समझदारी और बुद्धि की आशीष देने के लिए कहते हैं। वृद्ध लोग परमेश्वर से बीमारी और आपदाओं से बचाने के लिए कहते हैं ताकि वे अपने अंतिम वर्ष शांति में बिता सकें। जीवन में, चाहे हम जिन भी कठिनाइयों और परीक्षणों का सामना करें, हम कभी भी परमेश्वर की व्यवस्था के अधीन नहीं हो पाते। हम हमेशा आशा करते हैं कि परमेश्वर हमें हमारी परेशानियों से बचाएंगे ताकि हमें और पीड़ा नहीं सहनी पड़ेगी। हम हमेशा प्रभु से हमारी रक्षा करने के लिए कहते हैं ताकि हम खुश और शांतिपूर्ण रह सकें। इस प्रकार की प्रार्थना, परमेश्वर की रचनाओं में से एक की परमेश्वर से की गयी प्रार्थना नहीं है। इसके बजाय, इसमें परमेश्वर से चीज़ों को माँगना और उन्हें हमारे विचारों के अनुसार चीजों करने को कहना शामिल है। जब लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं, तो वे आशा करते हैं कि परमेश्वर उनके सभी अनुरोधों और इच्छाओं को पूरा करेंगे। यह मूल रूप से परमेश्वर के साथ व्यापार समझौता करना है और इसमें विवेक या तर्कसंगतता का एक कतरा भी नहीं है। इस तरह के लोगों में परमेश्वर के लिए वास्तविक विश्वास और प्रेम नहीं होता और न ही वे वास्तव में परमेश्वर की आज्ञा का पालन या आदर करते हैं। बल्कि वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए परमेश्वर का उपयोग कर रहे हैं। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा परमेश्वर ने कहा था, "ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनका मन मुझ से दूर रहता है" (मत्ती 15:8)। इसलिए, परमेश्वर ऐसी प्रार्थनाओं को नहीं सुनते जो लोग अनुचित इरादों से करते हैं।

 

तीसरा, क्या हमारी कलीसिया में पवित्र आत्मा का कार्य है?

 

व्यवस्था के युग के शुरुआती चरण को याद करें, जब मंदिर में पवित्र आत्मा का कार्य हुआ करता था। जब लोग पाप करते थे, तो उन्हें पवित्र आत्मा का अनुशासन प्राप्त होता था। यदि परमेश्वर की सेवा करने वाले याजक व्यवस्था तोड़ते, तो आग सीधे स्वर्ग से नीचे आकर, उन्हें जलाकर मार डालती थी। लोग बहुत डर कर रहते थे और वे अपने दिल में परमेश्वर का आदर करते थे। हालाँकि, व्यवस्था के युग के बाद के समय के दौरान, जब यीशु प्रकट हुए और उन्होंने काम किया, तो यहूदी लोग व्यवस्था का पालन नहीं कर पाए, उन्होंने मंदिर का इस्तेमाल पैसे की अदला-बदली और पशुधन बेचने के लिए किया। उन्होंने मंदिर को चोरों का अड्डा बना दिया। इसमें अब पवित्र आत्मा का अनुशासन नहीं रह गया था। चूँकि पवित्र आत्मा पहले से ही यीशु के काम के समर्थन के लिए मंदिर छोड़ चुका था, इसलिए वे लोग जो मंदिर में रहते थे और यीशु के उद्धार को स्वीकार करने से इंकार करते थे, वे परमेश्वर के कार्य द्वारा हटा दिए गए और अंधकार में गिर गये। भले ही उन्होंने यहोवा के नाम पर प्रार्थना की, फिर भी परमेश्वर ने उनकी प्रार्थना नहीं सुनी। इससे भी अधिक, वे पवित्र आत्मा के कार्य को प्राप्त करने में असमर्थ रहे।

  

आइए, हम अपनी आज की कलीसिया पर नज़र डालें। पादरियों और एल्डरों के उपदेश अरुचिकर हैं। कोई नई रोशनी नहीं है। भाई-बहनों को जीवन पोषण नहीं मिलता, और उनकी आत्माएं सूखती जाती हैं, अन्धकारमय हो जाती हैं और पवित्र आत्मा की उपस्थिति को महसूस करने में असमर्थ होती हैं। वे देह और जीवन के सुख के लिए लोभ करने के साथ-साथ हैसियत और शक्ति की तलाश भी शुरू कर देंगे। सहकर्मियों के बीच संघर्ष शुरू हो जायेगा। उनके अपराध अक्सर उन पर विजय पा लेंगे और वे प्रभु के प्रति ऋणी महसूस नहीं करेंगे। वे प्रभु के वचनों का पालन नहीं करते हैं, न ही वे उनके आदेशों को मानते हैं। वे परमेश्वर की इच्छा का उल्लंघन करके पूरी तरह से परमेश्वर के विरोधी बन गए... इस तरह की कलीसिया और व्यवस्था के युग में बाद के समय में मौजूद मंदिर के बीच क्या अंतर है? यह पूरी तरह से बाइबल की भविष्यवाणी को पूरा करता है, "जब कटनी के तीन महीने रह गए, तब मैं ने तुम्हारे लिये वर्षा न की; मैं ने एक नगर में जल बरसाकर दूसरे में न बरसाया; एक खेत में जल बरसा, और दूसरा खेत जिस में न बरसा, वह सूख गया। इसलिये दो तीन नगरों के लोग पानी पीने को मारे मारे फिरते हुए एक ही नगर में आए, परन्तु तृप्‍त न हुए; तौभी तुम मेरी ओर न फिरे,' यहोवा की यही वाणी है" (आमोस 4:7–8)। वास्तव में परमेश्वर ने अनुग्रह के युग की कलीसिया को छोड़ दिया है। बहुत से भाई-बहन ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि कलीसिया में पवित्र आत्मा का कार्य अब नहीं रहा तथा परमेश्वर ने हमसे मुँह मोड़ लिया है। तो ऐसा कैसे सम्भव है कि हमारी आत्माएं न सूखें? परमेश्वर हमारी प्रार्थनाएं कैसे सुन सकते हैं?

 

ऊपर वर्णित तीन परिस्थितियाँ वो मुख्य कारण हैं जिसकी वजह से प्रभु हमारी प्रार्थनाओं को नहीं सुनते। हम केवल इतना कर सकते हैं कि हम प्रभु के सामने आयें, उनके इरादों की तलाश करें और इन मुद्दों पर विचार करें। हमें इसकी भी खोज करनी चाहिए कि प्रभु से कैसे प्रार्थना करनी है ताकि वे हमारी प्रार्थना सुनें। यह वो सत्य है जिसमें हमें तुरंत प्रवेश करने की आवश्यकता है। अब, मैं कार्यान्वयन के तीन तरीकों को सबके साथ साझा करूँगा ताकि आप जान सकें कि परमेश्वर के इरादों के अनुसार प्रार्थना कैसे करनी है। अगर हम हर दिन उसे काम में लाएंगे और दिल से अभ्यास करेंगे तो मुझे विश्वास है कि प्रभु हमारी प्रार्थनाओं को सुनेंगे।

 

पहला, हमें मन से प्रार्थना करनी चाहिए, निष्कपटता से प्रार्थना करनी चाहिए और ऐसी सच्ची बातें कहनी चाहिए जो दिल से निकलें।

 

हम सभी जानते हैं कि परमेश्वर भरोसेमंद है। परमेश्वर के साथ कोई धोखाधड़ी, कोई पाखंड, और कोई झूठ नहीं है। परमेश्वर हममें से हर एक के साथ खरा है। परमेश्वर यह आशा भी करता है कि हम उससे निष्कपटता से और इमानदारी से प्रार्थना करेंगे। यह बिल्कुल वैसा है जैसा प्रभु यीशु ने कहा था: "परन्तु तुम्हारी बात 'हाँ' की 'हाँ,' या 'नहीं' की 'नहीं' हो; क्योंकि जो कुछ इस से अधिक होता है वह बुराई से होता है" (मत्ती 5:37)। इसलिए, जब हम प्रार्थना करते हैं, तो हमें परमेश्वर से स्पष्ट रूप से बात करनी चाहिए। अगर हम कमज़ोर हैं, तो हमें कहना चाहिए कि हम कमज़ोर हैं। चाहे जो भी विचार, कल्पना, दर्द, कठिनाई हो, या ऐसी चीजें हों जो हमने की हैं पर जो परमेश्वर के इरादे के अनुसार नहीं हैं, हमें अपने दिल को पूरी तरह से खोलना चाहिए और परमेश्वर को उनके बारे में बताना चाहिए। कुछ ऐसे शब्द और मामले हो सकते हैं जो हम अन्य लोगों के सामने स्वीकारने में शर्मिंदा महसूस करें। हालाँकि, हम इन चीज़ों को परमेश्वर से नहीं छिपा सकते। हमें अपने दिल को परमेश्वर के सामने खोलना चाहिए और ईमानदारी से उनके बारे में परमेश्वर को बताना चाहिए। जब परमेश्वर देखते हैं कि हमारे दिल उनके लिए पूरे खुले हैं और हम उनसे कुछ छुपा नहीं रहे हैं और इसके अलावा, हम वो चीजें कह रहे हैं जो सीधे हमारे दिल से आतीं हैं और हम परमेश्वर से बहुत ईमानदारी से बात कर रहे हैं, परमेश्वर हमें उनके इरादे और सत्य के सभी पहलुओं को समझने के लिए मार्गदर्शन करेंगे। यह हमें चलने का मार्ग देगा।

  

इसके अतिरिक्त, जब हम प्रार्थना करते हैं, तो हमें परमेश्वर के सामने खुद को शांत करना होगा। हमें एक ध्यानमग्न दिल से परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए। हमें अधूरे मन वाला व्यक्ति नहीं होना चाहिए या बिना भावनाओं के बस शब्द नहीं कहने चाहिए। जब हम अपने माता-पिता से बात करते हैं, तो हम उनका सम्मान करने में सक्षम होते हैं। उनके प्रति हमारा दृष्टिकोण खरा होता है। क्या ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि वे हमारे बड़े हैं और उन्होंने हमारा पालन-पोषण किया है? परमेश्वर ने हमें बनाया, हमें जीवन दिया, जीने के लिए हमें जिसकी भी जरूरत है, वो प्रदान किया और उन्होंने हमें सत्य प्रदान किया है। क्या यह और भी ज़रूरी नहीं कि हम एक आदरपूर्ण दिल से परमेश्वर से प्रार्थना करें? इससे फर्क नहीं पड़ता कि हम परमेश्वर से किस बारे में प्रार्थना करते हैं, हमारा दिल भक्ति से भरा होना चाहिए और हमें परमेश्वर के इरादे की तलाश करनी चाहिए और उन्हें अपने विचारों, कठिनाइयों के बारे में ईमानदारी से बताना चाहिए और हमें धैर्यपूर्वक परमेश्वर के समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए। केवल इस तरह से हम परमेश्वर की प्रबुद्धता और मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे, और उनके इरादों को समझेंगे। तब समय से हमारी कठिनाइयों का समाधान हो जाएगा।

 

दूसरा, हमें रचे गये प्राणियों के स्थान पर खड़ा होना चाहिए और परमेश्वर से कोई माँग नहीं करनी चाहिए; हमें एक ऐसे दिल से प्रार्थना करनी चाहिए जो परमेश्वर को समर्पित होता हो।

 

जब हम प्रार्थना करते हैं, तो हमें स्पष्ट होना चाहिए कि हम रचनाएं हैं और परमेश्वर हमारे सृष्टिकर्ता हैं। परमेश्वर अपने हाथों में सभी चीज़ों और घटनाओं को रखते हैं। हमारा सब कुछ परमेश्वर द्वारा नियंत्रित है। जिसका भी हम हर दिन सामना करते हैं, भले ही वह छोटा मामला हो या बड़ा, यह सब परमेश्वर की व्यवस्था के कारण है। जब हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं, तो हमें रचनाओं के रूप में अपनी स्थिति में दृढ़ रहना चाहिए, और परमेश्वर के सामने एक आस्थावान और समर्पण के दृष्टिकोण के साथ परमेश्वर की इच्छा की तलाश करनी चाहिए। हमें परमेश्वर से कोई माँग नहीं करनी चाहिए। उदाहरण के लिए, जब हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और हम नहीं जानते कि हमें क्या करना है, हम इस तरह से प्रार्थना कर सकते हैं: "हे परमेश्वर! मैं इस मामले में सत्य को समझ नहीं पा रहा हूँ। मुझे नहीं पता कि मुझे चीजों को आपके इरादों के अनुसार कैसे करना चाहिए। फिर भी, मैं आपके वचनों में खोज करने और चीजों को आपके अनुरोधों के अनुसार करने और अपने इरादों को पूरा करने के लिए तैयार हूँ। कृपया मुझे प्रबुद्ध करें और मेरा मार्गदर्शन करें। आमीन!" जब हमारे दिल में परमेश्वर के लिए एक स्थान होता है और जब हम एक रचना के स्थान पर खड़े हो सकते हैं और प्रार्थना कर सकते हैं, साष्टांग कर सकते हैं, अपने सृष्टिकर्ता की आराधना कर सकते हैं, और जब हम उसके काम का पालन कर सकते हैं और उसके वचनों को अपने अभ्यास में डाल सकते हैं, तभी हम परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध बना पाएंगे और पवित्र आत्मा के काम को प्राप्त करेंगे। हम सभी जानते हैं कि अय्यूब एक ऐसा व्यक्ति था जो परमेश्वर का भय मानता था और बुराई से दूर रहता था। जब उसने अपने सभी मवेशियों, बेटों, बेटियों को खो दिया, जब वह सिर से पैर तक घावों से ढका हुआ था और बहुत दर्द सह रहा था, तब भी वह मानता था कि परमेश्वर सबके शासक हैं और परमेश्वर की अनुमति के बिना, उसके साथ ऐसा नहीं होता। इसके अलावा, वह यह भी जानता था कि उसके जीवन सहित, वह सब कुछ जो उसके पास था, परमेश्वर द्वारा उसे दिया गया था। इससे फर्क नहीं पड़ता कि परमेश्वर कब इसे वापस लेना चाहते हैं, यह प्राकृतिक और उचित है। इसलिए, उसने परमेश्वर से शिकायत नहीं की और न ही उसकी परमेश्वर से कोई माँग थी। नतीजतन, वह झुका और उसने आराधना की और समर्पण भरे दिल के साथ उसने परमेश्वर से प्रार्थना की। उसने ये शब्द कहे: "यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है" (अय्यूब 1:21)। "क्या हम जो परमेश्‍वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें?" (अय्यूब 2:10)। अय्यूब दृढ़ता से खड़ा रहा और उसने परमेश्वर के लिए गवाही दी। उसकी समझ और परमेश्वर के प्रति समर्पण ने उसे परमेश्वर की प्रशंसा दिलायी। अगर हम भी परमेश्वर को उस तरह से संबोधित करने में सक्षम हों जैसे कि अय्यूब था, यदि हमारे दिल में परमेश्वर के लिए जगह हो और यदि हम ऐसे दिल से परमेश्वर से प्रार्थना करने में सक्षम हों जो इसकी परवाह ना करते हुए कि हम किन परीक्षणों का सामना करते हैं, परमेश्वर को समर्पित होता है, तो परमेश्वर हमारा मार्गदर्शन करेंगे और हमें प्रबुद्ध करेंगे ताकि हम सत्य को समझ सकें। हमारी आत्माएं अधिकाधिक पैनी हो जाएंगी और हमारे विचार अधिकाधिक स्पष्ट हो जायेंगे। जब हम कोई भ्रष्टता प्रकट करते हैं या किन्हीं बुरी स्थितियों का सामना करते हैं, तो उसके बारे में जागरूक होना और समय पर उसका हल निकालना हमारे लिए आसान होगा। फिर, परमेश्वर के साथ हमारा सम्बन्ध ज़्यादा से ज़्यादा करीबी हो जाएगा और हमारा जीवन निरंतर तेजी से बढ़ेगा।

 

तीसरा, अगर हमारी कलीसिया में पवित्र आत्मा का कार्य नहीं है, तो हमें तलाशने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

 

हम सभी जानते हैं, व्यवस्था के युग के बाद की अवधि में, मनुष्य शैतान द्वारा अधिकाधिक गहराई से दूषित हो गया था। मनुष्य पाप के भीतर रहता था और उसके सामने व्यवस्था द्वारा दोषी ठहराए जाने और मृत्युदंड पाने का खतरा था। फिर, यीशु मसीह के नाम के अंतर्गत परमेश्वर ने व्यवस्था का युग समाप्त कर दिया, अनुग्रह के युग की शुरूआत की और मानवजाति के छुटकारे का काम किया। तब से, यहूदी धर्म ने पूरी तरह से परमेश्वर की महिमामय उपस्थिति को खो दिया। इससे फर्क नहीं पड़ता था कि प्रभु यीशु के नाम और कार्य को स्वीकार न करने वाले लोग, कौन सी परिस्थितियों का सामना करते थे, कैसे प्रार्थना करते थे और यहोवा परमेश्वर से कैसे अनुनय-विनय करते थे, परमेश्वर उनकी नहीं सुनते थे और उन्हें पवित्र आत्मा का कार्य प्राप्त नहीं होता था। जबकि, जिन लोगों ने यीशु के नए कार्य को स्वीकार किया और यीशु के नाम पर प्रार्थना की, वे परमेश्वर के जीवंत जल के झरने के पोषण का आनंद प्राप्त करते थे। जब वे प्रभु को पुकारते तो वे परमेश्वर के कर्मों को देखने में सक्षम होते और उनके पास पवित्र आत्मा के काम का साथ होता था।

 

आजकल, हम प्रभु के नाम पर चाहे जैसे भी प्रार्थना करें, हमें पवित्र आत्मा के कार्य का एहसास नहीं होता, और हम उनकी उपस्थिति को महसूस नहीं कर पाते। हम अपने जीवन के पोषण नहीं प्राप्त कर पाते है और हम पाप करते हैं लेकिन अनुशासन नहीं पाते। ऐसा सम्भव है कि एक बार फिर पवित्र आत्मा का कार्य का मार्ग मोड़ दिया गया है। बाइबल कहती है, "यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:47–48)। "क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)। इन पदों से हम देख सकते हैं कि, अंत के दिनों में, परमेश्वर न्याय के कार्य के चरण को करने के लिए एक बार फिर लौट आएंगे। परमेश्वर भरोसेमंद हैं। वे जो कहेंगे, वैसा ही होगा। जहाँ तक हमारी बात है, हमें परमेश्वर से जीवन के झरने तक जाने के लिए मार्गदर्शन माँगते हुए, तलाश और प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि हम सिंचन और पोषण प्राप्त कर सकें और अपने प्रभु के पदचिन्हों का अनुसरण कर सकें। मेरा मानना है कि जब तक हमारे पास ऐसा दिल है जो प्यासा है और तलाशता है, हम परमेश्वर का मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर ने हमसे वादा किया है, "माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा" (मत्ती 7:7)।

 

परमेश्वर के मार्गदर्शन के लिए उनका धन्यवाद। मुझे उम्मीद है कि प्रार्थना कैसे करनी है इसके संबंध में आज जो विषयवस्तु साझा की गई है, उससे सभी को फायदा होगा। परमेश्वर के साथ सामान्य संबंध स्थापित करने में प्रार्थना एक महत्वपूर्ण कदम है। ये वह मुख्य मार्ग भी है जिसके माध्यम से हम पवित्र आत्मा के कार्य को प्राप्त कर सकते हैं। जब हम समझ जाते हैं कि प्रभु से उत्तर पाने के लिए प्रार्थना कैसे करनी है, जब हमारे पास अनुसरण करने के लिए एक व्यावहारिक मार्ग होता है और जब हम अक्सर इसका अभ्यास करते हैं, केवल तभी प्रभु हमारी प्रार्थना सुनेंगे। काश, हमारी प्रार्थना जल्द ही परमेश्वर के इरादों के अनुरूप हो जाये।

 

सारी महिमा परमेश्वर की हो!

  

स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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भ्रष्ट बुध्दिजीवियों का पर्दाफाश जो नाम, पद आदि के लिए झूठ बोलकर रक्षा उत्पादन की कमजोर स्तिथि नागरिकों से छुपाते हैं

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आज के आधुनिक, जटिल मशीन और हथियारों में नैनोटेक सेमी कंडक्टर चिप्स होती हैं और नैनोटेक चिप बनाने की एक भी फैक्टरी हमारे देश में नहीं है | नैनोटेक चिप इन जटिल मशीनों का दिमाग होते हैं और इनके बिना ये जटिल मशीन और हथियार नहीं चल सकते |

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हम ये नैनो चिप्स को आयात करके फिर हथियरों को भारत में एसेम्बल करते हैं लेकिन भ्रष्ट बुद्धिजीवी और भ्रष्ट मीडिया इस बारे में झूठ बोलते हैं कि हम 100% स्वदेशी हथियार बनाते हैं और हथियार निर्माण में पूरी तरह से आत्म-निर्भर हैं | विदेशियों द्वारा बनाये गए हथियार में किल स्विच होता है जिसका उपयोग करके दुश्मन कभी भी हथियार को बंद कर सकता है |

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यदि आप चाहते हैं कि सेना में सुधार हो और भारत के आम-नागरिकों को अपनी आत्म-सुरक्षा के लिए हथियार रखने और बनाने की छूट हो, ऐसे प्रक्रिया-ड्राफ्ट लागू हों, तो कृपया ये आदेश अपने सांसद को एस.एम.एस. या ट्विट्टर द्वारा भेजें -

 

" Kripya ye draft - tinyurl . com / atamsuraksha ko apne website, twitter aadi dwara badhava karein aur rajptr mein chhapwayein. Nahin to aapki/aapki party ko vote nahin karunga. Kripya smstoneta . com jaise public sms server banayein jismein logon ki SMS dwara raay unke voter ID ke saath sabhi ko bina login dikhe"

 

अपने विधायक को एस.एम.एस. भेजने के अलावा, अपनी मांग का प्रमाण अपने वोटर आई.डी. के साथ, पब्लिक एस.एम.एस. सर्वर पर दिखाएँ 3 एस.एम.एस. भेज कर | यदि आप ये चाहते हैं कि भारत के आम-नागरिकों को अपनी आत्म-सुरक्षा के लिए हथियार रखने और बनाने की छूट हो और सेना में सुधार हो ऐसे कानून-ड्राफ्ट लागू हों, तो 08141277555 पर अपने मोबाइल इन्बोक्स से कृपया तीन एस.एम.एस. भेजें –

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• पहला एस.एम.एस. इस प्रकार रहेगा (मतलब दो स्टार सिम्बल के बीच में

अपना वोटर आई.डी. नंबर डाल कर एस.एम.एस. करें)

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*आपकी-वोटर-आई.डी.-संख्या*

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• दूसरा एस.एम.एस. में केवल चार अंक रहेंगे जो टी.सी.पी. (rtrg.in/tcpsms.h) का समर्थन कोड है –

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0011

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• तीसरा एस.एम्.एस. में केवल चार अंक रहेंगे जो नागरिकों और देश की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कानूनों का समर्थन कोड है –

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0151

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आपका समर्थन इस लिंक पर आएगा –

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smstoneta.com/tcp |

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यदि किसी क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में ये इन्टरनेट वोटर आई.डी. समर्थन प्राप्त हो गया, तो ये कानून उस क्षेत्र में आ जायेंगे |

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इस अभियान का एक लाभ ये भी होगा कि हम स्थानीय समस्याओं का समाधान लाने के लिए सांसद, विधायक, पार्षद आदि जनसेवकों को पब्लिक एस.एम.एस सर्वर अपनी साईट पर लागू करने के लिए कह सकते हैं | पब्लिक एस.एम.एस सर्वर का क्या स्वरूप क्या है, उसका लाभ क्या है, जानने के लिए ये लिंक देखें – rtrg.in/public-sms-server

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वास्तविकता यह है कि हम अपने देश में 95% चिप्स आयात करके इक्कठा करते है, हम लगभग 100% एसेम्बली लाइन मशीनों का आयात करते है कृपया यह आर्टिकल देखे: articles.timesofindia.indiatimes.com/2011-07-21/hardware/...

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जो थोड़े बहुत चिप्स हम DRDO, BEL,SITAR,CDLI,SCL इत्यादि में बनाते हैं, वो अब प्रयोग में नहीं हैं और केवल रिसर्च के लिये हम बनाते है | आज के जटिल उपकरणों में नैनोटेक चिप्स होती हैं और नैनोटेक चिप बनाने की एक भी फैक्टरी हमारे देश में नहीं है | नैनोटेक चिप इन जटिल मशीनों का दिमाग होते हैं और इनके बिना ये जटिल मशीन और हथयार नहीं चल सकते | कुछ नैनोटेक उपकारों का हम केवल डिजाईन करते हैं, उनके पुर्जे बाहर से आयात करके यहाँ जोड़ते हैं लेकिन अधिकतर निर्माण कार्य बाहरी देशो में होता है जैसे ताईवान, U. S., जापान इत्यादि |

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कई सालो से, सरकार वेफर और जटिल आई.सी. बनाने वाली कंपनियों को आकर्षित करने में विफल रही है क्योंकि केवल जूरी सिस्टम,पारदर्शी शिकायत/प्रस्तावित प्रक्रिया (टीसीपी),राईट टू रिकॉल पी एम् इत्यादि प्रक्रियां द्वारा बिना उत्पीडन वाला वातावरण पैदा किया जा सकता है और आज ऐसा बिना उत्पीडन वाला वातावरण नहीं है, जिसमें उद्योग अपना कार्य अच्छे से कर सकें । कई शीर्ष सैन्य अधिकारी जैसे जनरल वी. के. सिंह (सेवानिवृत), लेफ्टिनेंट कर्नल पनाग (सेवानिवृत) ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भारत 70% से अधिक हथियार आयात करता है ।

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हमारा लक्ष्य यह नही होना चाहिये कि विदेशी कंपनियो को बुलाकर चिप्स और हथियारो के मुख्य घटक (पुर्जा) बनवाएं या पुर्जों को आयात करके भरत में एसेम्बल करें | क्योंकि ऐसा करने से विदेशी मुद्रा की स्तिथि में सुधार नहीं होगा और सुरक्षा में सुधार भी नही होगा । लक्ष्य ये होना चाहिए कि भारतीय इंजीनियर भरत में बने मशीनों द्वारा चिप्स और हथियारों के सभी पुर्जे भरत में बनाएँ |

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विदेशियों द्वारा बनाये गए हथियार में किल स्विच होता है जिसका उपयोग करके दुश्मन कभी भी हथियार को बंद कर सकता है |

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कमांडर खिलारी कहते हैं कि “किल स्विच एक वास्तविकता है” -

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प्रसिद्ध संत भय्यूजी महाराज (50) ने इंदौर स्थित अपने घर में आज कथित रूप से गोली मार कर आत्महत्या कर ली। इंदौर के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) एच सी मिश्रा ने बताया, संत भय्यूजी महाराज ने इंदौर बाइपास स्थित अपने घर में खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली। इंदौर के बॉम्बे अस्पताल के महाप्रबंधक राहुल पाराशर ने बताया कि गोली लगने के बाद उन्हें तुरंत हमारे अस्पताल लाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।इंदौर के जिलाधिकारी निशांत वरवड़े ने बताया कि अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि भय्यूजी महाराज ने किन हालात में और किस वजह से कथित तौर पर आत्महत्या की। उन्होंने कहा कि पुलिस जांच में इस बात का खुलासा हो सकेगा। वरवड़े ने कहा कि महाराज के शव को पोस्टमार्टम के लिए शासकीय महाराज यशवंत राव चिकित्सालय में भेजा गया है।भय्यूजी के शिष्य ने बताया कि संत बनने से पहले वह मॉडलिंग भी किया करते थे। उनके कई अनुयायी हैं, जिनमें नेता एवं फिल्म स्टार शामिल हैं। अध्यात्म गुरू का आश्रम इंदौर शहर में स्थित है और उनके अनुयायियों में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित कई शीर्ष नेता, सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर सहित कई मशहूर हस्तियां शामिल थीं।गौरतलब है कि कुछ महीने पूर्व मध्यप्रदेश सरकार ने पांच धार्मिक नेताओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था जिसमें भय्यूजी महाराज भी शामिल थे। सरकार के इस कदम के बाद विवाद खड़ा हो गया था। विवाद के बाद भय्यूजी ने घोषणा की थी कि वह राज्यमंत्री दर्जे का कोई लाभ नहीं लेंगे।कौन थे भय्यूजी महाराज और कब आए थे सुर्खियों में, जानें 7 बड़ी बातें भय्यूजी महाराज का वास्तविक नाम उदयसिंह देखमुख है। उनका जन्म शुजालपुर के एक किसान परिवार में हुआ था। उनका मुख्य आश्रम इंदौर स्थित बापट चौराहे पर है। सदगुरु दत्त धार्मिक ट्रस्ट उनके सानिध्य में संचालित होता है। कई राजनीतिक और फिल्मी हस्तियां उनके आश्रम में जा चुकी हैं।2012 सद्भावना उपवास के दौरान पीएम मोदी ने उन्हें गुजरात बुलाया था। वे चर्चा में तब आए जब अन्ना हजारे के अनशन को खत्म करवाने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें अपना दूत बनाकर भेजा था। बाद में अन्ना ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था।

ऑडियो अच्छा लगे तो वीडियो को लाइक करे और चैनल को सब्सक्राइब जरूर करे जिससे हमारे वीडियो आपको तुरंत मिले सके….धन्यवाद Album- Bewafa Singer- Shivam Rock

Lyrics- Shivam Rock

Music- R.N.music studio varanasi

Support- Hero Bagish, Digvijay Singh Vijay chauhan,(R.N. Team)

R.N. enquiry- 880827901...

 

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जेनी "JWoww" फ़ार्ले जर्सी शोर पर एंजेलीना Pivarnick के साथ केवल एक ही झगड़ा नहीं है : परिवार की छुट्टी ।

 

एमटीवी शो के गुरुवार के एपिसोड में, निकोल "स्नूकी" पोलीज़ी ने नाटक के लिए न्यू जर्सी के प्वाइंट प्लेसेंट में एक नए समुद्र तट के घर में छुट्टी मनाने के बाद नाटक में खींच लिया।

 

हर कोई खुद को सबसे खराब के लिए प्रेरित कर रहा था, यह देखते हुए कि जेनी और एंजेलिना के बीच कुछ गंभीर अनसुलझे तनाव थे। कुछ महीनों पहले लास वेगास में एक जंगली सप्ताहांत के दौरान पुनरावृत्ति करने के लिए, जेनी के प्रेमी ज़ैक क्लेटन कारपिनेलो को क्लब में एंजेलीना के साथ आराम करने के लिए थोड़ा बहुत करीब मिला, जबकि जेनी नशे में बाहर निकल गया था। लेकिन वह तो दावा किया है कि एंजेलीना वास्तव में उसे चुंबन करने की कोशिश की , और जेनी जर्द था।

 

निकोल ने कहा, "मुझे पता है कि मैं नीचे जा रहा हूं, इसलिए मुझे बहुत सारी शराब मिल रही है क्योंकि मैं चाहता हूं कि हर कोई नशे में हो और बस एक अच्छा समय हो।" "हमारे यहाँ केवल कुछ दिन हैं, और यह हमारा खुद का आनंद लेने का समय है।"

 

शराब पर स्टॉक करने के बाद - $ 758 मूल्य! - जेनी निकोल के साथ घर पहुंची, जहां बाकी कलाकारों ने पहले ही बुलाई थी। महिलाओं के बीच सब ठीक था जब तक कि समूह रात के खाने के लिए बैठ गया - और यह विश्वास करना कठिन हो सकता है, लेकिन टिपिंग बिंदु तब था जब विनी ग्वाडागिनो ने देखा कि उसने क्या सोचा था कि एंजेलीना की शर्ट के नीचे एक निप्पल भेदी है।

 

एंजेलीना ने कहा कि उसने उसके निप्पल को छेद दिया था, लेकिन उसे दिखाने से इनकार कर दिया, जिससे जेनी को झूठ बोलने का आरोप लगा। "आप एक झूठ के लिए कितना प्रतिबद्ध हैं?" उसने मांग की। "अगर मैं दोषी महसूस करता हूं, तो मैं भी उसी तरह से रहूंगा।"

 

बातचीत जल्दी जैक में स्थानांतरित कर दिया के रूप में एंजेलीना का कहना है कि वह "कभी नहीं" उसे चुंबन करने की कोशिश की जारी रखा। लेकिन जेनी उसके आदमी द्वारा खड़ा था: "मैं उसके साथ छह महीने से हूं और उसने कभी मेरा अपमान नहीं किया," उसने कहा। दूसरी ओर, आप 10 साल के एफजी प्लेग रहे हैं। "

 

संबंधित: जर्सी शोर JWoww एंजेलीना और प्रेमी Zack 'बेवकूफ' कॉल - 'वे एक दूसरे को उकसाया'

 

तर्क केवल वहां से आगे बढ़ा , और जल्द ही, मेज पर हर कोई एक दूसरे पर चिल्ला रहा था। जब एंजेलीना ने जेनी को "गंभीर होने की कोशिश" के लिए बाहर बुलाया, तो जेनी ने तड़क कर कहा।

 

"मटमैला ?! गंभीर? ”उसने मेज पर मुट्ठ मारते हुए कहा। "आप एफ के बारे में बात करना चाहते हैं गंभीर? आपने मेरे एफ-तलाक, कुतिया का सम्मान नहीं किया।

 

"आप के बारे में मुझे क्योंकि आप को मोड़ने के लिए चाहते हैं अपने प्रेमी चुंबन करने की कोशिश कर एक झूठ बना," एंजेलीना वापस निकाल दिया। "क्योंकि आपके एफ-इंग बॉयफ्रेंड ने मुझे जकड़ लिया।"

 

फिर जेनी ने एंजेलीना की उंगली को रास्ते से हटाने की कोशिश की और सभी नरक ढीले हो गए। जब उसने एक शराब की बोतल उठाई, तो यह स्पष्ट रूप से एंजेलिना पर झूलने की धमकी दे रहा था, सुरक्षा ने हस्तक्षेप किया।

 

जेनी ने एक साल पहले पति रोजर मैथ्यूज से तलाक के लिए अर्जी दी । 5 साल की बेटी मीलाणी और 3 वर्षीय बेटे ग्रीयसन को साझा करने वाले दोनों ने इस अगस्त की कार्यवाही को अंतिम रूप दिया ।

 

जेनी और जैक अप्रैल से डेटिंग कर रहे हैं, हालांकि वे कथित तौर पर अलग हो गए क्योंकि इस महीने एंजेलिना के साथ नाटक शो में सामने आया। कई रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने मेल मिलाप किया है।

 

गुरुवार के एपिसोड में, जेनी केवल एक एंजेलीना के साथ एक समस्या नहीं थी: वह निकोल को शामिल करने के लिए भी नाराज थी, भले ही वह उस रात वेगास में उनके साथ नहीं थी। निकोल, गुस्से में है कि एंजेलिना ने उसे और जेनी को "लड़कियों का मतलब" बताया, बदले में एंजेलिना को "एफ-आईएनजी नकली" कहा और घर से बाहर निकाल दिया।

 

"मुझे पसंद नहीं है जब मुझे मतलबी लड़की कहा जाता है, जब मेरे दोस्तों को मतलबी लड़कियाँ कहा जाता है, क्योंकि हम एफ-आई मीन लड़कियों के नहीं हैं," उसने समझाया। "यह मेरे लिए सिर्फ एक बड़ी बात है क्योंकि मैंने हाई स्कूल में इससे निपटा है।"

 

बाहर, जेनी और डेना कोर्टेस निकोल को शांत करने में कामयाब रहे, जबकि लड़कों ने एंजेलिना को इस स्थिति को हल करने के बारे में सलाह देने के लिए एक तरफ खींच लिया।

 

एंजेलिना ने कहा, "मैं यहां नहीं जीत सकती।" “जेनी के पास एक व्यक्तित्व है और मेरे पास एक और है। और हम मिश्रण नहीं करते हैं, खासकर जब आपके पास अन्य लोगों को उकसाया जाता है- "

 

"मेरे जीवन में एक बार के लिए, मैं एंजेलीना के साथ सहमत हूं," विनी ने स्वीकार किया। "इस एक बात के लिए।"

 

"एक बार जब आप दुश्मन बन जाते हैं ... यदि आप उसके दुश्मन हैं, तो वह आपको बस के नीचे फेंक देगा," उन्होंने कहा।

 

“उसने नोट लिखा। रोनी ऑर्टिज़-मैग्रो ने कहा, जर्सी शोर के मूल रन के सीज़न 2 से कुख्यात नोट का जिक्र करते हुए आप क्या उम्मीद करते हैं। “भले ही तुम उसके दुश्मन नहीं हो, लेकिन वह तुम्हें बस के नीचे फेंक देगा। वह एक पेशेवर बस चालक है। बीप बीप, मदर-एर। "

 

लड़कियों ने अंत में एंजेलिना के साथ हैश चीजों को अंदर ले लिया - लेकिन समस्या यह थी, वे इस बिंदु पर नशे में थे। वार्तालाप लगभग तुरंत एक और तर्क में विकसित हो गया और एक बार फिर, निकोल तूफान हो गया।

 

रियलिटी स्टार चिल्लाया, "मैं अपने 2 महीने के बेटे को छोड़कर नहीं जाऊंगी ," रियलिटी स्टार चिल्लाया, जिसने अपने तीसरे बच्चे, बेटे एंजेलो का 30 मई को पति जियोनी लावेल के साथ स्वागत किया।

 

"मैं यह नहीं कर रहा हूँ," उसने जोर देकर कहा। "मैं घर जा रहा हूँ। उससे बात नहीं की जा सकती, मैं जा रही हूँ। "

 

जर्सी शोर: एमटीवी पर पारिवारिक अवकाश गुरुवार (रात 8 बजे)।

 

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